सुन मेरे हमसफर 25

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    सारांश सिद्धार्थ और कार्तिक, तीनों मिस्टर रायचंद के साथ बातें करने में लगे हुए थे और समर्थ एक साइड खड़ा था। उसकी नजर बार बार दरवाजे की तरफ जा रही थी। कुछ था उसकी आंखों में जिसे कोई पढ़ नहीं पा रहा था। निक्षय उसके पास आया और उसके कंधे पर हाथ रख कर बोला, "क्या बात है बच्चे! किसी का इंतजार हो रहा है? कोई आने वाला है? या फिर आने वाली है?"


    समर्थ नजरे चुराते हुए बोला, "क्या अंकल आप भी! कौन आने वाली होगी? मैं तो बस अंशु का वेट कर रहा था।"


    निक्षय उसे और तंग करता हुआ बोला, "एक मिनट अपना फोन निकालो!"


    समर्थ ने निक्षय के कहे अनुसार अपना फोन निकाला तो निक्षय बोला, "मैं एक नंबर दे रहा हु, उसे सेव कर लो।"


    निक्षय बोलते गया और समर्थ उस नंबर को डायल करने लगा। आखिरी नंबर पर समर्थ बोला, "अंकल! ये तो अंशु का नंबर है! ये आप मुझे क्यों दे रहे है?"


  निक्षय बोला, "तुमने ही कहा ना, तुम अंशु का वेट कर रहे हो। जब उसका नंबर तो तुम्हारे पास है, तो तुम उसे कॉल भी कर सकते हो। इस तरह दरवाजे पर सिर्फ तभी नजर जाती है जब उस आने वाली की कोई खबर न हो और उसका फोन नंबर ना हो। या फिर नंबर तो हो लेकिन उस नंबर को डायल करने की हिम्मत न हो। अब बताओ, इन तीनों में से तुम किस सिचुएशन में हो?"


   समर्थ हंसता हुआ बोला, "आप वाकई कमाल हो। बुआ ऐसे ही आपसे इतना प्यार नहीं करती। ट्रस्ट मी, ऐसा कुछ नहीं है। मैं बस अंशु के आने का इंतजार कर रहा था। और अभी तो कुहू भी नही आई है। मैं एक बार कॉल करके देखता हूं।" कहते हुए उसने अपना फोन निकाला और वहां से दूर चला गया। निक्षय के होंठो पर मुस्कान तैर गई। उसने खुद से कहा, "तू पांच साल का था जबसे मैं तुझे जानता हूं। तू चाहे जो भी बोल, तेरी आंखे कुछ और ही कहानी कह रही है। कोई तो है जिसे तू सबसे छुपा रहा है।"



    मिस्टर रायचंद के जेब में रखा कुणाल का फोन एक बार फिर वाइब्रेट होने लगा। फोन भले ही साइलेंट पर था लेकिन वाइब्रेशन के कारण सबको इतना तो पता चल रहा था कि कोई कॉल कर रहा है। मिस्टर रायचंद अब तक कई बार कॉल को अवॉइड कर चुके थे और यह बात भी सब ने नोटिस की थी। इस बार सिद्धार्थ बोला "मिस्टर रायचंद! शायद कोई डेसपरेटली आपसे बात करना चाह रहा है। मुझे लगता है आपको कॉल रिसीव कर लेना चाहिए।"


     मिस्टर रायचंद हंसते हुए बोले "नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है। वह बस ऐसे ही सब ब्लफ कॉल आते रहते हैं। बेवजह के फ्रॉड होते हैं। ऐसी कोई खास बात होती तो कॉल रिसीव कर लेता।"


     सारांश को यह बात थोड़ी अजीब लगी। उसने पूछा "लेकिन मिस्टर रायचंद! बिना फोन देखे आपको कैसे पता कि यह सारे फ्रॉड कॉल्स है? सकता है कोई जरूरी कॉल हो!"


     मिस्टर रायचंद जल्दी से बहाना बनाकर बोले "आई नो मिस्टर मित्तल! वो क्या है ना, यह फोन मेरा नहीं है, मेरी वाइफ का है। और उनके फोन पर अक्सर ऐसे कॉल आते रहते हैं, या तो किसी कॉल सेंटर का या फिर उनके किटी पार्टी की सहेलियों का। ऐसे में मेरा कॉल रिसीव करना थोड़ा अजीब लगता है। बेगम साहिबा जब फ्री हो जाएंगी तो मैं उन्हें उनका फोन लौटा दूंगा।"


     मिस्टर रायचंद मन ही मन बोले 'इस कुहू को भी चैन नहीं है। जिस तरह ये कॉल पर कॉल किए जा रही है, पल भर नहीं लगेगा और सबको कुणाल के यहां ना होने का सच पता चल जाएगा।' फिर वह हंसते हुए बोले "एक काम करता हूं, मैं यह फोन मैडम को देखकर ही आ जाता हूं वरना यह जब तक मेरे पास रहेगा, बजता ही रहेगा। आप बस मुझे 2 मिनट का टाइम दीजिए।"


      मिस्टर रायचंद वहां से निकल गए और सबसे नजर बचा कर वेन्यू के ऐसी जगह पर पहुंचे जहां थोड़ा अंधेरा था और कुछ खास लोग भी नहीं थे। उन्होंने अपना फोन निकाला और किसी को कॉल किया। "कुणाल के बारे में कुछ पता चला?"


    दूसरी तरफ से जवाब मिला "नहीं सर, अभी तक नहीं।"


     मिस्टर रायचंद परेशान होकर बोले "यहां सारे मेहमान आ चुके हैं। दुल्हन तैयार होकर आती ही होगी लेकिन जिसकी सगाई होनी है वह लड़का गायब है। ज्यादा वक्त नहीं लगेगा सबको समझने में। मेरे अब तक की सारी इज्जत मिट्टी में मिल जाएगी। कुछ भी करो, कहीं से भी उसे ढूंढ कर लाओ।" मिस्टर रायचंद फोन काटा और पॉकेट में डाल लिया। उन्होंने अपने दूसरे जेब से कुणाल का फोन निकाला और किसी को इशारा कर अपने करीब बुलाया। एक आदमी आया और मिस्टर रायचंद के हाथ से कुणाल का फोन लेकर चला गया।



   कुहू अपनी दोनों बहनों के साथ बेन्यू पर पहुंची तो देखने वालों की नजर उन्हीं तीनों पर ठहर गई। तीनों बहनों खूबसूरती का अलग ही आयाम थी। आज कुहू दिन था तो ऐसे में उसका सबसे सुंदर लगना बनता था। काव्या ने तीनों के लिए लगभग एक सा गाउन तैयार करवाया था। बस कुहू का गाउन सबसे थोड़ा अलग था।


     सबकी नजर कुहू पर थी लेकिन कुहू की नजर तो सिर्फ कुणाल को ही ढूंढ रही। वो तो बस तैयार होकर सबसे पहले कुणाल से कंपलीमेंट चाहती थी लेकिन उसे वह नहीं मिला। जब यहां आई तो उसे लगा कि कुणाल खुद आगे आकर उसका स्वागत करेगा, लेकिन कुणाल तो अभी भी उसे कहीं नजर नहीं आ रहा था।


     काव्या ने चित्रा को इशारा किया तो चित्रा कुहू के पास आई और उसकी बलाएं लेकर कान के पीछे काजल लगा दिया। "मेरी प्यारी बच्ची कब इतनी बड़ी हो गई कि आज तेरी सगाई होने जा रही है। मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा। मेरी नन्ही सी गुड़िया!"


     कुहू मुस्कुरा दी और चारों तरफ देखती हुई बोली "मॉम! कुणाल कहां है?"


     चित्रा को यह बात थोड़ी सी खटकी। वाकई जब से वह आई थी, उसने एक बार भी कुणाल को नहीं देखा था। कुहू बोली "देखो ना मॉम! मैं कब से उसे कॉल लगा रही हूं, लेकिन वो है कि मेरा फोन ही नहीं उठा रहा। यहां पर इतना भी लाउड म्यूजिक नहीं बज रहा है, जिसके कारण उसे अपने फोन की रिंगटोन सुनाई ना दे रही हो।"

 

     चित्रा जबरदस्ती हंसते हुए बोली "तुम भी ना, कुछ ज्यादा ही उस बेचारे पर नजर रख रही हो। होगा यहीं कहीं अपने दोस्तों के साथ। तू कहे तो मैं उसे ढूंढ कर तेरे पास ले आऊं?" चित्रा ने कह तो दिया था लेकिन मन ही मन वो थोड़ा घबरा रही थी। अपनी लाडली से झूठ बोलने का उसका कोई इरादा नहीं था लेकिन सच बोल कर वो कोई प्रॉब्लम क्रिएट नहीं करना चाहती थी।


     सुहानी बीच में ही बोल पड़ी "अरे बुआ! आप क्यों टेंशन ले रही हो, हम लोग हैं ना! हम अभी जाकर ढूंढ ले आते हैं अपने होने वाले जीजा जी को।" दोनों बहनों ने एक-दूसरे का हाथ पकड़ा और वहां से जाने लगी। लेकिन सुहानी ने एकदम से काया को रोका और पलट कर चित्रा से बोली "बुआ! नेत्रा कहां है? वह आज नहीं आई? हमें तो लगा था आज के दिन वह जरूर आएगी!"


     नेत्रा का नाम सुनकर ही कुहू के चेहरे के भाव थोड़े बिगड़ गए लेकिन चित्रा के सामने वो ये नहीं दिखा सकती थी। आखिर नेत्रा चित्रा की अपनी बेटी थी। चित्रा बोली "वह तो अभी आने से रही। फिलहाल वह किसी प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। जब तक फाइनल नहीं होता, वो नहीं आएगी। तुम लोग जाओ और जिस काम के लिए निकली हो उसे पूरा करके ही आना गया।"


    काया और सुहानी के जाने के बाद चित्रा बोली "हां तो हम कहां थे?"


    कुहू बोली "अरे नहीं मॉम; मैं तो बस ऐसे ही पूछ रही थी। पता नहीं क्यों, लेकिन बहुत अजीब सा लग रहा है। कुणाल है ना यहां?"


     चित्रा उसे समझाती हुई बोली "तू भी ना पागल! सगाई है तेरी आज, तो ऐसे में थोड़ा सा घबराना तो जाहिर सी बात है। नॉर्मल है यह सब। लेकिन तु मेरी बेटी है, तुझे घबराना सूट नहीं करता।"


     अवनी आई और बोली "हां बिल्कुल! तुम चित्रा द ग्रेट की बेटी हो तो कैसे घबरा सकती हो? तुम्हें पता है, तुम्हारी चित्रा मॉम ने अपनी सगाई पर क्या किया था?"


     कुहू एक्साइटेड हारकर बोली "बताओ ना मासी, क्या किया था मॉम ने?"


     अवनी कुछ कहती, इससे पहले चित्रा उसके मुंह पर हाथ रख बोली "बच्चों के सामने ऐसी बातें नहीं करते अवनी। ये सब पुरानी बातें है। वो कहते है ना, रात गई बात गई। यहां तो सालों गुजर गए हैं। उस सब को याद करके क्या फायदा?"


     काव्य कुहू के पास आई और वह भी कुहू की बलाएं लेकर बोली "चल! सबसे पहले दादी का आशीर्वाद ले ले।"


     कुहू काव्या के साथ चल पड़ी। पीछे खड़ी चित्रा और अवनी सोच में पड़ गई। उन दोनों ने मिलकर कुहू का ध्यान डाइवर्ट तो कर दिया था लेकिन वाकई वह दोनों अब परेशान हो गई। चित्रा बोली "वाकई, जब से हम लोग आए हैं, हमने एक बार भी कुणाल को नहीं देखा है। कुहू बोल रही है कि कुणाल उसका फोन नहीं उठा रहा। सब ठीक तो होगा ना?"


     अवनी बोली "पता नहीं। लेकिन भगवान सब ठीक करेंगे। हमारी बच्ची के साथ कभी कुछ गलत नहीं होगा। हम होने नहीं देंगे ऐसा। सच कहूं तो थोड़ा डर मुझे भी लग रहा है। बात जब अपने बच्चों की खुशियों की हो तो मजबूत से मजबूत इंसान भी डर जाता है।"


     चित्रा बोली "इस बारे में हमें मिसेज रायचंद से बात करनी होगी।"


     अवनी उसे रोकते हुए बोली "नहीं चित्रा! हमें सबसे पहले इस बारे में सारांश और सिद्धार्थ भैया को बताना चाहिए। वो दोनों अपने तरीके से हैंडल करेंगे और कुणाल के बारे में जान भी पाएंगे। हमारी छोटी सी गलती कहीं कोई बवाल खड़ा ना कर दे।"


     चित्रा को भी अवनी की बात सही लगी। 



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