सुन मेरे हमसफर 107

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     शिवि ने पार्थ का मजाक उड़ाते हुए कहा "तुझे मेरी मॉम से इतना डर क्यों लगता है?"

     पार्थ ने तिरछी नजर से श्यामा की तरफ देखा और शिवि से बोला "यह तू वाकई में सवाल पूछ रही है?"

     शिवि अपनी मां के लिए प्यार जताते हुए बोली "देखो, कितनी प्यारी है मेरी मां। और एक तू है कि उनको किसी गब्बर सिंह की तरह ट्रीट करता है।"

    पार्थ ने शिवी की बात का मजाक बनाया और कहा, "अच्छा! बहुत प्यारी है तेरी मां? बोल तो उन्हें अपनी सास बना लूं?"

   शिवि ने भी उसी तरह सवाल पूछा तू झेल पाएगा ऐसी सास?"


     पार्थ में अपने होठों पर एक उंगली रखी और सोचते हुए बोला "यह बात तो तेरी एकदम सही है। तेरे पापा उनको झेल लेते है, यही बहुत बड़ी बात है।"


   शिवि ने नाराजगी से पार्थ को देखा और एक पंच उसके पेट में जड़ दिया। कुणाल उन दोनो की बातें सुन रहा था। उसके चेहरे के भाव कुछ अच्छे नहीं थे। कुहू ने पूछा "क्या हुआ कुणाल, सब ठीक तो है?"

     कुणाल मुस्कुरा कर बोला "कुछ नहीं।" फिर कुछ सोच कर बोला, "ये लड़का कौन है? शिवि के काफी करीब लगता है, नही?" कुणाल ने पार्थ की तरफ इशारा किया। तो कुहू बोली, "ये.......! ये पार्थ है, शिवि का बचपन का दोस्त। दोनों साथ पढ़े है इसीलिए। शुरू से घर में आना जाना लगा रहा है, इसीलिए फैमिली के साथ कुछ ज्यादा ओपन है। सभी पसंद करते है इसे। शिवि भी।" कुहू ने शिवि के नाम पर खास तौर पर जोर दिया था।

    ये आखिरी लाइन सुनकर कुणाल के होंठो पर जो बनावटी मुस्कान थी, वो भी गायब हो गई।

   सुहानी ने काया को आते हुए देखा तो उसके सामने जाकर खड़ी हो गई और बोली "कहां थी तू? इतनी देर से आ रही है, अभी तक तैयार भी नहीं हुई। कब से तेरा इंतजार कर रही थी। ना मेरा फोन उठा रही है मेरे मैसेज का रिप्लाई दे रही है। ठीक है तू?"

    काया तो जैसे उसकी किसी बात को सुन ही नहीं रही थी। बस पलट कर बार-बार पीछे की तरफ देख रही थी। सुहानी ने उसकी आंखों के आगे चुटकी बजाई और बोली "क्या हुआ? तेरे चेहरे की रंगत क्यों उड़ी हुई लग रही है? और तू किस से भाग रही है? कौन है तेरे पीछे?"

    काया ने एक बार फिर से पलट कर देखा और बोली "कुछ नहीं हुआ है मुझे। और तुझे लगता है मैं किसी से डर कर भाग सकती हूं? मैं डराने वालों में से हूं, डरने वालों में से नहीं। वह तो बस घबराहट इसलिए हो रही है कि इतनी देर हो गई है और मैं तैयार नहीं हुई। सबसे ज्यादा दादी से डांट पड़ेगी और उससे भी ज्यादा मम्मी डांटेंगी। इसलिए मैं जल्दी से तैयार कर आती हूं, ठीक है!"


    काया ने एक बार फिर पलट कर देखा तो उसे अंदर आता हुआ कार्तिक सिंघानिया नजर आया। काया को लगा शायद वह ऋषभ है इसलिए वह घबराते हुए अपने कमरे की तरफ भागी।

     सुहानी की नजर जैसे ही कार्तिक पर गई, उसके होठों पर मुस्कान आ गई। उसने आगे बढ़कर कार्तिक को वेलकम किया और कहा "मुझे नहीं पता था कि तुम भी यहां इनवाइटेड हो। आई मीन, तुम कुणाल जीजू के साथ आए हो ना, उनके तरफ से?"

    कार्तिक मुस्कुरा कर बोला "नहीं। मुझे यह तो पता था कि कुणाल यहां होगा लेकिन उसने मुझे कुछ बताया नहीं था। मेरे डैड ने मुझे यहां भेजा है, तुम्हारी फैमिली ने इनवाइट किया था उन्हें तो उनके बिहाफ में। फिलहाल तुम्हारी फैमिली कहां है? मुझे उनसे मिलना है। डैड ने गिफ्ट भेजा था।"

    सुहानी भूल गई कि कार्तिक सिंघानिया उसके लिए अभी भी अजनबी ही है। बिल्कुल किसी दोस्त की तरह उसने कार्तिक सिंघानिया की बाह में अपनी बांह को फंसाया और उसे लेकर चल पड़ी घरवालों से मिलवाने। कार्तिक सिंघानिया सुहानी की इस हरकत पर थोड़ा सकपका गया लेकिन सुहानी को इस तरह बेफिक्रे देख वह कुछ कह नहीं पाया।


     सिया की नजर जब उन दोनों पर गई तो उन्होंने सिद्धार्थ से पूछा "इन दोनों की जोड़ी तुम्हें कैसी लग रही है?"

     सिद्धार्थ ने भी कार्तिक और सुहानी को एक साथ देखा और कहा, "दोनों एक साथ अच्छे तो लग रहे हैं। बस उम्मीद करता हूं कि यह लड़का अपनी मां पर गया हो, बाप जैसी हरकते ना करता हो। हां, शादी के बाद वह बिल्कुल रुद्र बन जाए।"


    सिया, जो रूद्र के बारे में कुछ खास नहीं जानती थी, उन्होंने रुद्र के बारे में जानने की इच्छा जताई तो सिद्धार्थ ने कहा "रोज नई लड़की घुमाने वाला रूद्र, शरण्या के प्यार में ऐसा गिरा कि उससे दूर होकर वह जीना भूल गया। आज भी अगर शरण्या को एक खरोच आ जाए जो रूद्र की जान निकल जाती है। इतना प्यार तो आपके दोनों बेटे मिलकर नहीं कर पाएंगे जितना वह अपनी बीवी से करता है।" सिया मुस्कुरा दी।

     इतने में दोनों उनके पास चले आए तो सिद्धार्थ ने पूछा "आज भी तुम ही आए हो, तुम्हारे बाप को इतनी भी फुर्सत नहीं है कि वह यहां आकर हमसे मिल सके?"

     कार्तिक सिंघानिया मुस्कुराते हुए बोला "डैड इंडिया में नहीं है। अगर वह यहां होते तो जरूर आते।"

      सारांश ने आते हुए पूछा "कब तक लौटेगा वह? हमें भी उससे मिलने का मन है।"


    कार्तिक सिंघानिया के होठों पर जो थोड़ी सी मुस्कुराहट थी, वह भी गायब हो गई। उसने सर झुका कर धीरे से कहा "मॉम की तबीयत ठीक नहीं है। इसलिए डैड उन्हें लेकर इंडिया से बाहर गए हैं। जैसे ही वो ठीक हो जाएंगी, डैड उन्हें लेकर घर आ जाएंगे। फिलहाल उन्होंने आप लोगों के लिए छोटा सा गिफ्ट भिजवाया है।" कार्तिक सिंघानिया अपने हाथ में पकड़ा हुआ सिया की तरफ बढ़ा दिया। 

    सिया ने तो कुछ नहीं कहा लेकिन सिद्धार्थ ने पूछा, "शरण्या ठीक तो है?"


   कार्तिक ने जवाब दिया, "फिलहाल तो ठीक है। बस उम्मीद है वो घर जल्दी आ जायेंगी।" 



*****



   काया भागती हुई गेस्ट रूम में पहुंची और जल्दी से दरवाजा बंद कर लिया। उसके दिल की धड़कन इस वक्त किसी बुलेट ट्रेन की तरह चल रही थी। उसने अपनी आंखें बंद की और कुछ देर वही दरवाजे से सर लगाकर खड़ी रही।


    ऋषभ ने जो भी हरकत की थी उस सपने काया को बुरी तरह परेशान कर दिया था। उसके कान में ऋषभ की आवाज पड़ी "किस से भाग रही हो?"


       काया ने चौंककर पलट कर देखा तो वाकई ऋषभ उसके बेहद करीब खड़ा था। उसने गुस्से में कुछ कहना चाहा लेकिन ऋषभ ने उसके और करीब आकर कहा, "मुझसे भाग कर कहां जाओगी? मैं अब तुम्हारे एहसासों में बसा हूं। अब झूठ मत बोलना कि तुम्हें मुझसे कोई फर्क नहीं पड़ता।"

     काया ने गुस्से में अपनी मुट्ठी कसली और आंखें बंद कर गहरी सांस लेने लगी। वह ऋषभ से यहां कोई झगड़ा करके कोई तमाशा खड़ा नहीं करना चाहती थी। लेकिन उसे इतना भी एहसास नहीं हुआ कि यहां इस कमरे में ऋषभ क्या कर रहा है। जैसे ही उसे इस बात का ध्यान आया, उसने आंखें खोली और पूछा "तुम यहां क्या कर रहे हो?" लेकिन हैरानी यह कि वहां कोई नहीं था।

    काया ने चारों तरफ नजर दौड़ाई, सारी खिड़कियां भी बंद थी और बालकनी का दरवाजा भी लगा हुआ था। ऐसे में किसी के आने या जाने का सवाल ही नहीं उठता। काया परेशान हो गई। 'अब मुझे वह लफंगा अपने चारों तरफ नजर आने लगा है? मैं पागल हो जाऊंगी।' काया के हाथ में एक पैकेट था उसने बेड पर रखा और बाथरूम चली गई।


     बाथरूम से फ्रेश होकर आने के बाद उसने पैकेट खोला और अपना सेलेक्ट किया हुआ ड्रेस बाहर निकाला। लेकिन यह क्या यह वो ड्रेस नहीं था जो उसने पसंद किया था। यह कोई पीले रंग की साड़ी थी और साड़ी पहनने का उसका कोई मूड नहीं था। लेकिन इस वक्त वो करें? अगर ये सुहानी का कमरा होता तो दूसरा कुछ निकाल लेती लेकिन इस गेस्ट रूम में उसे क्या ही मिलता!


     काया खुद से बोली "कोई बात नहीं। सबने सूट पहन रखा है तो मैं थोड़ी अलग हो जाऊंगी। लेकिन ये ड्रेस तो मैंने नहीं उठाई थी! कहीं किसी से एक्सचेंज तो नहीं हो गया? लेकिन मैं तो बुटीक से सीधे यहां आ रही हूं, तो क्या मैं ने ही गलत पैकेट उठा लिया?"

    काया के पास दूसरा कोई ऑप्शन नहीं था सो उसने वही साड़ी पहन ली। हैरानी की बात तो यह थी कि उसमें साड़ी से मैचिंग चूड़ियां और एक छोटा सा लॉकेट भी था। काया के पास कुछ और सोचने का टाइम नहीं था इसलिए जल्दी से तैयार होकर वो बाहर निकली।

     बाहर आते ही उसका फोन बजा। काया ने देखा तो किसी अननोन नंबर से उसे कॉल आ रहा था। काया का वैसे ही मूड ऑफ था। उसने पहले तो उस कॉल को इग्नोर किया लेकिन जब दोबारा फोन बजा तो उसे रिसीव करना ही पड़ा। उसने झुंझलाकर कहा "हेलो! कौन बोल रहा है?"

    दूसरी तरफ से एक आवाज आई "मुझे पता था, तुम साड़ी में बहुत खूबसूरत लगोगी।"

    काया ये सुनकर बुरी तरह से घबरा गई।

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