सुन मेरे हमसफर 128

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    अव्यांश निशी के कमरे में आया तो देखा, निशी आईने के सामने खड़ी खुद को निहार रही थी। किसी सोच में डूबी थी शायद, इसीलिए उसे अव्यांश के वहां आने का आभास तक नहीं हुआ। अव्यांश धीरे से आगे बढ़ा और निशी को पीछे से अपनी बाहों में भर कर बोला "कहां खोई हो? मेरे बारे में तो............"


    अव्यांश के इस तरह छूने निशी बुरी तरह घबरा गई। उसने खुद को अव्यांश की पकड़ से छुड़ाने की कोशिश की और बोली "क्या कर रहे हो तुम? छोड़ो मुझे! तुमने कहा था ना कि तुम ऐसी वैसी कोई हरकत नहीं करोगे, बिना मेरी मर्जी के!"


     अव्यांश ने उसे एक झटके में अपने सामने किया और उसपर अपनी पकड़ बनाते हुए नाराज होकर बोला "अच्छा! मतलब मैं अपनी मर्जी से कुछ नहीं कर सकता लेकिन तुम बिना मेरी मर्जी कि मेरे साथ कुछ भी कर सकती हो, है ना?"


    निशी अपनी नजरें चुराते हुए बोली "तुम क्या कह रहे हो, मेरी कुछ समझ नहीं आ रहा। मैंने कब तुम्हारा फायदा उठाया है?"


    अव्यांश ने झुककर निशी की आंखों में देखने की कोशिश की और बोला "सच में? सच सच बताना, गजनी हो क्या तुम? वही बीमारी तो नही लग शायद तुम्हें? लगता है तुम्हें याद दिलाना पड़ेगा कि तुमने मेरे साथ क्या किया था।"


    निशी एकदम से घबरा गई और उसकी आंखों में देखकर बोली "नहीं, ऐसा नहीं है! देखो तुम..........!"


    अव्यांश की आंखों में आई शरारत को देख निशी ने वापस से अपनी नजर झुका ली। अव्यांश ने अपने हाथ से निशि का चेहरा ऊपर किया और उसकी आंखों में आंखें डाल कर बोला "रोज रात को तुम मेरा फायदा उठाती हो, लेकिन क्या मैंने कभी इसका बदला लिया है?" निशी कुछ कह नहीं पाई। अव्यांश ने आगे कहा "आज बिना मेरी मर्जी जाने, कितनी आसानी से तुमने अपनी हद पार कर ली! क्या उस वक्त भी एहसास नहीं हुआ कि तुम मेरा फायदा उठा रही हो? अब अगर मैं कुछ करना चाहूं तो तुम्हें लगेगा कि मैं तुम्हारा फायदा उठा रहा हूं? पत्नी हो तुम मेरी, यह हक हम दोनों का एक दूसरे पर है। अगर नहीं तो फिर जो फायदा तुमने मेरा उठाया है, उसका बदला तो मैं लेकर रहूंगा।"


      अव्यांश की आवाज इतनी मदहोशी भरी थी कि निशी को समझ नहीं आया वह क्या कह रहा है। वह बस चुपचाप उसकी बाहों में कैद उसकी बातें सुन रही थी। अव्यांश ने जैसे ही निशी के चेहरे की तरफ झुकना चाहा, निशी का फोन बजने लगा।


     निशी हड़बड़ा कर अव्यांश से अलग हुई और अपना फोन ढूंढने लगी। अव्यांश ने अपने होंठ आपस में दबा लिया और ऊपर छत की तरफ देखते हुए बोला "क्या भगवान जी! फोन ना हुआ जी का जंजाल हो गया। जिसने भी इस फोन को बनाया है वह आपके पास ही होगा। नहीं तो फिर पक्का यमराज के पास होगा। प्लीज! यमराज से कहिएगा कि उस आदमी को खौलते तेल की कढ़ाई में तल डालें, और उसका ब्रेड पकोड़ा बना डाले।"





*****





        कुणाल अपने दोस्त कार्तिक सिंघानिया के साथ दिल्ली की सड़कों पर भटक रहा था। कार्तिक ने परेशान होकर पूछा "करना क्या है तू कुछ बताएगा भी!"


     कुणाल परेशान होकर बोला "मेरी खुद समझ में नहीं आ रहा है यार मैं क्या करूं? एक और जहां मैं शिविका के करीब जाना चाहता हूं तो दूसरी तरफ कुहू और नेत्रा आपस में लड़ रही है, जबकि मैं और नेत्रा दोस्त है। इसके बावजूद वो कुहू के सामने ऐसे दिखा रही है जैसे हम रिलेशनशिप में थे। हां ठीक है, मैंने शो ऑफ किया है उसे लेकर, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हम वाकई किसी रिलेशनशिप में थे। वो मेरी लाइफ की सबसे बड़ी गलती साबित हो गई है। इस सब के बीच कुहू ने खाने पर इनवाइट किया है, तेरी समझ में कुछ आ रहा है?"


    कार्तिक सिंघानिया अपना सर खुजाकर बोला "खाने पर इनवाइट किया है ना! डेट पर इनवाइट करती तो समझ में भी आता, वो भी पूरी फैमिली के साथ। इसमें ना समझने वाली क्या बात है?"


    कुणाल ने एकदम से गाड़ी के ब्रेक पर पैर रखा जिससे गाड़ी एक झटके में रुक गई। कार्तिक सिंघानिया चिल्लया "अबे तु मारना चाहता है क्या? इस तरह गाड़ी कौन रोकता है? अभी एक्सीडेंट हो जाता, गाड़ी पलट जाती। खैर सही जगह ब्रेक मारा तूने। अगर गाड़ी पलट भी जाती तो सामने हॉस्पिटल है, हमे कुछ नही होता।"


    कुणाल को ध्यान ही नहीं रहा कि वह गाड़ी चलाते हुए कहां से कहां पहुंच गया था। उसे एहसास ही नहीं हुआ कि वह घूम फिर कर अपने मंजिल पर ही पहुंचा था। जिस हॉस्पिटल के सामने खड़ा था, वह शिविका का ही हॉस्पिटल था। कार्तिक सिंघानिया ने भी यह बात नोटिस की और बोला "तेरा सही है। ऐसी जगह गाड़ी रोकी है कि तेरा काम बन जाए।"


    कुणाल ने कार्तिक की तरफ नाराजगी से देखा और कहा "अच्छा एक बात बता! अगर शिविका पूछेगी कि मैं यहां क्या कर रहा हूं तो क्या जवाब दूंगा मैं उसे?"


     कार्तिक हंसते हुए बोला "कह देना, तेरे सिर में दर्द था और अपने सिर दर्द की दवाई लेने आया है। या फिर सच-सच बता देना उसे कि तू एक दिल का मरीज है और किसी के इश्क में गिरफ्तार है। और जिसके इस इश्क में गिरफ्तार है, वह खुद एक दिल की डॉक्टर है।" कार्तिक सिंघानिया की हंसी छूट गई। "एक दिल का मरीज, दूसरी दिल की डॉक्टर। क्या गजब की जोड़ी बनी है रे तेरी!"


     कुणाल को गुस्सा आ गया। साथ में एक आईडिया भी। उसने एक झटके से अपना सर डैशबोर्ड पर दे मारा। कार्तिक सिंघानिया अपना ही सर पकड़ कर बोला "तेरी प्रॉब्लम क्या है? यह क्या किया तूने?"


     कुणाल ने आईने में खुद को देखा, उसके सर से हल्का खून रिसने लगा था। उसने मुस्कुराकर कहा "तेरा ही आईडिया था ना! पिछली बार तू बीमार था तो मैं तुझे लेकर डॉक्टर के पास गया था। अब मुझे चोट लगी है तो जाहिर सी बात है, डॉक्टर का सारा अटेंशन मुझे ही मिलेगा।"


     कार्तिक सिंघानिया हैरान होकर बोला "तो इसके लिए तूने खुद को चोट पहुंचाया? एक झूठ बोल सकता था कि तेरे सर में दर्द है।"


    कुणाल मुस्कुरा कर बोला "दर्द तो दिल में है यार, और डॉक्टर को मेरी बीमारी का पता ही नहीं। ना ही उसे जानना है। कम से कम सर की चोट तो देख लेगी!" कुणाल ने एक झटके में अपनी सीट बेल्ट खोली और दरवाजा खोलकर बाहर निकल गया। 


    कार्तिक सिंघानिया भी उसके पीछे-पीछे बाहर निकला और बोला "तुझे पूरा यकीन है कि तेरी डॉक्टर वही होगी?" लेकिन कुणाल ने सुनी नहीं और हॉस्पिटल के अंदर चलता चला गया।



*****





     अव्यांश से बचकर निशी ने चैन की सांस ली और कॉल रिसीव कर बोली "हेलो कौन?"


     दूसरी तरफ से किसी ने कुछ कहा तो निशी के चेहरे के एक्सप्रेशन थोड़े बिगड़ से गए। फिर भी मुस्कुरा कर बोली "सॉरी आलिया! मैं तुम्हारा बर्थडे अटेंड नहीं कर पाऊंगी। वो क्या है ना, मैं तो चाह रही थी आना और चली भी आती, लेकिन मुझे थोड़ा सा काम है और मेरी थोड़ी तबीयत ठीक नहीं लग रही।"


     अव्यांश से निशी के चेहरे के एक्सप्रेशन कहां छुपते! उसने जाकर निशि का फोन उसके हाथ से लिया और स्पीकर ऑन कर दिया। दूसरी तरफ से आलिया की आवाज आई "ओ निशी! मैंने बहुत उम्मीद से तुम्हें फोन किया था। पता है, तुम्हारा नंबर चेंज हुआ इससे मुझे कितनी प्रॉब्लम हुई तुम्हारा नंबर ढूंढने में? एक बात समझ नहीं आई, अपना नंबर क्यों चेंज कर दिया? किसी से डर लग रहा था?"


     निशी ने अव्यांश की तरफ देखा तो अव्यांश ने उसे आगे कुछ बोलने का इशारा किया। निशी बोली "नहीं, वह मेरा फोन मिल नहीं रहा था और इतनी जल्दी में मैं यहां से गई कि कुछ लेने का टाइम ही नहीं मिला। वहां जाकर मुझे नया फोन मिल गया, और नए फोन के साथ नया नंबर भी। ऐसी कोई बात नहीं है।"


     आलिया बोली "चलो जो भी है, मैं बस इतना चाह रही थी कि तुम मेरी पार्टी में आओ। देखो मैं जानती हूं तुम्हारी शादी हो गई है, तुम अब बड़े घर की बहू बन गई हो लेकिन हम भी तो तुम्हारे अपने हैं ना! इसी बहाने बाकी सब से भी मुलाकात हो जाएगी। मैंने सुना तुम बेंगलुरु आई हो। वरना मैं तुम्हें कभी कॉल भी नहीं करती।"


    आलिया की आवाज से उसका घमंड साफ महसूस हो रहा था। अब हमारा अव्यांश यह कैसे बर्दाश्त कर सकता था कि उसके सामने कोई उसकी निशी को घमंड दिखाएं? निशी के मना करने से पहले ही अव्यांश ने फोन का स्पीकर ऑफ किया और कान से लगाकर बोला "हे, हाय! तुम निशी की फ्रेंड हो ना...............! मैं उसका हस्बैंड बोल रहा हूं, अव्यांश! तुम मुझे अंश भी बुला सकती हो। वैसे तुम्हारा नाम...………….....! हाय आलिया! तुम्हारी आवाज बहुत खूबसूरत है। और इससे साफ पता चल रहा है कि तुम भी अपनी आवाज के जैसी ही ब्यूटीफुल होगी.................। यही बात तो मैं उसे समझा रहा था। पता नहीं क्यों, आजकल घर से बाहर निकलना ही नहीं चाहती! तभी तो मैं उसे लेकर आया हूं। थोड़ा सा मूड चेंज होगा.............। यू डोंट वरी, मैं हूं ना! मैं उसे लेकर आऊंगा। मुझे अच्छे से पता है, लड़कियों का मूड खराब हो तो उसे शॉपिंग करवाना चाहिए। एक शॉपिंग है जिससे लड़कियां कभी नहीं थकती है और हमेशा खुश रहती है.............….। तुम चिंता मत करो, वैसे तुम्हारी पार्टी में मुझे इनविटेशन मिलेगा क्या...............? थैंक यू सो मच। और प्लीज, मुझे थैंक यू मत बोलो, मुझे भी तो निशी के किसी एक दोस्त से मिलने का मौका मिलेगा। मैं भी तो जानु कि मेरी धर्मपत्नी कितनी ज्यादा बोरिंग है और तुम कितनी ज्यादा इंटरेस्टिंग!"


     अव्यांश जानबूझकर आलिया से फ्लर्ट कर रहा था और यह देख निशी अंदर ही अंदर जल रही थी। अव्यांश ने उसे इग्नोर किया और आलिया से और भी ज्यादा फ्लर्ट करने लगा। फ्लर्टिंग में तो उसका कोई जवाब नहीं था। जब निशी से बर्दाश्त नहीं हुआ उसने गुस्से में अपना फोन अव्यांश के हाथ से छीना और आलिया को चार गालियां देने को हुई। लेकिन उसने देखा कि कॉल तो कब का कट चुका था! और अव्यांश उसे देख कर मुस्कुराए जा रहा था।

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