सुन मेरे हमसफर 103

 

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    कुणाल ने देखा, शिविका समर्थ के साथ चली आ रही थी। लेकिन रास्ते में समर्थ का फोन बजा तो शिविका ने उसे चिढ़ाते हुए शरारती लहजे में कहा "क्या भाई! लगता है आप अभी से पराए हो गए। भाभी का ही फोन होगा, देख लो।"


     समर्थ ने अपनी पॉकेट से फोन निकाला तो देखा उसके असिस्टेंट का कॉल था। समर्थ ने अपना फोन स्क्रीन शिवि के सामने किया और इशारे से उसका मजाक उड़ा कर कॉल अटेंड करने चला गया। शिवि वहां खड़े होकर उसका इंतजार नहीं कर सकती थी। उसे पता था कि तनु थोड़ी ही देर में वहां पहुंचने वाली है। इसलिए उसने सबसे पहले जाकर उसका वेलकम करने का सोचा ताकि समर्थ को थोड़ा सा और परेशान कर सके और तनु को समर्थ के खिलाफ थोड़ा सा भड़का सके। आठ दस बुराइयां तो उसने उंगलियों पर गिन कर रखी थी।


    उन्हीं सारी बुराइयों को अपनी उंगलियों पर याद करते हुए शिवि दरवाजे की तरफ अपनी धुन में चली जा रही थी। दरवाजे के पास खड़ा कुणाल बेसुध होकर उसे देखे जा रहा था। उसकी आंखों ने सोते हुए यह नजारा न जाने कितनी बार देखा था, लेकिन आज खुली पलकों से उसे यह सब देखने को मिल रहा था। सब कुछ एक सपना समझ कर वह बस शिवि को देखने में मगन था।


     शिवि अपनी धुन में चली जा रही थी। उसने यह बिल्कुल भी नहीं देखा कि सामने कुणाल खड़ा है और सीधे जाकर वह कुणाल के सीने से टकराई। कुणाल ने भी एकदम से चौक कर शिवि को अपनी बाहों में भर लिया। कुणाल की इस छुअन से शिवि बुरी तरह घबरा गई और एक झटके से कुणाल से दूर हुई।


     कुणाल भी होश में आया और जबरदस्ती मुस्कुराते हुए बोला "हाय! हम दोनों फिर से मिल गए।"


    शिवि के होठों पर थोड़ी भी मुस्कुराहट नहीं थी। उसने अपने मन में चल रहे सवालों को कंट्रोल किया और सपाट लहजे में बोली "आप शायद मेरे घर आए हैं। जाहिर सी बात है, ऐसे में हमारा मिलना इत्तेफाक नहीं हो सकता। वैसे आपको जिस से मिलना है, वो इस वक्त ऊपर कमरे में है। अगर आप मिलना चाहते हैं तो मिल सकते हैं।"


     शिवि, कुणाल को इग्नोर कर वहां से जाने लगी। कुणाल समझ गया कि शिवि कुहू की बात कर रही है। उसने शिवि को रोकते हुए कहा "आपको नहीं लगता कि हमारा, आई मीन मेरा और कुहू का इस तरह घरवालों के बीच अकेले में बातें करना थोड़ा अजीब लगेगा? आई मीन, अगर किसी ने देख लिया तो........."


    शिवि कुणाल की तरफ पलटी और उसकी आंखों में आंखें डाल कर जबरदस्ती मुस्कुराते हुए बोली "आप दोनों गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड नहीं हो और ना ही आप दोनों का रिश्ता घरवालों से छुपा हुआ है जो किसी के देख लेने का डर हो। आप दोनों की सगाई हो चुकी है और आप दोनों को एक साथ देखकर घरवालों को अच्छा ही लगेगा, इसमें कोई दो राय नहीं है। वैसे सच कहूं तो मुझे लगता है कि आप दोनों को एक साथ बैठकर काफी कुछ बातें क्लियर करने की जरूरत है। साथ बैठिए, एक दूसरे से बातें कीजिए और एक दूसरे के मन में जो भी है उसे कह दीजिए, आगे की जिंदगी आसान हो जाएगी।"


    कुणाल की समझ में कुछ नहीं आया। उसने सवालिया नजरों से शिवि की तरफ देखा तो शिवि बोली "मिस्टर कुणाल रायचंद! मैं नहीं जानती आप के दिमाग में क्या चल रहा है और आपके दिल में क्या है। मैं बस अपनी बहन को जानती हूं। इसके अलावा मेरा आप से कोई लेना देना नहीं है। आप जो करते थे और जो आप कर रहे हैं, उसकी वजह से मेरी बहन काफी ज्यादा स्ट्रेस में है। उसके मन में बहुत सारे सवाल है। हो सके उन सारे सवालों के जवाब तैयार रखिएगा, वह भी इमानदारी से।"


    अब जाकर कुणाल को समझ में आया। वह कुछ कह पाता, उससे पहले ही शिवि वहां से जा चुकी थी। यह सारा कुछ कुहू ऊपर रेलिंग पर खड़ी देख रही थी। दोनों को देख उसे बहुत अजीब सी फीलिंग आई। कुणाल जिस तरह से शिवि से बात कर रहा था, वह कुहू को थोड़ा सा नागवार गुजरा। दोनों के बीच क्या बातें हुई, यह तो कुहू ने सुना नहीं लेकिन जिस तरह शिवि कुणाल से टकराई थी और जिस तरह कुणाल ने उसे अपनी बाहों में था, वो देख कुहू को बहुत बुरा लगा। 


   उसने एक नजर अपने कपड़ों की तरफ डाला और एक नजर कुणाल की तरफ देखा। उन दोनों के कपड़ों में कोई मैच नहीं था। अब इससे इत्तफाक कहें या कुणाल ने जानबूझकर उसी कलर का कुर्ता पहना था जिस कलर की ड्रेस शिवि ने पहनी थी। दोनों जब खड़े होकर बात कर रहे थे तो उन्हें देख किसी को भी गलतफहमी हो जाती कि वह दोनों कपल है।


     कुहू ने अपने सीने पर हाथ रखा और गहरी गहरी सांसे लेकर खुद को समझाने लगी। 'ऐसा कुछ नहीं है। यह सब सिर्फ मेरे मन का वहम है और कुछ नहीं। सब सही है ,और कुछ सही नहीं भी है, वो भी सब सही हो जाएगा।"


    एकदम से किसी ने कंधे पर हाथ रखा तो कुहू डर से उछल पड़ी। उसके पीछे देखा तो सुहानी खड़ी थी। कुहू को इस तरह घबराया हुए देख सुहानी ने पूछा "क्या हुआ दी? आप इतने घबराए हुए क्यों लग रहे हो? कुछ हुआ है क्या? तबीयत ठीक नहीं है आपकी?"


     कुहू अपने माथे पर पसीने को पोंछते हुए बोली "मैं ठीक हूं। कुछ नहीं हुआ मुझे। बस तूने ऐसे ही आकर एकदम से डरा दिया था।"


     सुहानी ने हैरान होकर पूछा "लेकिन आप ऐसा क्या कर रहे थे जो इतना ज्यादा डर गए? आई मीन कुछ सोच रहे थे आप?"


     कुहू ने कोई जवाब नहीं दिया तो सुहानी ने फिर पूछा "क्या हुआ दी? सब ठीक है ना! कोई प्रॉब्लम है बताइए मुझे।"


     कुहू ने सारे ख्यालों को एक तरफ झटका और बात बदलने की नियत से बोली "कुछ नहीं है मेरी जान! मैं तो यही थी, लेकिन तू कहां थी? मैं तो तुझे ही ढूंढ रही थी। सारे लोग तैयार हो चुके हैं, मेहमान आने शुरू हो गए हैं और तू अभी तक यह जींस और टीशर्ट में घूम रही है!"


     सुहानी ने अव्यांश के कमरे की तरफ इशारा किया और बोली "निशि को तैयार कर रही थी। उसी में टाइम लग गया। दादी से मैंने कहा था कि मैं निशी के लिए एक ब्यूटीशियन को ही अप्वाइंट कर दे रही हूं लेकिन नहीं दादी को तो आप जानते ही हो। अरे वह बेचारी अपनी फैमिली के साथ होलिका दहन मनाएगी या यहां आकर काम करेगी? इसलिए उन्होंने मुझे जबरदस्ती भेज दिया।"


   कुहू ने कुछ याद करते हुए कहा, "लेकिन बड़ी दादी की स्टाइलिस्ट तो उनके कमरे में ही है!"


   सुहानी हैरान होकर बोली, "लो कर लो बात! मुझसे काम लिया जा रहा है और खुद की स्टाइलिस्ट को छुट्टी नहीं दी। अब बोलो। इनका कुछ समझ में नहीं आता मुझे। खैर, अब मैं फ्री हूं तो..........."


     कुहू ने उसे कंधे से पकड़ा और उसके कमरे की तरफ ले जाते हुए बोली "अब जब तु फ्री हो गई है तो चल मैं तुझे तैयार कर देती हूं।"


    सुहानी ने चलते हुए एक नजर शिवि के कमरे की तरफ देखा और बोली "शिवि दी कहां है? उनको भी तो तैयार होना होगा।"


     कुहू उसे धक्का देकर कमरे में ले गई और बोली, "वो तो पहले ही तैयार हो गई और नीचे भी चली गई समर्थ भाई के साथ।" कहते हुए कुहू को शिवि और कुणाल का साथ याद आ गया। उन दोनों को इतना करीब देखना कुहू को अच्छा नहीं लगा था, फिर भी आखिरी शिवि थी तो उसकी बहन। और वह अपनी बहन के बारे में कुछ गलत नहीं सोचना चाहती थी। उसने आगे कहा "वो पहले ही सबको अटेंड करने चली गई है। तुम भी तैयार हो जाओ।


  सुहानी ने पलटकर कुहू से कहा "ठीक है मैं तैयार हो जाऊंगी लेकिन यह तो बताइए, कायू कहां है? आज सुबह से नहीं नजर आई मुझे। कॉल भी नहीं किया।"


    कुहू ने उसे उसकी ड्रेस पकड़ाई और चेंजिंग रूम की तरफ धक्का देते हुए कहा, "उसको मैंने ही किसी काम के लिए भेज रखा था। वह सीधे तैयार होकर पहुंचेगी। उसकी टेंशन छोड़ और तू तैयार हो जा।"



*****



    सिया तैयार होकर हॉल में आई और सब को आवाज देने लगी। एक एक कर सभी अपने कमरे से निकले। आज सभी ने कपल वाले मैचिंग आउटफिट पहन रखा था। सिया ने अपने पूरे परिवार को एक साथ देखा और मन ही मन उनकी बलाएं लेते हुए बोली 'हे ईश्वर! कभी किसी की नजर ना लगे हमारे परिवार को।"


    सिया ने नोटिस किया, सभी थे लेकिन सुहानी कुहू काया निशी और अंशु, यह लोग वहां कई मौजूद नहीं थे। उन्होंने सारांश को पूछा "बच्चे अभी तक तैयार नहीं हुए?"


   अब सारांश क्या ही कहते। उनके पास इस बात का जवाब कैसे हो सकता था! शिवि आगे आई और सिया की बांह पकड़कर बोली "दादी, सब तैयार है। कुहू दी अभी सुहानी के साथ है, मैंने खुद उन्हें देखा। निशि तैयार हो चुकी है और अंशु भी तैयार है। वो लोग बस आते ही होंगे। काया अभी घर नहीं पहुंची है। मैं उसे कॉल कर दे रही हूं, आप बस चल कर सारे मेहमानों का स्वागत कीजिए। सब आपका इंतजार कर रहे हैं। आफ्टरऑल, आज के स्टार तो आप ही हैं।" सिया ने शिवि के माथे पर हल्की सी चपत लगाई।




    काया अपने लिए ड्रेस सेलेक्ट कर रही थी। उसे बाकी सब से थोड़ा अलग डिजाइन चाहिए था इसलिए काव्या के मना करने के बावजूद भी काया उसकी बंद बुटीक में घुस गई। कोई कस्टमर नहीं था, सिवाय काया के। उसे एहसास ही नहीं हुआ कि वहां उसके अलावा भी वहां कोई मौजूद था। वो अपनी धुन में खोई हुई थी। इतने में किसी ने पीछे से आकर उसका मुंह दबा दिया। काया चिल्ला भी नही पाई।

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