सुन मेरे हमसफर 22

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    निशी को अपने चेहरे पर कुछ महसूस हुआ जिसके कारण उसकी आंख खुल गई। अव्यांश उसके बेहद करीब था, जिसे देख निशी एकदम से घबरा गई और उठकर पीछे हो गई। अव्यांश खुद भी झेंप गया और बोला "वह तुम्हारे......... तुम्हारे चेहरे पर बाल आए हुए थे और तुम्हें प्रॉब्लम हो रही थी तो मैं उसे ही......!" फिर झुंझलाकर बोला, "कितनी गहरी नींद सोती हो तुम! मैं कब से तुम्हें जगाने की कोशिश कर रहा हूं लेकिन तुम उठ ही नहीं रही थी। बड़ी मां ने कपड़े दिए हैं, तुम तैयार हो जाओ। मैं दूसरे रूम में जा रहा हूं तैयार होने।


    अव्यांश ने बिना निशी के जवाब का इंतजार किए अपने कपड़े उठाएं और गेस्ट रूम में चला गया। लगभग 10 मिनट लगे उसे अपने कपड़े बदलने में और आईने में खुद को देखा। थोड़े बाल सेट करने थे। उसने चारों तरफ नजर दौड़ाई लेकिन कंघी, हेयर जेल उसे कहीं नजर नहीं आया तो वह वापस अपने कमरे में आ गया।


    अव्यांश के पैरों में जूते नहीं थे इसलिए उसके आने की आहट निशी को सुनाई नहीं दी। निशी आईने के सामने खड़ी तैयार हो रही थी। अव्यांश जिस तरह गया था, निशी थोड़ी कन्फ्यूजन में थी और कपड़े उठाकर उसने चेंजिंग रूम में पहने। लेकिन लहंगे का ब्लाउज फिटिंग था और पीछे की डोरी से बंद नहीं रही थी। अव्यांश का ध्यान इस ओर नहीं गया था। वो तो बस निशी को देखे जा रहा था। मजेंटा कलर का लहंगा जो निशी पर बेहद खिल रहा था।


     निशि का ध्यान जब आईने में अव्यांश की परछाई पड़ी तो घबरा कर जल्दी से बिस्तर से दुपट्टा उठाया और खुद पर लपेट लिया। अव्यांश एक बार नर्वस हो गया और बोला "सॉरी! मैं ऐसे आना नहीं चाहता था, लेकिन दरवाजा खुला था तो मैं........!"


      निशी ने कुछ नहीं कहा तो अव्यांश फिर बोला "तुम रुको, मैं तुम्हारे हेल्प के लिए किसी को बुला कर लाता हूं।" कहकर वो चला गया। निशि अजीब नज़रों से उसको देखती रही। अव्यांश अभी भी उसकी समझ से परे था। कुछ देर बाद वो फिर से डोरी को बांधने की कोशिश में लग गई।


     फरवरी की ठंड में भी अव्यांश को हल्का पसीना आ गया था। उसने अपने माथे से पसीना पोंछा और सारांश के कमरे में गया। सारांश उस वक्त आईने के सामने खड़ा होकर खुद को एक बार अच्छे से देख रहा था। अव्यांश बिना नॉक किए बेधड़क कमरे में घुसा और बोला "डैड! मॉम कहां है?"


     सारांश ने उसे नाराजगी से देखा और कहा "ये क्या तरीका है? तुम सारे भाई बहनों में मैनर्स नाम की कोई चीज नहीं है? शादी हो गई है तेरी, कम से कम अब तो समझ! हस्बैंड वाइफ के रूम में हमेशा नॉक करके आना चाहिए।"


     अव्यांश मुस्कुरा कर बोला "बिल्कुल जाना चाहिए लेकिन यह तो मेरे मम्मी पापा का कमरा है, नॉक करने की जरूरत किसी और को होती है, हमें नहीं। चुपचाप बताइए मॉम कहां है?"


     सारांश चिढ़कर बोला "नहीं है वो यहां पर। गई है तेरी दादी को तैयार करने। काम क्या था, बता तो! शायद मैं तेरी हेल्प कर दूं!"


     अव्यांश नजर चुराता हुआ बोला "कुछ नहीं, मैं बड़ी मां से हेल्प लेता हूं।" कहकर वो बाहर निकल गया। सारांश पहले तो समझ नहीं पाया लेकिन कुछ सोच कर उसके होठों पर एक बड़ी सी स्माइल आ गई। उसने अपना फोन लिया और सिद्धार्थ को कुछ मैसेज टाइप कर भेज दिया।


     अव्यांश सीधे सिद्धार्थ के रूम में पहुंचा और दरवाजा खोलकर अंदर घुस गया। श्यामा सिद्धार्थ की टाई बांध रही थी और सिद्धार्थ उसे परेशान करने में लगा हुआ था। उन दोनों का रोमांटिक मोमेंट्स स्पॉयल करते हुए अव्यांश श्यामा का हाथ पकड़े उसे अपने साथ खींचकर ले जाने लगा।


      श्यामा कुछ समझ पाती उससे पहले सिद्धार्थ ने उसका दूसरा हाथ पकड़ लिया और बोला "यह क्या बदतमीजी है? तुझे समझ नहीं आता, हम यहां तैयार हो रहे हैं! और तू है कि मेरे सामने मेरी बीवी को किडनैप करके ले जा रहा है? हिम्मत कैसे हुई तेरी?"


      अव्यांश परेशान होकर बोला "बड़ी मां! मुझे आपकी हेल्प चाहिए। चलिए मेरे साथ।"


    अव्यांश ने श्यामा को अपनी तरफ खींचा और ले जाने लगा लेकिन सिद्धार्थ ने एक बार फिर श्यामा का हाथ कस कर पकड़ा और उसे अपनी तरफ खींच लिया। "तुझे ऐसा कौन सा जरूरी काम आ गया है जो इस तरह मेरी बीवी को मुझसे दूर लेकर जा रहा है? तुझे कौन सी हेल्प चाहिए? मुझे बता, मैं करता हूं तेरी हेल्प।" सिद्धार्थ अपने बाजू फोल्ड करते हुए धमकाने वाले अंदाज़ में कहा।


     अव्यांश बोला "मुझे नहीं, वह......... निशी को हेल्प चाहिए।" 


     सिद्धार्थ एकदम से शाम को अपने पीछे करता हुआ बोला "तो तू जा ना! तेरी बीवी है, कोई पड़ोसी की नहीं है जो तू इस तरह घबरा रहा है। चल निकल यहां से!"


     अव्यांश अपनी मजबूरी किसी को बता नहीं पा रहा था। "लेकिन बड़े पापा! जरूरी है इसलिए तो मैं बड़ी मां को बुलाने आया था।"


     सिद्धार्थ कहां कुछ सुनने वाला था। उसने धक्का देकर अव्यांश को बाहर किया और दरवाजा बंद कर दिया। श्यामा सिद्धार्थ को अजीब तरह से घूरने लगी। सिद्धार्थ ने भौंह उचका कर पूछा "क्या......? ऐसे क्या देख रही हो?"


    श्यामा ने कमर पर हाथ रखा और बोली, "बच्चा हेल्प के लिए आया था। आपने उसे ऐसे भगा दिया जैसे वाकई मुझे किडनैप करने आया हो! आप भी ना, कभी-कभी बहुत अजीब तरह से बर्ताव करते हैं। आप ऐसे तो नहीं थे!"


    सिद्धार्थ मुस्कुराकर थोड़ा सा झुका और उसके कान में कुछ बोला जिसे सुनकर श्यामा की आंखें बड़ी बड़ी हो गई।


      अव्यांश झुंझलाता हुआ कमरे में दाखिल हुआ और बोला "कोई नहीं आने वाला है। सब बिजी है अपने-अपने काम में। यह तीनों शैतान! उन्हें भी तो मैंने ही भेजा था पार्लर। वह तीनों सीधे पार्टी वेन्यू पर ही पहुंचेगी। तुम एक काम करो, कुछ और पहन लो।"


     अव्यांश ने अलमारी में निशी के लिए कुछ कपड़े तलाशने शुरू किए जिसे पहनकर वह सगाई में जा सकती थी। लेकिन वहां उसे उस तरह का कोई आउटफिट नहीं मिला। निशी बेचारी चुपचाप एक कोने में खड़ी थी। अव्यांश ने सर पकड़ लिया और बोला "मैं काम करता हूं, मासी को फोन करता हूं, वह तुम्हारे लिए कुछ और भेज देंगी।"


    अव्यांश ने अपना फोन निकाला और काव्या का नंबर डायल करने लगा लेकिन काव्या ने कॉल रिसीव नहीं किया। निशी बोली "उसका भी कोई फायदा नहीं होगा। वो को कुछ भी भेजेंगी, कुछ ऐसा ही होगा।"


     अव्यांश इस पूरे सिचुएशन को समझने की कोशिश कर रहा था। उसने धीरे से लड़खड़ाती जुबान में कहा "तुम कहो तो मैं........ मैं तुम्हारी हेल्प.......! देखो, मेरा ऐसा वैसा कोई टेंशन नहीं है। लेकिन यहां कोई और ऑप्शन नहीं है तो क्या मैं तुम्हारी हेल्प कर सकता हूं?"


    निशी ने पहले तो घबराई हुई नजरों से अव्यांश को देखा फिर उसे भी लगा कि इस वक्त उसे अव्यांश की हेल्प लेनी ही पड़ेगी। उसके पास कोई और रास्ता नहीं था। देर भी हो रही थी। सारे घर वाले लगभग तैयार हो चुके थे। ससुराल वालों के सामने वो ज्यादा नखरे नहीं दिखा सकती थी। निशी धीरे से पलट गई और अपने दुपट्टे को ऊपर कंधे पर खींच लिया जिससे उसका बॉडी पार्ट्स ज्यादा एक्सपोज ना हो।


    यह निशी की तरफ से साफ इशारा था। अव्यांश को पता नहीं क्यों लेकिन बहुत ज्यादा घबराहट हो रही थी। एक-एक कदम उसके लिए बहुत भारी महसूस हो रहा था। उसने मन ही मन खुद से कहा "शादी से पहले तो एक साथ दो लड़कियों की कमर में हाथ डाल कर घूमता था। और आज अपनी ही बीवी के सामने तू इतना नर्वस क्यों हो रहा है? मत भूल तू कौन है! लड़कियों के साथ दोस्ती तेरे लिए कोई नई बात नहीं है लेकिन अपनी बीवी के सामने तू क्यों इतना घबराता है? हिम्मत कर और आगे बढ़! हिम्मत कर और आगे बढ़!!'


     अव्यांश के मुंह से निकल गया "हिम्मत कर और आगे बढ़!"


    निशी ने चौक कर आईने में अव्यांश को देखा और बोली "कुछ कहा तुमने?"


     अव्यांश खुद भी चौक गया और बोला "नहीं! कुछ नहीं। कुछ भी तो नहीं।" और अपने कांपते हाथों से उसने डोरी बांधी। अव्यांश की छुअन से निशि अंदर तक कांप गई। उसकी हिम्मत नही हुई अव्यांश की तरफ देखने की।


     लेकिन उसी वक्त एक बड़ी हैरान कर देने वाली बात हुई। इतनी देर से अव्यांश निशी के लिए हेल्प ढूंढने की कोशिश कर रहा था और जब काम हो गया तो ना जाने कहां से एक मोहतरमा उसके दरवाजे पर आ खड़ी हुई और बोली "सर! मुझे सुहानी मैडम ने भेजा है, मिसेज मित्तल को तैयार करने के लिए।"


    अव्यांश ने राहत की सांस तो ली लेकिन उसे सुहानी पर गुस्सा आ रहा था। 'अगर भेजना ही था तो पहले नही भेज सकती थी! थोड़ा जल्दी आ जाती तो क्या जाता?' अव्यांश मन ही मन भुनभुनाता हुआ बाहर निकल गया। अवनी और श्यामा छुपकर अपने अपने कमरों से उसे देख रही थी।




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