सुन मेरे हमसफर 102

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    कुहू, शिवि की इस बात से बुरी तरह परेशान हो गई। यही सवाल उसके दिमाग में भी कई बार आया लेकिन उसने इस शक को सिरे से नकार दिया, यह सोच कर कि अगर कुणाल को इस रिश्ते से कोई प्रॉब्लम होती तो वह कभी हां नहीं करता। लेकिन असल प्रॉब्लम क्या थी, यह बात अभी तक उसे नहीं पता चल पाई थी।


    कुहू को चुप देख शिवि ने कहा "सॉरी दी, अगर मेरी बातों से आपको प्रॉब्लम हुई है तो! मैं आपका दिल नहीं दुखाना चाहती, लेकिन सच कहूं तो मुझे कुणाल कुछ खास पसंद नहीं आया। ऐसे कोई खराबी नहीं है उसमें लेकिन वो कहते हैं ना, अंदर से फीलिंग आती है। मुझे ऐसा लग रहा है जैसे कुणाल आपको कभी वह खुशी नहीं दे पाएगा जो आप चाहती हैं। एक सवाल पूछूं दी? आप कुणाल को कितना जानती हैं?"


     कुहू बोली "कॉलेज से जानती हूं। मैं उसे तब से जानती हूं जब उसकी कई सारी गर्लफ्रेंड थी। लड़कियां किसी मधुमक्खी की तरह उसके आसपास मंडराती थी। कुणाल भी किसी को मना नहीं करता था। इसीलिए मैं चाह कर भी कभी उसे अपने दिल की बात नहीं कर पाई। मुझे अच्छा नहीं लगता था जब वह किसी और के साथ डेट पर जाता था।"


    शिवि ने अगला सवाल किया "तो फिर कुणाल ने आपको प्रपोज कब किया?"


  कुहू कुछ कह नहीं पाई। उसने इधर-उधर देखना शुरु किया तो शिवि ने उसका हाथ पकड़ा और फिर से पूछा "दी! यह बात बहुत जरूरी है। आप कुणाल से प्यार करती हो, लेकिन क्या वह भी आपसे प्यार करता है? ये बात जानना बहुत जरूरी है। आपने कभी पूछा उससे?"


     कुहू धीरे से बोली "कभी मौका ही नहीं मिला। घरवालों को कुणाल के बारे में पता चला और उन लोगों ने सोनू और अंशु के बर्थडे के मौके पर कुणाल के पैरंट्स से बात किया। उन लोगों ने भी इंकार नहीं किया।"


     शिवि को यह बात थोड़ी हैरान कर गई। उसने फिर पूछा "मतलब आप दोनों का रिश्ता अरेंज है? मेरा मतलब, कुणाल ने कभी सामने से आकर आप को प्रपोज नहीं किया?"


     कुहू ने ना में अपनी गर्दन हिलाई और कहा "मैंने बताया ना, ऐसा मौका ही नहीं मिला। बस हम दोनों की फैमिली ने हमारा रिश्ता तय कर दिया और मैं इतनी एक्साइटेड हो गई कि इस बारे में उससे कुछ पूछा ही नहीं। उसकी मर्जी के बारे में सोचा ही नहीं। मुझे लगा शायद जैसे मां पापा को मेरे बारे में पता चला वैसे ही कुणाल के मां पापा को उसके बारे में पता चला होगा, या कुणाल ने बताया होगा। यह सब कुछ होने से पहले सब नॉर्मल था। हम 2 साल तक टच में नहीं रहे, लेकिन फिर भी जब मिले तो हमारे बीच कुछ नहीं बदला था। हम अपने पुराने दिनों को याद करते थे और उसी तरह इंजॉय भी करते थे। लेकिन जब से..........."


     कुहू आगे बात कह नहीं पाई। शिवि ने उसकी बात पूरी करते हुए कहा "जब से आप दोनों का रिश्ता तय हुआ है, कुणाल आपसे दूर दूर रहने लगा है।"


     कुहू ने अपना सर झुका लिया, और यह साफ-साफ उसका जवाब था। शिवि सोच में पड़ गई। क्या करें क्या नहीं। उधर नेत्रा ने कुणाल के खिलाफ कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया था और यहां कुणाल कुहू को तकलीफ दे रहा था। सब कुछ जानते हुए भी शिवि इस सब में कुछ कर नहीं पा रही थी। अब तो बस कुहू ही खुद को इस तकलीफ से बाहर निकाल सकती थी। उसने उम्मीद भरी नजरों से कुहू की तरफ देखा।


     कुहू अपने ही मन मैं उठ रहे सवाल जवाब के बीच इस कदर फसी हुई थी कि वह कुछ सोच समझ नहीं पा रही थी। दिल कुछ और कहता और दिमाग कुछ और। उसने अपनी प्रॉब्लम शिवि के सामने रखनी चाही। "शिवू! वह......... मुझे लगता है कि........."


     इसे पहले कि कुहू आपकी बात पूरी कर पाती, समर्थ ने दरवाजे पर दस्तक दिया और कहा "तुम लोगों का हो गया हो तो चले नीचे! मेहमान आने शुरू हो गए हैं।"


     शिवि और कुहू दोनों का ही ध्यान दरवाजे पर खड़े समर्थ की तरफ गया। मैरून कुर्ता और सफेद धोती, समर्थ के गोरे रंग पर बाकी बहुत खूबसूरत लग रहा था। दोनों बहने अपने भाई को जिस तरह देख रही थी, उससे समर्थ समझ गया कि अब दोनों मिलकर उसकी टांग खिंचाई करने वाली है। उससे पहले ही समर्थ ने मुस्कुराकर कहा "आज मेरी दोनों बहनें बहुत खूबसूरत लग रही है। वैसे मेरी बहन कहीं नजर नहीं आ रही, तुमने देखा है कहीं? वह अक्सर लड़कों की कपड़ों में ही नजर आती है। बिखरे हुए बाल, अजीब सा मेकअप।"


     समर्थ साफ साफ शिवि को परेशान कर रहा था। शिवि भी कहां पीछे रहने वाली थी। उसमें भी उसी अंदाज में चुटकी ली और कहा "देखा है ना। वह अभी कुछ देर पहले ही गई है किसी के साथ। वैसे मेरा भी एक भाई है। थोड़ा झल्ला सा, थोड़ा पागल सा। हमेशा थ्री पीस सूट में किसी बिजनेसमैन की तरह पटर पटर करते रहता है। हरकतें थोड़ी एलियन जैसी है लेकिन है वह इंसान ही। भले इंसान वाली हरकत नहीं करते। और किसी को उनके इंसान होने पर यकीन भी नही होता। वैसे आपको अगर वह दिखे तो मेरे पास भेज देना। मुझे उनको भाभी के बारे में कुछ बताना है।"


     समर्थ की हंसी छूट गई। कुहू और शिवि भी खिलखिला कर हंस पड़ी। समर्थ ने अपनी हंसी कंट्रोल की और कहा "अगर हो गया हो तो चलो नीचे।"


    शिवि ने आगे आकर समर्थ की बांह पकड़ी और अपने बालों को स्टाइल से झटक कर बोली "भाई! लड़कियां कभी अच्छे से तैयार होती है क्या? उनको कितना भी टाइम दे दो, कुछ ना कुछ कमी बाकी रह जाती है। मेरे लिए तो यह सब ही बहुत है। अगर कुहू दी को थोड़ा और टचअप या मेकअप की जरूरत है तो वह कर सकती है। फिलहाल मैं आपके साथ चलने को तैयार हूं, जब तक..........."


     शिवि ने जानबूझकर बात को अधूरा छोड़ दिया। समर्थ ने पूछा "जब तक क्या?"


     शिवि शरारत से बोली "जब तक भाभी नहीं आ जाती।" समर्थ मुस्कुराया और अपनी नजरें थोड़ी सी नीचे कर ली। शिवि उसकी इस हरकत पर आंखें फाड़े उसे देखने लगी और उसके सामने खड़े होकर आश्चर्य से बोली "भाई! आपके चिक इतने पिंक क्यों हो रहे हैं? हे भगवान! कहीं आपको बुखार तो नहीं हो रहा?" शिवि ने जल्दी से उसका माथा छूकर देखा और परेशान होने की एक्टिंग करने लगी।


    समर्थ उसकी इस हरकत पर थोड़ा झेंप गया और उसके सर पर मार कर बोला "पागल कहीं की! चल यहां से।"


     समर्थ शिवि को लेकर वहां से बाहर के लिए निकल गया। पीछे कुहू अकेली खड़ी रह गई। वह भी उन दोनों के पीछे जाना चाहती थी लेकिन शिवि के कहे शब्द उसके कानों में बार-बार गूंज रहे थे। उसने पलट कर उस जगह को देखा जहां शिवि उसका हाथ पकड़े खड़ी थी। आईने में उसे अपना चेहरा नजर आया जिसे वह एक पल को पहचान नहीं पाई।


     कुहू ने आगे बढ़कर आईने के करीब जाकर खुद को आईने में देखा और सोच में पड़ गई। 'तेरे चेहरे की रौनक कहां गई? वह चेहरा जो कुणाल के नाम से ही खिल जाता था, उससे सगाई होने के बाद ऐसे मुरझाया हुआ क्यों है? क्या वाकई मुझे कुणाल से इस बारे में बात करनी चाहिए? क्या मुझे उससे से सवाल करना चाहिए? कहीं वो नाराज तो नहीं हो जाएगा? लेकिन इसमें नाराज होने वाली क्या बात है! हमारी शादी तय हुई है, ऐसे में हमारा खुलकर एक दूसरे से बात करना बहुत जरूरी है। और खासकर तब, जब बात हमारे रिश्ते की हो। मुझे........ मुझे कुणाल से बात करनी होगी। हमारे रिश्ते को लेकर कन्फर्मेशन बहुत जरूरी है।'




     दूसरी तरफ कुणाल तैयार होकर मित्तल हाउस पहुंचा। आज के होलिका दहन में उसकी फैमिली भी इनवाइटेड थी और उसे तो किसी इनविटेशन की जरूरत भी नहीं थी। कुणाल अपना घर छोड़कर जाने को पूरी तरह तैयार था, लेकिन मिसेस रायचंद अपनी सारी जुगत लगाई और इमोशनल कार्ड खेलकर कुणाल को घर छोड़कर जाने से रोक लिया। इस बारे में किसी को भी कानों कान भनक नहीं लगी। यहां तक कि मिस्टर रायचंद को भी नहीं, लेकिन इस बारे में कुणाल की मां आखिर कब तक अपने पति से छुपाती! इसके लिए वह भी सही मौके की तलाश में थी।


     कुणाल वैसे ही अपने घरवालों से नाराज था इसलिए उन लोगों के आने से पहले ही वह मित्तल हाउस के लिए निकल चुका था। वहां कंपाउंड में पहुंचते ही कुणाल की नज़रों ने शिवि को तलाशना शुरू किया। उसे उम्मीद थी कि उसे जरूर नजर आएगी। उसने खुद से कहा 'आई होप कि वह हॉस्पिटल ना गई हो। क्या करूं किस से पूछू? अगर किसी से पूछा तो कई तरह के सवाल उठेंगे। कोई क्या सोचेगा, कुहू को छोड़कर मैं शिवि के बारे में पूछ नहीं सकता। लेकिन फिलहाल तो वह भी नजर नहीं आ रही। शायद अपने कमरे में होगी। मैं अंदर जाकर देखता हूं।'


     कुणाल सोचता हुआ घर के अंदर दाखिल होने लगा लेकिन फिर एकदम से उसके कदम रुक गए। उसने खुद से सवाल किया 'अंदर जाकर भी मैं क्या ही कर लूंगा। अगर वह अपने कमरे में हुई तो मुझे कैसे पता चलेगा कि उसका कमरा कौन सा है? एक तो इस घर में इतने सारे लोग हैं, लगता जैसे कोई छोटा सा टाउन हो। कितने लोग रहते हैं यहां! ऊपर से कुहू की फैमिली भी यहीं पर मिलती है। वह सब छोड़ और आगे बढ़। अंदर जाकर कुछ जुगाड़ निकाल जिससे तू शिवि से बात कर सके। लेकिन इससे पहले मुझे कुहू को सारी सच्चाई बतानी होगी। उसे बिल्कुल भी एहसास नहीं होना चाहिए कि मैं उसकी बहन के लिए उससे सगाई चाहता हूं। बहुत बुरा लगेगा उसे, और शिवि को भी।'


     कुणाल आगे बढ़ने को हुआ लेकिन

 सामने से चले आ रहे हैं लोगों को देख उसके पैर पर थम गए।

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