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सुन मेरे हमसफर 247

  247      प्रेरणा को निशि का व्यवहार कुछ खास पसंद नहीं आया। इसकी वजह भी वह समझ सकती थी इसलिए बात आगे बढ़ाने की बजाए उसने अव्यांश और निशी के बीच से हटाना ही सही समझा। उसके जाने के बाद अव्यांश ने नाराजगी से निशी की तरफ देखा और कहा "ये क्या तरीका है किसी से बात करने का? वह बेचारी तुमसे मिलने यहां आई और तुमने उसे.........."     "बेचारी? वह बेचारी कैसे हुई?" निशी सवाल किया। "यहां मैं हॉस्पिटल में बैठी हूं, मुझे चोट लगी है, मेरा एक्सीडेंट हुआ है। बेचारी मुझे होना चाहिए। उसके साथ क्या हुआ है? हाथ पैर सही सलामत है उसके। और वैसे भी, इससे पहले तो तुम्हारी कोई फ्रेंड तक नहीं थी। हर लड़की से तुम बचकर भागते फिरते थे, मेरे पीछे छुपते थे। अब अचानक से यह कहां से पैदा हो गई जो तुम्हारे लिए तुम्हारी दोस्त भी बन गई और बेचारी भी। और मुझे बुरा बना कर चली गई। ऐसा क्या कह दिया मैंने उससे, जरा बताना?"     बात तो निशि की सही थी। उसने ऐसा वैसा कुछ नहीं कहा था लेकिन उसके बोलने का अंदाज प्रेरणा को खटका था। पति पत्नी के बीच लड़ाई हो उससे बेहतर था कि वह चली जाए और इसमें कुछ गलत भी नह

सुन मेरे हमसफर 246

 246     कार्तिक सिंघानिया सारी बातों से परेशान होकर दूर कहीं किसी कोने में खड़ा था, अकेला खुद से लड़ता हुआ। उसका भाई ऋषभ उसे ढूंढता हुआ आया और उसे आवाज लगता हुआ बोला "कब तक भागेगा खुद से? कभी न कभी तो सामना करना ही पड़ेगा।"      कार्तिक सिंघानिया ने पीछे पलट कर देखा और फिर वापस आसमान की तरह देखते हुए बोला "तू नही समझेगा। तेरे लिए तो यह सब कुछ बहुत आसान लगता है। और वैसे भी तुझे तेरी मंजिल मिल गई ना, तो ज्यादा ज्ञान मत बघार।"      ऋषभ उसके करीब आया और उसके कंधे पर हाथ रखकर बोला "पहले तो तू इतना इमोशनल नहीं था।"      कार्तिक सिंघानिया ने एक बार फिर ऋषभ की तरफ नहीं देखा और कहा "मैं हमेशा से इमोशनल ही था। हां यह बात अलग है कि मैं थोड़ा सेंसिबल हो गया। तेरे जैसी मेरी लाइफ नहीं रही। भले ही हम दोनों जुड़वा है लेकिन हमारी लाइफ हमेशा से एक दूसरे के अपोजिट रही है।"      ऋषभ परेशान होकर बोला "हो गया यार! पहला ब्रेकअप हर किसी का होता है। ऐसा भी होता है कहीं कि कोई अपने पहले ब्रेकअप को इतना दिल से लगा कर रखें कि किसी और को अपनी लाइफ में आने ही ना दे? भूल

सुन मेरे हमसफर 245

245     निशि हॉस्पिटल के बेड पर पड़ी हुई थी और एक नर्स उसकी ड्रेसिंग कर रही थी। सर पर ड्रेसिंग करने के बाद उसने निशी की कलाई पर भी बैंडेज लगाया और कहा "अच्छा हुआ जो एक्सीडेंट कोई बड़ा नहीं था। हल्की सी खरोच आई है आपको वह भी सिर्फ सर और हाथ में। एक्चुअली हाथ में भी कुछ खास है नहीं, फिर भी मैंने पट्टी बांध दी है ताकि आप इस हाथ को कम से कम यूज करें। बाकि सब कुछ ठीक है। आपके हस्बैंड को मैंने फोन कर दिया है। वह आपको लेने आते ही होंगे।"      नर्स मुस्कुरा कर उठी और वहां से जाने को हुई तो निशि ने एकदम से उसे आवाज लगा कर बुलाया "सिस्टर इधर आइए।"      नर्स के कदम वही रुक गए। वह वापस आई और मुस्कुरा कर पूछा "जी मैडम! और कोई दिक्कत है?"     निशि ने अपने पैर की तरफ दिखा कर कहा "मुझे मेरे पैर में दर्द महसूस हो रहा है। क्या तुम वहां पर भी बैंडेज लगा सकती हो?"      नर्स ने अजीब नजरों से निशि की तरफ देखा और जबरदस्ती मुस्कुरा कर बोली "मैम! आपके पैर में अगर दर्द हो रहा है तो फिर मैं इस पर जेल लगाकर क्रेप बैंडेज लगा देती हूं।" कहते हुए सिस्टर ने आवाज़ लगाई

सुन मेरे हमसफर 244

244       अव्यांश के बदले हुए एक्सप्रेशन सिया ने भी देखें और सारांश ने भी। सारांश ने उन दोनों के बीच कुछ पूछना सही नहीं समझा लेकिन सब से अनजान सिया ने पूछा "क्या हुआ बेटा सब ठीक तो है?"      अव्यांश अपना फोन अपने कुर्ते के जेब में रखता हुआ बोल "हां दादी सब ठीक है। बस वह मुझे ढूंढ रही थी। आप जानते हो कितनी अजीब तरह से बिहेव करती है, छोटे बच्चों की तरह। अब उसे घर जाना है। तबीयत थोड़ी ठीक सी नहीं लग रही। शायद नींद आ रही है तो मैं उसे घर छोड़ कर आता हूं।"    श्यामा उसे रोकते हुए बोली "अंशु! निशी ने खाना नहीं खाया है उसे खाना खिला देना पहले।"       "जी बड़ी मां!" कहकर अव्यांश वहां से निकल गया। लेकिन उसकी कही एक बात सिया ने पकड़ ली। उन्होंने बड़ी उम्मीद बड़ी नजरों से रूद्र और शरण्या की तरफ देखा और कहा "सच कहूं तो तुम्हारे कार्तिक को मैंने अपनी सुहानी के लिए चाहा था। लेकिन अंशु ने ही बताया कि वह और काया एक दूसरे के करीब है। उसे भी नहीं पता था और हममें से कोई यह बात नहीं जानता था।"      ऋषभ ने छुटते ही पूछा "मतलब मेरा और काया का रिश्ता तय

सुन मेरे हमसफर 243

243      काया गुस्से में भर गई। उसने पास में पड़ी शरण्या की चप्पल उठाई और कुछ कहना चाहा। लेकिन उससे पहले ही चित्रा ऋषभ का मजाक बनाते हुए बोली "जब तुम जानते हो कि वह मरखानी गइया है फिर तुम उससे शादी क्यों करना चाहते हो? उसके पास तो दिमाग भी नहीं है, जैसा कि तुम कह रहे हो, फिर क्यों?"      ऋषभ ने अपना सर झुका लिया। ठीक है उसकी जुबान फिसल गई थी लेकिन काया इस वक्त कितने गुस्से में होगी यह वह उसे बिना देखे समझ सकता था। सिया ने एक बार फिर कहा "भई हमें तो यकीन नहीं है कि हमारी बेटी तुम्हारे साथ खुश रहेगी इसलिए यह रिश्ता तो होने से रहा। चल कर फंक्शन ही इंजॉय करते है।"       ऋषभ ने पलट कर अपने मां पापा को देखा लेकिन कोई फायदा नहीं था। उसने सिया से कहा "दादी आप ऐसा नहीं कर सकती।"      पीछे से कार्तिक सिंघानिया ने आवाज लगाई "ऋषि! उन्हें यकीन नहीं है, उन्हें यकीन दिलाओ।"     सिया मुस्कुरा कर बोली "देखा! यह है समझदार लड़का। हमारी काया के लिए तो यही सही है।"      ऋषभ ने गुस्से में कार्तिक की तरफ देखा और वापस पलट कर सिया को। फिर आगे बढ़कर वह सिया के स

सुन मेरे हमसफर 242

242       चित्रा निक्षय के साथ इठलाते हुए आई और सबको एक तरफ जमा हुआ देख उसने एकदम से पूछ लिया "क्या हो रहा है यहां पर? सारे लोग यहां क्यों इकट्ठा हुए हैं? कौन सा डिस्कशन चल रहा है?"       सिद्धार्थ ने उसे ताना देते हुए कहा "अब फुर्सत मिली तुम्हे? तुम कहां थी इतनी देर? हमने तो क्लीयरली कहा था कि सारे यंग जनरेशन के लोग फंक्शन का काम देखेंगे बाकी सब सीनियर हमारे साथ आएंगे।"    निक्षय ने चित्रा पर व्यंग मारते हुए कहा "आप जानते हो ना भाई, चित्रा खुद को कभी सीनियर सिटीजन में नहीं गिनती है। आपने यंग ब्रिगेड कहा था तो यह मैडम भी शामिल हो गई। मैं तो कब से समझा रहा था, सब लोग गए हैं कुछ काम से। हमें भी चलना चाहिए। लेकिन यह मैडम सुने तब तो!"      चित्रा ने उल्टे हाथ की कोहनी निक्षय के पेट में मारी और सब से पूछा "सच सच बताओ, सारे लोग मिलकर मुझसे छुपा कर क्या कर रहे है यहां पर?"      सिया ने तुनक कर कहा "कुछ नहीं हो रहा है और कुछ होगा भी नहीं। हमने तो कुछ और सोचा था, निकला कुछ और। इसीलिए कुछ नहीं होगा।"     शरण्या ने समझाना चाहा "आंटी जी! आप गल

सुन मेरे हमसफर 241

241     काया की तो आवाज ही जमकर रह गई थी। वह बस हैरानी से कभी कार्तिक सिंघानिया को देखती तो कभी ऋषभ को। कार्तिक सिंघानिया धीरे से उठा और बड़ी मासूमियत से बोला "हम ट्विंस है। ये बात मैंने तुम्हें पहले भी समझाया था। वह भाई है मेरा। तुम हमेशा ही मुझे गलत समझती रही हो।"     काया की आवाज ना निकली। अब जाकर उसे सारी बातें याद आ रही थी और अपनी बेवकूफी पर गुस्सा भी। एक बार नहीं कई बार उसने बेचारे कार्तिक पर हाथ उठा दिया था वह भी सिर्फ एक गलतफहमी और उसकी बेवकूफी के कारण। काया को शर्मिंदगी महसूस हो रही थी और समझ नहीं आ रहा था कि वह कैसे कार्तिक को फेस करें। बड़ी मुश्किल से उसने धीरे से कहा "सॉरी! मेरी गलती थी।"      रूद्र, काया पर गुस्सा करते हुए बोला "गलती तुम्हारी नहीं है, गलती इस गधे की है। अगर इसने पहले ही तुम्हें बता दिया होता तो यह सारी प्रॉब्लम होती ही नहीं।"    रूद्र ने गुस्से में ऋषभ की तरफ देखा तो ऋषभ ने अपना सर झुका लिया और बोला "मुझे कभी इस सब का ध्यान ही नहीं आया। मुझे नहीं पता था कि ये कितनी बेवकूफ होगी कि हम दोनों भाइयों के बीच का डिफरेंस उसे समझ

सुन मेरे हमसफर 240

240       काया और कार्तिक के रिश्ते की बात सुनकर सुहानी को अंदर ही अंदर तकलीफ हुई लेकिन वह अपनी बहन के लिए खुश थी। पर यह क्या! कार्तिक ने तो सीधे-सीधे काया से शादी करने से ही मना कर दिया, लेकिन क्यों? सुहानी हैरानी से कार्तिक को देखने लगी और काया ने तो कार्तिक पर हाथ ही उठा दिया।      कार्तिक सिंघानिया बेचारा अपनी हालत पर रो दिया। अगर हां करें तो भाई से मार खाएगा, ना करें तो काया से। इस सब में उसे काया के हाथों थप्पड़ खाना थोड़ा कम बुरा लगा। लेकिन जो कंफ्यूजन क्रिएट हुआ था उसे भी तो दूर करना जरूरी था। कार्तिक सिंघानिया ने अपने गाल पर हाथ रखा और सहलाते हुए काया से बोला "कायरा तुम गलत समझ रही हो। मैंने जो किया बहुत सोच समझ कर किया।"      लेकिन काया कुछ सुनाने के मूड में नहीं थी। उसने गुस्से में कहा "अब इसके बाद अपनी शक्ल मत दिखाना तुम मुझे।" और पैर पटकते हुए वहां से बाहर निकल गई।       काया और कार्तिक के बीच जो कुछ भी हुआ, वह वहां मौजूद सब ने देखा लेकिन समझ में किसी को नहीं आया। कार्तिक सिंघानिया ने बेचारगी से अपनी मां की तरफ देखा और ना में सिर हिला दिया। शरण्या ने का

सुन मेरे हमसफर 239

239      काया को ऐसे अपना दुपट्टा चबाते देख सुहानी ने उसके मुंह से उसका दुपट्टा खींचा और बोली "क्या हो गया तुझे, इतनी नर्वस क्यों है तू? कुछ तो हुआ है जो तू छुपा रही है।"        काया जल्दी से जबरदस्ती मुस्कुरा कर बोली "कुछ नहीं! कुछ भी तो नहीं!! लेकिन दादी सबको लेकर क्यों गई है, वह भी ऐसे अचानक? मेरा मतलब, इतना अच्छा माहौल चल रहा था। सभी ने ही इतना अच्छा परफॉर्मेंस दिया और बाकी गेस्ट ने भी। लेकिन तुझे नहीं लगता कि........"       सुहानी इरिटेट होकर बोली "तू साफ़ साफ़ बोल कहना क्या चाहती है? इस तरह घुमा फिरा कर क्यों बात कर रही है?"     काया बोली "तुझे नहीं लगता कि हमें जा कर एक बार देखना चाहिए कि वह क्या बातें कर रहे हैं।"        सुहानी नाराज होकर बोली "तू चाहती है कि हम लोग जाकर उनकी बात चुपके से सुने? उन लोगों को पता चल गया ना तो हमारी खैर नहीं। और यह आदत तुझे कैसे लग गई? तेरे दिमाग में यह बात आई थी कहां से? छुप कर बड़ों की बात सुनना अच्छी बात नहीं होती।"       काया उसे समझाते हुए बोली "तेरा दिमाग खराब है क्या? मैंने कब कहा ऐसे? म

सुन मेरे हमसफर 238

238     सिद्धार्थ शरण्या को लेकर अपने घर वालों के पास पहुंचे। रूद्र भागते हुए आया और सीधे जाकर सिया के पैर छू लिए। सिया उसके सर पर हाथ रख कर बोली "बहुत टाइम के बाद देख रही हूं तुम्हें। मैं तो भूल ही गई थी। वह तो तुम्हारा बेटा मिला तब जाकर पता चला तुम कहां हो और क्या कर रहे हो। तुम तो भूल ही गए थे इस घर का पता।"      रूद्र भी शिकायत करते हुए बोला "हां! जैसे आप लोगों ने बहुत याद रखा मुझे। सारांश की शादी हुई किसी ने मुझे याद किया नहीं किया। इस गधे सीड की शादी हो गई तब भी किसी ने मुझे याद नहीं किया।"      सिद्धार्थ ने रूद्र के शिकायत का जवाब देते हुए कहा "कोई ज्यादा बोलने की जरूरत नहीं है। सारांश की शादी जब हुई तो किसी को पता नहीं था, खुद उसे भी नही। और रही मेरी शादी की बात तो वह भी अचानक ही हुई। हमारी छोड़, तू खुद गायब था। तुझे कितना ढूंढा हमने। रेहान को भी नहीं पता था तेरे बारे में। और तू था कहां?"       रूद्र को वह गुजरे आठ साल याद आ गए। यह सब इसी बीच की बात थी। शरण्या भी समझ गई। उसने सिर उठा कर रूद्र की तरफ देखा और मुस्कुरा कर बोली "हनीमून पर गए थे। व