सुन मेरे हमसफर 129

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   निशि का दिल किया, वह उसी फोन से अव्यांश का सर फोड़ दे। अव्यांश उसे और चिढ़ाते हुए बोला "क्या हुआ, ऐसे क्यों देख रही हो? मेरा मर्डर करने का मन कर रहा है? लेकिन तुम्हें क्या फर्क पड़ता है! और मैंने ऐसा क्या कर दिया? मैं तो बस तुम्हारी फ्रेंड से बात कर रहा था। अब यह कोई गुनाह तो नहीं है। तुम मुझे भाव नहीं देती तो कम से कम कोई तो है जो मुझे.......….."


     उसकी बात पूरी होती, उससे पहले ही निशी में गुस्से में दहाड़ कर कहा "तो जाकर मरो उसी के साथ, और निकल जाओ मेरे कमरे से!!!"


     निशि का गुस्सा देखकर अव्यांश मन ही मन हंस पड़ा। उसने अपने दोनों हाथ खड़े किए और बोला "सॉरी! सॉरी!! सॉरी!!! तुम नाराज मत हो यार। वैसे भी, हम तो सिर्फ दोस्त है ना! और लाइफ में कभी न कभी तो गर्लफ्रेंड जरूर बनेगी। बिना गर्लफ्रेंड के लाइफ में मजा कहां यार! तो क्यों न मैं तुम्हारी इस दोस्त आलिया को ही अप्रोच करूं?" बोलते हुए अव्यांश जाकर बिस्तर पर लेट गया और एक तकिए को अपनी बाहों में भर लिया।


     निशी ने गुस्से में दूसरा तकिया उठाया और उसी से अव्यांश की पिटाई चालू कर दी। दोनों की लड़ाई की आवाज है दूसरे कमरे में मौजूद मिश्रा जी रेनू जी के कानों में पड़ी। अपनी बेटी की सुखी गृहस्थी को देख दोनों की आंखें भर आई। रेनू जी बोली "भगवान जो करता है, अच्छे के लिए करते है। मैं बहुत ज्यादा डर गई थी कि हमारी निशी के साथ क्या होगा। लेकिन अब पूरा विश्वास है कि हमारी बच्ची के साथ कभी कुछ गलत नहीं हो सकता। अब उसकी रक्षा करने वाला उसका पति उसके साथ है। दोनों बस अपनी गृहस्थी को अच्छे से संभाल ले।"


   मिश्रा जी किसी और ही सोच में डूबे हुए थे। उन्होंने रेनू जी की किसी बात पर कोई रिएक्शन नहीं दिया।



*****





   कुणाल अपने सर पर हाथ रखे हॉस्पिटल के अंदर पहुंचा। कार्तिक सिंघानिया भी उसके पीछे पीछे दौड़ा और उसे कंधे से पकड़कर बोला "क्या कर रहा है तू? ऐसे जायेगा तो वो क्या समझेगी? बेवकूफ नही है जो तेरे कहने भर से मान जायेगी। तेरे सर पर चोट लगी है तू पेशेंट की तरह बिहेव कर और आराम से बैठ, मैं करता हूं कुछ।"


     कार्तिक ने ऐसे रिएक्ट किया जैसे का कुणाल को वाकई गलती से चोट लग गई हो। उसने कुणाल को रिसेप्शन के पास बैठाया और खुद जाकर रिसेप्शनिस्ट के साथ बातें करने लगा। उसने पूछा "डॉक्टर शिविका मित्तल अभी हॉस्पिटल में है क्या?"


     रिसेप्शनिस्ट ने पूछा "सर! आपकी अपॉइंटमेंट है क्या उनके साथ?"


     कार्तिक ने इनकार में सर हिला दिया और कहा "हम उनके जानने वाले हैं। वह मेरे पीछे जो आदमी बैठा हुआ ना, वह डॉक्टर शिविका मित्तल के होने वाले रिश्तेदार हैं। तो इसलिए अगर वह यहां है तो.........."


     रिसेप्शनिस्ट कंप्यूटर स्क्रीन पर कुछ चेक किया और बोली "वो तो अभी अपने केबिन में नहीं है। उनकी एक सर्जरी थी। आई होप कि अब वह खत्म हो जाएगा, या टाइम लगे कुछ कह नहीं सकते।"


     कार्तिक सिंघानिया ने पलटकर कुणाल की तरफ देखा और इशारे में उसे समझा दिया। कुणाल थोड़ा मायूस हो गया। जो सोचकर वह आया था, क्या वह पूरा नहीं होगा? बेवजह चोट लगवाली सो अलग! कुणाल अपना सर पकड़ कर बैठ गया।


    कार्तिक ने भी एक जुगाड़ लगाई और उसने पता किया कि कौन से डॉक्टर के पास सबसे ज्यादा लंबी लाइन है। उसने उसी डॉक्टर की कंसलटेंसी के लिए नंबर लगा दिया और रिसेप्शनिस्ट को प्यार से बाय बोल कर कुणाल के पास चला आया। उसके हाथ में जो पर्ची थी, उसे उसने कुणाल की तरफ बढ़ा दिया और बोला "देख ले, तेरा 25वा नंबर है। एक घंटा लगेगा तुझे।"


    कुणाल ने नाराजगी से कार्तिक की तरफ देखा और बोला "अब एक घंटा यहां वेट कर के क्या करूंगा मैं? अगर शिविका जल्दी फ्री हो गई तो फिर वह तो निकल जाएगी यहां से!"


     कार्तिक ने कुणाल के सर पर चपत लगाई और बोला "तेरा दिमाग खराब हो गया है। सच में तेरे दिमाग के पार्ट पुर्जे हिल गए हैं। लगता है चोट बहुत गहरी लगी है।"


      कुणाल इरिटेट होकर बोला "क्या बोल रहा है तू, साफ-साफ बता, ऐसे मेरा दिमाग खराब मत कर।"


     कार्तिक सिंघानिया हसते हुए बोला "खराब चीज को कोई और खराब नहीं कर सकता है। तू खुद सोच, शिविका अगर अपना काम खत्म करके घर जाएगी तो इस रास्ते से जाएगी। अब रही बात ये कि अगर 1 घंटे के अंदर उसका काम हो गया तो ठीक, वरना तुझे इसी डॉक्टर से मिलकर जाना पड़ेगा। अब भगवान से यह प्रार्थना कर कि शिविका जल्दी से फ्री हो जाए और तुझे देखकर अपने साथ ले जाए। अपने हाथों से वो तेरी ड्रेसिंग करें।"


     तभी उन दोनों के कानों में एक आवाज पड़ी "किसकी ड्रेसिंग करने की बात हो रही है?"


    कार्तिक सिंघानिया और कुणाल ने चौक का देखा तो सामने वाकई शिविका खड़ी थी। शिविका उन दोनों को यहां देख हैरान थी। उसने पूछा "क्या हुआ, क्या बात कर रहे थे आप लोग? और आप दोनों यहां क्या कर रहे हैं? अभी तो आपको पार्टी में होना चाहिए था।"


    कार्तिक और कुणाल ने मन ही मन अपना सिर पीट लिया। कार्तिक बोला "आपके हॉस्पिटल में आंखों का इलाज होता है क्या?"


     शिविका कंफ्यूज होकर बोली "हां होता है, लेकिन वह थर्ड फ्लोर पर है। आपको वहां जाना होगा।"


     कार्तिक सिंघानिया बोला "जी नहीं, मेरे लिए नहीं, मैं यह आपके लिए कह रहा हूं।"


     शिविका नाराजगी से बोली "मेरी आंखें बिल्कुल ठीक है।"


    कार्तिक बोला "अगर आपकी आंखें वाकई में ठीक है तो फिर मेरे दोस्त के सर पर लगा इतना गहरा घाव आपको नजर नहीं आया? हमारा एक्सीडेंट हो गया, इसको इतना बड़ा घाव लग गया! कैसी डॉक्टर है आप? डॉक्टर तो अपने पेशेंट के बिना कहे उसकी प्रॉब्लम समझ जाता है। आपके सामने एक पेशेंट जीता जागता खड़ा है, फिर भी आप!!!"


     शिविका ने अपने दोनों हाथ आगे कर कार्तिक को चुप रहने का इशारा किया और बोली "कितना बोलते हो आप? छोटी सी बात थी, सीधे से बोल सकते थे ना? वैसे भी किस डॉक्टर के पास जा रहे हैं आप लोग?"


     कार्तिक को डॉक्टर का नाम तो पता ही नहीं था। ना ही कुणाल को कि उसने किस डॉक्टर का अपॉइंटमेंट लिया है। दोनों की नजरें पर्ची पर गई लेकिन उसी वक्त शिविका ने उस पेपर को कुणाल के हाथ से छीना और नाम पढ़ते हुए बोली "इसकी वेटिंग लिस्ट काफी ज्यादा है। आपको काफी टाइम लग जाएगा। एक काम करो, आप लोग चलो मेरे साथ।"


     कुणाल मुस्कुराते हुए उठा और शिविका के साथ जाने को हुआ तो शिविका ने कार्तिक से पूछा "आपको भी साथ चोट लगी होगी। आप दोनों एक ही गाड़ी में थे ना?"


     कार्तिक सिंघानिया जल्दी से बोला "था, लेकिन मैंने सीट बेल्ट लगाई थी, इसने नहीं लगाई थी। इसलिए इसको चोट लग गई है। मैं ठीक हूं, आप इसको लेकर जाइए।" शिविका ने कार्तिक को छोड़ा और कुणाल को अपने पीछे आने का इशारा किया। कुणाल शिविका के पीछे पीछे चल दिया।


    शिविका उसे इमरजेंसी डिपार्टमेंट में लेकर गई और एक तरफ बैठने को कहा। कुणाल खुश हो गया। कार्तिक सिंघानिया ने जो सपने दिखाए थे, उसे वह सच होते हुए नजर आ रहे थे। अब शिविका अपने हाथों से उसकी ड्रेसिंग करेगी, यह सोचकर ही कुणाल का मन गुदगुदा गया। उसने अपनी आंखें बंद की और उस लम्हे को महसूस करने लगा।


    दो नर्म मुलायम हाथ कुणाल को अपने सर पर महसूस हुए तो उसके होठों पर मुस्कान आ गई। वह दो हाथ उसके घाव को बड़े प्यार से सहला रहे थे। कुणाल को तो गुदगुदी हो रही थी। इस वक्त वो सब कुछ भूल चुका था। ड्रेसिंग होने के बाद किसी ने उसे कहा "हो गया। अपनी आंखें खोलिए।"


    कुणाल ने आंखें खोली तो सामने खड़े इंसान को देखकर वह पीछे गिरते-गिरते बचा। उसकी ड्रेसिंग करने वाली शिविका नहीं बल्कि एक मोटी सी नर्स थी जो उसे मुस्कुरा कर देखे जा रही थी। कुणाल के होठों की हंसी एकदम से गायब हो गई। उसने नाराजगी से शिविका की तरफ देखा जो अपने फोन में कुछ टाइप करने में बिजी थी।


    उस नर्स ने कुणाल का हाथ पकड़ लिया तो कुणाल एकदम से घबराकर अपना हाथ छुड़ाने लगा। "यहां सबके सामने आप मेरा हाथ कैसे पकड़ सकती है?"


     लेकिन नर्स बोली "क्या बकवास कर रहे हैं आप? मुझे मेरा काम करने दीजिए।"


    नर्स ने अपने हाथ में एक इंजेक्शन उठाया और कुणाल को लगाने लगी। कुणाल इंजेक्शन देखकर ही चिल्लाया "नो.........! नो प्लीज!! मुझे इंजेक्शन नहीं लगवाना! प्लीज मुझे छोड़ दो, मुझे जाने दो! इसके बदले कोई दवाई दे दो।"


    कुणाल के चिल्लाने से शिविका का ध्यान उसकी तरफ गया। उसे ऐसे बिहेव करते देख शिवि खिलखिला कर हंस पड़ी। कुणाल अपना सारा डर भूल कर बस शिवि को देखता रहा।

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