सुन मेरे हमसफर 23

 23





    अव्यांश अपने कमरे से निकलकर सीधे नीचे हॉल में पहुंचा जहां समर्थ पहले से तैयार होकर अपने लैपटॉप में ऑफिस का कुछ काम कर रहा था। उसने बिना अव्यांश के तरफ देखे बोला, "बड़ी जल्दी तैयार हो गया तू! मुझे तो लगा था बाकियों की तरह तू भी अपनी बीवी के साथ ही नीचे आएगा। लेकिन तूने साबित कर दिया कि तू मेरा भाई............................. नहीं है। यह क्या हुलिया बना रखा है? किसी हैलोवीन पार्टी में जा रहा है क्या?" समर्थ की नजरें जैसे ही अव्यांश पर पड़ी उसके सुर ही बदल गए।


      अव्यांश को याद ही नहीं रहा कि उसने सिर्फ कपड़े बदले हैं, अभी तक तैयार नहीं हुआ। उसने अजीब नजरों से अपने भाई की तरफ देखा और सवाल किया "क्यों? क्या खराबी है इन कपड़ों में? सही तो है!"


      समर्थ ने अपने लैपटॉप बंद किया और साइड में रखकर बोला "कपड़े तो ठीक है लेकिन थोड़ी शक्ल भी ठीक कर लेता।"


      अव्यांश को ध्यान आया कि वो अभी तक ठीक से तैयार नहीं हुआ है। निशी के चक्कर में वह एकदम से भूल गया था। समर्थ उसे ताना देते हुए बोला "मुझे नहीं लगा था, तू इतनी जल्दी शादीशुदा लोगों की तरह बर्ताव करने लगेगा!"


     सिद्धार्थ की आवाज गूंजी "कहने का मतलब क्या है तेरा? शादीशुदा लोग? तुझ जैसे कुंवारे लोग क्या समझे इस बात को, क्यों बीवी?" सिद्धार्थ एकदम से श्यामा के कमर में हाथ डाला और उसे अपनी तरफ खींचा। श्यामा कोहनी से सिद्धार्थ को अलग करने की कोशिश करने लगी लेकिन सिद्धार्थ का सुनने वाला था।


     अवनी और सारांश भी अपने कमरे से निकले तो अव्यांश ने उन्हें अजीब तरह से देखा। जब सिया हॉल में आई तो अव्यांश बोला "दादी! आप तैयार हो गई?"


     सिया बड़े बेफिक्र अंदाज में बोली "और नही तो क्या! मुझे तैयार होने में वक्त नहीं लगता। और सबसे पहले मैं ही तैयार होती हूं।"


     सारांश को मामला समझते देर नहीं लगी। उसने अवनी को कोहनी मारी और दोनों दादी पोते की तरफ देखकर कुछ इशारा किया। अवनी को बीही एकदम से कुछ समझ आया और उसने कहा "हां! मैं अभी-अभी तो मां को तैयार करके आई हूं।"


      सिया तूनककर बोली "तुम मुझे तैयार करने आई थी? कब?"


      अवनी और सारांश दोनों ने बेबसी से सिया को देखा जिससे सिया एकदम से हड़बड़ा कर बोली "हां हां! तुम मुझे तैयार करने आई थी। तुमने ही तो तैयार किया मुझे।"


      अव्यांश को थोड़ी गड़बड़ जरूर लग रही थी। क्योंकि थोड़ी देर पहले जब अवनी को बुलाने गया था तब अवनी आपके कमरे में नहीं थी और अब वहीं से बाहर आई थी। समर्थ एकदम से सब को डांट लगाता हुआ बोला "क्या है यह सब? कर क्या रहे हो आप लोग? अभी तक तैयार नहीं हुए!"


     सब ने अपने अपने कपड़ों की तरफ देखा। अपने कमरे से निकलने से पहले सब ने खुद को अच्छी तरह से आईने में देखा था। सारांश बोला, "अभी और कितनी तैयारी करनी है? हम सब परफेक्ट है।"


     समर्थ सर पर हाथ मार कर बोला "ठंड का मौसम है। हम सब ने तो ब्लेजर पहन रखा है लेकिन इन लेडीज को देखो! इन्हे क्या ठंड नहीं लगती?"


   तीनों ने साड़ी पहन रखी थी और सिया के अलावा अवनी और श्यामा ने छोटे स्लीव्स के ब्लाउज पहने थे। श्यामा इतरा कर बोली "हम सब पार्टी में जाने को तैयार हैं। देर हो रही है, चलें अब?"


     अव्यांश भी सबके लिए कंसर्न्ड होता हुआ बोला "लेकिन बड़ी मां! कमसे कम कोई गर्म कपड़ा तो रख लीजिए! अट लीस्ट शॉल ही रख लीजिए।"


    अवनी ने अपने जुड़े से बाहर झूलती लटों को अपनी उंगली में लपेटा और बोली "शॉल! हम क्यों रखें शॉल? हमें भी तस्वीरें खिंचवानी होती है। लोग क्या कहेंगे? कोई भी तस्वीर अच्छी नहीं आएगी। हम तो कुछ नहीं कहते जब तुम लोग गर्मी में भी इतने मोटे-मोटे ब्लेजर पहनते हो!"


     सिया बीच में दखल देती हुई बोली "अरे हम लोग यह सब डिसकस क्यों कर रहे हैं? यह सब तो आकर भी कर सकते हैं। चलो पहले, लड़के वाले इंतजार कर रहे होंगे। कहा तो हमें उनका स्वागत करना चाहिए था लेकिन वह लोग ही हमारे स्वागत के लिए खड़े होंगे। चलो जल्दी।


     सारे लोग वहां से जाने को हुए तो अव्यांश बोला "लेकिन दादी, वह निशी..........! निशी अभी भी तैयार हो रही है।"


      सारांश सोचने की एक्टिंग करता हुआ बोला "अरे हां! निशी अब तक तैयार हो रही है, फिर यह कैसे जाएगा?"


     श्यामा बोली "अव्यांश! हमें तो अभी निकलना होगा। एक काम करो, तुम यही रह जाओ। तुम और निशी एक साथ आओगे तो अच्छा लगेगा, उसे भी और हम सब को भी। इस तरह तुम उसे छोड़कर जा नहीं सकते, ठीक है?"


      समर्थ उठा और अपना कॉलर ऊपर कर प्राउड के साथ बोला "फैमिली का सबसे लकी इंसान।" और अपनी नाक ऊंची कर वहां से बाहर चला गया।


      सिद्धार्थ समर्थ के इस घमंड से चिढ़ गया और उसने मन ही मन उससे बदला लेने की ठान ली जिससे उसके होठों पर मुस्कान आ गई। श्यामा ने जब देखा तो इन दोनों बाप बेटे के टशन से परेशान हो गई। अव्यांश और निशि को छोड़ बाकी सब सगाई वेन्यू की तरफ निकल गए। जाते जाते अवनी ने कहा "जाकर अपने बाल ठीक करो और अच्छे से तैयार हो जाओ। ऐसे ही चिड़िया के घोसले के साथ मत आ जाना।"


    अव्यांश एक बार फिर सबके बातों में तैयार होना भूल गया था। सब के जाने के बाद उसने अपने कमरे की तरफ कदम बढ़ाए लेकिन वहां निशी थी इसलिए अभी उसे जाना ठीक नहीं लगा तो वह समर्थ के कमरे में गया और तैयार होकर हॉल में चला आया। निशी का इंतजार करता हुआ अव्यांश वही हॉल में बैठ गया। कई बार उसका दिल किया कि वह जाकर निशी को देखे लेकिन उसकी हिम्मत जवाब दे रही थी।


      वही अपने कमरे में बैठी निशी परेशान हो रही थी। उसकी स्टाइलिश कुछ इस तरह उसके बाल बना रही थी कि जैसे वह इस काम में नई हो। वो निशी के बालों पर अब तक 4 तरह के स्टाइल आजमा चुकी थी। निशी अब परेशान होकर बोली "आपको जो भी करना है, आप प्लीज जल्दी कीजिए। मुझे देर हो रही है।"


    स्टाइलिस्ट बोली "सॉरी मैम! वो क्या है ना, आपके बाल थोड़े ज्यादा सिल्की है इसीलिए मैं उन्हें संभाली नहीं पा रही हूं।"


   निशा को यह बात बहुत अजीब लगी क्योंकि उसके बालों के बारे में आज तक किसीने ऐसे कुछ नही कहा था और यह काम तो एक हेयर स्टाइलिश के लिए काफी आसान होती है। दिखने में कोई कम उम्र में की तो थी नहीं, तो क्या इसने नया नया ज्वाइन किया है? कुछ सोच कर निशी बोली "आपके पास हेयर जेल है ना? या फिर हेयर स्प्रे! आप कुछ भी अप्लाई करो, मेरे बाल इतने भी सिल्की नहीं है जो उसे सेट करने में इतना टाइम लगे। आप समझ नहीं रही, मैं इतना इंतजार नहीं कर सकती। एक काम कीजिए आप मेरे बाल खुले छोड़ दीजिए। जुड़ा बनाने की जरूरत नहीं है।"


     स्टाइलिस्ट बोली "नहीं मैडम! मैं आपके बाल नहीं छोड़ सकती। सिया मैडम ने खासतौर पर कहा है कि आपके बालों का जुड़ा बनाना है। वह क्या है ना, शादीशुदा लड़कियों को खुले बाल नहीं रखने चाहिए, अच्छा नहीं होता है।"


      निशी को यह बात बहुत अजीब लगी। इतना बड़ा परिवार और इतनी पुरानी सोच! आजकल कौन जुड़ा बनाता है? निशी अपने आप में बड़बड़ाने लगी। वो खुलकर कुछ कह नहीं सकती थी उसने स्टाइलिस्ट को जो अत्याचार करने थे, उसे करने दिया।


      हेयर स्टाइलिस्ट अपने हिसाब से कुछ ना कुछ कर रही थी। कहीं क्लिप लगा रही थी तो कहीं बाल कर्ल कर रही थी। सबके जाने के थोड़ी देर बाद ही उसके फोन पर मैसेज टोन बजा। उसने निकाल कर देखा और ना जाने कहां से उसके दिमाग की बत्ती जली और अगले पांच से सात मिनट के अंदर उसने निशि के बालों का जुड़ा बनाकर तैयार कर दिया।


     निशी हैरानी से आंखें फाड़े उसे देखती रही। इतनी देर से वो किसी नौसिखिए की तरह काम कर रही थी और अचानक से उसके हाथ ऐसे चले जैसे वो इस काम में कितनी ज्यादा एक्सपर्ट थी! हेयर स्टाइलिश ने मुस्कुराकर आईने निशी की तरफ देखा और बोली "बहुत प्यारी लग रही है आप। किसी की नजर ना लगे।" और जाकर अपना बैग पैक करने लगी।


     सारा सामान समेटने के बाद उसने अपना फोन उठाया और एक मैसेज टाइप कर भेज दिया। स्टाइलिस्ट कोई नौसिखिया बिल्कुल नहीं थी। बल्कि यह सारा प्लान सिया ने सुहानी के साथ मिलकर बनाया था और इस सब में पूरे परिवार का सपोर्ट था। एक तरह से कहा जाए तो सब ने मिलकर अव्यांश और निशि को ज्यादा से ज्यादा एक साथ अकेले वक्त देने के लिए यह सारा खेल रचा था।


     निशी कुछ देर तो खुद को देखती रही फिर उसका ध्यान घड़ी की तरफ गया और वो हड़बड़ाकर अपना दुपट्टा उठाती हुई बाहर निकली। बाहर निकलते हुए उसका ध्यान अपने फोन की तरफ गया। तब जाकर उसे एहसास हुआ कि इन सब चक्कर में उसका फोन वही बेंगलुरु में ही रह गया था और फोन के बिना उसे बहुत अजीब लगता था। आजकल की जनरेशन! जो घर से ज्यादा सोशल मीडिया पर वक्त गुजारते हैं। 


    निशी ने गहरी सांस ली और सधे कदमों से नीचे की तरफ आने लगी। उसके पीछे उसके स्टाइलिस्ट निशि का दुपट्टा पकड़े चली आ रही थी।


     अव्यांश ने जब आहट सुनी तो उसने नजर उठाकर सीढ़ियों की तरफ देखा। वाकई हल्के से मेकअप पर निशी का चेहरा गुलाब की तरह खिल गया था। अव्यांश बस उसे देखता ही रह गया।


   दूसरी तरफ कुहू तैयार होकर अपना फोन कान से लगाया बैठी थी। काया ने पूछा तो सुहानी बोली, "जीजू को फोन लगा रही है। तैयार होकर सब से पहले वो जीजू को ही दिखाना चाहती है, हमे नही। हमारा तो कोई हा ही नही बनता अब तो। हमारी कुहू दी अभी से पराई हो गई।"


     सुहानी रोने का नाटक करती हुई काया के कंधे पर सर रख लिया। वहीं कुहू के माथे पर परेशानी की लकीर नजर आने लगी। कितनी ही बार उसने कुणाल को कॉल लगाया लेकिन कुणाल ने एक बार भी उसके किसी भी कॉल का जवाब नही दिया।




Link:- 

सुन मेरे हमसफर 24



सुन मेरे हमसफर 22




टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सुन मेरे हमसफर 272

सुन मेरे हमसफर 309

सुन मेरे हमसफर 274