सुन मेरे हमसफर 30
30 सिया ने के पग फेरे के लिए कह दिया था जिस से निशी काफी खुश थी। लेकिन अपने चेहरे पर वो भाव आने देने से उसने रोकने की हर मुमकिन कोशिश की, फिर भी अव्यांश को उसके चेहरे पर खुशी नजर आ गई। सिद्धार्थ उसे इस दुनिया में वापस लाता हुआ बोला "कल वापस आएगा? इतनी जल्दी? अभी थोड़ा ससुराल के मजे तो उठा ले। परसों आना आराम से।" अव्यांश हड़बड़ा कर बोला "नहीं बड़े पापा! यहां ऑफिस में तो ज्वाइन करना है। पापा ने कहा था।" सिद्धार्थ सारांश के सामने अपनी धौंस दिखाता हुआ बोला "ये तेरे बाप का बड़ा भाई बोल रहा है। वैसे भी, वहां के ऑफिस में कुछ काम है। तू बस उन्हें खत्म कर आना। एक दिन का टाइम लगेगा, उसके बाद लौट आना। निशी को भी अपने मायके में थोड़ा वक्त मिल जाएगा। इतनी जल्दी नए माहौल में ढलने में उसे थोड़ा वक्त चाहिए होगा। शादी के बाद एक लड़की को सबसे ज्यादा मां की याद आती है।" सिद्धार्थ ने तिरछी नजरों से श्यामा की तरफ देखा। भले ही श्यामा ने कभी कुछ ना कहा हो। सिया ने हमेशा उसे मां का प्यार दिया हो, लेकिन एक कसक उसके दिल में क...