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फ़रवरी, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

सुन मेरे हमसफर 30

 30      सिया ने के पग फेरे के लिए कह दिया था जिस से निशी काफी खुश थी। लेकिन अपने चेहरे पर वो भाव आने देने से उसने रोकने की हर मुमकिन कोशिश की, फिर भी अव्यांश को उसके चेहरे पर खुशी नजर आ गई। सिद्धार्थ उसे इस दुनिया में वापस लाता हुआ बोला "कल वापस आएगा? इतनी जल्दी? अभी थोड़ा ससुराल के मजे तो उठा ले। परसों आना आराम से।"      अव्यांश हड़बड़ा कर बोला "नहीं बड़े पापा! यहां ऑफिस में तो ज्वाइन करना है। पापा ने कहा था।"      सिद्धार्थ सारांश के सामने अपनी धौंस दिखाता हुआ बोला "ये तेरे बाप का बड़ा भाई बोल रहा है। वैसे भी, वहां के ऑफिस में कुछ काम है। तू बस उन्हें खत्म कर आना। एक दिन का टाइम लगेगा, उसके बाद लौट आना। निशी को भी अपने मायके में थोड़ा वक्त मिल जाएगा। इतनी जल्दी नए माहौल में ढलने में उसे थोड़ा वक्त चाहिए होगा। शादी के बाद एक लड़की को सबसे ज्यादा मां की याद आती है।"       सिद्धार्थ ने तिरछी नजरों से श्यामा की तरफ देखा। भले ही श्यामा ने कभी कुछ ना कहा हो। सिया ने हमेशा उसे मां का प्यार दिया हो, लेकिन एक कसक उसके दिल में कहीं ना कहीं बाकी थी जो शादी के बाद

सुन मेरे हमसफर 29

 29  निशी घबराई हुई धीमी कदमों से चली आ रही थी। वह बस मन ही मन प्रार्थना कर रही थी कि यहां कोई तमाशा ना हो। लेकिन इतना तो उसे पता था कि देर से उठने पर उसे अच्छी खासी डांट लगेगी और वह इस सब के लिए खुद को तैयार भी कर रही थी। उसने देखा सभी डाइनिंग टेबल पर इकट्ठा थे और खाना कोई नहीं खा रहा था। सभी आपस में बात करने में लगे हुए थे।      सुहानी की नजर जब निशी पर पड़ी तो वह खुश होकर बोली "लो! निशी भी आ गई।" निशी के दिल की धड़कन और ज्यादा बढ़ गई। पता नहीं सबसे पहले कौन रिएक्ट करेगा!    सबकी नजर निशी पर ही थी। पीली साड़ी, मांग में सिंदूर, हाथों में चूड़ियां, आंखों में काजल, माथे पर छोटी सी बिंदी, कान में झुमके, सर पर पल्लू। अव्यांश तो बस उसे देखता ही रह गया। सिया कुर्सी पर ही टेढ़ी होकर बोली "आ गई महारानी? नींद हो गई पूरी? थोड़ा और सो लेती!" निशी और ज्यादा घबरा गई और वहीं ठिठक कर खड़ी हो गई।       सबकी नजर सिया की तरफ घूम गई। सिया इतने पर नहीं रखी उन्होंने कहा "मां बाप ने कुछ संस्कार दिए हैं या नहीं? शादी से पहले जो करती थी, वह सब भूल जाओ। यहां के नियम कानून कुछ अलग है,

सुन मेरे हमसफर 28

 28     अव्यांश एकदम से घबरा कर अपने चारों तरफ देखता हुआ बोला "ये कहां गया?"     निशी को कुछ समझ नहीं आया। उसने अजीब नजरों से अव्यांश की तरफ देखा जो पूरे घर में इधर-उधर नजरे दौड़ा रहा था। निशी उससे कुछ पूछना चाहती थी लेकिन अव्यांश का बर्ताव वाकई बड़ा अजीब था। अव्यांश ने अपना सर पकड़ लिया और बेड पर बैठ कर बोला "घरवाले तो सारे सोने गए। अब मैं किससे पूछूं?"     निशी ने अभी भी कुछ नहीं कहा, बस उसे देखती रही तो अव्यांश ने निशी से ही पूछा "यहां पर जो सोफा था, तुम्हें पता है वह कहां गया?"      निशी को और जाकर ध्यान आया, वाकई वहां से सोफा गायब था जहां अव्यांश सोया था। अव्यांश अपने सर खुजाता हुआ बोला "हो ना हो, यह जरूर बड़ी मां का काम है। उन्होंने मुझे शायद यहां सोते देख लिया होगा।" फिर एक गहरी सांस लेकर बोला "मेरे घरवाले थोड़ी अजीब किस्म के है। कब क्या कर जाए, कोई कह नहीं सकता। तुम जाकर फ्रेश हो जाओ और चेंज कर लो। मैं दूसरे रूम से फ्रेश होकर आता हूं।"     अव्यांश ने अलमारी से अपने लिए नाइट सूट निकाला और दूसरे कमरे में चला गया। निशी के पास और को

सुन मेरे हमसफर 27

27    कुणाल और कुहू की सगाई बड़े आराम से हो गई। सारांश ने निशी के मां पापा को भी इनवाइट किया था लेकिन वो लोग आ नही पाए। चित्रा और अवनी के मन में जो सवाल थे वह तो शांत हो गए लेकिन कोई तो था जिसने कुणाल की बातें सुनी थी, लेकिन कौन?     एक तरफ कुहू अपनी सगाई से बेहद खुश थी तो वही कुणाल अपने कमरे में खिड़की पर खड़ा खामोश आंखों से सितारों को देखे जा रहा था। बाहर से आती ठंडी हवाएं उसके मन को ठंडक पहुंचाने के लिए काफी नहीं थी। मिसेज रायचंद कमरे में आई और दरवाजा बंद कर बोली "क्या तूने वाकई हार मान ली?" कुणाल ने कुछ नहीं कहा।      मिसेज रायचंद कुणाल के करीब आई तो उनका ध्यान टेबल पर रखे उस अंगूठी पर गया, जिसे अभी कुछ देर पहले कुहू ने उसे पहनाया था। उन्होंने उस अंगूठी को उठाया और बोली "तू इस अंगूठी को बर्दास्त नही कर पा रहा तो कुहू को कैसे करेगा? जिस रिश्ते को तू मानना नही चाहता तो फिर क्यों इसे जबरदस्ती ढोना चाहता है? रिश्ते जबरदस्ती नहीं बनते। रिश्ते प्यार से बनते हैं, विश्वास से बनते हैं, सम्मान से बनते हैं।"      कुणाल बिना उनकी तरफ देखे बोला "किसी भी रिश्ते के लिए प

सुन मेरे हमसफर 26

  26     कुहू और काव्या सिया के पास ही बैठी हुई थी सिया ने कुहू के सर पर हाथ फेरा और काव्या से बोली "काव्या बेटा! कंचन जी और अखिल जी की कोई खबर आई क्या?"       काव्या बोली "जी बड़ी मां! मां पापा हरिद्वार से निकलने वाले हैं। दो दिन में उनकी ट्रेन है, और यहां 3 दिन के बाद ही पहुंचेंगे। मैने उन्हे कहा भी था लेकिन पापा की ही जिद्द थी कुहू की सगाई शुभ मुहूर्त में हो जाए। कुणाल के बारे में उन्हें बताया तो वह बहुत खुश थे और अंशु के बारे में भी। अवनी को तो टाइम ही नहीं मिला उनसे बात सके। मैं समझ रही हूं, वो कल और आज में काफी व्यस्त थी, इसलिए मैंने उन्हें बता दिया।"      कुहू उदास होकर बोली "नानू नानी यहां होते तो और ज्यादा अच्छा लगता। खैर कोई बात नहीं, लेकिन उनसे कह दीजिए शादी में अगर वो नहीं आए तो मैं उनसे कभी बात नहीं करूंगी।"     सिया हंसती हुई बोली "तब तो तुम्हारे नानू नानी को आना ही पड़ेगा।"      चित्रा भी उनके पास ही चली गायी। सिया ने देखा तो उससे बोली "गायब तो दो लोग और है। अगर वो कुहू की शादी में नहीं आए तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा, मैं पहले

सुन मेरे हमसफर 25

 25     सारांश सिद्धार्थ और कार्तिक, तीनों मिस्टर रायचंद के साथ बातें करने में लगे हुए थे और समर्थ एक साइड खड़ा था। उसकी नजर बार बार दरवाजे की तरफ जा रही थी। कुछ था उसकी आंखों में जिसे कोई पढ़ नहीं पा रहा था। निक्षय उसके पास आया और उसके कंधे पर हाथ रख कर बोला, "क्या बात है बच्चे! किसी का इंतजार हो रहा है? कोई आने वाला है? या फिर आने वाली है?"     समर्थ नजरे चुराते हुए बोला, "क्या अंकल आप भी! कौन आने वाली होगी? मैं तो बस अंशु का वेट कर रहा था।"     निक्षय उसे और तंग करता हुआ बोला, "एक मिनट अपना फोन निकालो!"     समर्थ ने निक्षय के कहे अनुसार अपना फोन निकाला तो निक्षय बोला, "मैं एक नंबर दे रहा हु, उसे सेव कर लो।"     निक्षय बोलते गया और समर्थ उस नंबर को डायल करने लगा। आखिरी नंबर पर समर्थ बोला, "अंकल! ये तो अंशु का नंबर है! ये आप मुझे क्यों दे रहे है?"   निक्षय बोला, "तुमने ही कहा ना, तुम अंशु का वेट कर रहे हो। जब उसका नंबर तो तुम्हारे पास है, तो तुम उसे कॉल भी कर सकते हो। इस तरह दरवाजे पर सिर्फ तभी नजर जाती है जब उस आने वाली की कोई खब

सुन मेरे हमसफर 24

 24     मिस्टर रायचंद परेशानी से इधर उधर टहल रहे थे। उनके हाथ में रखा फोन लगातार बजे जा रहा था। कुणाल की मां वही अपना सर पकड़े बैठी हुई थी। फोन की आवाज सुनकर वह बोली "फोन उठा लीजिए ना! कब से बज रहा है!"       मिस्टर रायचंद बोले "कैसे फोन उठा लूं? कुहू कॉल कर रही है। अगर कुणाल का फोन मैं रिसीव करूंगा तो क्या उसे थोड़ा अजीब नहीं लगेगा? क्या उसे शक नहीं होगा कि आखिर कुणाल का फोन मेरे पास क्या कर रहा है? और जब वह पूछेगी कि कुणाल कहां है तो मैं क्या जवाब दूंगा? जब मुझे खुद नहीं पता कि वह कहां है। तुम्हारा लाडला बेटा, हमें लास्ट मोमेंट पर धोखा देगा यह मैंने नहीं सोचा था। क्या करूं, कैसे कहूं किसी से कि कुणाल घर से गायब है! कल रात से उसका कोई पता नहीं है। नहीं करनी थी सगाई, तो मना कर देता। हमने कोई जबरदस्ती तो नहीं की थी उसके साथ!"      मिसेज रायचंद उठ खड़ी हुई और अपने पति को ताना देकर बोली "जबरदस्ती नहीं की थी आपने उसके साथ! इतनी सफाई से झूठ कैसे बोल लेते हैं आप? आप अच्छे से जानते हैं हमारा बच्चा इस रिश्ते के लिए कभी तैयार नहीं था। उसके दिल में किसी और के लिए जज्बात

सुन मेरे हमसफर 23

 23     अव्यांश अपने कमरे से निकलकर सीधे नीचे हॉल में पहुंचा जहां समर्थ पहले से तैयार होकर अपने लैपटॉप में ऑफिस का कुछ काम कर रहा था। उसने बिना अव्यांश के तरफ देखे बोला, "बड़ी जल्दी तैयार हो गया तू! मुझे तो लगा था बाकियों की तरह तू भी अपनी बीवी के साथ ही नीचे आएगा। लेकिन तूने साबित कर दिया कि तू मेरा भाई............................. नहीं है। यह क्या हुलिया बना रखा है? किसी हैलोवीन पार्टी में जा रहा है क्या?" समर्थ की नजरें जैसे ही अव्यांश पर पड़ी उसके सुर ही बदल गए।       अव्यांश को याद ही नहीं रहा कि उसने सिर्फ कपड़े बदले हैं, अभी तक तैयार नहीं हुआ। उसने अजीब नजरों से अपने भाई की तरफ देखा और सवाल किया "क्यों? क्या खराबी है इन कपड़ों में? सही तो है!"       समर्थ ने अपने लैपटॉप बंद किया और साइड में रखकर बोला "कपड़े तो ठीक है लेकिन थोड़ी शक्ल भी ठीक कर लेता।"       अव्यांश को ध्यान आया कि वो अभी तक ठीक से तैयार नहीं हुआ है। निशी के चक्कर में वह एकदम से भूल गया था। समर्थ उसे ताना देते हुए बोला "मुझे नहीं लगा था, तू इतनी जल्दी शादीशुदा लोगों की तरह बर्ताव

सुन मेरे हमसफर 22

 22     निशी को अपने चेहरे पर कुछ महसूस हुआ जिसके कारण उसकी आंख खुल गई। अव्यांश उसके बेहद करीब था, जिसे देख निशी एकदम से घबरा गई और उठकर पीछे हो गई। अव्यांश खुद भी झेंप गया और बोला "वह तुम्हारे......... तुम्हारे चेहरे पर बाल आए हुए थे और तुम्हें प्रॉब्लम हो रही थी तो मैं उसे ही......!" फिर झुंझलाकर बोला, "कितनी गहरी नींद सोती हो तुम! मैं कब से तुम्हें जगाने की कोशिश कर रहा हूं लेकिन तुम उठ ही नहीं रही थी। बड़ी मां ने कपड़े दिए हैं, तुम तैयार हो जाओ। मैं दूसरे रूम में जा रहा हूं तैयार होने।     अव्यांश ने बिना निशी के जवाब का इंतजार किए अपने कपड़े उठाएं और गेस्ट रूम में चला गया। लगभग 10 मिनट लगे उसे अपने कपड़े बदलने में और आईने में खुद को देखा। थोड़े बाल सेट करने थे। उसने चारों तरफ नजर दौड़ाई लेकिन कंघी, हेयर जेल उसे कहीं नजर नहीं आया तो वह वापस अपने कमरे में आ गया।     अव्यांश के पैरों में जूते नहीं थे इसलिए उसके आने की आहट निशी को सुनाई नहीं दी। निशी आईने के सामने खड़ी तैयार हो रही थी। अव्यांश जिस तरह गया था, निशी थोड़ी कन्फ्यूजन में थी और कपड़े उठाकर उसने चेंजिंग रूम म