सुन मेरे हमसफर 258

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      सुहानी ने कार्तिक सिंघानिया को फोन किया और कहा "तुम इस वक्त कुणाल जीजू के साथ ही हो ना?"


       कार्तिक सिंघानिया इस वक्त वाकई कुणाल के कमरे में ही था। उसने कहा "हां मैं इस वक्त कुणाल के साथ हूं। क्यों, कुछ काम था कुणाल से?"


     सुहानी अपने में ही सर हिला कर बोली "हां काम तो था। नही नहीं! मुझे काम नहीं था। मतलब उनसे बात नहीं करनी थी। एक्चुअली क्या वह तैयार हो चुके हैं?"


      कार्तिक को सुहानी की बातें थोड़ी अटपटी सी लगी। इस वक्त सुहानी बहुत ही ज्यादा कंफ्यूज नजर आ रही थी। ये उसकी आवाज से साफ जाहिर हो रहा था। कार्तिक ने पूछा "सुहानी! सब ठीक तो है ना?"


     सुहानी का ध्यान इस वक्त कहीं और ही था। कार्तिक की आवाज सुनकर उसने कहा "हां सब ठीक है। वह एक्चुअली, जीजू को कलगी देनी थी। उनके पगड़ी में लगेगी ना! सुबह ही मासी ने कहा था मुझे लेकर जाने को लेकिन मेरे दिमाग से उतर गया। इस वक्त मेरे पास ही है तो मैं सोच रही थी मैं आकर दे जाती हूं।"


      कार्तिक ने धीरे से कहा "ठीक है तुम आ जाओ। कितना टाइम लगेगा तुम्हें?"


   सुहानी ने बाहर की तरफ निकलते हुए कहा "मैं बस 15 20 मिनट में पहुंच जाऊंगी। तुम रहना वहीं पर।" इतना कह कर सुहानी ने फोन काट दिया।


    कार्तिक ने फोन अपने पॉकेट में रखा तो कुणाल ने आईने से उसे देखते हुए कहा "तेरा और सुहानी का तो फिक्स है। लगता है इस बार बात बन जाएगी।"


      कार्तिक इस बात को करने के लिए तैयार नहीं था। उसने कहा "तुम्हे समझाया था, ऐसा कुछ नहीं है। सुहानी दोस्त है मेरी, इससे ज्यादा और कुछ नहीं। ऐसी दोस्त कई बनी और कई चली गई।"


     कुणाल अपने दोस्त की तरफ पलट गया और बोला "सुहानी उनमें से नहीं है। देख कार्तिक! मैं जानता हूं तेरे साथ क्या प्रॉब्लम है लेकिन इस प्रॉब्लम के साथ तू हमेशा नहीं जी सकता। जब तक तू खुद ही सब से निकलने की कोशिश ना करें। ऐसा करके तू अपने साथ-साथ बाकी सब को भी तकलीफ दे रहा है। ठीक है तुझे सुहानी से प्यार नहीं है कोई बात नहीं लेकिन एक बार इस बारे में तो सोच कर तो देख! एक अच्छा दोस्त एक अच्छा लाइफ पार्टनर भी साबित हो सकता है।"


     कार्तिक ने कुणाल को ताना मारते हुए कहा "हां! यह बात तू अच्छे से समझा सकता है। आफ्टर ऑल! तू भी तो अपने प्यार को छोड़कर अपनी दोस्त से ही शादी कर रहा है। मैं भी देखता हूं आखिर यह परफेक्ट फ्रेंड परफेक्ट पार्टनर कैसे बन सकता है। तुम दोनों का अगर निभा तो मैं भी सुहानी के बारे में जरूर सोचूंगा। बाय द वे सुहानी आ रही है तुम्हारे लिए।"


     ऋषभ वही दरवाजे पर खड़ा कार्तिक की बातें सुन रहा था। उसने अंदर आते हुए कहा "अगर तुझे सुहानी से प्यार नहीं है, जो कि बात सच है, लेकिन वह तेरी दोस्त तो है, यह बात तो तू मानता है ना?"


      कार्तिक ने अपना गर्दन हिला दिया और कहा "सिर्फ अच्छी दोस्त!"


    ऋषभ ने अपनी बांह कार्तिक के गर्दन में फंसाई और कहा "भाई मेरे! अगर सुहानी तेरी अच्छी दोस्त है तो तुझे अपनी दोस्त के लिए भी तो कुछ करना चाहिए, है कि नहीं?"


     कार्तिक ने इस बार भी अपनी सहमति जताई और पूछा "तो क्या करना चाहिए मुझे? उसे पार्टी देनी चाहिए, गिफ्ट देना चाहिए या उसके लिए डेट अरेंज करना चाहिए?"


      तो ऋषभ ने आगे कहा "तूने तो मेरे दिल की बात कह दी है। मेरे भाई! आखिर तूने साबित कर ही दिया कि तू मेरा भाई है। दिमाग बहुत तेज चल रहा है तेरा आजकल।"


     कार्तिक ने अपने भाई को अजीब सी नजरों से देखा और कहा "हमारी बस शक्ल मिलती है अकल नहीं। और तेरे जैसा दिमाग मुझे चाहिए भी नहीं। चुपचाप बता तू बोलना क्या चाहता है।"


     कार्तिक को गुस्सा होते देख ऋषभ ने अपने दोनों हाथ आगे करके उसे शांत किया और कहा, "अब सुहानी तेरी तरह पूरी लाइफ अकेली तो रहने नहीं वाली। उसकी भी लाइफ है उसे भी लाइफ पार्टनर चाहिए होगी। एक काम क्यों नहीं करता, तू उसके लिए एक अच्छा सा पार्टनर क्यों नहीं ढूंढता? तेरे फ्रेंड सर्कल में होंगे ना, उन्ही में से किसी एक से मिलवा दे उसे।"


     कार्तिक इस बार सच में गुस्सा हो गया। "इतनी ही बड़ी है तुझे तो तू अपने फ्रेंड सर्कल में किसी से मिलवा दे। मैं क्या यहां पर मैचमेकर बना हुआ हूं?"


     ऋषभ ने मुस्कुरा कर कहा "भाई मेरे! मेरा फ्रेंड सर्कल कैसा है यह तो तू जानता ही है। तेरी दोस्त मेरे फ्रेंड से मिले क्या तेरी भाभी को अच्छा लगेगा? मैं तो खुद उस सर्कल से बाहर निकलना चाह रहा हूं। कायरा मेरा गला दबा देगी।"


     कुणाल ने ऋषभ की बातों पर सहमति जताते हुए कहा "ऋषभ ने ये बात बिल्कुल सही कही है। काया तुम्हें जान से मार देगी अगर उसकी बहन के साथ कुछ भी उल्टा पुल्टा हुआ तो।"


    "एक्सक्यूज मी!" दरवाजे पर से एक भन्नाई सी आवाज आई। तीनों की नजर एक साथ दरवाजे पर गई तो तीनों ही हैरान रह गए। कुणाल जो अभी कुर्सी पर बैठा था वह हैरानी से उठ खड़ा हुआ और बोला "तुम यहां, इस वक्त? मुझे लगा तुम हॉस्पिटल में होगी।"


 सुहानी, शुभ के साथ पार्किंग एरिया में खड़ा था। शिवि के जाने के बाद सुहानी ने शुभ को भी जल्दी आने को कह कर वो वापस अंदर चली गई। उसके जाने के बाद शुभ भी एक कॉल अटेंड करके अंदर जाने को हुआ तो उसकी नजरों में कुछ खटका। उसने वापस से उस तरफ देखा तो पाया, पार्किंग के बाहर कुछ दूरी पर वही काली गाड़ी खड़ी थी उसे घर के बाहर सड़क के उस पार नजर आई थी। 


    "इस बारे में कुछ तो गड़बड़ जरूर है। मेरा दिल कहता है, कुछ गलत होने को है। मुझे जाकर एक बार देखना होगा।" कहते हुए शुभ सबसे छुपता हुआ उस गाड़ी की तरफ बढ़ा। वो गाड़ी अभी भी वैसे ही खड़ी थी, उसमे कोई हलचल नहीं हुई। लेकिन जैसे ही शुभ उस गाड़ी के पास गया, एकदम से गाड़ी का दरवाजा खुला और गाड़ी का ड्राइवर बाहर निकला। 


    ड्राइवर को देख शुभ सोचने लगा कि आज वो क्या करे। उसी वक्त ड्राइवर ने गाड़ी का पिछला दरवाजा खोल दिया और शुभ से कहा, "शुभ सर! आप अंदर आइए, आपसे कुछ बात करनी है।"


     शुभ भौचक्का रह गया। वो इतने सालों के बस भारत लौटा था तो फिर सामने खड़े इंसान को उसका नाम कैसे पता था और उसे पहचानता कैसे था? उससे भी बढ़कर, इसको बात क्या करनी थी?



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