सुन मेरे हमसफर 245

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    निशि हॉस्पिटल के बेड पर पड़ी हुई थी और एक नर्स उसकी ड्रेसिंग कर रही थी। सर पर ड्रेसिंग करने के बाद उसने निशी की कलाई पर भी बैंडेज लगाया और कहा "अच्छा हुआ जो एक्सीडेंट कोई बड़ा नहीं था। हल्की सी खरोच आई है आपको वह भी सिर्फ सर और हाथ में। एक्चुअली हाथ में भी कुछ खास है नहीं, फिर भी मैंने पट्टी बांध दी है ताकि आप इस हाथ को कम से कम यूज करें। बाकि सब कुछ ठीक है। आपके हस्बैंड को मैंने फोन कर दिया है। वह आपको लेने आते ही होंगे।"


     नर्स मुस्कुरा कर उठी और वहां से जाने को हुई तो निशि ने एकदम से उसे आवाज लगा कर बुलाया "सिस्टर इधर आइए।"


     नर्स के कदम वही रुक गए। वह वापस आई और मुस्कुरा कर पूछा "जी मैडम! और कोई दिक्कत है?"


    निशि ने अपने पैर की तरफ दिखा कर कहा "मुझे मेरे पैर में दर्द महसूस हो रहा है। क्या तुम वहां पर भी बैंडेज लगा सकती हो?"


     नर्स ने अजीब नजरों से निशि की तरफ देखा और जबरदस्ती मुस्कुरा कर बोली "मैम! आपके पैर में अगर दर्द हो रहा है तो फिर मैं इस पर जेल लगाकर क्रेप बैंडेज लगा देती हूं।" कहते हुए सिस्टर ने आवाज़ लगाई "नैना! जरा एक क्रेप बैंडेज और क्रीम लाना।"


   निशी उस नर्स को लगभग आर्डर देते हुए बोली "मुझे क्रेप बैंडेज नहीं लगवाना है। तुम बस मेरे पैर में पट्टी बांध दो।"


     नर्स ने फिर कहा "मैडम! आपके पैर में कोई चोट नहीं आई है। हमने आपका पूरा एक्सरे कर करके देखा है। आपको सिर्फ सर में और.............."


     निशी को तो जैसे कुछ सुनना ही नहीं था। उसने नर्स को डांटते हुए कहा "बॉडी मेरी है दर्द मुझे महसूस हो रहा है और मैं जो कह रही हूं वह करो वरना मैं यहां से चली जाऊंगी फिर जवाब देते रहना तुम अपने मित्तल साहब को।"


     सिस्टर परेशान हो गई। वह धीरे से बड़बड़ाई "बड़े लोगों के बड़े चोचले।"


     नर्स ने भले ही यह बात धीरे से कहीं हो लेकिन निशि ने यह बात सुन ली थी। जब वो अव्यांश के साथ शादी करके आई थी उस वक्त भी तो उसने ऐसा ही कुछ कहा था। निशी के होठों पर हल्की मुस्कान आ गई और उसने खुद से कहा "धीरे-धीरे मैं भी तुम्हारे परिवार के रंग में ही रंगती जा रही हूं।"


     नर्स ने निशी के पैरों में पट्टी बांधी और अजीब तरह से मुस्कुराते हुए वहां से ऐसे भागी जैसे कोई भूत उसके पीछे पड़ा हो। निशि आराम से वहां लेट गई और अव्यांश के आने का इंतजार करती रही। एक्सीडेंट भले ही उसने जानबूझकर नहीं किया हो लेकिन इस एक्सीडेंट को इस्तेमाल करने का उसे अच्छा मौका मिल गया था। "मैं भी देखती हूं मिस्टर अव्यांश मित्तल! कैसे तुम मुझे छोड़ कर अपनी उस सो कॉल्ड खुशी के पास जाते हो। बहुत अच्छा लग रहा था ना तुम्हें उसके साथ!"


      निशि ने अव्यांश के बारे में सोचा ही था कि उसे अव्यांश के कदमों की आहट सुनाई दी। अव्यांश के कदमों की आहट तो निशी भीड़ में भी पहचान सकती थी, कुछ इतनी आदत हो गई थी उसे। जैसे जैसे अव्यांश के कदमों की आहट करीब आ रही थी निशी के होठों पर मुस्कान बढ़ती जा रही थी। उसने जल्दी से कंबल अपने ऊपर डाल और आंखें बंद करके लेट गई।


     अव्यांश वार्ड में आया तो देखा निशि के सर और हाथ में पट्टी बंधी थी जिसे देख इसका दिल कचोट गया। वह तो भाग कर जाकर निशि को अपने गले से लगाना चाहता था और उसके कदम आगे बढ़ भी लेकिन फिर एकदम से रुक गए। निशि की कड़वी बातें उसके दिल से जाने का नाम नहीं ले रही थी। कहीं इस वक्त भी निशी उसके छूने का कुछ गलत मतलब ना निकले जिस सोचकर ही अव्यांश रुक गया और उसने दूर से ही निशि को आवाज़ लगाई "निशिका! तुम ठीक हो?"


     अव्यांश के मुंह से अपने लिए निशिका सुनकर उसे बहुत अजीब लगा। लेकिन साथ ही उसे यह भी एहसास हुआ कि अव्यांश अभी भी उससे नाराज है। वरना इससे पहले अव्यांश ने कभी उसे उसके पूरे नाम से नहीं बुलाया था। फिर भी एटलिस्ट अव्यांश आया तो था और यही काफी था उसके लिए।


     निशी ने धीरे से आंख खोली और दर्द भरी आवाज में कहा "हां मैं ठीक हूं। लेकिन मेरा सर......" निशी ने अपने हाथ से अपना सर छूना चाहा तो कलाई में हल्का सा दर्द हुआ और वो कुछ ज्यादा ही जोर से चिल्लाई, "आह........" अव्यांश ने जल्दी से आगे बढ़कर निशि की कलाई को धीरे से पकड़ा और वापस उसे बेड पर रखा।


    "कैसे हुआ यह सब? तुम तो हमारे साथ थी ना? और तुम फंक्शन से कब निकल कर आई?"


    एक अनजानी आवाज सुनकर निशि को शॉक लगा। उसने अपनी आंखें पूरी खोली और सामने प्रेरणा को देखकर अंदर ही अंदर जल भुन गई। उसने नाराजगी से अव्यांश की तरफ देखा और मन ही मन पूछा 'इस कबूतरी को लेकर आना जरूरी था क्या? कुछ देर इसके बिना रह नहीं सकते थे तुम?'


    निशि को ऐसे प्रेरणा की तरफ घूर कर देखता देख अव्यांश को अब जाकर ख्याल आया कि उसने इन दोनों लड़कियों को एक दूसरे से इंट्रोड्यूस नहीं करवाया है। उसने जल्दी से इस ऑकवर्ड सिचुएशन को संभालते हुए कहा "निशि! यह प्रेरणा है, मेरी बचपन की फ्रेंड। और परी! मैं तुम्हें मिलवा नहीं पाया। यह निशि है।"


      निशि की भौंहे तन गई। परी! मतलब बीवी के सामने अपनी गर्लफ्रेंड को इतने प्यार से बुला रहा है और मैं सिर्फ निशि! बीवी हूं तुम्हारी, ये बोल नहीं सकते क्या उसके सामने? मुझे.............! तुम तो रहने दो, तुमसे मैं बाद में निपटूंगी।


    अव्यांश आगे की लाइन तो पूरी करना चाहता था लेकिन उसे थोड़ी हिचकिचाहट हो रही थी। ना जाने वो कैसे रिएक्ट करें इसलिए वह चुप रह गया। प्रेरणा मुस्कुरा कर बोली "इतने बिजी थे हम लोग कि हम मिल ही नहीं पाए। चलो कोई बात नहीं, अभी भी कुछ खास देर नहीं हुई। अच्छा हुआ जो हम यहां मिल गए। अंशु तुम्हारे बारे में काफी कुछ बता रहा था।"


     निशी भी जबरदस्ती मुस्कुरा कर बोली "जाहिर सी बात है, मैं उसकी वाइफ हूं तो वह मेरे बारे में बात करेंगे ही। लेकिन उसने कभी तुम्हारा जिक्र नहीं किया। कहां थी तुम?"


     प्रेरणा निशी की बातो में छुपा तंज समझ गई और कहा "मैं...! मैं तो बस कुछ टाइम के लिए यहां से दूर गई थी। सोचा था जल्दी आ जाऊंगी लेकिन बहुत देर हो गई और अंशु ने मेरा इंतजार भी नहीं किया और बिना मेरे ही शादी कर ली। कोई बात नहीं इसका बदला तो मैं लेकर रहूंगी। आई थिंक तुम दोनों को बात करनी चाहिए। निशी को भी आराम की जरूरत है। यहां हॉस्पिटल में एक से ज्यादा लोग अलाउ नहीं करेंगे। मैं चलना चाहिए।"


     अव्यांश उसे रोकते हुए बोला "इस वक्त कैसे जाओगी तुम? रात बहुत हो गई है। ऐसे तुम्हारा जाना सेफ नहीं होगा। तुम तो गाड़ी भी लेकर नहीं आई हो। घर में किसी को पता चल गया तो मेरी बैंड बजा देंगे। चलो मैं तुम्हें घर छोड़ देता हूं।"


     निशि पीछे से आवाज देकर बोली "कोई बात नहीं। वह कैब ले लेगी। यहां तो काफी आसानी से अवेलेबल है और सेफ भी। या फिर किसी को फोन कर दो, वह आकर इन्हें पिकअप कर लेंगे।"


    प्रेरणा फीकी हंसी के साथ बोली, "कोई बात नही। वैसे भी पार्थ मुझे मैसेज कर रहा था। मैं उसी को बोल दे रही हूं। तुम रहो अपनी वाइफ के पास। मैं चलती हूं। बाय!" प्रेरणा फौरन वहां से निकल गई। 




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