सुन मेरे हमसफर 241

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    काया की तो आवाज ही जमकर रह गई थी। वह बस हैरानी से कभी कार्तिक सिंघानिया को देखती तो कभी ऋषभ को। कार्तिक सिंघानिया धीरे से उठा और बड़ी मासूमियत से बोला "हम ट्विंस है। ये बात मैंने तुम्हें पहले भी समझाया था। वह भाई है मेरा। तुम हमेशा ही मुझे गलत समझती रही हो।"


    काया की आवाज ना निकली। अब जाकर उसे सारी बातें याद आ रही थी और अपनी बेवकूफी पर गुस्सा भी। एक बार नहीं कई बार उसने बेचारे कार्तिक पर हाथ उठा दिया था वह भी सिर्फ एक गलतफहमी और उसकी बेवकूफी के कारण। काया को शर्मिंदगी महसूस हो रही थी और समझ नहीं आ रहा था कि वह कैसे कार्तिक को फेस करें। बड़ी मुश्किल से उसने धीरे से कहा "सॉरी! मेरी गलती थी।"


     रूद्र, काया पर गुस्सा करते हुए बोला "गलती तुम्हारी नहीं है, गलती इस गधे की है। अगर इसने पहले ही तुम्हें बता दिया होता तो यह सारी प्रॉब्लम होती ही नहीं।"


   रूद्र ने गुस्से में ऋषभ की तरफ देखा तो ऋषभ ने अपना सर झुका लिया और बोला "मुझे कभी इस सब का ध्यान ही नहीं आया। मुझे नहीं पता था कि ये कितनी बेवकूफ होगी कि हम दोनों भाइयों के बीच का डिफरेंस उसे समझ नहीं आएगा।"


    शरण्या भी रूद्र का साथ देते हुए बोली "तूने कभी काया को समझने की कोशिश की? किट्टू का मैं समझती हूं। मैं उसे ब्लेम नहीं करूंगी। उसने काया को समझाया था लेकिन यह काम तो तुझे करना था।"


      काया मन ही मन कुछ बुन रही थी। शरण्या की बातें सुनकर उसने भी सर उठा कर बड़े कॉन्फिडेंस में जवाब दिया "उसका भी कोई फायदा नहीं होता आंटी। इसकी हरकतें ऐसी है ना, कब किसको बेवकूफ बना जाए पता नहीं चलता। अब तक इतने झूठ बोले हैं इसने। और इतनी लड़कियों के साथ इसने............."


      ऋषभ उसकी बात पूरी होने से पहले ही बोला "यह गलत इल्जाम है मेरे पर।"


     काया भी चढ़ गई "अच्छा! गलत है सब? अपनी आंखों से मैंने देखा है तुम्हें। उस दिन मॉल में भी तुम किसी लड़की से बचते हुए भाग कर आए थे और मुझे शील्ड बनाकर खड़े हो गए थे। क्या था वो?" काया गुस्से में तो थी लेकिन उसे पता था क्या बोलना है और क्या नहीं बोलना है।


    उस दिन को याद कर ऋषभ के होठों पर मुस्कान आ गई। उसने भी सीना तानकर कहा "अगर मैं इतना ही बड़ा फ्लर्ट होता तो मैं उससे बचकर नहीं भाग रहा होता। बल्कि उसके साथ होता।"


     काया ने एकदम से एक हाथ से ऋषभ का कॉलर पकड़ा और दूसरा हाथ का मुक्का उसे दिखाते हुए बोली "मेरी नजरों से कुछ नहीं छुपा है। एक और शब्द बोला ना यह तुम्हारा मुंह तोड़ दूंगी मैं।"


    ऋषभ थोड़ा सहम गया। ये पहली बार था जब काया ने इस तरह से रिटैलिएट किया था और ऐसे जवाब दिया था। उसकी फायरिंग से रूद्र इंप्रेस होकर शरण्या से धीरे से बोला "तुम्हारी होने वाली बहू बिल्कुल तुम्हारी तरह है, बिल्कुल खुर्राट।"


     शरण्या भी मुस्कुरा कर बोली "जब बेटे की हरकत तुम्हारी तरह होगी तो बहू मेरी जैसे ही मिलेगी। सही है, दोनो की जोड़ी।" शरण्या ने जोर से ऋषभ और काया को आवाज़ लगाई "तुम दोनों को शादी करनी है या नहीं?"


     काया गुस्से में चिल्लाई "शादी, और इससे? कभी नहीं!"


     लेकिन ऋषभ बोला "हां!"


     काव्या अपनी बेटी की हरकतों को देखकर सदमे में थी। उससे तो कुछ कहा ही नहीं जा रहा था। अवनी ने अपनी बहन और अपने जीजू की हालत को गौर किया और जल्दी से पूछा "मतलब हां या ना? तुम दोनों करना क्या चाहते हो?"


      ऋषभ ने अपने एक हाथ से काया का मुंह बंद किया और बोला "डैड! मॉम! मैं इस पागल लड़की से प्यार करता हूं उससे शादी करना चाहता हूं। किसी को प्रॉब्लम है तो अभी बता दो। मैं अभी के अभी इसको यहां से ले जाऊंगा।"


     शरण्या ने अपनी सैंडल निकाल और ऋषभ पर निशाना लगाकर कहा "हिम्मत है तो करके दिखा। बड़ा आया, लेकर जाएगा! टांगे तोड़ के घर में बैठा दूंगी तुझे। कुछ ज्यादा ही आजाद होने लगा है तू। तेरा बाप तो ऐसा नहीं था।"


     रूद्र कहां कम था। आज तो जैसे सब एक दूसरे की पोल खोलने पर लगे थे। इस बार बारी रूद्र की थी। "जब मां ऐसी थी तो बेटा ऐसा होगा ही।"


   अब चौंकने की बारी रूद्र के दोनो बेटे कार्तिक सिंघानिया और ऋषभ सिंघानिया की थी। अपनी मां के इस साइड के बारे में उन्हें कुछ अंदाजा भी नहीं था। उनके मां पापा ने लव मैरिज की थी ये बात सब जानते थे। 


    ऋषभ खुद को काया की पकड़ से छुड़ाकर जल्दी से शरण्या के पास आया और और पूछा "सच में मॉम?"


    शरण्या ने गुस्से में रुद्र की तरफ देखा और कहां "तेरे बाप को सीधा करने के लिए इसके अलावा कोई चारा था? आज जो हालत तेरी है ना, मुझे बिल्कुल भी हैरानी नहीं होती है तुझे देखकर। और काया परफेक्ट है तुझे सीधा करने के लिए।"


    रुद्र हंसा और हाथ जोड़कर बोला "आप सब लोग अपनी काया के लिए हमारे किट्टू को सोच रहे थे लेकिन अब मैं अपने इस नालायक के लिए आपकी काया का रिश्ता चाहता हूं।"


     कार्तिक सिंघानिया को यहां पर शरारत सूझी। उसने भी मुस्कुराकर सिया से कहा "दादी जी, डैड सही कह रहे हैं। आप लोगों को गलतफहमी हुई इसमें आप लोगों की कोई गलती नहीं है। लेकिन बात तो यह है ना कि काया और ऋषभ एक दूसरे को पसंद करते हैं। हां मेरा भाई थोड़ा नालायक है नकारा है लेकिन दिल का बहुत अच्छा है। हां ठीक है वह कोई काम नहीं करता, रेगुलर ऑफिस नहीं जाता लेकिन दिल का अच्छा है। थोड़ा आवारा है और लड़कियों के बीच पॉपुलर है............"


    ऋषभ चिल्लाया "तू मेरी शादी तय करवाना चाहता है या तुड़वाना चाहता है?"


   कार्तिक सिंघानिया को हंसी आ गई। वह जल्दी से जाकर सिया के पीछे छुप गया और बोला "देखा दादी! थोड़ा गुंडा टाइप का भी है लेकिन आपकी काया से बहुत प्यार करता है। इससे पहले मैंने कभी इसको इतना सीरियस नहीं देखा जितना आज है। हो सकता है शादी के बाद बदल जाए। मेरी तो नाक में दम कर देता है।"


     सिया सब कुछ काफी देर से देख रही थी। सच में पूरी नौटंकी थी यह फैमिली। रूद्र की हरकते सिया से कभी छुपी तो नहीं थी और रुद्र का शरण्या के लिए प्यार भी जगजाहिर था। फिर भी, इस हलके-फुलके माहौल में सिया की तेज तर्रार आवाज गूंजी "यह यह रिश्ता नहीं हो सकता।"


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