सुन मेरे हमसफर 108

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     कायरा इस आवाज को कैसे भूल सकती थी उसने घबराते हुए अपने चारों तरफ नजर दौड़ाई और कहा, "तुम....! तुम्हें कैसे पता मैंने क्या पहन रखा है और कौन से कलर का?"


  ऋषभ हंसते हुए बोला "मैंने तो फिलहाल सिर्फ इतना ही कहा है कि मुझे पता था, तुम साड़ी में बहुत अच्छी लगोगी। अभी तो मैंने बताया ही नहीं कि तुमने कौन से कलर का पहना है! वैसे वह कलर मेरा फेवरेट है, तुम्हें पता है? तुम्हें कैसे पता होगा! तुमने कभी मुझे जानने की कोशिश ही नहीं की। और एक मुझे देख लो। मुझे देखकर ही तुम इस तरह भागी जैसे मैं कोई भूत हूं। वैसे एक बात है, तुम जब भी आंखें बंद करोगी, मुझे ही महसूस करोगी।"


     काया गुस्से में चिल्ला कर बोली "तुम एक नंबर के घटिया इंसान हो। हिम्मत कैसे हुई तुम्हारी, मेरे साथ वो सब करने की!"


     ऋषभ ने हंसते हुए मासूमियत से जवाब दिया "मैंने! मैने क्या किया? अच्छा वो! उसके लिए तो तुमने खुद मुझे परमिशन दिया था। पहली बार जो हुआ वह अचानक से था, इसलिए मैंने तुमसे पूछ नहीं पाया था। लेकिन इस बार मैंने तुमसे पूछा था और तुमने हां कहा था। बिना परमिशन के मैंने कुछ नहीं किया, इतना जान लो तुम। इसलिए तुम मुझ पर कोई ब्लेम नहीं लगा सकती। और वैसे भी, तुम भी चाहती थी यह सब।"


     काया का दिल धक से रह गया। उसने चारो तरफ देखा और साइड में जाकर दांत पीसते हुए कहा "खबरदार जो ऐसी घटिया बातें मेरे साथ की तो! मैं, और तुम्हारे साथ! कभी नहीं।"


    ऋषभ ने पूछा "अच्छा ऐसी बात है! तो फिर तुमने मुझे खुद से अलग क्यों नहीं किया? उस किस को तुमने भी इंजॉय किया है। इस बात से तुम इनकार नहीं कर सकती।"


    काया अब और नहीं सुन सकती थी। उसने गुस्से में फोन काट दिया और बाहर सबके बीच जाने लगी लेकिन सामने देखा तो उसने सर पकड़ लिया। कार्तिक सिंघानिया सबके साथ बैठकर बातें कर रहा था और सुहानी उसके साथ खड़ी थी। काया को अब तक यकीन नहीं हुआ था की ऋषभ और कार्तिक दोनों जुड़वा भाई है। वो अभी तक कार्तिक को ही ऋषभ समझ रही थी। उसने कार्तिक को यही सबक सिखाने की सोची लेकिन सबके बीच यह सब कैसे करती?


     सुहानी जो अब तक सबसे बातें कर रही थी, उसका पूरा ध्यान कार्तिक सिंघानिया पर था। उसकी नजर जैसे ही काया पर गई, वह हैरान रह गई। उसने एकदम से चिल्लाते हुए कहा, "कायु! यह क्या पहन लिया तूने?"


    सबका ध्यान काया की तरफ गया। उसके पापा कार्तिक ने पूछा, "ये क्या कायू! तुम तो अपने लिए सूट लेने गई थी ना, फिर साड़ी कहां से उठा लाइ? लेकिन कुछ भी कहो, ये तुम पर काफी अच्छा लग रहा है। हमारी दूसरी बेटी भी शादी के लायक हो गई और हमे पता भी नही!"


     काया क्या ही कहती। उसने हकलाते हुए जवाब दिया, "पापा......! वह........ पापा...... मैं............ मुझे कुछ पसंद नहीं आया तो मैं बस यह साड़ी ले आई।"


   लेकिन काव्या ने बीच में सवाल किया "लेकिन यह साड़ी मेरे बुटीक का नहीं है। और ना ही यह मेरी डिजाइन है, फिर तुम्हें यह वहां कैसे मिला?"


    अब तो काया से जवाब देते नहीं बन रहा था। उसने गुस्से से कार्तिक सिंघानिया की तरफ देखा जो विचारा मासूम सा सब की तरह उसे ही देखे जा रहा था। काया ने कुछ सोच कर जवाब दिया "मां! वह मैंने बताया ना, आपके बुटीक में मुझे अपने हिसाब का कुछ खास पसंद नहीं आया तो मैं दूसरे मार्केट में चली गई थी। वहां से मुझे यह मिला तो मैं ले आई।"


   अवनी, जो कि काया के पास ही बैठी हुई थी, उसे अच्छे से और देखा एकदम से बोली "तुझे यह साड़ी मार्केट से मिली है? ऐसा हो ही नहीं सकता। यह साड़ी तो निहारिका के लेटेस्ट समर कलेक्शन में से एक है। अभी 3 दिन पहले ही मैं देख कर आई हूं इसको। निहारिका ने तो इसे फैशन शो के लिए रखा था और मैंने खुद कहा था कि उसके बाद मुझे यह साड़ी चाहिए। मैंने स्पेशल डिमांड की थी इसके लिए।"


    यह सुनकर तो काया के हाथ पैर ठंडे पड़ गए। उससे कुछ जवाब देते नहीं बना। बहुत बुरी फसी काया। काया को इस तरह पीला पढ़ते देख सुहानी जल्दी उसके बचाव में आगे आई और बोली "क्या मॉम आप भी! आपको पता नहीं है, ऐसे डुप्लीकेट आइटम मार्केट में बहुत आसानी से मिल जाते है! अरे कौनसे डिजाइनर को छोड़ा है इन्होंने! सबका डुप्लीकेट लहंगा साड़ी सूट न जाने क्या-क्या मार्केट में अवेलेबल है। यह भी वो ही होगा। क्या आप साड़ी देखकर उस बेचारी के पीछे पड़ गए। क्या हो गया और उसने साड़ी पहन ली तो! हम सब ने सूट पहना है, लेकिन मॉम ने मासी ने दादी ने, सब ने तो साड़ी पहनी है। उसने भी पहन लिया तो कुछ अलग तो नहीं है। और देखिए तो, कितनी प्यारी लग रही है!" 


   सिया ने सुहानी की बात को सपोर्ट करते हुए कहा "बिल्कुल! मेरी बच्ची बहुत प्यारी लग रही है। और किट्टू ने भी तो कहा ना, हमारी बच्ची शादी के लायक हो गई और हमें पता ही नहीं चला। आजा, मैं तेरी नजर उतारू।" सिया ने अपनी बाहें फैला दी।


    काया जाकर उनके पास बैठ गई। सिया ने काया की नजर उतारी और अपनी आंखों से निकालकर काजल का एक टीका उसने कान के पीछे लगा दिया। धानी और कंचन जी ने भी वैसे ही किया। अब नाराज होने की बारी सुहानी की थी। कुणाल का हाथ थामे कुहू आई और नाराज होकर बोली "अगर हमें पता होता तो हम भी साड़ी ना पहनते! इस सूट में कोई हमें देख भी नहीं रहा।" सभी हंस पड़े।


     कार्तिक ने एकदम से कुणाल से पूछा "कुणाल बेटा! आपके मम्मी पापा नहीं आए अभी तक? होलिका दहन का मुहूर्त हो गया है।"


    कुणाल उनके बारे में कोई बात नहीं करना चाहता था लेकिन अपने होने वाले ससुर जी के सामने वो ऐसा कुछ जाहिर भी नहीं कर सकता था इसलिए उसने कहा "अंकल! बस आते ही होंगे। आप तो जानते ही हैं, लड़कियां तैयार होने में कितना टाइम लगाती हैं। मेरी मां भी कुछ अलग तो नहीं है।"


     कार्तिक गर्दन हिलाते हुए बोला "यह बात तो सही कहा तुमने। औरत की उम्र जैसे-जैसे बढ़ती है, उसे उतना ही टाइम लगता है। अब मेरी वाली को ही देख लो।" काव्या कार्तिक को कोहनी मारी।


     इन सभी हंसी मजाक से दूर होकर समर्थ ने अपना फोन निकाला और गार्डन के एक कोने में जाकर तन्वी को कॉल लगाया। कुछ देर रिंग जाने के बाद तन्वी ने फोन उठाया तो समर्थ बेचैन होकर बोला "कहां हो तुम?"


     तन्वी मुस्कुरा कर बोली "क्यों? इंतजार कर रहे हैं मेरा?"


    समर्थ थोड़ा हिचकिचाया। माना दोनों की शादी तय हो चुकी थी लेकिन अभी तक उन दोनों के बीच प्यार का इजहार हुआ नहीं था। तन्वी के दिल की बात उसके जुबान पर बहुत पहले आ चुकी थी लेकिन समर्थ अभी भी ये हिम्मत नही कर पाया था। उसने बात बनाते हुए कहा "नहीं। मैं नहीं, वो तो पापा पूछ रहे थे तुम्हारे बारे में कि तुम सब आए कि नहीं। वैसे कब तक पहुंच रहे हो तुम लोग?"


     तन्वी थोड़ी उदास स्वर में बोली "पॉसिबल नहीं हो पाएगा।"


   समर्थ हड़बड़ा गया और बोला "क्या पॉसिबल नहीं हो पाएगा? देखो, तुम यहां आने का प्लान कैंसिल नहीं कर सकती, समझ रही हो तुम? सारे गेस्ट आ चुके हैं और बस तुम लोगो का आना बाकी है।"


     तन्वी बोली "सॉरी सर लेकिन मेरा आना पॉसिबल नहीं हो पाएगा।"


    समर्थ उसे डांटते हुए बोला "शट अप! कहां हो तुम, बताओ मुझे। मैं अभी तुम्हें लेने आ रहा हूं।"


    समर्थ को ऐसे बेचैन देख तन्वी हंसते हुए बोली "पलट कर देखिए, आपके पीछे खड़ी हूं।" समर्थ को पहले तो बात समझ नहीं आई फिर जब समझ आई तो उसने पलट कर देखा।


     तन्वी फोन कान से लगाए उसके पीछे खड़ी मुस्कुरा रही थी। काव्या ने समर्थ के आउटफिट से मैचिंग तन्वी के लिए सूट तैयार करवाया था। तन्वी को आज तक उसने सिर्फ जींस और कुर्ती में देखा था। आज पटियाला सूट में वह बहुत खूबसूरत लग रही थी।


   जब समर्थ को एहसास हुआ कि वाकई तन्वी उसके सामने खड़ी है तो उसने बिना कुछ सोचे सीधे जाकर आगे बढ़कर तनु को अपने गले से लगा लिया। तन्वी को बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि समर्थ ऐसे उसे अपनी बाहों में भर लेगा। इस एहसास के लिए वह हमेशा तरसती थी और आज जब से मिल रहा था तो यकीन करना थोड़ा मुश्किल था। एक सपना समझकर तन्वी ने भी समर्थ को अपनी बाहों में भर लिया।

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