सुन मेरे हमसफर 240

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     काया और कार्तिक के रिश्ते की बात सुनकर सुहानी को अंदर ही अंदर तकलीफ हुई लेकिन वह अपनी बहन के लिए खुश थी। पर यह क्या! कार्तिक ने तो सीधे-सीधे काया से शादी करने से ही मना कर दिया, लेकिन क्यों? सुहानी हैरानी से कार्तिक को देखने लगी और काया ने तो कार्तिक पर हाथ ही उठा दिया।


     कार्तिक सिंघानिया बेचारा अपनी हालत पर रो दिया। अगर हां करें तो भाई से मार खाएगा, ना करें तो काया से। इस सब में उसे काया के हाथों थप्पड़ खाना थोड़ा कम बुरा लगा। लेकिन जो कंफ्यूजन क्रिएट हुआ था उसे भी तो दूर करना जरूरी था। कार्तिक सिंघानिया ने अपने गाल पर हाथ रखा और सहलाते हुए काया से बोला "कायरा तुम गलत समझ रही हो। मैंने जो किया बहुत सोच समझ कर किया।"


     लेकिन काया कुछ सुनाने के मूड में नहीं थी। उसने गुस्से में कहा "अब इसके बाद अपनी शक्ल मत दिखाना तुम मुझे।" और पैर पटकते हुए वहां से बाहर निकल गई।


      काया और कार्तिक के बीच जो कुछ भी हुआ, वह वहां मौजूद सब ने देखा लेकिन समझ में किसी को नहीं आया। कार्तिक सिंघानिया ने बेचारगी से अपनी मां की तरफ देखा और ना में सिर हिला दिया। शरण्या ने कार्तिक को अपने पास आने का इशारा किया। कार्तिक जाकर अपनी मां के पास घुटने के बल बैठ गया और शरण्या का हाथ अपने हाथ में लेकर बोला "मॉम ऐसी गलती मत करिए। मेरा और कायरा का रिश्ता नहीं हो सकता। वो मेरी बस एक दोस्त है इससे ज्यादा और कुछ नहीं। हमारा रिश्ता नेक्स्ट टू इंपॉसिबल है। मैं नहीं चाहता कि मेरे और ऋषभ के बीच कोई प्रॉब्लम क्रिएट हो। फिर भी, उसकी वजह से हर बार मेरी वाट लगती है। अभी भी देखो कितनी जोर से मारा उसने।" शरण्या बेचारी अपने बेटे का गाल सहलाने लगी।


    रूद्र ने सारे सिचुएशन समझते हुए कहा "तेरे कहने का मतलब यह है कि काया और ऋषभ?"


     कार्तिक ने अपना सर हां में हिला दिया और बोला "कायरा मुझे ऋषभ समझती है। मैंने उसे समझाने की कोशिश भी की थी कि हम दोनों अलग-अलग है लेकिन उसके समझ में यह बात नहीं आती क्योंकि उसने कभी हम दोनों को एक साथ नहीं देखा और यह कोई पहली बार नहीं है जब उसने मुझे हाथ उठाया हो। हर बार उससे किए की सजा मुझे ही मिलती है।"




     काया गुस्से में पर पटकते हुए वहां से बाहर निकली तो सुहानी भी उसके पीछे-पीछे भागी। "कायू! कायू सुन तो!!" सुहानी ने जल्दी से जाकर काया की कलाई पड़ी और उसे रोका। काया रोते हुए बोली "रुक के क्या करूं सोनू मैं? अभी कुछ देर पहले उसने मुझसे कहा था कि ए मुझसे प्यार करता है शादी करना चाहता है। अभी एकदम से कह रहा है कि मुझसे शादी नहीं कर सकता। एक तरफ तेरे साथ दोस्ती और दूसरी तरफ मेरे साथ फ्लर्ट। फ्लर्ट से कुछ ज्यादा ही। अच्छे से जानती हूं उसके कैरेक्टर को, बहुत अच्छे से फिर भी मैं पागल मैं बेवकूफ जो उससे प्यार कर बैठी। पता है, वह हम दोनों के साथ गेम खेल रहा है। हम दोनों के इमोशन के साथ खेल रहा है।"


     काया ने अपने दोनों हाथों से अपने बाल पकड़ लिए और चिल्लाते हुए बोली "एक नंबर का केसेनोवा है वह। हमेशा मैंने उसे नई-नई लड़कियों के साथ देखा है और ऐसी ऐसी हालत में उसे पकड़ा है की बता नहीं सकती। फिर भी मैं पागल मैं बेवकूफ मैं गधी, बहुत बड़ी गलती हो गई मुझसे। बहुत बड़ी गलती।"


    "कौन सी गलती हो गई तुमसे?" ऋषभ की आवाज सुनकर काया ने चौंकते हुए अपना सर उठा कर देखा। पिंक शर्ट वाइट पेंट। कोट को उसने अपने हाथ में ले रखा था। चेहरा देखकर लग रहा था जैसे अभी-अभी धोकर आया हो।


    सुहानी ने भी उसे देखा तो चौंक गई। काया तो वही बुत बनी खड़ी रह गई लेकिन सुहानी दो कदम आगे आई और उसकी तरफ उंगली करते हुए पूछा "तुम यहां क्या कर रहे हो? और तुम तो इस तरफ थे, यहां से कब गए?"


      ऋषभ समझ गया कि कुछ गड़बड़ फिर हुई है। उसने सुहानी के सवाल का जवाब देने की बजाय काया से सीधे-सीधे पूछा "तुम किस बात के लिए खुद को ब्लेम कर रही हो?"


     काया सब कुछ भूल कर गुस्से में उसे पर चढ़ते हुए बोली "खुद को ब्लेम कर रही हूं, जानते हो क्यों? जानना चाहते हो क्यों? क्योंकि मैं तुम जैसे इंसान से प्यार कर बैठी यह जानते हुए भी कि तुम्हारी आदतें क्या है तुम्हारी हरकतें क्या है। जानते हुए भी कि तुम्हारी नज़र में मैं भी उन्हीं लड़कियों की तरह हूं जिसके साथ तुम रोज डेट करते हो और उन्हें डंप कर देते हो। गलती हो गई मुझसे। सच जानते हुए भी मैंने अपनी आंखें बंद.........."


    ऋषभ ने उसकी बात पूरी भी नहीं होने दी और उसकी बांह पड़कर अपने साथ खींचते हुए ले गया। सुहानी के लिए यह सारी सिचुएशन काफी ऑकवर्ड थी। वह तो बस इसी पहेली को सुलझाने में लगी थी कि ऋषभ सामने से कैसे आया और इसका जवाब जानने के लिए वह भी काया और ऋषभ के पीछे-पीछे भागी। 


    काया गुस्से में चिल्लाते हुए बोली "मुझे छोड़ो। सबके सामने ले जाकर एक बार फिर मेरी इंसल्ट करनी है? फिर मेरा तमाशा बनाना है? आखिर तुम चाहते क्या हो? ऐसी कौन सी गलती कर दी मैंने, ऐसा कौन सा तुम्हें ऑफेंड कर दिया जो तुम इस तरह मेरे पीछे पड़े हो?"


   ऋषभ जानता था, काया को कुछ भी जवाब देना बेकार है। कुछ कहने की बजाय अगर सच उसके सामने लाकर खड़ा कर दिया जाए तभी वह चुप हो सकती है वरना इस हालत में तो कुछ नहीं सुनेगी। काया चिल्लाती रही और ऋषभ सुनता रहा। 


   काया को बाजू से पकड़े ऋषभ जाकर उस कमरे में दाखिल हुआ जहां सारे लोग मौजूद थे और वहां ले जाकर एकदम से काया की बांह छोड़ दी जिससे काया थोड़ी लड़खड़ाई लेकिन फिर खुद को संभाल लिया। सुहानी भी भागते हुए आई और काया को साइड से थाम लिया। इस बार काया की बजाय सुहानी ने सवाल किया "दिमाग खराब हो गया है क्या तुम्हारा? कर क्या रहे हो तुम यह सब.........?"


      सुहानी अपनी बात पूरी नहीं कर पाई। कहते हुए अचानक ही उसकी नजर कार्तिक पर गई जिसे देखकर सुहानी की आवाज उसके गले में ही अटक कर रह गई। ऋषभ ने गुस्से में काया की तरफ देखा और कार्तिक सिंघानिया की तरफ इशारा करके बोला "भाई है मेरा। वह कार्तिक है, मैं ऋषभ हूं।"


     काया हैरानी से कार्तिक की तरफ देखती रही।




सिया-वर रामचंद्र की जय🙏🙏🙏🙏🙏


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टिप्पणियाँ

  1. ओफ्फो आखिर कन्फ्यूजन दूर हो गया ।सुहानी और काया को तो बढ़िया शॉक लग गया।मस्त पार्ट

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