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जून, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

सुन मेरे हमसफर 109

  109     बड़ी मुश्किल से काया की जान छूटी थी। सुहानी ने जब बात की दिशा दूसरी तरफ मोड़ दी तब जाकर काया ने चैन की सांस ली और जब सभी आपस में बात करने में व्यस्त हो गए तो उसने धीरे से वहां से खिसकना ही सही समझा।      उसकी नजर बार बार कार्तिक की तरफ जा रही थी जो अपने फोन में बिजी था। काया ने मन ही मन उसे गालियां देते हुए कहा 'सबके सामने ऐसे बन रहा है जैसे कितना शरीफ हो। अकेले में मेरे साथ जो बदतमीजी करता है, काश मेरे पास उसका कोई सबूत होता तो इसे खड़े खड़े नंगा कर देती। लेकिन कुछ कहूंगी तो सब मुझ पर ही उंगली उठाएंगे। बहुत बड़े कमीने हो तुम मिस्टर ऋषभ सिंघानिया!' काया चुपचाप से गार्डन के दूसरी तरफ जाने लगी लेकिन एकदम से किस ने उसका हाथ पकड़ कर रोक लिया। ऋषभ के होने के एहसास से ही काया घबरा गई। *****     सबके बीच खड़ा कुणाल वहां खुद को अकेला महसूस कर रहा था। सभी आपस में बातें कर रहे थे। कुहू भी उसके साथ खड़ी उसका हाथ पकड़े हुए थी। लेकिन कुणाल का मन तो कहीं और ही था। उसने चारों तरफ नजर दौड़ाई, उसकी नजरों ने शिवि का पीछा किया। शिवी इस वक्त पार्थ के साथ होलिका दहन के लिए जमा किए लकड़ियो

सुन मेरे हमसफर 108

  108      कायरा इस आवाज को कैसे भूल सकती थी उसने घबराते हुए अपने चारों तरफ नजर दौड़ाई और कहा, "तुम....! तुम्हें कैसे पता मैंने क्या पहन रखा है और कौन से कलर का?"   ऋषभ हंसते हुए बोला "मैंने तो फिलहाल सिर्फ इतना ही कहा है कि मुझे पता था, तुम साड़ी में बहुत अच्छी लगोगी। अभी तो मैंने बताया ही नहीं कि तुमने कौन से कलर का पहना है! वैसे वह कलर मेरा फेवरेट है, तुम्हें पता है? तुम्हें कैसे पता होगा! तुमने कभी मुझे जानने की कोशिश ही नहीं की। और एक मुझे देख लो। मुझे देखकर ही तुम इस तरह भागी जैसे मैं कोई भूत हूं। वैसे एक बात है, तुम जब भी आंखें बंद करोगी, मुझे ही महसूस करोगी।"      काया गुस्से में चिल्ला कर बोली "तुम एक नंबर के घटिया इंसान हो। हिम्मत कैसे हुई तुम्हारी, मेरे साथ वो सब करने की!"      ऋषभ ने हंसते हुए मासूमियत से जवाब दिया "मैंने! मैने क्या किया? अच्छा वो! उसके लिए तो तुमने खुद मुझे परमिशन दिया था। पहली बार जो हुआ वह अचानक से था, इसलिए मैंने तुमसे पूछ नहीं पाया था। लेकिन इस बार मैंने तुमसे पूछा था और तुमने हां कहा था। बिना परमिशन के मैंने कुछ नहीं

सुन मेरे हमसफर 107

  107      शिवि ने पार्थ का मजाक उड़ाते हुए कहा "तुझे मेरी मॉम से इतना डर क्यों लगता है?"      पार्थ ने तिरछी नजर से श्यामा की तरफ देखा और शिवि से बोला "यह तू वाकई में सवाल पूछ रही है?"      शिवि अपनी मां के लिए प्यार जताते हुए बोली "देखो, कितनी प्यारी है मेरी मां। और एक तू है कि उनको किसी गब्बर सिंह की तरह ट्रीट करता है।"     पार्थ ने शिवी की बात का मजाक बनाया और कहा, "अच्छा! बहुत प्यारी है तेरी मां? बोल तो उन्हें अपनी सास बना लूं?"      शिवि ने भी उसी तरह सवाल पूछा तू झेल पाएगा ऐसी सास?"      पार्थ में अपने होठों पर एक उंगली रखी और सोचते हुए बोला "यह बात तो तेरी एकदम सही है। तेरे पापा उनको झेल लेते है, यही बहुत बड़ी बात है।"    शिवि ने नाराजगी से पार्थ को देखा और एक पंच उसके पेट में जड़ दिया। कुणाल उन दोनो की बातें सुन रहा था। उसके चेहरे के भाव कुछ अच्छे नहीं थे। कुहू ने पूछा "क्या हुआ कुणाल, सब ठीक तो है?"      कुणाल मुस्कुरा कर बोला "कुछ नहीं।" फिर कुछ सोच कर बोला, "ये लड़का कौन है? शिवि के काफी करीब ल

सुन मेरे हमसफर 106

 106      निर्वाण अपने कमरे में कपड़े बदलकर तैयार हो रहा था। इतने में शिवि उसके कमरे में पहुंची और अंदर से दरवाजा बंद कर दिया। निर्वाण ने पहले तो हैरानी से उसकी तरफ देखा, फिर बोला "मैं जानता हूं आप मुझसे क्या जानना चाहती हैं।"    शिवि आराम से उसके सामने खड़े होकर बोली "देख नीरू! हम दोनों ही अपनी बहन के लिए परेशान है और हम दोनों ही अपनी बहन के साथ कुछ गलत होते हुए नहीं देख सकते। नेत्रा ने खुद कहा है कि वह कुणाल के साथ रिलेशनशिप में नहीं थी और ना ही कुणाल ने कभी उसकी तरफ कदम बढ़ाया।"     निर्वाण उसकी बात को बीच में काटते हुए बोला "दी! माना नेत्रा के साथ उसका रिश्ता वैसा नहीं था जैसा मैंने सोचा था। फिर भी इसका मतलब यह तो नहीं हो जाता कि कुणाल एक बहुत अच्छा इंसान है और वह हमारी बहन को खुश रखेगा। कुहू दी और नेत्रा के बीच चाहे जो भी प्रॉब्लम्स रही हो, लेकिन मेरे लिए तो दोनों एक जैसी है। जब काव्या मां ने हमें अपने बच्चों की तरह प्यार किया है, तो हम कैसे उन्हें अपना ना माने! मेरी समझ में नहीं आता उस इंसान ने आप पर क्या जादू कर दिया है जो आप उसकी साइड ले रहे हो?"  

सुन मेरे हमसफर 105

 106      निर्वाण अपने कमरे में कपड़े बदलकर तैयार हो रहा था। इतने में शिवि उसके कमरे में पहुंची और अंदर से दरवाजा बंद कर दिया। निर्वाण ने पहले तो हैरानी से उसकी तरफ देखा, फिर बोला "मैं जानता हूं आप मुझसे क्या जानना चाहती हैं।"    शिवि आराम से उसके सामने खड़े होकर बोली "देख नीरू! हम दोनों ही अपनी बहन के लिए परेशान है और हम दोनों ही अपनी बहन के साथ कुछ गलत होते हुए नहीं देख सकते। नेत्रा ने खुद कहा है कि वह कुणाल के साथ रिलेशनशिप में नहीं थी और ना ही कुणाल ने कभी उसकी तरफ कदम बढ़ाया।"     निर्वाण उसकी बात को बीच में काटते हुए बोला "दी! माना नेत्रा के साथ उसका रिश्ता वैसा नहीं था जैसा मैंने सोचा था। फिर भी इसका मतलब यह तो नहीं हो जाता कि कुणाल एक बहुत अच्छा इंसान है और वह हमारी बहन को खुश रखेगा। कुहू दी और नेत्रा के बीच चाहे जो भी प्रॉब्लम्स रही हो, लेकिन मेरे लिए तो दोनों एक जैसी है। जब काव्या मां ने हमें अपने बच्चों की तरह प्यार किया है, तो हम कैसे उन्हें अपना ना माने! मेरी समझ में नहीं आता उस इंसान ने आप पर क्या जादू कर दिया है जो आप उसकी साइड ले रहे हो?"  

सुन मेरे हमसफर 105

 105      निशी बुरी तरह डर गई। उसने अव्यांश की पकड़ से खुद को छुड़ाने की कोशिश की और बोली "अव्यांश प्लीज! हम तो दोस्त है ना! ऐसी वैसी कोई हरकत मत करना"      लेकिन अव्यांश ने उसे अपने और करीब कर लिया। निशी अंशु की आंखों में देखते हुए अपनी सारी कोशिशें बंद कर दी और खुद को ढीला छोड़ दिया। उसने कहा, "अ......... अव्यांश!"     अव्यांश उसकी आंखों में देखते हुए बोला "बस तुम मेरा नाम लेती रहो, मुझे और कुछ नहीं चाहिए।"     निशी अव्यांश की बात समझ नहीं पाई। उसने पूछा "क्या?"      अव्यांश ने फिर कहा "तुम बस मेरा नाम लेती रहो। मेरा नाम तुम्हारी हर सांस में बस जाना चाहिए। मेरे नाम से तुम्हारा दिल धड़के, तुम्हें सिर्फ मेरा नाम याद हो जब भी मैं तुम्हारे करीब आऊं। तुम्हारी जुबान पर बस मेरा नाम हो।"     अव्यांश ने निशी की कमर पर हाथ रखा और उसे अपने एकदम करीब खींच लिया। निशी तो जैसे सब कुछ भूल कर अव्यांश की आंखों में खो गई। वो भूल ही गई कि अभी वह अव्यांश की गोद से उतरने की कोशिश कर रही थी। उसने जो कुछ भी कहा, निशी ने शायद सुना ही नहीं। निशी ने एक बार फिर

सुन मेरे हमसफर 104

 104       अंशु निशि को लेकर कमरे से बाहर निकला तो देखा, सारे लोग हॉल में इकट्ठा थे और सभी की नजरें उन्हीं दोनों पर टिकी थी। सीढ़ियों पर से उतरते हुए अंशु ने निशी का हाथ पकड़ लिया।     निशी उसकी इस हरकत पर पहले तो थोड़ा चौंक गई फिर सबकी तरफ उसका ध्यान गया। अंशु ने धीरे से कहा "डॉन्ट वरी! बस थोड़ी देर। और वैसे भी, मैं तुम्हारा हस्बैंड हूं, हक है मेरा ये सब करने का। लेकिन फिलहाल सब लोग हमें ही देख रहे हैं इसलिए अपने होठों पर बड़ी सी स्माइल चिपकाओ और चलो।"      जाने की बात सुनकर निशी थोड़ा सा डरते हुए पूछा "कहां जाना है हमें?"     अंशु मुस्कुराते हुए सामने देख कर बोला "बताया तो था, घरवाले चाहते हैं कि इस घर में नन्हे मुन्ने की किलकारियां सुनने को मिले। भाई की शादी तो अभी तय ही हुई है और हमारी हो चुकी है। जब हमारी शादी पहले हुई है तो फिर यह रिस्पांसिबिलिटी भी तो हमारी बनती है ना? इसीलिए मैंने सोचा, चलो आज रात हम इस रिस्पांसिबिलिटी को निभाते है।"     निशी थोड़ा और घबरा गई और उसने अंशु की पकड़ से हाथ छुड़ाने की कोशिश की। लेकिन यह उसके बस का नहीं था। अंशु ने और भ

सुन मेरे हमसफर 103

  103     कुणाल ने देखा, शिविका समर्थ के साथ चली आ रही थी। लेकिन रास्ते में समर्थ का फोन बजा तो शिविका ने उसे चिढ़ाते हुए शरारती लहजे में कहा "क्या भाई! लगता है आप अभी से पराए हो गए। भाभी का ही फोन होगा, देख लो।"      समर्थ ने अपनी पॉकेट से फोन निकाला तो देखा उसके असिस्टेंट का कॉल था। समर्थ ने अपना फोन स्क्रीन शिवि के सामने किया और इशारे से उसका मजाक उड़ा कर कॉल अटेंड करने चला गया। शिवि वहां खड़े होकर उसका इंतजार नहीं कर सकती थी। उसे पता था कि तनु थोड़ी ही देर में वहां पहुंचने वाली है। इसलिए उसने सबसे पहले जाकर उसका वेलकम करने का सोचा ताकि समर्थ को थोड़ा सा और परेशान कर सके और तनु को समर्थ के खिलाफ थोड़ा सा भड़का सके। आठ दस बुराइयां तो उसने उंगलियों पर गिन कर रखी थी।     उन्हीं सारी बुराइयों को अपनी उंगलियों पर याद करते हुए शिवि दरवाजे की तरफ अपनी धुन में चली जा रही थी। दरवाजे के पास खड़ा कुणाल बेसुध होकर उसे देखे जा रहा था। उसकी आंखों ने सोते हुए यह नजारा न जाने कितनी बार देखा था, लेकिन आज खुली पलकों से उसे यह सब देखने को मिल रहा था। सब कुछ एक सपना समझ कर वह बस शिवि को देखने

सुन मेरे हमसफर 102

 102     कुहू, शिवि की इस बात से बुरी तरह परेशान हो गई। यही सवाल उसके दिमाग में भी कई बार आया लेकिन उसने इस शक को सिरे से नकार दिया, यह सोच कर कि अगर कुणाल को इस रिश्ते से कोई प्रॉब्लम होती तो वह कभी हां नहीं करता। लेकिन असल प्रॉब्लम क्या थी, यह बात अभी तक उसे नहीं पता चल पाई थी।     कुहू को चुप देख शिवि ने कहा "सॉरी दी, अगर मेरी बातों से आपको प्रॉब्लम हुई है तो! मैं आपका दिल नहीं दुखाना चाहती, लेकिन सच कहूं तो मुझे कुणाल कुछ खास पसंद नहीं आया। ऐसे कोई खराबी नहीं है उसमें लेकिन वो कहते हैं ना, अंदर से फीलिंग आती है। मुझे ऐसा लग रहा है जैसे कुणाल आपको कभी वह खुशी नहीं दे पाएगा जो आप चाहती हैं। एक सवाल पूछूं दी? आप कुणाल को कितना जानती हैं?"      कुहू बोली "कॉलेज से जानती हूं। मैं उसे तब से जानती हूं जब उसकी कई सारी गर्लफ्रेंड थी। लड़कियां किसी मधुमक्खी की तरह उसके आसपास मंडराती थी। कुणाल भी किसी को मना नहीं करता था। इसीलिए मैं चाह कर भी कभी उसे अपने दिल की बात नहीं कर पाई। मुझे अच्छा नहीं लगता था जब वह किसी और के साथ डेट पर जाता था।"     शिवि ने अगला सवाल किया "

सुन मेरे हमसफर 101

  101  निशी ने बड़ी मुश्किल से कहा "अ अव्यांश........! छोड़ो मुझे।"      लेकिन इस बार अव्यांश उसे छोड़ने के मूड में नहीं था। उसने सीधा सा सवाल किया "कोई रीजन दो।"     निशी ने घबराते हुए पूछा "क्या?"    अव्यांश ने अपना सवाल फिर से दोहराया "मैंने कहा, कोई रीजन दो कि मैं तुम्हें छोड़ दूं। तुम मेरी बीवी हो इसलिए इस वक्त मैंने तुम्हें धाम रखा है। और ऐसा करने से मुझे कोई रोक नहीं सकता। अब ऐसे में तुम मुझे एक रीजन दो जिससे मैं तुम्हें खुद से अलग कर दूं।"      निशि को अव्यांश की कोई भी बात समझ नहीं आ रही थी। उसने सीधे से जवाब दिया "सुहानी....! सुहानी आती ही होगी।"    अव्यांश के पास इसका जवाब था। "वो नही आयेगी। अगर आ भी गई तो वह हम दोनों को ऐसे देखेगी तो खुद वापस लौट जाएगी।"      निशी ने घबराते हुए फिर कहा "मेहमान.....! सारे आने वाले होंगे। हमे वहां होना चाहिए।"      अव्यांश ने फिर से मुस्कुरा कर कहा "उन मेहमानों से तुम्हारा कोई लेना देना नहीं है।"     निशी ने फिर कहा "पूजा के लिए सब हमारा इंतजार कर रहे हैं। म