सुन मेरे हमसफर 260

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सामने खड़ी उस महिला को देखकर शुभ का चौकना लाजमी था। सामने खड़ी वह एक मॉडर्न किस्म की अधेड़ उम्र की महिला और कोई नहीं बल्कि लावण्या ही थी। शुभ ने उसे ऐसे अपने सामने खड़े देखा तो उसे समझ ही नहीं आया कि वह किस तरह से रिएक्ट करें।


    लावण्या ने शुभ की तरफ देखकर मुस्कुराते हुए कहा "मुझे देखकर हैरान हो? और मैं जिंदा हूं, यह कैसा सवाल है? जिस तरह सारांश ने तुम्हें जेल भेजा था, उसी तरह सारांश ने मुझे भी जेल भेजा था। जब तुम जिंदा बच कर आ सकते हो तो मैं क्यों नहीं?"


     शुभ ने अपनी हैरानी अपने अंदर दबाई और नॉर्मल होकर बड़े गंभीर अंदाज में बोला "तुम इस वक्त यहां क्या कर रही हो? और मुझे इस तरह बुलाने का क्या मतलब है तुम्हारा? अब क्यों आई हो तुम यहां?"


    लावण्या ने बड़े प्यार से शुभ के कंधे पर हाथ रखा और कहा "तुमने शायद मेरी बात ठीक से सुनी नहीं! तुम्हारे साथ भी सारांश ने वही किया जो उसने मेरे साथ किया। हम दोनों एक ही कश्ती में सवार है।"


    शुभ उसकी बातों का मतलब समझ गया और कहा "तो मतलब तुम यहां सारांश से बदला लेने आई हो, है ना?"


     लावण्या ने हंस कर कहा, "आज भी तुम बातों को बहुत जल्दी समझ जाते हो। तुम बिल्कुल भी नहीं बदले।"


    शुभ ने अभी भी गंभीर होकर पूछा "बदली तो तुम भी नहीं हो। आज भी वही दिमाग है तुम्हारा। ना सूरत बदली है ना सीरत। लेकिन इतने सालों के बाद तुम्हें यह याद क्यों आया? यह काम तो तुम बहुत पहले भी कर सकती थी।"


    लावण्या ने गहरी सांस ली और कहा "शुभ, माय डियर! हर काम का एक वक्त होता है। तुम्हे क्या लगता है, क्या मैं अपने साथ हुए हादसे का बदला लेने के लिए बेचैन नहीं थी? लेकिन क्या है ना, जो दो बार मैंने कोशिश की, हर बार सारांश ने मेरी हर चाल नाकाम कर दी और उल्टा मुझे ही टॉर्चर किया। मैं चाहकर भी कुछ नहीं कर सकी। लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं था कि मैं कुछ कर नहीं सकती थी। बस जरूरत थी प्लानिंग की और इतने साल में वही करती रही।"


      इस बार शुभ थोड़ा सा हंसा और कहा "जेल में बैठकर तुम प्लानिंग ही कर सकती थी। वैसे यह उल्लू तुम्हारा बेटा है? लगता तो नही है।"


     लावण्या ने अंश की तरफ देखा और कहा "बिल्कुल सही पहचाना तुमने, उल्लू ही है लेकिन मेरा बेटा नहीं।"


      शुभ लावण्या की सारी चालाकी समझने लगा था। उसने कहा "दिखने में ही लगता है। तुम्हारा बेटा होता तो इतना बेवकूफ नहीं होता। जैसी हरकत इसने की है, वैसे करता ही नहीं।"


     लावण्या ने बड़े प्यार से अंश के सिर पर हाथ फेरकर कहा, "जो भी हो, है तो मेरा ही बेटा। इसमें मैं अपनी परवरिश डालने की कोशिश कर सकती हूं। लेकिन जो मेरा बेटा है, काश उसमें मेरा थोड़ा सा भी दिमाग होता। लेकिन वह तो बिल्कुल अपने बाप और अपनी सौतेली मां पर गया है। पता नहीं क्या जादू कर रखा है उस औरत ने!"


      शुभ ने हैरानी से पूछा "तुमने समर्थ से मिलने की कोशिश की?"


    लावण्या ने अपना गुस्सा दबाते हुए कहा "दो बार कोशिश की मैंने। जेल से छूटने के बाद दो बार मैंने उससे मिलने की कोशिश की लेकिन वह है कि मेरा नाम तक नहीं सुनना चाहता। ऐसे उसने ट्रीट किया जैसे वह मुझे जानता ही नहीं। मैं उसके सामने आई भी तो उसने मुझे पहचानने से इनकार कर दिया। करेगा भी क्यों? उसे मुझसे फायदा क्या होने वाला था!"


     शुभ को अभी भी समझ नहीं आ रहा था कि लावण्या यहां क्या करने आई थी और इसकी प्लानिंग क्या थी। ऐसे शादी के माहौल में रंग में भंग डालना सबसे आसान काम था। शुभ को सोचते देखा लावण्या ने कहा "देखो शुभ! मेरा कार्तिक से कोई लेना-देना नहीं है। उसकी बेटी की शादी हो रही है तो ऐसे में उसे टारगेट करके मेरा कोई फायदा नहीं होगा। अगर अव्यांश मित्तल ने मेरा खेल ना बिगाड़ा होता तो मैं इस वक्त यहां होती भी नहीं।"


     इस सबके बीच अव्यांश का नाम आता देख शुभ ने पूछा अंशु ने क्या किया है? वो तो शायद तुम्हें जानता तक नहीं है।"


    इस बार अंश, जो इतनी देर से खामोश था, उसने कहा "उसने ही तो हमारी सारी प्लानिंग बर्बाद की थी। मेरा नाम बदलकर अंश मॉम ने हीं रखा था और एक अरसे से हम लोग यह प्लानिंग कर रहे थे कि कैसे अंदर ही अंदर मित्तल इंडस्ट्री को बर्बाद किया जाए। और कुछ नहीं तो कम से कम सारांश मित्तल और उसके बेटे का नाम तो खराब कर ही सकते थे और हम इस सब में कुछ हद तक कामयाब हो भी गए थे लेकिन समझ में नहीं आया कि वह अव्यांश मित्तल कब कैसे इस सबके बीच आ पड़ा और हमारी सारी प्लानिंग धरी की धरी रह गई।"


    शुभ ने अंश को सर से पैर तक देखा और कहा "लावण्या! थोड़ा तो अकल दिया होता इसे! किस एंगल से यह सारांश मित्तल का बेटा लगता है! आई मीन, एटलिस्ट बालों को ही देख लो। सारांश मित्तल का बेटा बनने के लिए सारांश मित्तल जैसी पर्सनालिटी भी होनी चाहिए जो अंशु में साफ नजर आता है। लेकिन एक बात बताओ, अंशु 6 महीने तुम्हारी आंखों के सामने रहा तुम्हारे साथ उसने काम किया लेकिन कभी तुम उसकी असलियत पहचान नहीं पाए? क्या तेज दिमाग है तुम्हारा, मानना पड़ेगा।"


     लावण्या ने अफसोस करते हुए कहा "इसी बात का अफसोस तो मुझे भी है। उसने कभी बताया नहीं मुझे और ना कभी मैं इस पर ध्यान दिया।"


    अंश बिफरते हुए बोला "अब मुझे क्या पता था कि वह सारांश मित्तल का बेटा निकलेगा। आपने तो मुझे यही बताया था ना कि उसका नाम अंश है, इसके हिसाब से तो अंश मित्तल होना चाहिए था और वह अव्यांश गुप्ता! कैसे पहचानता मैं उसे!"


    लावण्या ने अंश पर बिगड़ते हुए कहा "किसी भी इंसान की पर्सनैलिटी, उसका ऑरा उसका बैकग्राउंड बताती है जो हर किसी में नहीं होता और जिसे देखने के लिए एक पारखी नजर होनी चाहिए।"


     दोनों मां बेटे को आपस में उलझे देख शुभ ने उन दोनों को बीच में रोका और कहा "मुझे तुम दोनों का फैमिली ड्रामा देखने का कोई शौक नहीं है। सिर्फ इतना बताओ कि मुझे यहां क्यों बुलाया?"


      लावण्या ने एक हाथ से अंश को चुप रहने का इशारा किया और शुभ से कहा "देखो शुभ! मैं चाहती हूं कि इस लड़ाई में तुम हमारा साथ दो। मित्तल हाउस के बाहर अंश गाड़ी में बैठा था। जब उसने मुझे तुम्हारे बारे में बताया तो मैं समझ गई कि शायद तुम शादी के लिए ही वापस आए हो और यह हमारे लिए बहुत खास मौका था इसलिए मेरा यहां होना जरूरी था। मैं बस इतना चाहती हूं कि मेरी इस लड़ाई में तुम मेरा साथ दो।"


     शुभ ने दो-तीन बार पलके झपकाई और पूछा "इस सबके लिए मुझे क्या करना होगा?"


    शुभ को अपने तरफ होते देख लावण्या खुश होकर बोली "ज्यादा कुछ नहीं, बस सारांश मित्तल की बहू यानी अव्यांश मित्तल की बीवी निशि मित्तल को हमारे पास लेकर आना होगा। अब चाहे यह काम तुम आज रात करो या कल परसों, जब तुम्हारा दिल करे।"


     निशि का नाम सुनकर शुभ के होठों पर एक अजीब सी मुस्कान आ गई। उसने कहा "काम तुम्हारा हो जाएगा लेकिन अभी तुम ने हीं कहा ना कि तुम्हारा कार्तिक या उसकी बेटी की शादी से कोई लेना नहीं है तो एक बार इस शादी को निपट जाने दो, उसके बाद तुम्हारा काम हो जाएगा। इसके बदले मुझे क्या चाहिए ये मैं तुम्हे बाद में बताऊंगा। फिलहाल अगर तुम्हारी बात खत्म हो गई हो तो मैं चलता हूं। अपने ड्राइवर से कहो मुझे इस वक्त वेन्यू पर छोड़ दे क्योंकि जिसकी बहू को तुम टारगेट करना चाह रही हो, उसका फोन आ रहा है मुझे।"


     शुभ ने अपना फोन निकाल कर लावण्या की तरफ स्क्रीन कर दिया जिस पर सारांश का नाम फ्लैश हो रहा था।




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