सुन मेरे हमसफर 238

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    सिद्धार्थ शरण्या को लेकर अपने घर वालों के पास पहुंचे। रूद्र भागते हुए आया और सीधे जाकर सिया के पैर छू लिए। सिया उसके सर पर हाथ रख कर बोली "बहुत टाइम के बाद देख रही हूं तुम्हें। मैं तो भूल ही गई थी। वह तो तुम्हारा बेटा मिला तब जाकर पता चला तुम कहां हो और क्या कर रहे हो। तुम तो भूल ही गए थे इस घर का पता।"


     रूद्र भी शिकायत करते हुए बोला "हां! जैसे आप लोगों ने बहुत याद रखा मुझे। सारांश की शादी हुई किसी ने मुझे याद किया नहीं किया। इस गधे सीड की शादी हो गई तब भी किसी ने मुझे याद नहीं किया।"


     सिद्धार्थ ने रूद्र के शिकायत का जवाब देते हुए कहा "कोई ज्यादा बोलने की जरूरत नहीं है। सारांश की शादी जब हुई तो किसी को पता नहीं था, खुद उसे भी नही। और रही मेरी शादी की बात तो वह भी अचानक ही हुई। हमारी छोड़, तू खुद गायब था। तुझे कितना ढूंढा हमने। रेहान को भी नहीं पता था तेरे बारे में। और तू था कहां?"


      रूद्र को वह गुजरे आठ साल याद आ गए। यह सब इसी बीच की बात थी। शरण्या भी समझ गई। उसने सिर उठा कर रूद्र की तरफ देखा और मुस्कुरा कर बोली "हनीमून पर गए थे। वहां हमारी लड़ाई हुई और लड़ते लड़ते हम आज यहां पहुंच गए।"


     सारांश ने हंसते हुए कहा "इसीलिए तो शादी के इतने साल बाद जाकर तेरे दो बच्चे हुए हैं। क्या यार! अपनी बीवी से लड़ाई कौन करता है।"


    रूद्र अपने कान पर हाथ रख कर बोला "मेरी हिम्मत इतनी नहीं है। लड़ने का काम यही करती है।"


    शरण्या ने उल्टे हाथ से एक मुक्का रूद्र के पेट पर मारा। दोस्तों के बीच कि इस हंसी ठिठोली को देखकर सिया जल्दी से बोली "तुम लोगों को बुलाने की एक बहुत खास वजह थी। तुम लोग चलो मेरे साथ।"


      रूद्र और शरण्या ने एक साथ पूछा "खास वजह, वह क्या?"


     श्यामा मुस्कुरा कर बोली "तुम लोग चलो तो, फिर बताते हैं।" रूद्र और शरण्या ने पहले एक दूसरे की तरफ देखा और फिर रेहान और लावण्या की तरफ। चारों को इस बारे में कोई आईडिया नहीं था।


     सिया ने सबको अपने साथ चलने का इशारा किया और पलट कर समर्थ की तरफ देखा। समर्थ ने पलके झपका कर और सर झुका कर सिया को आश्वस्त किया और स्टेज की तरफ बढ़ गया। यानी अब पार्टी में कुछ बाहर के गेस्ट और यंग ब्रिगेड ही शामिल थी। बाकी जितने भी बड़े बुजुर्ग थे वह सब सिया के साथ चले गए। कुणाल के मां पापा को भी सिद्धार्थ ने इनवाइट किया और उन्हें अपने साथ ले गए।


     दूसरी तरफ, एक बड़े से हाल में सिया ने पहले ही सिद्धार्थ को बोलकर सारे इंतजाम करवा दिए थे। वहां आते ही सबसे पहला सवाल शरण्या ने किया "आंटी जी! कुछ जरूरी बात थी क्या? आई मीन बच्चों ने कुछ किया तो नहीं? देखिए, मैं समझती हूं। मेरा एक बेटा शांत है और दूसरा थोड़ा नटखट है। थोड़ा नहीं पूरा। अपने बाप पर गया है।"


     रूद्र ने हैरानी से शरण्या की तरफ देखा और कहा "मेरा बेटा मेरे पर जाएगा ना! लेकिन दिखता तो तुम्हारी तरह है। अब उसकी आदतें बिगड़ी है तो उसके लिए तुम मुझे रिस्पांसिबल नहीं बना सकती। एक को देख लो, कितना शांत है और दूसरा उतना ही बवाल, तुम्हारी तरह।"


     शरण्या ने भी रूद्र को चिढ़ाते हुए कहा "बिल्कुल जैसे तुम और रेहान, एक शांत और दूसरा बवाल। इसलिए तो कहती हूं, ऋषु बिल्कुल तुम पर गया है। उसकी आदते, उसकी हरकतें याद करो।"


      रेहान ने शरण्या का सपोर्ट किया। "यह बिल्कुल सही बोल रही है। इस बात से तो सभी एग्री करते हैं। ऋषभ में पूरे तेरे ही लक्षण है। रात भर जागना पार्टी करना और सुबह घर जाकर सो जाना।"


     रूद्र ने कुछ कहना चाहा लेकिन शरण्या ने उसे चुप कराते हुए सिया से पूछा, "क्या हुआ आंटी सब ठीक तो है ना? मेरा दिल बहुत घबरा रहा है। अगर उन दोनों में से किसी ने भी आप लोगों के साथ कोई बदतमीजी की है तो फिर मैं उनकी तरफ से माफी मांगती हूं।"


     शरण्या ने अपने दोनों हाथ जोड़ लिए तो सिया ने जल्दी से उसका हाथ पकड़ा और नीचे करते हुए बोली "इसकी कोई जरूरत नहीं है। बदमाशी तो उसने की है और इसकी सजा भी उसे ही मिलेगी। तुम्हें माफी मांगने की जरूरत नहीं है, और ना तुम्हें माफी मिलेगी।"


      शरण्या ने परेशान होकर रूद्र की तरफ देखा। रूद्र ने अपने कंधे उचका दिए और कहा "सारी बदमाशी ऋषभ ने की होगी। मेरा कार्तिक बहुत सीधा है। अबकी बार मैं उसे नहीं छोडूंगा। हर बार तुम उसे बचा लेती हो लेकिन इस बार नहीं। है कहां वो?" रूद्र ने बाहर की तरफ देखा लेकिन वहां उसे कोई नजर नहीं आया।


    शरण्या ने रूद्र के हाथ पर मारा और सिया से पूछा "आंटी प्लीज बताइए किया क्या है ऋषभ ने?"


      सिया थोड़ा कंफ्यूज होकर बोली, "ऋषभ? नहीं नहीं! मैं ऋषभ की बात नहीं कर रही। मुझे तो पता भी नहीं था कि तुम्हारे दो बेटे हैं। मैं तो बस एक कार्तिक को जानती हूं जो हमारी कुहू के होने वाले पति का दोस्त है, कुणाल का दोस्त। हम सब तो बस तुमसे कार्तिक के बारे में बात करना चाह रहे थे।"


  रेहान धीरे से लावण्या की तरफ झुका और कान में बोला "सारे कार्तिक के बारे में बात करना चाहते हैं। इस बार जरूर कोई बहुत बड़ा कांड किया है उसने।"


     लावण्या ने भी धीरे से उसकी बात का जवाब देते हुए कहा "तुम्हारी तरह शांत है। कांड भी तुम्हारे जैसा ही कुछ बड़ा करेगा।"


     रेहान की आंखों में उदासी भर गई। इतने साल के बाद भी लावण्या कुछ भूल ही नहीं थी। भले ही दोनों साथ आ गए हो लेकिन चाह कर भी लावण्या अपने आप पर कंट्रोल नहीं कर पाती थी और रेहान का धोखा हर बार उसके जेहन में ताजा हो जाता था।




    ऋषभ की कैद से खुद को बचते बचाते काया हाल की तरफ भागी तो सीधे जाकर सुहानी से टकराई। सुहानी झुंझला कर बोली "क्या कर रही है तू? ध्यान कहां है तेरा? और इस तरह कहां से भाग आ रही है? कोई है क्या तेरे पीछे?"


    काया ने जल्दी से पलट कर पीछे की तरफ देखा और बोली "नहीं! कौन? मेरे पीछे? नहीं! तुझे लगता है कि कोई मुझे परेशान कर सकता है? टांगे ना तोड़ दूं मैं उसकी!"


     सुहानी उसके बालों को सही करते हुए बोली "वह तो पता है लेकिन तेरी हालत कैसे हो गई? ऐसा कौन सा भूत पीछे पड़ गया तेरे जो तू इतनी घबराई हुई है?"


      काया के चेहरे के रंग उड़ गया। उसने एक बार फिर पीछे पलट पलट कर देखा और बोली "तू भी ना, जाने क्या बकवास कर रही है। वह सब छोड़ यह बता, घर वाले कहां है? सबके सब गायब है।"


   सुहानी थोड़ा सा कंफ्यूज होकर बोली "घरवाले.......? कुछ देर पहले तो सब यहीं पर थे लेकिन.......... हां! वो कार्तिक है ना, कुणाल जीजू का दोस्त! उसके पेरेंट्स यहां आए हैं। दादी सबको लेकर यहां से चली गई। उन्हें कुछ बात जरूरी करना था शायद।"


     काया ने सुन तो उसके दिल की धड़कन ही बढ़ गई। क्या इस वक्त उसके और कार्तिक के रिश्ते की बात होने वाली है? अंशु ने तो यही कहा था। काया घबराहट में अपना ही दुपट्टा चबाने लगी।




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