सुन मेरे हमसफर 24

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    मिस्टर रायचंद परेशानी से इधर उधर टहल रहे थे। उनके हाथ में रखा फोन लगातार बजे जा रहा था। कुणाल की मां वही अपना सर पकड़े बैठी हुई थी। फोन की आवाज सुनकर वह बोली "फोन उठा लीजिए ना! कब से बज रहा है!"


      मिस्टर रायचंद बोले "कैसे फोन उठा लूं? कुहू कॉल कर रही है। अगर कुणाल का फोन मैं रिसीव करूंगा तो क्या उसे थोड़ा अजीब नहीं लगेगा? क्या उसे शक नहीं होगा कि आखिर कुणाल का फोन मेरे पास क्या कर रहा है? और जब वह पूछेगी कि कुणाल कहां है तो मैं क्या जवाब दूंगा? जब मुझे खुद नहीं पता कि वह कहां है। तुम्हारा लाडला बेटा, हमें लास्ट मोमेंट पर धोखा देगा यह मैंने नहीं सोचा था। क्या करूं, कैसे कहूं किसी से कि कुणाल घर से गायब है! कल रात से उसका कोई पता नहीं है। नहीं करनी थी सगाई, तो मना कर देता। हमने कोई जबरदस्ती तो नहीं की थी उसके साथ!"


     मिसेज रायचंद उठ खड़ी हुई और अपने पति को ताना देकर बोली "जबरदस्ती नहीं की थी आपने उसके साथ! इतनी सफाई से झूठ कैसे बोल लेते हैं आप? आप अच्छे से जानते हैं हमारा बच्चा इस रिश्ते के लिए कभी तैयार नहीं था। उसके दिल में किसी और के लिए जज्बात है। किसी और के लिए कुछ महसूस करता है, और उसे पागलों की तरह ढूंढ रहा है। वाकई आपने उसके साथ कोई जबरदस्ती नहीं की। बस उसे अपनी खुशियों के करीब जाने से रोका। क्योंकि आपको अपने फैमिली में कोई मिडिल क्लास लड़की नहीं चाहिए। फिर चाहे उसके लिए आपका बेटा जिंदगी भर तक सफर करता रहे। आपको अपने बेटे के खुशियों से कोई मतलब नहीं है। आपको अगर मतलब है तो सिर्फ आपके स्टेटस से, अपने झूठे दिखावे से। तो दिखाइए ना अपना झूठा रुतबा! क्या लेना देना है आपको अपने बेटे से? मुझे खुशी होगी अगर वह सब कुछ छोड़ कर कहीं दूर निकल जाए तो।"


      मिस्टर रायचंद गुस्से में बोले "तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है? तुम्हें पता भी है मित्तल परिवार कितना बड़ा और इज्जत घराना है! कुहू में क्या कोई कमी है? कुणाल की दोस्त है वो, उसे समझती है। दोनों एक दूसरे के साथ कंफर्टेबल है इसलिए मैंने इस रिश्ते के लिए बात की, वरना ऐसे ही किसी लड़की के साथ मैं अपने बेटे का रिश्ता जोड़ दूंगा? इतना भी नालायक बाप नहीं हूं मैं। अपने बेटे के अच्छे बुरे का खयाल मुझे है इसलिए मैंने उसे उस लड़की तक पहुंचने से रोका है। पता नहीं कौन है? कैसी है? किस खानदान से है? जब तक हम खुद पता नहीं लगाते, हम कैसे अपने बच्चे को उसके करीब जाने दे? हो सकता है, पैसों के लिए उसने हमारे बच्चे को फसाने की कोशिश की हो! जब उसे उसे लगा हो कि उसकी दाल नहीं कर सकती तब वह सब कुछ छोड़ कर चली गई हो! या फिर वाकई ऐसा हो कि यह सब सिर्फ कुणाल का एक भ्रम हो! हम किसी भी बात को लेकर स्योर नहीं है। अपने बेटे को मैं किसी परछाई के पीछे भागने नहीं दे सकता।"


     मिसेज रायचंद कुछ बोलने के लिए उठी लेकिन मिस्टर रायचंद की नजर मित्तल परिवार के लोगों पर पड़ी जो अंदर की तरफ आ रहे थे। मिस्टर रायचंद ने हाथ दिखा कर अपनी पत्नी को रोक दिया और चुप रहने का इशारा किया। वो अपनी तरफ से कुणाल को ढूंढने की पूरी कोशिश करना चाह रहे थे। अभी तक तो कुणाल की कोई खबर नहीं मिली थी, लेकिन उम्मीद उन्होंने छोड़ी नहीं थी। यह भी हो सकता था कि आखिरी वक्त पर कुणाल मिल जाए और यह सगाई टूटने से बच जाए। वाकई मिस्टर रायचंद को कुहू या कुणाल से कोई मतलब नहीं था। उन्हें सिर्फ अपने स्टेटस को मेंटेन रखना था।




      मित्तल परिवार जैसे ही वेन्यू पर पहुंचा, कार्तिक और काव्या दरवाजे पर ही मिल गए। कार्तिक परेशान होकर बोला "कितना टाइम लगता है आप लोगों को? मैं कब से यहां खड़ा इंतजार कर रहा हूं। काव्या भी अभी अभी आई है।"


      काव्या सफाई देती हुई बोली "अरे कार्तिक! 10 तरह के काम होते हैं। सब कुछ देखना पड़ता है। वक्त तो लगेगा ना!"


    सारांश बोला "हां! यह बात तो सही कही, लेकिन सारा काम एक तरफ और इन औरतों का तैयार होना एक तरफ। बहुत टाइम लगाती है यह लोग।" 


    अवनी ने सारांश के पेट में कोहनी मारी और बोली "मुझसे ज्यादा टाइम आपको लगा। कुछ भी बोलने से पहले थोड़ा सोच लीजिए।"


    सिद्धार्थ अवनी की साइड लेता हुआ बोला "बिल्कुल ठीक। सबसे ज्यादा टाइम तक तुझे लगता है। मेरे अव्यांश को देख! वो तैयार होकर बैठा था, भले ही भूत लग रहा हो लेकिन तैयार तो था ना?"


     सारांश ने चिढ़कर समर्थ के कंधे पर हाथ रखा और बोला "मेरे लाडले ने जो आप की बैंड बजाई, वह भी हम सब ने देखा।"


     समर्थ उनके आपस की बहस देखकर परेशान हो गया। उसे इन दोनों भाइयों के बीच नही फंसना था इसीलिए वो अपनी दादी को लेकर अंदर चला गया। सारांश और सिद्धार्थ दोनों पीछे से एक साथ चिल्ला पड़े, "अबे रुक! हमें छोड़ कर कहां जा रहा है?"


     चित्रा पीछे से अपनी गाड़ी से उतरी और सारी सिचुएशन समझ कर बोली "क्यों ना जाए वह? आप लोगों ने बस यहां खड़े होगा लड़ते रहना है। हम तो जा रहे हैं, चलो सब लोग।" चित्रा ने अवनी और श्यामा का हाथ पकड़ा और अंदर जाने लगी। अवनी ने भी जल्दी से काव्या का हाथ पकड़ा और उसे अपने साथ खींच लिया। सारांश सिद्धार्थ और कार्तिक स्तब्ध खड़े रह गए। कुछ देर के बाद वह भी उन सब के पीछे भागे।


    निक्षय हंसता हुआ उनके पीछे चल पड़ा। वाकई चित्रा बिल्कुल नहीं बदली थी और निक्षय को यह वाली चित्रा बहुत पसंद थी।



    न मिस्टर रायचंद ने खुद आगे बढ़कर सबका वेलकम किया। मिसेस रायचंद जबरदस्ती मुस्कुराने की कोशिश कर रही थी जिसे श्यामा ने नोटिस किया लेकिन शायद ये उसका वहम हो, यह सोच कर उसने कुछ कहा नहीं। अंदर पहुंचकर चित्रा ने चारों तरफ देखा और बोली "हम लोग तो यहां आ गए लेकिन यह पूरी मंडली कहां है?"


     अवनी ने सामने से जाते वेटर के ट्रे से जूस का गिलास उठाया और बोली "तीनों पार्लर से सीधे यही पहुंचेंगी।"


     चित्रा ने उसे हैरानी से देखा और बोली "तीनों? और बाकी के दोनों?"


    अवनी ने उसे अजीब तरह से देखा तो पीछे से श्यामा बोली "अव्यांश और निशी दोनों थोड़ी देर के बाद आएंगे। वह निशी को तैयार होने में थोड़ा सा टाइम लग रहा था, इसलिए।" कहते हुए उसने अपनी एक आंख दबा दी। चित्रा भी समझ गई और तीनों हंस पड़े।



      इधर कुहू को लेकर सुहानी और काया वेन्यू के लिए निकल पड़े थे। कुणाल के फोन नहीं उठाने की वजह से कुहू वैसे ही परेशान थी। उसने एक बार फिर फोन लिया और कुणाल का नंबर डायल कर दिया। पता नहीं क्यों लेकिन उसे कुछ सही नहीं लग रहा था। उसके चेहरे पर परेशानी के भाव थे। काया बोली "क्या कुहू दी ऐसे जाओगी तो सब क्या सोचेंगे?"


     सुहानी मजाक करती हुई बोली "यही सोचेंगे कि लड़की को लड़का पसंद नहीं है और उससे जबरदस्ती शादी करवाई जा रही है। लेकिन अभी तो बात सगाई की है ना?"


      सुहानी ने तो मजाक किया था लेकिन कुहू को यह बात अच्छी नहीं लगी। उसने नाराज होकर अपनी दोनों बहनों को देखा और बोली "तुम दोनों कभी भी कहीं भी शुरू हो जाती हो ना? ये भी नहीं देखती हो कि जगह कौन सी है और सिचुएशन क्या है! जबसे हमारी सगाई तय हुई है तबसे कुणाल ने मुझसे ठीक से बात नहीं किया। फोन भी करती हूं तो या तो बिजी रहता है या फिर वह कॉल ही रिसीव नहीं करता। समझ नहीं आ रहा, अगर उसे यह सगाई नहीं करनी थी तो फिर उसने हां क्यों किया? कहीं कुछ और बात तो नहीं है? 


   सुहानी कुहू के कंधे सहलाती हुई बोली "सॉरी दी! अरे हम तो मजाक कर रहे थे। बस आपका मूड ठीक करने की हम कोशिश कर रहे थे। आप ऐसे उदास बिल्कुल अच्छी नहीं लगती हो। इतने खूबसूरत मेकअप के बाद भी अगर चेहरे पर मुस्कुराहट ना हो तो सारी खूबसूरती धरी की धरी रह जाती है। आज के लिए तो आप सेंटर ऑफ अट्रैक्शन हो। आपको खुश और खूबसूरत दोनों लगना है। इस तरह तो आप अपने ही चेहरे की खूबसूरती खराब कर लोगी। अच्छा यह बताओ, आप कुणाल को कितना जानते हो?"


     कुहू कुछ सोचते हुई बोली "बहुत अच्छे से जानती हूं मैं उसे। हम बेस्ट फ्रेंडस है। शायद मुझसे बेहतर उसे कोई नहीं समझ सकता।"


     तो काया बोली "आप उसे इतने अच्छे से समझते हो तो फिर आपको यह पता होना चाहिए कि आप जिससे शादी करने जा रहे हो वह किस तरह का इंसान है! अब ऐसे ही किसी को भी अपने लिए कैसे चुने लोगी? इसका मतलब तो साफ है ना कि आपको कुणाल पर पूरा भरोसा है, खुद से भी ज्यादा। आपने कहा ना कि कुणाल ने शादी के लिए हां की है तो जब उसने हा की है तो अपने भरोसे पर भरोसा रखिए। कुणाल आपको छोड़कर कहीं जाएगा नही। और वैसे भी, उसे हम दोनों जैसी सालियां मिल रही है जो उस बेचारे को पूरी दुनिया में ढूंढने से भी नहीं मिलेगी।"


      कुहू हंस पड़ी और फाइनली के चेहरे पर थोड़ी रौनक आई। लेकिन अभी भी उसका दिमाग कुणाल में अटका हुआ था। उसे कैसे भी करके कुणाल से बात करनी थी। एक अजीब सा डर उसे महसूस हो रहा था, जैसे कुछ तो गलत हो रहा हो लेकिन वह यह बात किसी को कैसे कहें, कैसे समझाएं? एक बार फिर उसने अपना फोन लिया और कुणाल का नंबर डायल कर दिया।



( सो कुणाल गायब है और सिवाय उसके घर वालों के किसी को इस बारे में पता नहीं है। तो क्या यह सगाई हो पाएगी? क्या कुणाल वापस आएगा इस सगाई के लिए या फिर ये रिश्ता टूट जाएगा? जो भी हो, या तो कुणाल का दिल टूटेगा या फिर कुहू का। देखते हैं क्या होता है।)




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