सुन मेरे हमसफर 127

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   मिश्रा जी को अपने सामने खड़े थे अव्यांश थोड़ा सकपका गया। उसने नजरें चुराते हुए घबराकर कहा "पापा आप! आप यहां? आई मीन, मैं बस..........."


     मिश्रा जी मुस्कुरा कर शरारत से बोले "तुम इतना क्यों घबरा रहे हो? किसी गर्लफ्रेंड का तो फोन नहीं था?"


    अव्यांश नजर उठाकर मिश्रा जी की तरफ देखा तो उनके चेहरे के भाव से समझ गया कि उन्होंने कुछ नहीं सुना है। अव्यांश ने चैन की सांस ली और बोला "क्या पापा, आप भी ना! मेरी कब कौन सी गर्लफ्रेंड रही है जो अब मैं.........! मेरी टांग खींचने की आदत आपकी गई नही न! मैं बस किसी दोस्त से बात कर रहा था। उससे मिलने जाने की सोच रहा था लेकिन वह है नहीं यहां पर, तो मेरा प्लान कैंसिल हो गया। अब मैं सोच रहा था, क्यों ना हम लोग कहीं घूमने चलें? ज्यादा कुछ नहीं तो बाहर डिनर करके आएंगे।"


     मिश्रा जी ने उसके कंधे पर हाथ रखा और बोले "मुझे और रेनू जी को तो तुम छोड़ ही दो। तुम और निशी चले जाओ। अभी हम लोग कहीं बाहर नहीं जा पाएंगे।"


     अव्यांश ने उनका हाथ अपने कंधे से हटाकर अपने हाथ में लिया और बोला "घर से निकलेंगे नहीं तो सारी परेशानियां दूर कैसे होंगी? परेशानियों को अपने सर पर रख कर रोने से जिंदगी बहुत बोझिल लगने लगती है। दादी कहती है, चाहे कितनी भी परेशानी हो, हमेशा मुस्कुरा कर उनका सामना करो ताकि बड़ी से बड़ी परेशानियां भी छोटी लगने लगे और तुम्हारे पास आने से डरे।"


     मिश्रा जी अव्यांश की दादी से जब भी मिले, उनसे इंप्रेस हुए बिना ना रह पाए थे। उनके बारे में मिश्रा जी ने बहुत कुछ सुना था। कितनी मुसीबत से लड़कर उन्होंने अपने परिवार को बचाया था, उनकी जितनी तारीफ की जाए उतनी कम थी।


    मिश्रा जी बोले "मैं जानता हूं। लेकिन आज रहने दो, तुम दोनों घूम आओ, हम लोग कल चलेंगे।"


     अव्यांश मायूस होकर बोला "लेकिन हम तो कल जा रहे हैं। 1 दिन के लिए आया था, वो काम हो गया तो अब लौटना पड़ेगा।"


    मिश्रा जी ने अव्यांश के दोनों बाजुओं को पकड़ा और बोले "जिंदगी बहुत लंबी है बेटा। आज नहीं तो किसी और दिन सही। ये घर तुम्हारा है और हम तुम्हारे।" अव्यांश ने भी मुस्कुरा कर अपनी गर्दन हिलाई।




*****





    आज के डिनर के लिए कुहू ने कुछ खास प्रोग्राम बनाया था और घर में सब को इनवाइट किया था। सबको कहने का मतलब पूरे मित्तल परिवार को। काव्या को कुहू की हरकत कुछ समझ नहीं आई। लेकिन जहां सबके साथ बैठकर खाने की बात थी तो उसे हमेशा से ही अच्छा लगता था। लेकिन अचानक से कुहू ने ये प्लान बनाया, जो थोड़ा अजीब था उसके लिए। क्योंकि जब भी कुहू को ऐसा कुछ आइडिया आता था तो वह खुद मित्तल हाउस चली जाती थी। और खासकर चारों बहनों का अलग ग्रुप चलता था।


      सुबह नाश्ते की टेबल पर नेत्रा और कुहू के बीच की तल्खी सबको नजर आई, जैसा कि हमेशा नजर आती रही है। लेकिन इस बार ये टकराव कुणाल को लेकर था। घर में किसी को भी नेत्रा और कुणाल के दोस्ती से कोई एतराज नहीं था। लेकिन क्या वाकई कुहू थोड़ा ओवर रिएक्ट कर रही थी?


    डिनर में कुहू ने खासतौर पर नेत्रा को इनवाइट किया था और उसके सामने वो ये साबित करना चाहती थी कि कुणाल को वो सबसे ज्यादा अच्छे से जानती है। कुहू ने डिनर का सारा अरेंजमेंट उसने पीछे वाले गार्डन में किया था जहां उसने सारी लाइटिंग खुद से की थी। अवनी और सिद्धार्थ ने जब पूरा डेकोरेशन देखा तो वह भी तारीफ किए बिना ना रह पाए।


    सिद्धार्थ बोले "आज तो हमारी बेटी ने कमाल कर दिया। वाकई बहुत खूबसूरत लग रहा है। मतलब इतनी सारी लाइटिंग! खाने के साथ-साथ कीड़ों को आमंत्रण भी मिल जाएगा।"


     कुहू जो अभी अपनी तारीफ सुनकर फूली नहीं समा रही थी, अचानक से सिद्धार्थ की आखिरी लाइन सुनकर उसके चेहरे की सारी खुशी गायब हो गई और उसने नाराज होकर कहा "बड़े पापा! आप तारीफ कर रहे हैं या बुराई?"


    सिद्धार्थ हंसते हुए बोले "जो तुम समझो। मैंने तो बस सच बोला है। सच यह है कि लाइटिंग बहुत अच्छी लग रही है और दूसरा सच ये भी है क्योंकि मौसम चेंज हो रहा है तो जाहिर सी बात है कीड़े तो आयेंगे ही।"


     कुहू मायूस होकर बोली "ठीक है, मैं थोड़ी सी लाइटिंग कम कर दे रही हूं।"


    श्यामा ने ये सब सुना तो कुहू का हाथ पकड़ कर बोली "इसकी जरूरत नहीं है। तुम्हारे बड़े पापा बस तुम्हारी टांग खिंचाई कर रहे है।" फिर उन्होंने सिद्धार्थ को डांटते हुए कहा "आप भी ना! देखिए, बच्ची के चेहरे की सारी रौनक गायब हो गई।"


    कुहू का चेहरा देखकर सिद्धार्थ हंसते हुए बोले "अरे भाई मैं तो मजाक कर रहा था। तुम भी ना, सीरियस हो गई। इतनी छोटी सी बात पर कोई अपना चेहरा लटकाता आता है क्या? चलो अब जल्दी से मुस्कुरा दो।" सिद्धार्थ ने कुहू के कंधे पर हाथ रखा और मुस्कुराने का इशारा किया।


    कुकू भी मुस्कुरा उठी। वह तो घबरा गई थी कि नेत्रा के सामने उसका मजाक बनकर रह जाएगा। अगर यहां बात कुणाल की ना होती तो कुहू को कभी इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। कुहू ने आज खासतौर पर सफेद रंग की वन शोल्डर गाउन पहन रखी थी जो उसके पूरे पैर तक आ रहे थे। बाकी सब अपने नॉर्मल अटायर में थे।


     सुहानी और काया ने जब कुहू को इस अवतार में देखा तो हैरान होकर बोली "इतना सज धज कर आप बैठे हो, वह भी घर में! यह बात कुछ हजम नहीं हुई। आज कुछ खास बात है क्या?"


    काया बोली "हां! अगर कुछ खास बात है तो हमें बता देती आप, हम भी थोड़ा अच्छे से तैयार हो लेते।"


     कुहू जबरदस्ती मुस्कुरा कर बोली "नहीं ऐसा कुछ नहीं है। बस मेरा मन किया यह ड्रेस पहनने का तो मैंने पहन लिया। क्यों, अच्छा नहीं लग रहा?"


     सुहानी और काया, दोनों कुहू पर टूट पड़ी और बोली "बहुत खूबसूरत लग रहा है।"


    कुहू ने भी दोनों को गले से लगा लिया। लेकिन उसकी नजर तो दरवाजे पर टिकी थी। उसे नेत्रा के आने का इंतजार था। और कुणाल भी तो अभी तक नही आया था।


     सुहानी ने यह बात नोटिस की और पूछा "क्या हुआ दी? किसी का इंतजार है आपको?"


   काया भी इस समय कहां पीछे रहने वाली थी! उसने कुहू को चिढ़ाते हुए कहा "और किसका, कुणाल जीजू का इंतजार कर रही होगी! आखिर अभी तक आए नहीं है वो।"


      कुहू मुस्कुरा उठी लेकिन अगर वो सीधे से नेत्रा का नाम लेती तो सब को शक हो जाता। इसलिए उसने बहाना बनाया "नही मैं कुणाल के बारे में नही सोच रही थी। मैं तो बस वो, शिवि! शिवि कहां है?"


     सुहानी बोली "बस करो दी, हमें सब पता है। जीजू के बिना आपका मन नहीं लगता। वैसे एक बात यह भी है, कल पूरा दिन जीजू हमारे साथ थे। रात का खाना भी हमारे साथ खाया। अब आज रात भी वह यहां आने वाले हैं। कहीं ऐसा ना हो कि आप की सासू मां आपको ताना देने लगे कि शादी से पहले ही आपने उनके बेटे को उन से अलग कर दिया है। आई मीन जीजू कुछ ज्यादा ही आपके साथ टाइम स्पेंड नहीं करने लगे, अचानक से?"


     कुहू का ध्यान इस तरफ गया ही नहीं था। होलिका दहन में भी कुणाल मौजूद था। होली के पूरे दिन कुणाल घर नहीं गया और आज भी यहां आने के लिए तैयार हो गया। जबकि इससे पहले कुहू जब भी कुणाल को फोन करती, कुणाल से कभी बात नहीं हो पाती थी। कुणाल शायद ही कभी उसका कॉल अटेंड करता। और मिलना तो दूर की बात थी। लेकिन पिछले कुछ दिनों में कुणाल का आना जाना काफी बढ़ गया था, लेकिन मित्तल हाउस में। कुहू ने अपनी दोनों बहनों को एक्सक्यूज मी कहा और वहां से किसी काम के बहाने दूसरी तरफ चली गई।


     डेकोरेशन चेक करते हुए कुहू मन ही मन बोली 'क्या मैं कुछ ज्यादा सोच रही हूं, या फिर............! नेत्रा जानबूझकर कुणाल पर अपना हक जता रही है या कुणाल की नज़रों में शिवि है? कुछ समझ नहीं आ रहा मैं क्या करूं क्या? क्या वाकई मुझे कुणाल से बात करनी होगी? अगर उसने साफ-साफ कह दिया कि वह मुझसे प्यार नहीं करता तो मैं क्या करूंगी? नहीं! मुझे ऐसा कुछ सुनना ही नहीं है। चाहे जो भी हो, मैं कुणाल को खुद से दूर नहीं जाने दूंगी।' कुहू ने अपनी आंखों में आई नामी को अपनी आंखों में दबा लिया और अपने होठों पर मुस्कान ओढ़ कर सब के बीच चली आई।


     इस वक्त ना कुणाल, न नेत्रा और ना ही शिविका वहां मौजूद थे।

टिप्पणियाँ

  1. Kuhu ko ab samajhna chahiye rishte me thodi azadi v deni chahiye...usko kunal se bat karni chahiye..kunal ko v kuhu se bat karni chahiye ..bad me kuhu ki hi sabse jyada pareshani hogi ..
    Superb part..

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