सुन मेरे हमसफर 243

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     काया गुस्से में भर गई। उसने पास में पड़ी शरण्या की चप्पल उठाई और कुछ कहना चाहा। लेकिन उससे पहले ही चित्रा ऋषभ का मजाक बनाते हुए बोली "जब तुम जानते हो कि वह मरखानी गइया है फिर तुम उससे शादी क्यों करना चाहते हो? उसके पास तो दिमाग भी नहीं है, जैसा कि तुम कह रहे हो, फिर क्यों?"


     ऋषभ ने अपना सर झुका लिया। ठीक है उसकी जुबान फिसल गई थी लेकिन काया इस वक्त कितने गुस्से में होगी यह वह उसे बिना देखे समझ सकता था। सिया ने एक बार फिर कहा "भई हमें तो यकीन नहीं है कि हमारी बेटी तुम्हारे साथ खुश रहेगी इसलिए यह रिश्ता तो होने से रहा। चल कर फंक्शन ही इंजॉय करते है।"


      ऋषभ ने पलट कर अपने मां पापा को देखा लेकिन कोई फायदा नहीं था। उसने सिया से कहा "दादी आप ऐसा नहीं कर सकती।"


     पीछे से कार्तिक सिंघानिया ने आवाज लगाई "ऋषि! उन्हें यकीन नहीं है, उन्हें यकीन दिलाओ।"


    सिया मुस्कुरा कर बोली "देखा! यह है समझदार लड़का। हमारी काया के लिए तो यही सही है।"


     ऋषभ ने गुस्से में कार्तिक की तरफ देखा और वापस पलट कर सिया को। फिर आगे बढ़कर वह सिया के सामने घुटने के बल बैठ गया और उनका हाथ थाम कर बोला "दादी! मैं यह नहीं कहता कि मैं समझदार हूं या मैं बहुत अच्छा हूं मुझ में कोई बुराई नहीं है। मैं बहुत बुरा हूं। और ये बात काया बहुत अच्छे से जानती है। मैं हमेशा उसे परेशान करता हूं लेकिन सच यह भी है कि मैं उससे बहुत प्यार भी करता हूं। मेरे अंदर लाख बुराइयां सही लेकिन काया को मैंने कभी किसी गलत इरादे से नहीं देखा। जानता हूं वह मेरे बारे में जो कुछ भी समझती है बिल्कुल गलत है और इस बात पर वह मुझसे चिढ़ी रहती है। लेकिन सच तो यही है ना कि यह चिढ़ ही उसका प्यार है जो मुझे अच्छा लगता है। हर लड़की अपनी लाइफ पार्टनर में अपने फादर को ढूंढती है और हर लड़का अपनी मां को। काया बिल्कुल मेरी मॉम की तरह है। हां उनसे थोड़ा कम है लेकिन जैसे डैड ने उन्हें बिगाड़ रखा है मैं भी कायरा को थोड़ा बिगड़ना चाहता हूं और इसके लिए मुझे आपकी परमिशन चाहिए। मैं किट्टू के जैसे सेंसिबल नहीं हूं और न ही उतना समझदार हूं। लेकिन आप लोग ही तो कहते हो ना दादी, कि किसी पर भी रिस्पांसिबिलिटी आए तो वो बड़ा समझदार हो जाता है हो सकता है मैं भी समझदार बन जाऊं। प्लीज दादी!"


     पीछे से रूद्र ने आवाज लगाई "अब बच्चे को रुलाओगे आप। अब हंस भी दो आंटी जी!"


    सिया मुस्कुरा उठी और ऋषभ के सर पर हाथ फेर कर कहा "मुझे कोई शक नहीं है। शिखा, तुम्हारी दादी कैसी है और तुम लोगों को किस तरह सीधा करके रखती होगी यह मैं बहुत अच्छे से जानती हूं। और इतना कुछ होने के बाद भी तू बिल्कुल अपने बाप पर गया है यह बात भी मैं बहुत अच्छे से जान रही हूं। रूद्र की कोई भी बदमाशियां मुझे छुपी नहीं है। अपने परिवार के लिए वह कुछ भी कर सकता है। अगर तुम में कोई बुराई होती तो रूद्र खुद कभी इस रिश्ते को आगे बढ़ने ही नहीं देता।"


      ऋषभ शरमा कर धीरे से बोला "थैंक यू दादी मुझे समझने के लिए। बस अब आप उस मरखानी गईया को बोल दीजिए चप्पल नीचे रख दे।"


     काया को अचानक से एहसास हुआ तो उसने चप्पल नीचे कर ली। वो तो ऋषभ की बातों में ही खो गई थी। क्या सच में वह उसे इतना प्यार करता है? इस बात का उसे यकीन नहीं हो रहा था। काया ने चप्पल नीचे रखना चाहा तो शरण्या ने कहा "नीचे मत रखना। जब उठाया है तो निशान लगा ही दे। इसको सुधारने के लिए तुझे डेली डोज देना पड़ेगा।" सभी हंस पड़े।


     पीछे से अव्यांश की आवाज आई "लेकिन उससे पहले मुंह तो मीठा करिए। मार पिटाई बाद में भी होती रहेगी।"


     सब ने पलट कर देखा तो पीछे अव्यांश मिठाई का दो बड़ा सा डब्बा लिए खड़ा था। सुहानी ने जल्दी से मिठाई का एक डब्बा उठाया और ले जाकर सबसे पहले काया का मुंह मीठा किया "तेरी शादी की खुशी में।" काया शर्मा कर रह गई।


     सबका मुंह मीठा करने के बाद सुहानी कार्तिक सिंघानिया के पास आई और शरमाते हुए उसने डब्बा उसकी तरफ बढ़ाया। कार्तिक सिंघानिया ने मिठाई ले तो ली लेकिन उसे सुहानी का यह अंदाज बिल्कुल भी समझ नहीं आया। वह कंफ्यूज होकर वहीं खड़ा रहा और सुहानी वहां से चली गई।


    अव्यांश अफसोस करता हुआ बोला "कुहू दी की शादी होने को है और वह चली जाएगी। क्योंकि वह सबसे बड़ी है। आई मीन बहनों में सब से बड़ी है। और यह छुटकी तो सबसे छोटी है। इसका भी रिश्ता तय हो गया। लेकिन इस नकचढ़ी का रिश्ता कब तय होगा? यह कब तक मेरे सर पर नाचेगी?"


     सुहानी चिढ़कर बोली "तुझे क्या प्रॉब्लम है? अपने घर में हूं, अपने मां पापा का खा रही हूं। जब तक जिंदा हूं तेरे सर पर नाचूंगी भी और तेरे सीने पर मूंग दलूंगी। निशी ने भी मेरे इस शुभ कार्य में मेरा साथ देना है। तुझे जो करना है कर ले।"


    सिद्धार्थ ने एकदम से पूछा "तुम लोग यहां क्या कर रहे हो? और अंशु! तुझे किसने बताया यहां मिठाई लेकर आने को? वहां फंक्शन कौन संभाल रहा है?"


     अव्यांश अपने पेंट के पॉकेट में हाथ डालकर बोला "बड़े पापा सब ठीक है। फंक्शन की सारी रिस्पांसिबिलिटी भाई और भाभी ने ले लिया और उन्होंने बहुत अच्छे से मैनेज कर रहे हैं। एंड उन दोनों ने एक अच्छा सा परफॉर्मेंस भी दिया।"


    श्यामा मायूस होकर बोली "मैंने मिस कर दिया।"


     अव्यांश हंसते हुए बोला "डोंट वरी बड़ी मॉम! लाइव न सही रिकॉर्डिंग आपको मिल जाएगी। और वैसे भी, रही बात मिठाई के डब्बे की तो मुझे पता था यहां क्या हो रहा है। तो मैं पहले से तैयार था। थोड़ा डाउट था लेकिन इट्स ओके। वैसे सीरियसली मुझे बिल्कुल भी आईडिया नहीं था कि यहां यह सब होगा।"


     अव्यांश ने कार्तिक सिंघानिया की तरफ देखा और उसके कंधे पर हाथ रख कर बोला "आप लोगों को नहीं लगता कि जब एक भाई की शादी हो रही है तो दूसरे की भी एक साथ हो ही जानी चाहिए। एक काम कर भाई! तू इस मुसीबत को अपने साथ ले जा। सुना नहीं तुमने अभी-अभी उसने क्या कहा। मेरे पर थोड़ा तो रहम खा।"


    सुहानी गुस्से में भर गई। लेकिन वह गुस्सा कर भी नहीं पाई। अव्यांश ने उसके दिल की बात जो कह दी थी। यह बात तो सिया के मन में भी कब से थी। अचानक ही अव्यांश का फोन बजा। उसने देखा निशि का नंबर उसके स्क्रीन पर फ्लैश हो रहा था। उसे थोड़ा अजीब लगा क्योंकि निशी जल्दी कभी उसे फोन नहीं करती थी। और इस बीच उसने कई बार फोन तो किया था लेकिन कभी उसने फोन नहीं उठाया तो कभी निशि ने अव्यांश का।


    फोन बजते देख सुहानी बोली "उठा ले। देख तो निशि क्या कह रही है। तुझे ढूंढ रही होगी बेचारी।"


    अव्यांश इस बार फोन काट नहीं सकता था। उसे कॉल रिसीव करना पड़ा और फोन कान से लगा कर बोला "मैं अभी सबके साथ हूं बाद में बात करता हूं।"


     दूसरी तरफ से कुछ कहा गया जिसे सुनकर अव्यांश के चेहरे के एक्सप्रेशन एकदम से बदल गए। फिर वह जल्दी ही खुद को नॉर्मल करके बोला "मैं अभी आया।"





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टिप्पणियाँ

  1. बहुत ही प्यारा पार्ट।सच मै यदि संयुक्त परिवार मै आपस मै प्यार हो तो उससे बड़ा स्वर्ग nhi होता।बहुत ही प्यारा परिवार।

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