सुन मेरे हमसफर 265

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     "हे भगवान! इस वक्त कौन आया? मैंने तो सबको टरका दिया था यहां से।" नेत्रा को घबराया हुआ देख कुहू की आंखें खुशी से फैल गई। उसने मन ही मन कहा 'हे भगवान! अच्छा हुआ जो आपने किसी को भेज दिया। अब इस नेत्रा की खैर नहीं।' दरवाजे की नॉब घूमी और निर्वाण दवे पांव अंदर दाखिल हुआ। सामने निर्वाण को देख कुहू ने राहत की सांस ली और साथ में नेत्रा ने भी।


     निर्वाण अंदर आया तो नेत्रा ने जल्दी से रुमाल कुहू के नाक पर से हटाया और निर्वाण पर ही नाराज होकर कहा "यह क्या लेकर आया है तू?"


    लेकिन कुहू ने नेत्रा की बातों पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया। शायद उसने ठीक से सुना ही नहीं और कहा "निर्वाण! बताओ मुझे जल्दी से। देखो तुम्हारी बहन क्या कर रही है। पागल हो गई है यह। ऐसे करेगी ना तो मैं इस बार पक्का इसको जेल में भेज दूंगी। मैं इस बार बिल्कुल भी बर्दाश्त करने वाली नहीं हूं, फिर चाहे वह चित्रा मॉम के लिए ही क्यों ना हो। इस बार मैं इसको छोडूंगी नहीं। निकलो मुझे यहां से।"


     कुहू की आवाज थोड़ी तेज हो गई थी जिसे सुनकर निर्वाण ने जल्दी से दरवाजा लॉक किया और कहा "कुहू दी! इस बारे में हम बाद में बात करेंगे।" फिर उसने नेत्रा से पूछा "क्यों क्या हुआ? क्यों नाराज हो रही है?"


      नेत्रा ने कुहू की तरफ इशारा किया और कहा "यह तो अभी तक बेहोश नहीं हुई। नकली क्लोरोफॉर्म ले आया तू इस बार।"


    इस बार नेत्रा की बात कुहू ने अच्छे से सुनी। उसने हैरान होकर अविश्वास से निर्वाण की तरफ देखा और कहा "तू भी यह सब में मिला हुआ है? निर्वाण तू कैसे नेत्रा का साथ दे सकता है! तुझे समझ नहीं आ रहा है कि वह क्या कर रही है, क्या करने जा रही है और क्या हो सकता है।"


      निर्वाण ने मुस्कुरा कर बड़े प्यार से आगे जाकर कुहू का पैर छूकर आशीर्वाद लिया और कहा, "कुहू दी! ये सारा आइडिया मेरा ही तो था! नेत्रा जो भी कर रही है वह मेरे कहने पर कर रही है।"


     कुहू आगे कुछ और बोलती उससे पहले निर्वाण ने अपने एक हाथ से कुहू का मुंह बंद किया और नेत्रा से कहा "असर नहीं हुआ का क्या मतलब? अरे माल तो असली था। ऐसे कैसे हो सकता है?"


     नेत्रा ने रुमाल अपने नाक पर रखा और उसे अपना नाक पोंछ कर कहा "यह देख! मुझे कुछ नहीं हुआ, नकली है ये। अब इसके मुंह में कपड़ा ठूंस और इसको लेकर चल यहां से।"


     नेत्रा कुहू की तरफ बढ़ी तो निर्वाण ने नेत्रा को रोकते हुए कहा "1 मिनट! क्लोरोफॉर्म का असर इतनी जल्दी नहीं होता है शायद। तूने पूछा था किसी से?"


     नेत्रा वैसे ही परेशान थी। उसे अपनी प्लानिंग बर्बाद होती हुई नजर आ रही थी। उसने झल्लाकर कहा "किससे पूछती मैं? और इतनी जल्दी असर नहीं होता का मतलब क्या है? अब इस बारे में कौन बताएगा कि कितना टाइम लगता है?"


    निर्वाण में कुछ देर सोचा और कहा "एक काम कर, तू एक बार शिवि दी देखो फोन कर और उनसे पूछ कि क्लोरोफॉर्म को असर होने में कितना टाइम लगता है।"


     नेत्रा ने हैरानी से निर्वाण की तरफ देखा और उसे मारने के लिए आगे बढ़ी। " तुझे लगता है कि इस मौके पर मैं शिवि दी से इस बारे में पूछूंगी और उन्हें मुझ पर कोई शक नहीं होगा?"


     निर्वाण ने अपना बचाव किया और कहा "अरे यार! उन्हें क्या पता कि तुम यहां हो। कह देना कि तुम्हारे किसी दोस्त का काम है। वैसे भी शिवि दी के यहां से जाने के बाद ही हम दोनों यहां आए थे और वह अभी तक वापस नहीं आई है तो उन्हें कैसे पता है कि तुम यहां हो? अगर वह तुमसे पूछे तो तुम कह देना कि तुम्हें यह शादी अटेंड नहीं करनी थी इसलिए अपने फ्रेंड के साथ हो।"


     नेत्रा को यह सुझाव काफी अच्छा लगा लेकिन इस बीच कुहू, जो दोनों भाई बहन की बातें सुन रही थी, उसने चिल्लाते हुए कहा "हेल्प! हेल्प!! कोई खोलो मुझे, बचाओ!!!"


     कुहू की चीख सुनकर नेत्रा ने जल्दी से वही रुमाल फोल्ड किया और कुहू के मुंह में ठूंस दिया। निर्वाण ने घबरा कर कहा "संभाल के यार, लग जाएगी उनको!"


     नेत्रा ने उसे अनसुना किया और निर्वाण से कहा "अपना फोन दे।"


     निर्वाण का फोन उसके हाथ में ही था। उसने पूछा "क्यों? मेरा फोन क्यों?"


     नेत्रा ने गुस्से में कहा "तूने ही आईडिया दिया था ना मुझे शिवि दी को फोन करने के लिए!"


      निर्वाण ने कहा "अच्छान ताकि सारा शक मुझ पर आए? मेरे फोन से तुम फोन करोगी तो सबको समझ में आ जाएगा कि इस समय में मैं भी शामिल हूं।"


      नेत्रा ने भी उसी लहजे में जवाब दिया "अच्छा! तो तू इस समय शामिल नहीं है?"


      निर्वाण कम चालाक नहीं था। उसने कहा "हां ठीक है लेकिन कुहू दी के साथ तुम्हें भी अंडरग्राउंड होना होगा कुछ टाइम के लिए। तब तक मैं यहां सब संभाल लूंगा और यहां की सारी खबर तुम तक पहुंचाता रहूंगा। अगर किसी को थोड़ा सा भी शक हो गया तो सब मेरी गर्दन पकड़ने ना!"


     नेत्रा को निर्वाण की बातों में पॉइंट नजर आया। उसने कहा "यह बात तो तेरी सही है। एक काम कर, मेरा फोन मेरे बैग में है, जल्दी से निकाल कर दे।"


     निर्वाण ने जल्दी से बैग खोला और उसका फोन लेकर उसकी तरफ बढ़ा दिया। नेत्रा को तो जल्द से जल्द अपना प्लान एग्जीक्यूट करना था। उसने एक हाथ से कुहू को पकड़े रखा और दूसरे हाथ से शिवि को फोन लगाया।


     एक पूरी रिंग जाने के बावजूद शिवि ने फोन नहीं उठाया। नेत्रा ने जुंझला कर कहा "तेरा फोन दे, शायद तेरा नंबर उठा ले।"


     निर्वाण एक बार फिर अपना फोन अपने पीछे छुपा कर बोला "अगर तेरा नंबर नहीं उठा रही है तो क्या वह मेरा उठाएंगी? दिमाग खराब है क्या तेरा? फिर से ट्राई कर।"


     नेत्र ने एक बार फिर शिवि का नंबर डायल किया तो इस बार शिवि की झुंझलाई हुई आवाज आई "क्या है? थोड़ी देर चैन से नहीं रहने दे सकते तुम लोग? ऐसी कौन सी आफत आ गई है जो फोन पर फोन किए जा रही हो?"


     नेत्रा थोड़ी तो सहम गई लेकिन जब उसकी नजर कुहू ऊपर गई तो उसने पूरी हिम्मत से कहा "दी! वह क्या है ना, मेरा एक दोस्त है उसे हेल्प चाहिए थी। वह एक्चुअली क्या है ना वह थोड़ी प्रॉब्लम में है तो इसलिए मैंने आपको फोन किया था।"


     शिवि ने इस पर इरिटेट होकर कहा "कम टू द पॉइंट नेत्रा! जो भी बात है सीधे-सीधे बताओ वरना फोन में घुसकर तुम्हारा फोन भी तोडूंगी और तुम्हारे उसे दोस्त को भी। काम क्या है जल्दी बोलो!"


      शिवि को इतना परेशान नेत्रा ने कभी नहीं पाया था। उसने घबराकर अपना फोन चेक किया कि कहीं किसी और को न लग गया हो। लेकिन कॉल शिवि को ही लगा था। उसने एक बार फिर फोन कान से लगाया और सीधे से कहा "दी! पहले यह बताओ, क्लोरोफॉर्म को असर दिखने में कितना टाइम लगता है?"


    शिवि ना जाने किस दुनिया में थी। उसने उसी भन्नाई सी आवाज में कहा "चार-पांच मिनट लगते हैं उसको असर होने में।"


    नेत्रा के मुख से निकला, "चार-पांच मिनट? लेकिन टीवी में तो.........."


     शिवि ने चिढ़कर कहा "तो फिर टीवी वाले को ही फोन कर लो!" और इतना कहकर उसने फोन काट दिया।


     नेत्रा को अब 5 मिनट इंतजार करना था यह सोचकर उसने परेशान होते हुए कुहू की तरफ देखा जो इतनी देर में बेहोश हो चुकी थी। उसे देख नेत्रा की आंखें खुशी से चमक उठी। उसने कहा "नीरू! काम हो गया।" लेकिन निर्वाण तो वहां कहीं नहीं था। "यह कहां गायब हो गया? मुझे अकेले छोड़कर कहां गया? अब मैं इस कुहू को यहां से कैसे लेकर जाऊं?"


    तो दूसरी तरफ निर्वाण ने किसी को फोन किया और कहा, "काम हो गया है। जल्दी पहुंचो।"



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