सुन मेरे हमसफर 264

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    नेत्रा कुहू की इस हरकत पर मुस्कुराए बिना ना रह सकी। उसने कहा "अच्छा किया। मुझे जो करना था उसके लिए तुमने पहले ही तैयारी कर दी।"


    अब कुहू के माथे पर परेशानी की रेखाएं नजर आने लगी। मतलब वाकई नेत्रा के दिमाग में कुछ खिचड़ी पक रही थी। लेकिन इस वक्त वह क्या करने वाली है, यह कुहू की समझ में नहीं आया।


     कुहू को सोचते देख नेत्रा ने कहा "तुम बहुत ज्यादा सोच रही हो। वो क्या है ना, इतने साल हमारे बीच जो भी डिस्प्यूट रहे है, उसके कारण तुम मुझ पर भरोसा करोगी भी कैसे! लेकिन उसकी वजह कुछ और थी और अब तो तुम शादी करके जा रही हो तो फिर सारी प्रॉब्लम ही खत्म हो जाएगी।"


     अब कुहू को थोड़ी हैरानी हुई। उसने दो कदम आगे बढ़कर नेत्रा से पूछा "तुम्हारे कहने का मतलब है कि हमारे बीच सिर्फ एक चित्रा मॉम को लेकर लड़ाई थी, और मेरी शादी के बाद वह खत्म हो जाएगी? तुम्हें ऐसा क्यों लगा? और फिर तुम तो कुणाल को लेकर भी पजेसिव थी। इतनी जल्दी कुणाल को भूल गई, ऐसा कैसे हो सकता है? हमारे बीच सिर्फ चित्रा मॉम नहीं बल्कि कुणाल के लिए भी तनातनी थी। इन फैक्ट अभी भी है।"


      नेत्रा पहले तो जोर से हंस पड़ी और फिर एकदम से मायूस होकर कहा "लेकिन मेरा हक तो सिर्फ मेरी मॉम पर है ना? कुणाल पर कैसे मैं अपना हक जाता सकती हूं! उसके लिए तो सिर्फ मैं उसकी दोस्त हूं, उससे ज्यादा और कुछ नहीं।"



     हैरानी से कुहू की आंखें और छोटी हो गई। उसे यकीन नहीं हुआ। खैर नेत्रा की बातों पर तो उसे कभी भी यकीन रहा ही नहीं फिर भी उसने पूछा "इसका मतलब तुम कुणाल को लेकर हार मान चुकी हो? सीरियसली! जितना मैं तुम्हें जानती हूं यह तुम्हारा कैरेक्टर नहीं है। मुझे तो लगा था कुणाल को पाने के लिए तुम किसी भी हद तक जाओगी। सच-सच बताओ नेत्रा, क्या चल रहा है तुम्हारे दिमाग में और इस वक्त यहां तुम मेरे पास क्यों आई हो? अब यह बिल्कुल मत कहना कि तुम यहां मेरे सामने हाथ जोड़कर कुणाल को मांगने आई हो।"


   नेत्रा धीरे से हंसी और कहा "मैंने तुम्हें बताया ना, कुणाल के लिए मैं सिर्फ उसकी दोस्त हूं। दोस्त तो तुम भी हो उसकी लेकिन शादी वह तुमसे कर रहा है। जब वो ही मेरे लिए कुछ फील नहीं करता तो फिर मैं कैसे जबरदस्ती उसे अपना बना सकती हूं! और फिर मैं तुम्हें क्यों कहूं कि मुझे कुणाल चाहिए? अगर मुझे कुणाल चाहिए होगा तो मैं उसे तुमसे छीन लेती, इस तरह तुम्हारे सामने खड़ी नहीं होती।"


      नेत्रा की सारी बातें कुहू के सिर के ऊपर से जा रही थी। उसने अपना सर हिला कर कहा "सीधे-सीधे बताओ तुम चाहती क्या हो?"


     नेत्रा ने मुस्कुरा कर कहा "मैं तुम्हारे लिए गिफ्ट लाई थी। बस वही तो मैं देना चाहती हूं।"


   " गिफ्ट?!" कुहू को यकीन ही नहीं था। कुहू की आंखों में अविश्वास के भाव देख नेत्रा अपने बैग की तरफ बढ़ी और उसके अंदर से एक पतला लंबा डब्बा निकाल कर कुहू के सामने कर दिया फिर कहा "यह देखो। तुम्हें यकीन नहीं हो रहा ना!"


    कुहू के मन का डर अभी भी कम नहीं हुआ था। इस सबके बीच जरूर नेत्रा की कोई साजिश हो सकती है। उसने पूछा "क्या है इसमें?"


      नेत्रा ने कुहू को अजीब नजरों से देखा और कहा "कुहू! ये पायल का डब्बा है तो इसमें पायल नहीं होगा ना!" नेत्रा ने उसे डब्बे को खोलकर कुहू की तरफ बढ़ा दिया। वाकई उसमें एक जोड़ी पायल थी।


      कुहू ने पायल के डिब्बे को देखकर कहा "ठीक है इसको वहां आईने के आगे के पास रख दो और जाओ यहां से।"


     नेत्रा ने डब्बा बंद किया और उसे डब्बे को कसकर अपने हाथ में पकड़ कर कहा "नहीं! मैं यह पायल अपने हाथों से तुम्हें पहनाना चाहती हूं, उसके बाद ही यहां से जाऊंगी।"


     कुहू नेत्रा से अब तक इतनी बात कर चुकी थी कि अब उसका सर दुखने लगा था। नेत्रा ने कहा "तुम चलकर सोफे पर बैठो, मैं बस तुम्हें अपने हाथों से यह पहना दूंगी तो मैं चली जाऊंगी।"


     'सोफे पर? कहीं कुछ चल तो नहीं रहा इसके दिमाग में? कुछ करने वाली है या करके बैठी है? मेरे आने से पहले से ये यहां कमरे में है। जरूर सोफे में कुछ ऐसा है जो नही होना चाहिए।' कुहू को नेत्रा पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं था। उसने कहा "नहीं मैं यही कुर्सी पर ठीक हूं। तुम्हें जो करना है करो और जल्दी यहां से जाओ।" कुहू जाकर वहीं आईने के सामने रखी कुर्सी पर बैठ गई।


      नेत्रा ने पायल के डब्बे से पायल निकाला और उस डब्बे को अपने बैग में रखने के लिए आगे बढ़ी। कुहू आईने से चुपचाप नेत्रा की हरकतों पर नजर रखे हुए थी। हालांकि उसकी पीठ कुहू के सामने थी जिससे वह कुछ देख तो नहीं पा रही थी लेकिन फिर भी वह तसल्ली कर लेना चाहती थी। नेत्रा जैसे ही उसकी तरफ वापस पलट कर आ, कुहू ने अपनी नजर दूसरी तरफ घुमाई और अपनी चूड़ियां ठीक करने लगी, कुछ ऐसे जैसे उसने नेत्रा की तरफ ध्यान ही ना दिया हो। एक बार फिर उसने आवाज लगाई "तुम जल्दी करोगी? मुझे यहां बहुत अजीब सी फीलिंग हो रही है।"


     नेत्रा मुस्कुरा कर उठी और कहा "बस 2 मिनट और। फिर तुम्हे ऐसा कुछ फील नहीं होगा।"


     कुहू को नेत्रा की बातों से अजीब लगा। लेकिन इससे पहले कि वो कुछ समझ पाती, एकदम से नेत्रा ने एक ही झटके में अपने कंधे पर से दुपट्टा उतारा और जिस कुर्सी पर कुहू बैठी थी उसी कुर्सी समेत कुहू को बांध दिया।


     कुहू हैरान परेशान होकर रह गई। उसने अपने आप को छुड़ाने की कोशिश की लेकिन नेत्रा उसे तब तक दो बार बांध चुकी थी। उसकी इस हरकत पर कुहू ने गुस्से में बौखला कर कहा "नेत्रा! क्या हरकत है यह? खोलो मुझे।"


      नेत्रा ने मुस्कुरा कर कहा "खोल दूंगी खोल दूंगी, इतनी जल्दी भी क्या है! पहले अपना काम तो कर लूं जिस काम के लिए मैं आई हूं।"


     कुहू ने गुस्से में कहा "नेत्रा! तुम ये ठीक नहीं कर रही हो। तुम्हें क्या लगता है, तुम मुझे यहां कोई नुकसान पहुंचाओगी और बच कर निकल जाओगी तो यह तुम्हारी बहुत बड़ी गलती है। मेरी जगह मंडप में तुम बैठोगी और कुणाल तुम्हें एक्सेप्ट कर लेगा तो ये तुम्हारी बहुत बड़ी खुशफहमी है। वैसे भी, अगर मेरे साथ कुछ भी हुआ तो सबसे पहले शक तुम पर ही जाएगा। मॉम या बाकी सब कोई कुछ ना कहे लेकिन मेरी चित्रा मॉम तुम्हें बिल्कुल नहीं छोड़ेंगी।"


      नेत्रा को हंसी आ गई। उसने कहा "कोई बात नहीं। मैं सोच रखा है मुझे आगे क्या करना है और कैसे करना है।" नेत्रा ने बहुत अच्छे से दुपट्टे में गांठ बांध दी और अपने कमर से रुमाल निकाल लिया।


      उस रुमाल को देखकर कुहू ने एक बार फिर पूछा "तुम करने क्या वाली हो? खोलो मुझे!"


     नेत्रा ने उस रुमाल की एक परत खोली जिससे पूरे कमरे में एक मीठी सी खुशबू फैल गई। फिर उसे रुमाल को कुहू के नाक पर रख दिया। यह क्लोरोफॉर्म था। अपने आपको बचाने के लिए कुहू प्रतिकार करने लगी। उसे उस क्लोरोफॉर्म से बेहोश नहीं होना था लेकिन नेत्रा ने उसे कसकर पकड़ रखा था। 


     उसी वक्त दरवाजे की नॉब घूमने की आवाज आई। घबराहट में नेत्रा की हालत खराब हो गई और कुहू ने चैन की सांस ली कि कोई तो आया उसे बचाने। लेकिन कौन???





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