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सुन मेरे हमसफर 132

 132      आज की पार्टी में सुहानी अव्यांश को बहुत मिस कर रही थी। काया ने उसे ऐसे उदास देखा तो बोली "सामने होते हो तुम दोनों तो एक दूसरे की जान लेने पर तुले रहते हो। 1 दिन के लिए गया है वह, कल लौट आएगा।"    सुहानी धीरे से मुस्कुरा कर बोली "उस से लड़ती हूं, झगड़ती हूं, तभी तो मेरा खाना पचता है। अभी अगर वह यहां होता तो अब तक कितनी बातों के लिए हमारी लड़ाई हो चुकी होती। मेरे सैंडल में खुजली हो रही है यार, उसे पीटने का मन कर रहा है।"      काया ठहाके मारकर हंस पड़ी और बोली "कोई बात नहीं, कल आएगा तो जितना मन है उतना कूट लेना। लेकिन प्लीज! निशी के सामने ऐसा कुछ मत करना। बेचारे की इंसल्ट हो जाएगी।"     सुहानी कुछ सोचकर शैतानी मुस्कान के साथ बोली "उसकी बीवी के सामने उसे पीटने में जो मजा है, वह किसी और चीज में नहीं है।" दोनों बहनों ने एक दूसरे की तरफ देखा और अपनी गर्दन हिला कर रह गई।     काया ने अपना फोन निकाला और अव्यांश का नंबर डायल करने को हुई लेकिन उससे पहले उसके फोन पर किसी का कॉल आने लगा। सुहानी स्क्रीन की तरफ देख कर बोली "यह कोई अनजान नंबर से मु

सुन मेरे हमसफर 131

  131    अव्यांश निशि को लेकर घर से निकला। आलिया ने निशी को पार्टी वेन्यू की लोकेशन भेज दी थी, लेकिन वहां जाने की बजाए अव्यांश ने गाड़ी कहीं और घुमाई तो निशी बोली "हम लोग इधर क्यों जा रहे हैं? यहां से यू-टर्न लेने में काफी टाइम लग जाएगा। तुम गलत रास्ते पर जा रहे हो।"      निशी ने उसे नेविगेशन दिखाया लेकिन अव्यांश ने उसका फोन एक तरफ किया और बोला "हम इस वक्त कहीं और जा रहे हैं। और कहां जा रहे हैं इस बारे मैं पूछना मत। तुम बस चलो मेरे साथ।" निशी कुछ पूछ ना पाई। कुछ बोलने से पहले ही अव्यांश ने उसका मुंह बंद करवा दिया था।     कुछ देर के बाद अव्यांश ने गाड़ी एक बड़ी सी बिल्डिंग के आगे रोकी। निशी ने उस बिल्डिंग की तरफ देखा तो हैरान होकर बोली "हम यहां क्यों आए हैं? पता है यहां अपॉइंटमेंट के लिए कितनी लंबी लाइन लगती है! और ये बहुत महंगा भी है।"      अव्यांश ने उसके किसी बात पर कोई रिएक्शन नहीं दिया और दरवाजा खोलकर बाहर निकल गया। निशी गाड़ी में ही बैठे रह गई। अव्यांश ने उसके साइड का दरवाजा खोला और कहा "बाहर निकलो तो! पार्टी में जाना है या नहीं?"     निशी

सुन मेरे हमसफर 130

 130     ना चाहते हुए भी निशी को तैयार होना पड़ा। गोल्डन रंग की ब्लाउज और सुर्ख लाल रंग की साड़ी, जो खासतौर पर अव्यांश आज की पार्टी के लिए लेकर आया था। निशी उसमें बहुत खूबसूरत लग रही थी। अपने कान में झुमके डालती निशी ने आईने में देखा तो पाया, अव्यांश उसे ही देख रहा था।     निशी अपनी नजरें इधर-उधर घुमाते हुए बोली "ऐसे क्या देख रहे हो?"      अव्यांश उसे छेड़ते हुए बोला "वो क्या है ना, तुम्हें जब भी देखता हूं, तुम हर बार ही नई सी लगती हो। सोचता हूं तुम्हें अलग अलग नामों से बुलाऊं। ताकि एक तुम्हारे आने से मेरी लाइफ में जो लड़कियों की कमी हो गई है, वह पूरी हो जाए।"    निशी ने उसे घूर कर देखा और कंगी उठाकर उसे मारने को हुई। अव्यांश उससे बचते हुए बोला "अरे यार, तुम इतना गुस्सा क्यों हो जाती हो? कौन सा मैं किसी और की बात कर रहा हूं!"     निशी ने कुछ नहीं कहा। वह वापस से अपने झुमके पहनने लगी। अव्यांश उसके करीब आकर सामने आईने के पास से दूसरा झुमका उठाया और निशी के दूसरे कान में लगाते हुए बोला "मैं अच्छे से जानता हूं, जिसने भी तुम्हें पार्टी में इनवाइट किया है,

सुन मेरे हमसफर 129

  129    निशि का दिल किया, वह उसी फोन से अव्यांश का सर फोड़ दे। अव्यांश उसे और चिढ़ाते हुए बोला "क्या हुआ, ऐसे क्यों देख रही हो? मेरा मर्डर करने का मन कर रहा है? लेकिन तुम्हें क्या फर्क पड़ता है! और मैंने ऐसा क्या कर दिया? मैं तो बस तुम्हारी फ्रेंड से बात कर रहा था। अब यह कोई गुनाह तो नहीं है। तुम मुझे भाव नहीं देती तो कम से कम कोई तो है जो मुझे.......….."      उसकी बात पूरी होती, उससे पहले ही निशी में गुस्से में दहाड़ कर कहा "तो जाकर मरो उसी के साथ, और निकल जाओ मेरे कमरे से!!!"      निशि का गुस्सा देखकर अव्यांश मन ही मन हंस पड़ा। उसने अपने दोनों हाथ खड़े किए और बोला "सॉरी! सॉरी!! सॉरी!!! तुम नाराज मत हो यार। वैसे भी, हम तो सिर्फ दोस्त है ना! और लाइफ में कभी न कभी तो गर्लफ्रेंड जरूर बनेगी। बिना गर्लफ्रेंड के लाइफ में मजा कहां यार! तो क्यों न मैं तुम्हारी इस दोस्त आलिया को ही अप्रोच करूं?" बोलते हुए अव्यांश जाकर बिस्तर पर लेट गया और एक तकिए को अपनी बाहों में भर लिया।      निशी ने गुस्से में दूसरा तकिया उठाया और उसी से अव्यांश की पिटाई चालू कर दी। दोनों की ल

सुन मेरे हमसफर 128

  128     अव्यांश निशी के कमरे में आया तो देखा, निशी आईने के सामने खड़ी खुद को निहार रही थी। किसी सोच में डूबी थी शायद, इसीलिए उसे अव्यांश के वहां आने का आभास तक नहीं हुआ। अव्यांश धीरे से आगे बढ़ा और निशी को पीछे से अपनी बाहों में भर कर बोला "कहां खोई हो? मेरे बारे में तो............"     अव्यांश के इस तरह छूने निशी बुरी तरह घबरा गई। उसने खुद को अव्यांश की पकड़ से छुड़ाने की कोशिश की और बोली "क्या कर रहे हो तुम? छोड़ो मुझे! तुमने कहा था ना कि तुम ऐसी वैसी कोई हरकत नहीं करोगे, बिना मेरी मर्जी के!"      अव्यांश ने उसे एक झटके में अपने सामने किया और उसपर अपनी पकड़ बनाते हुए नाराज होकर बोला "अच्छा! मतलब मैं अपनी मर्जी से कुछ नहीं कर सकता लेकिन तुम बिना मेरी मर्जी कि मेरे साथ कुछ भी कर सकती हो, है ना?"     निशी अपनी नजरें चुराते हुए बोली "तुम क्या कह रहे हो, मेरी कुछ समझ नहीं आ रहा। मैंने कब तुम्हारा फायदा उठाया है?"     अव्यांश ने झुककर निशी की आंखों में देखने की कोशिश की और बोला "सच में? सच सच बताना, गजनी हो क्या तुम? वही बीमारी तो नही लग शायद

सुन मेरे हमसफर 127

  127    मिश्रा जी को अपने सामने खड़े थे अव्यांश थोड़ा सकपका गया। उसने नजरें चुराते हुए घबराकर कहा "पापा आप! आप यहां? आई मीन, मैं बस..........."      मिश्रा जी मुस्कुरा कर शरारत से बोले "तुम इतना क्यों घबरा रहे हो? किसी गर्लफ्रेंड का तो फोन नहीं था?"     अव्यांश नजर उठाकर मिश्रा जी की तरफ देखा तो उनके चेहरे के भाव से समझ गया कि उन्होंने कुछ नहीं सुना है। अव्यांश ने चैन की सांस ली और बोला "क्या पापा, आप भी ना! मेरी कब कौन सी गर्लफ्रेंड रही है जो अब मैं.........! मेरी टांग खींचने की आदत आपकी गई नही न! मैं बस किसी दोस्त से बात कर रहा था। उससे मिलने जाने की सोच रहा था लेकिन वह है नहीं यहां पर, तो मेरा प्लान कैंसिल हो गया। अब मैं सोच रहा था, क्यों ना हम लोग कहीं घूमने चलें? ज्यादा कुछ नहीं तो बाहर डिनर करके आएंगे।"      मिश्रा जी ने उसके कंधे पर हाथ रखा और बोले "मुझे और रेनू जी को तो तुम छोड़ ही दो। तुम और निशी चले जाओ। अभी हम लोग कहीं बाहर नहीं जा पाएंगे।"      अव्यांश ने उनका हाथ अपने कंधे से हटाकर अपने हाथ में लिया और बोला "घर से निकलेंगे नहीं

सुन मेरे हमसफर 126

  126       रस्तोगी जी ने अपनी पत्नी को डांट लगाई। "आप किचन से बाहर कैसे आईं? अंदर जाओ और सब के लिए चाय बनाकर लेकर आओ। नाश्ता कहां है?"    बबली जी अपने पति के इस व्यवहार से नाराज हो गई और पैर पटकते हुए वापस किचन में चली गई। रस्तोगी जी बोले "बबली जी के बातों का बुरा मत मानिए। उनका दिमाग थोड़ा गर्म रहता है।"    अंशु बोला "तो उनका दिमाग शांत रखने का काम आता है और यह काम आपको बहुत पहले करना चाहिए था। खैर अभी भी कुछ देर नहीं हुई। वैसे भी ये आप दोनों पति पत्नी के बीच का मामला है, इससे मुझे कोई लेना देना नहीं है। मुझे जिस चीज से लेना देना है वह है आपका यह घर।"     रस्तोगी जी हाथ जोड़कर बोले "लेकिन मेरे पास बस यह घर है। अगर इसे दे दूंगा तो फिर कहां रहूंगा? आप ऐसे नहीं कर सकते!"    अंशु मुस्कुरा कर बोला "आपको पता है, अगर इस केस में आप फंस गए तो आप को जमानत के लिए जितनी रकम चुकानी पड़ेगी, उसमें ना सिर्फ यह घर बल्कि आपके बीवी के सारे जेवर, सारे प्रॉपर्टी, इक्विटी चले जाएंगे। फिर भी आप के जमानत के पैसे इकट्ठा नहीं हो पाएंगे। अब ये आप पर है। सौदा तो महंग

सुन मेरे हमसफर 125

  125      निशी हैरानी से अपने फूफा जी को आंखे फाड़े देखे जा रही थी। जो इंसान कभी उन लोगों को अपने से बात करने के लायक नहीं समझता था, वह अपना घर निशी के नाम कर देगा, वह भी शादी का तोहफा समझकर, यह तो यकीन करने वाली बात ही नहीं थी।      निशी ने फाइल बंद की और उनके सामने रखें टेबल पर जोर से पटक कर बोली "अपना तमाशा बंद कीजिए और निकल जाइए यहां से!"      मिश्रा जी और रेनू जी घबरा गए कि कहीं रस्तोगी जी उनके घर के गिरवी होने वाली बात निशि को ना बता दे। मिश्रा जी ने निशी से कहा "निशी बेटा! तुम अपने कमरे में जाओ।"      लेकिन निशी कहां सुनने वाली थी! उसने कहा "पापा! आप इन के सामने झुक सकते हैं मैं नहीं। और मैं पूछती हूं, इनके सामने झुकना ही क्यों है? इनकी नियत और इनकी सोच किस दर्जे तक गिरी हुई है, यह मैं बहुत अच्छे से जानती हूं। आज अचानक अपनी जमीन मेरे नाम कर रहे हैं? इसके पीछे जरूर इनकी घटिया सोच ही होगी। क्योंकि बिना फायदे के ये कोई काम करते नहीं है।"      रस्तोगी जी हाथ जोड़कर बोले, "ऐसा नहीं है बेटा! तुम मुझे गलत समझ रही हो।"      निशी ऊंची आवाज़ में बो

सुन मेरे हमसफर 124

  124      निशी काफी देर से अव्यांश का फोन ट्राई कर रही थी लेकिन अव्यांश का फोन था कि लग ही नहीं रहा था। और जब लगा तो अव्यांश ने फोन उठाया ही नहीं। निशी परेशान हो रही थी और अपने कमरे में इधर से उधर टहल रही थी।      रेनू जी ने उसे ऐसे बेचैन देखा तो उन्हें खुशी हुई कि अब उनकी बेटी अपनी शादी में आगे बढ़ गई है। वो बोली "क्या हो गया है, तू इतनी परेशान क्यों है? तेरे चेहरे पर उदासी अच्छी नहीं लगती।"     निशी अपना पैर पटकते हुए जाकर सोफे पर बैठ गई और बोली "मम्मी आप ही कहते हो ना मुझे कि अव्यांश का ख्याल रखो, पति है वह तुम्हारा, ये वो 50 तरह की बातें। कब से कॉल कर रही हूं मैं उसे लेकिन मजाल है जो वो मेरा फोन उठा ले! पता नहीं कहां बिजी है! होगा अपनी किसी पुरानी गर्लफ्रेंड के साथ। मेरे बारे में कौन सोचता है! इतना सा भी परवाह नहीं करता मेरी।"     निशी ने कह तो दिया था लेकिन अपने कहे शब्दों पर उसे खुद ही पछतावा हो रहा था। वो नजरें चुराते हुए बोली "ठीक है वह मेरी केयर करता है, इनफैक्ट कुछ ज्यादा ही करता है लेकिन अभी तो नहीं कर रहा ना! इतनी देर हो गई, कमसे कम एक कॉल कर देता