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सुन मेरे हमसफर 242

242       चित्रा निक्षय के साथ इठलाते हुए आई और सबको एक तरफ जमा हुआ देख उसने एकदम से पूछ लिया "क्या हो रहा है यहां पर? सारे लोग यहां क्यों इकट्ठा हुए हैं? कौन सा डिस्कशन चल रहा है?"       सिद्धार्थ ने उसे ताना देते हुए कहा "अब फुर्सत मिली तुम्हे? तुम कहां थी इतनी देर? हमने तो क्लीयरली कहा था कि सारे यंग जनरेशन के लोग फंक्शन का काम देखेंगे बाकी सब सीनियर हमारे साथ आएंगे।"    निक्षय ने चित्रा पर व्यंग मारते हुए कहा "आप जानते हो ना भाई, चित्रा खुद को कभी सीनियर सिटीजन में नहीं गिनती है। आपने यंग ब्रिगेड कहा था तो यह मैडम भी शामिल हो गई। मैं तो कब से समझा रहा था, सब लोग गए हैं कुछ काम से। हमें भी चलना चाहिए। लेकिन यह मैडम सुने तब तो!"      चित्रा ने उल्टे हाथ की कोहनी निक्षय के पेट में मारी और सब से पूछा "सच सच बताओ, सारे लोग मिलकर मुझसे छुपा कर क्या कर रहे है यहां पर?"      सिया ने तुनक कर कहा "कुछ नहीं हो रहा है और कुछ होगा भी नहीं। हमने तो कुछ और सोचा था, निकला कुछ और। इसीलिए कुछ नहीं होगा।"     शरण्या ने समझाना चाहा "आंटी जी! आप गल

सुन मेरे हमसफर 241

241     काया की तो आवाज ही जमकर रह गई थी। वह बस हैरानी से कभी कार्तिक सिंघानिया को देखती तो कभी ऋषभ को। कार्तिक सिंघानिया धीरे से उठा और बड़ी मासूमियत से बोला "हम ट्विंस है। ये बात मैंने तुम्हें पहले भी समझाया था। वह भाई है मेरा। तुम हमेशा ही मुझे गलत समझती रही हो।"     काया की आवाज ना निकली। अब जाकर उसे सारी बातें याद आ रही थी और अपनी बेवकूफी पर गुस्सा भी। एक बार नहीं कई बार उसने बेचारे कार्तिक पर हाथ उठा दिया था वह भी सिर्फ एक गलतफहमी और उसकी बेवकूफी के कारण। काया को शर्मिंदगी महसूस हो रही थी और समझ नहीं आ रहा था कि वह कैसे कार्तिक को फेस करें। बड़ी मुश्किल से उसने धीरे से कहा "सॉरी! मेरी गलती थी।"      रूद्र, काया पर गुस्सा करते हुए बोला "गलती तुम्हारी नहीं है, गलती इस गधे की है। अगर इसने पहले ही तुम्हें बता दिया होता तो यह सारी प्रॉब्लम होती ही नहीं।"    रूद्र ने गुस्से में ऋषभ की तरफ देखा तो ऋषभ ने अपना सर झुका लिया और बोला "मुझे कभी इस सब का ध्यान ही नहीं आया। मुझे नहीं पता था कि ये कितनी बेवकूफ होगी कि हम दोनों भाइयों के बीच का डिफरेंस उसे समझ

सुन मेरे हमसफर 240

240       काया और कार्तिक के रिश्ते की बात सुनकर सुहानी को अंदर ही अंदर तकलीफ हुई लेकिन वह अपनी बहन के लिए खुश थी। पर यह क्या! कार्तिक ने तो सीधे-सीधे काया से शादी करने से ही मना कर दिया, लेकिन क्यों? सुहानी हैरानी से कार्तिक को देखने लगी और काया ने तो कार्तिक पर हाथ ही उठा दिया।      कार्तिक सिंघानिया बेचारा अपनी हालत पर रो दिया। अगर हां करें तो भाई से मार खाएगा, ना करें तो काया से। इस सब में उसे काया के हाथों थप्पड़ खाना थोड़ा कम बुरा लगा। लेकिन जो कंफ्यूजन क्रिएट हुआ था उसे भी तो दूर करना जरूरी था। कार्तिक सिंघानिया ने अपने गाल पर हाथ रखा और सहलाते हुए काया से बोला "कायरा तुम गलत समझ रही हो। मैंने जो किया बहुत सोच समझ कर किया।"      लेकिन काया कुछ सुनाने के मूड में नहीं थी। उसने गुस्से में कहा "अब इसके बाद अपनी शक्ल मत दिखाना तुम मुझे।" और पैर पटकते हुए वहां से बाहर निकल गई।       काया और कार्तिक के बीच जो कुछ भी हुआ, वह वहां मौजूद सब ने देखा लेकिन समझ में किसी को नहीं आया। कार्तिक सिंघानिया ने बेचारगी से अपनी मां की तरफ देखा और ना में सिर हिला दिया। शरण्या ने का

सुन मेरे हमसफर 239

239      काया को ऐसे अपना दुपट्टा चबाते देख सुहानी ने उसके मुंह से उसका दुपट्टा खींचा और बोली "क्या हो गया तुझे, इतनी नर्वस क्यों है तू? कुछ तो हुआ है जो तू छुपा रही है।"        काया जल्दी से जबरदस्ती मुस्कुरा कर बोली "कुछ नहीं! कुछ भी तो नहीं!! लेकिन दादी सबको लेकर क्यों गई है, वह भी ऐसे अचानक? मेरा मतलब, इतना अच्छा माहौल चल रहा था। सभी ने ही इतना अच्छा परफॉर्मेंस दिया और बाकी गेस्ट ने भी। लेकिन तुझे नहीं लगता कि........"       सुहानी इरिटेट होकर बोली "तू साफ़ साफ़ बोल कहना क्या चाहती है? इस तरह घुमा फिरा कर क्यों बात कर रही है?"     काया बोली "तुझे नहीं लगता कि हमें जा कर एक बार देखना चाहिए कि वह क्या बातें कर रहे हैं।"        सुहानी नाराज होकर बोली "तू चाहती है कि हम लोग जाकर उनकी बात चुपके से सुने? उन लोगों को पता चल गया ना तो हमारी खैर नहीं। और यह आदत तुझे कैसे लग गई? तेरे दिमाग में यह बात आई थी कहां से? छुप कर बड़ों की बात सुनना अच्छी बात नहीं होती।"       काया उसे समझाते हुए बोली "तेरा दिमाग खराब है क्या? मैंने कब कहा ऐसे? म

सुन मेरे हमसफर 238

238     सिद्धार्थ शरण्या को लेकर अपने घर वालों के पास पहुंचे। रूद्र भागते हुए आया और सीधे जाकर सिया के पैर छू लिए। सिया उसके सर पर हाथ रख कर बोली "बहुत टाइम के बाद देख रही हूं तुम्हें। मैं तो भूल ही गई थी। वह तो तुम्हारा बेटा मिला तब जाकर पता चला तुम कहां हो और क्या कर रहे हो। तुम तो भूल ही गए थे इस घर का पता।"      रूद्र भी शिकायत करते हुए बोला "हां! जैसे आप लोगों ने बहुत याद रखा मुझे। सारांश की शादी हुई किसी ने मुझे याद किया नहीं किया। इस गधे सीड की शादी हो गई तब भी किसी ने मुझे याद नहीं किया।"      सिद्धार्थ ने रूद्र के शिकायत का जवाब देते हुए कहा "कोई ज्यादा बोलने की जरूरत नहीं है। सारांश की शादी जब हुई तो किसी को पता नहीं था, खुद उसे भी नही। और रही मेरी शादी की बात तो वह भी अचानक ही हुई। हमारी छोड़, तू खुद गायब था। तुझे कितना ढूंढा हमने। रेहान को भी नहीं पता था तेरे बारे में। और तू था कहां?"       रूद्र को वह गुजरे आठ साल याद आ गए। यह सब इसी बीच की बात थी। शरण्या भी समझ गई। उसने सिर उठा कर रूद्र की तरफ देखा और मुस्कुरा कर बोली "हनीमून पर गए थे। व

सुन मेरे हमसफर 237

  237      ऋषभ को अपने सामने खड़ा देख काया थोड़ी सी हिचकिचाई और सब की नजरों से बचकर धीरे-धीरे पीछे सरकते हुए स्टेज से उतरकर दूसरी तरफ चली गई। उसे घबराहट हो रही थी। ऋषभ ने फोन पर जो कुछ भी कहा था उसे याद कर ही काया अंदर ही अंदर सिहर गई।     "क्या वह सच बोल रहा था? लेकिन वह तो कहीं गया ही नहीं था तो फिर आने का सवाल ही पैदा नहीं होता। झूठा है वो, एक नंबर का झूठा। कहता कुछ है और करता कुछ। लेकिन उसके साथ कौन था? और वह इस तरह............. करना क्या चाहता है वो? कुछ तो चल रहा है उसके दिमाग में।"     काया अकेले में एक तरफ खड़ी अपने आप से ही सवाल कर रही थी। इतने में ऋषभ की आवाज उसके कानों में पड़ी "मेरे बारे में सोच रही हो?"      ऋषभ की आवाज को इतनी नजदीक से महसूस कर काया ने घबरा कर पीछे पलट कर देखा। उसकी हिल मुड़ी और वह लड़खड़ा कर गिरने को हुई लेकिन ऋषभ ने एकदम से थाम लिया। काया ने भी खुद को संभालने के लिए ऋषभ का सहारा लिया लेकिन फिर एकदम से ही उसे धक्का दिया। लेकिन ऋषभ क्या वाकई इतनी आसानी से उसे छोड़ने वाला था?     दूर जाने की बजाय उसने काया को अपने और करीब खींचा और कहा &

सुन मेरे हमसफर 236

 236     काया ने इधर-उधर देखा लेकिन उसे कोई नजर नहीं आया। कदमों की आहट साफ सुनाई दे रही थी जिसे सुनकर सुहानी स्टेज के एक साइड हो गई। पता नहीं क्यों लेकिन उसे थोड़ा डर भी लग रहा था।     काया भी कुणाल को छोड़कर वापस सुहानी के पास आकर खड़ी हो गई। सुहानी ने धीरे से पूछा "ये कौन हो सकता है?"     काया जानती थी कि ये आवाज ऋषभ की थी लेकिन वह पहली आवाज किसकी थी यह उसे नहीं पता था। इसलिए उसने कहा "मुझे नहीं पता, मेरी तरफ मत देख। तेरी तरह मैं भी क्लू-लेस हूं।"     यह सारी आवाज सुनकर अव्यांश भी भागते हुए आया और अपनी दोनों बहनों के कंधे पर हाथ रखकर पूछा "क्या हो रहा है? कौन आ रहा है?"    काया और सुहानी दोनों ने हीं अपने कंधे उचका दिए तो अव्यांश ने पलट कर डीजे की तरफ देखा। शायद उसे कुछ पता हो। डीजे वाले भैया बस मुस्कुरा दिए और गाना प्ले कर दिया। इसके साथ ही स्टेज का लाइट ऑफ हो गया। प्रभु देवा का फेमस सोंग मुकाबला के म्यूजिक ट्यून पर थिरकते हुए दो जूते स्टेज पर आए जिनके साथ दो पैर भी थे। तीनों भाई बहन ने एक दूसरे की तरफ देखा और तीनों ने ही अपने कंधे उचका दिए क्योंकि आने

सुन मेरे हमसफर 235

  235     स्टेज पर खड़ी सुहानी ने सबकी तरफ देखकर कहा "मुझे नहीं पता था यह चंपू इतना अच्छा डांसर है! वैसे ठीक-ठाक कर लेता है, इतना कुछ खास भी नहीं है।"        काया उसकी बात को करेक्ट करते हुए बोली "बिल्कुल गलत! अंशु हमारे परिवार का रौशन चिराग है और बेहतरीन डांसर भी। तुझे ये बात कैसे पता नहीं?"      सुहानी ने चिढ़कर कहा "कुछ ज्यादा ही तरफदारी नहीं कर रही तू उसकी? कोई डील वील हुई है क्या तुम दोनों के बीच जो इतना साइड लिया जा रहा है?"      काया अपनी आंखें नचाकर बात को पलटते हुए बोली "वैसे तुझे नहीं लगता कि अब तक जो भी परफॉर्मेंस हुई है वह हमारी तरफ से हुई है। दूसरे साइड की परफॉर्मेंस तो हमने देखी नहीं। उनकी कोई तैयारी है भी या नहीं?"     सुहानी का ध्यान भी इस ओर डाइवर्ट हो गया। उसने कुणाल की तरफ इशारा करके बोला "क्या बात है जीजू! आपकी तरफ से कोई परफॉर्मेंस हमें देखने को मिलेगी भी या नहीं? या फिर पहले ही हार मान ली है आप लोगों ने?"       कुणाल ने कुछ कहा लेकिन उसके पास माइक नहीं था। काया भागते हुए नीचे उतरी और कुणाल के सामने माइक देकर खड़ी ह

सुन मेरे हमसफर 234

  234      निशि को अव्यांश और प्रेरणा की ये नजदीकियां बर्दाश्त नहीं हो रही थी। लेकिन वह यहां सब के बीच कोई तमाशा कर भी नहीं सकती थी। 'लेकिन ये लड़की है कौन जो इसके साथ इतने क्लोज होकर डांस कर रही है? और वो भी इतना कंफर्टेबल है!'      निशि ने प्रेरणा की असलियत जानने के लिए घर वालों की तरफ देखा। उसके मां पापा के चेहरे पर हल्की नाराजगी और थोड़ी मायूसी नजर आ रही थी। शायद वह यहां अव्यांश और निशि को एक्सपेक्ट कर रहे थे लेकिन मित्तल परिवार बिल्कुल शांत था। वह लोग खुश थे।    अपने ससुराल वालों के चेहरे पर किसी तरह की कोई नाराजगी निशि को नजर नहीं आई। उसे यह बात अजीब लगी। और कोई नहीं तो कम से कम सारांश तो कभी भी ऐसा कुछ नहीं होने देते और ना ही अव्यांश की दादी। बाकी सब से कहीं ज्यादा वह दोनों निशी सपोर्ट करते थे। तो क्या यह लड़की कोई जानी पहचानी है?' निशि ने गुस्से में अव्यांश की तरफ देखा लेकिन अव्यांश था की प्रेरणा की आंखों में खोया हुआ था। निशी गुस्से में उठी और वहां से चली गई।       अवनी से रहा नही गया तो उन्होंने धीरे से सारांश से पूछा "निशि कहां है? उसे यहां हमारे साथ होना चा

सुन मेरे हमसफर 233

  233      एक बार फिर से देवेश की आवाज सुनकर निशि फ्रस्ट्रेटेड हो गई। उसने देवेश पर नाराज होकर कहा "मैंने तुमसे कहा था ना मुझे इस सब के बारे में कोई बात नहीं करनी! तुम समझ क्यों नहीं रहे हो? देखो देवेश! अगर तुम्हें लगता है कि अव्यांश को तलाक देकर मैं तुम्हारे पास आ जाऊंगी या फिर तुम वापस से मेरी जिंदगी में आ जाओगे तो ये तुम्हारी बहुत बड़ी गलतफहमी है। मेरे और अव्यांश के बीच जो भी बात है वह हमारा आपसी मामला है। इस सबका तुमसे कोई लेना-देना नहीं इसलिए हमारे बीच में तुम ना पड़ो तो बेहतर होगा, खास तौर पर तुम्हारे लिए। अगर इस वक्त तुम खुली हवा में सांस ले रहे हो तो वह सिर्फ और सिर्फ मेरी वजह से क्योंकि मैंने ही अव्यांश से कहा था तुम्हें आजाद करने के लिए। अब तुम मुझे मजबूर मत करो कि मैं ऐसा कुछ उसे कहूं जो तुम्हारी इस आजादी को छीन जाए। इतने वक्त में मैंने यह तो समझ लिया है कि तुम पर अगर कोई केस बनाना चाहूं तो बहुत आसानी से बन जाएगा। कोई दूध के धुले नहीं हो तो। तुमने भी लाइफ में बहुत सी गलतियां की है। अगर उन सब को इग्नोर भी कर दूं मैं तो भी मुझे बार-बार परेशान करने और मेरी मेंटल टार्चर के