सुन मेरे हमसफर 131

 131





   अव्यांश निशि को लेकर घर से निकला। आलिया ने निशी को पार्टी वेन्यू की लोकेशन भेज दी थी, लेकिन वहां जाने की बजाए अव्यांश ने गाड़ी कहीं और घुमाई तो निशी बोली "हम लोग इधर क्यों जा रहे हैं? यहां से यू-टर्न लेने में काफी टाइम लग जाएगा। तुम गलत रास्ते पर जा रहे हो।"


     निशी ने उसे नेविगेशन दिखाया लेकिन अव्यांश ने उसका फोन एक तरफ किया और बोला "हम इस वक्त कहीं और जा रहे हैं। और कहां जा रहे हैं इस बारे मैं पूछना मत। तुम बस चलो मेरे साथ।" निशी कुछ पूछ ना पाई। कुछ बोलने से पहले ही अव्यांश ने उसका मुंह बंद करवा दिया था।


    कुछ देर के बाद अव्यांश ने गाड़ी एक बड़ी सी बिल्डिंग के आगे रोकी। निशी ने उस बिल्डिंग की तरफ देखा तो हैरान होकर बोली "हम यहां क्यों आए हैं? पता है यहां अपॉइंटमेंट के लिए कितनी लंबी लाइन लगती है! और ये बहुत महंगा भी है।"


     अव्यांश ने उसके किसी बात पर कोई रिएक्शन नहीं दिया और दरवाजा खोलकर बाहर निकल गया। निशी गाड़ी में ही बैठे रह गई। अव्यांश ने उसके साइड का दरवाजा खोला और कहा "बाहर निकलो तो! पार्टी में जाना है या नहीं?"


    निशी ना चाहते हुए भी गाड़ी से बाहर निकली। अव्यांश उसका हाथ पकड़ कर उस बिल्डिंग में दाखिल हो गया। टॉप फ्लोर पर पहुंचकर अव्यांश सलोन के अंदर घुसा तो उस सलोन की मैनेजर सामने से चलकर आई, जैसे उसी का इंतजार कर रही हो और ऐसा था भी।


     उस लड़की ने सर झुका कर अव्यांश से कहा "वेलकम सर! हम आपका ही इंतजार कर रहे थे।"


    अव्यांश ने निशि का हाथ छोड़ा और उसकी तरफ इशारा करके उस मैनेजर से बोला "यह रही मैडम। आप लोगो को जो करना है आराम से कीजिए, हमारे पास बहुत टाइम है।"


     निशी ने कुछ सुना नहीं। वो तो बस चारों तरफ देखे जा रही थी। वो सैलून पूरे बिल्डिंग में बना था और टॉप फ्लोर कुछ खास कस्टमर के लिए था। वहां की एक एक चीज इतनी यूनिक और इंपोर्टेड थी कि निशी बस वहां के इंटीरियर को देखती रह गई थी। मैनेजर ने निशी को आवाज लगाई और कहा "मैम! आप चलिए हमारे साथ।"


     निशी ने जब उसके किसी बात का जवाब नहीं दिया तो अव्यांश ने निशी को कंधे से पकड़ा और उसे मैनेजर की तरफ हल्का सा पुश किया। निशी होश में आई झेंपते हुए मैनेजर के साथ चली गई। अव्यांश वहीं सोफे पर आराम से बैठकर निशि का इंतजार करने लगा।




*****






शिविका कुणाल के साथ हॉस्पिटल से बाहर निकली तो उसने पूछा "आपकी गाड़ी कहां है? और साथ में आपका दोस्त, वो कहीं नजर नहीं आ रहा?"


    कुणाल के जवाब देने से पहले ही कार्तिक सिंघानिया ने उसे आवाज लगाई और बोला "हेलो! मैं यहां हूं।" फिर वह कुणाल से बोला "तेरा हो गया तो हम चले?"


      शिविका ने कार्तिक सिंघानिया से पूछा "आज की पार्टी में तो आप इनवाइटेड होंगे!"


     कार्तिक अपनी कॉलर चढ़ाकर बोला "बिल्कुल! इसलिए तो हम तैयार होकर निकले थे। है ना कुणाल?" कुणाल बस मुस्कुरा दिया। कार्तिक के पास गाड़ी की चाबी थी। उसने कहा "ड्राइविंग मैं करूंगा। चल मेरे साथ।" और बिना कुणाल का इंतजार किए वह सीधे जाकर गाड़ी में बैठ गया।


    साथ खड़ी शिवि ने उस गाड़ी को अच्छी तरह से चेक किया और बोली "आप लोगों का तो एक्सीडेंट हुआ है ना? तो फिर गाड़ी में जरा सा भी डेंट क्यों नहीं है?"


    कुणाल ने इस सवाल का जवाब सोचा ही नहीं था। उसे मन ही मन कार्तिक सिंघानिया पर गुस्सा आ रहा था कि जब वह इतनी देर से शिवि के साथ था तो उसे गाड़ी लेकर वहां से निकल जाना चाहिए था। अब शिविका के सामने वह कार्तिक को कैसे डांटे? इसीलिए उसने मासूमियत से कार्तिक की तरफ देखा तो कार्तिक सारी बातें समझ कर जल्दी से बोला "अरे यार! इतना भी कोई बड़ा एक्सीडेंट नहीं हुआ था जो गाड़ी में डेंट पड़े। आप क्या चाहती हो कि हमारा ऐसा एक्सीडेंट होना चाहिए था कि हमारे परखच्चे उड़ जाए?"


     शिविका भी जल्दी से बोली "बिल्कुल नहीं। मैं तो बस गाड़ी की हालत और आप दोनों की हालत देख रही थी। चलो कोई बात नहीं, आप लोग अपनी गाड़ी से आइए, मैं भी घर के लिए निकलती हूं।"


    शिविका उन दोनों को वही बाहर छोड़, पार्किंग की तरफ बढ़ने लगी। अपनी प्लानिंग फेल होते देख कुणाल ने हेल्प के लिए कार्तिक की तरफ देखा। कार्तिक ने उसे इशारा किया तो कुणाल जल्दी से आगे आकर शिविका का रास्ता रोक लिया।


     शिवि के पैर में एकदम से ब्रेक लग गए और वह घबराकर रुक गई। उसने अपने दिल पर हाथ रखा और चिल्लाई, "क्या है यह? जरा सी भी तमीज नहीं बची है आपमें?"


    कुणाल मासूमियत से बोला "सॉरी! मैं आपको डराना नहीं चाहता था। वह क्या है ना, मुझे इसकी ड्राइविंग पर भरोसा नहीं है। अभी अभी उसकी वजह से इतनी बड़ी चोट लगी है मुझे। अगर फिर से कुछ हो गया तो मेरी देखभाल कौन करेगा? जब मंजिल एक है तो क्या मैं आपके साथ चल सकता हूं?"


    शिवि ने पीछे पलट कर कार्तिक सिंघानिया की तरफ देखा और बोली "आपका एक्सीडेंट हुआ क्योंकि आपकी गलती थी। आपने सीट बेल्ट नहीं लगाया था। और जिसने एक्सीडेंट किया उसने सीट बेल्ट लगा रखी थी, इसलिए उसे कुछ नहीं हुआ। अपनी गलती का ठीकरा किसी और के सर पर मत फोड़िए मिस्टर कुणाल रायचंद!" शिवि कुणाल को अवॉइड कर वहां से चली गई।


   कुणाल की सारी प्लानिंग पर पानी फिर गया। उसने गुस्से में कार्तिक की तरफ देखा और उसकी गर्दन पकड़ ली "यह सब तेरी वजह से हो रहा है। किसने कहा था तुझे यहां पर रुकने के लिए?"


    


*****



नेत्रा पूरी डेकोरेशन को देख रही थी। कुहू उसके पास आई और बोली "अच्छा लग रहा है ना! बिल्कुल वैसा ही जैसा कुणाल को पसंद है!"


    नेत्रा मुस्कुराई और बोली "हां! कुणाल को लाइटिंग बहुत पसंद है। स्पेशली, जगह जगह जो ब्लू लाइटिंग होती है, उसे कुछ ज्यादा ही पसंद है। लेकिन सॉरी! तुमने तो वह कलर यूज़ ही नहीं किया।"


     कुहू को गुस्सा आया। लेकिन अपने होठों पर मुस्कान ला कर बोली "इंसान की पसंद चेंज होती रहती है।"


    नेत्रा ने भी जवाब दिया "हां! लेकिन कुछ पसंद कभी बदलती नहीं है। कुछ आदतें हमारी हमेशा बनी रहती है। जैसे कि तुम, जिसे सिर्फ दूसरों का अटेंशन चाहिए। जिसके लिए तुम कुछ भी कर सकती हो। आज का ही देख लो! बिना मतलब, बिना किसी ऑकेजन के तुमने आज पार्टी रख दी किसी ने पूछा नहीं तुमसे?"


     कुहू के होठों की सारी मुस्कान गायब हो गई। उसने नेत्रा को धमकाते हुए कहा "कुणाल से दूर रहो नेत्रा! मैं बहुत अच्छे से समझ रही हूं तुम क्या करने की कोशिश कर रही हो। लेकिन इतना जान लो, मैं तुम्हारी परछाई भी कुणाल पर बर्दाश्त नहीं कर पाऊंगी, और अगर मेरे हाथों कुछ हो गया तो शायद तुम बर्दाश्त ना कर पाओ।"


    नेत्रा मुस्कुरा कर बोली "तुम कोशिश क्यों नहीं करती? कुणाल पर ही छोड़ दो यह सब, वह डिसाइड करेगा कि उसे किसके साथ रहना है।"


     कुहू एक कदम आगे आई और बोली "वह मुझसे प्यार करता है। अगर ऐसा नहीं होता तो वह इस रिश्ते के लिए कभी तैयार नहीं होता। इतना तो तुम भी जानती हो उसको।"


    नेत्रा की मुस्कान थोड़ी और बड़ी हो गई। उसने कहा "सच में क्या? कुणाल ने खुद आकर तुमसे यह बात कही है?"


     कुहू चुप हो गई क्योंकि उसके पास उसका कोई जवाब नहीं था। नेत्रा ने फिर पूछा "क्या बात है, कुणाल ने तुम्हें प्रपोज किया है? मेरा मतलब, तुम्हें आई लव यू बोला या कुछ ऐसा किया तुम्हारे लिए जो स्पेशल हो? या फिर तुम्हारे घर वालों से तुम्हारा हाथ मांगा, क्या किया है उसने तुम्हारे लिए? उसके साथ डेट पर गई हो?"


    कुहू के पास इन सवालों का कोई जवाब नहीं था। लेकिन वह नेत्रा से हारना नहीं चाहती थी और ना ही कभी हार सकती थी। उसने पूरे कॉन्फिडेंस से कहा "चाहे कहा हो या ना कहा हो, लेकिन सच तो यही है ना कि कुणाल के साथ मेरी सगाई हो चुकी है! सगाई में उसने मेरे लिए क्या किया था, ये सब ने देखा था और यह तुम्हें भी जानने की जरूरत है। इसलिए अपने ख्याली पुलाव को चूल्हे पर से उतार दो। अगर तुम्हें लगता है कि वह मुझे छोड़कर तुम्हें पसंद करेगा तो यह तुम्हारी बहुत बड़ी गलतफहमी है।"


     अब नेत्रा को हंसी आ गई। उसने हंसते हुए कहा "सच में? और तुम कह रही हो कि तुम कुणाल को बहुत अच्छे से जानती हो! अगर तुम वाकई उसे इतनी अच्छी तरह जानती हो तो फिर तुम्हें यह भी पता होना चाहिए कि कुणाल को किस तरह की लड़कियां पसंद है। और तुम्हें यह भी पता होना चाहिए कि तुम उन लड़कियों में से बिल्कुल नहीं हो जिन्हें कुणाल पसंद करता है। मेरी तो अब तक समझ नहीं आ रहा कि आखिर कुणाल ने इस रिश्ते के लिए हां की तो कैसे की? बेचारा कुणाल! जरूर किसीने उससे मजबूर किया होगा।"


     कुहू उसे उंगली दिखाते हुए बोली "अपनी जुबान बंद रखो! तुम बस जलती हो मुझसे और कुछ नहीं।"


    नेत्रा ने अपनी हंसी कंट्रोल की और कहा "वाकई में, मैं तुमसे जलती हूं। क्योंकि तुम्हारे पास वह भी है जो सिर्फ मेरा है। लेकिन फाइनली अब मुझे खुशी है क्योंकि तुम्हारे पास कुणाल नहीं है। भले जी तुम दोनों की सगाई हो चुकी है तो क्या? वह तुमसे प्यार नहीं करता। देखा मैंने कल, कितना प्यार है तुम दोनों के बीच। कुणाल तुम्हें अवॉइड कर रहा था। इसका साफ मतलब है। अगर तुम आंखों पर पट्टी बांधकर इस सच से छुपना चाहती हो तो यह तुम्हारी प्रॉब्लम है, मेरी नहीं। और तुम किस पर अपना हक जता रही हो, जिस पर तुम्हारा कोई हक ही नहीं? मैंने कहा ना, ये सब कुणाल पर छोड़ देते हैं। 

वह डिसाइड करेगा कि उसे हम दोनो में से किसके साथ रहना है। आखिर वह भी एक इंसान है।"


टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सुन मेरे हमसफर 272

सुन मेरे हमसफर 309

सुन मेरे हमसफर 274