सुन मेरे हमसफर 26

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    कुहू और काव्या सिया के पास ही बैठी हुई थी सिया ने कुहू के सर पर हाथ फेरा और काव्या से बोली "काव्या बेटा! कंचन जी और अखिल जी की कोई खबर आई क्या?"


      काव्या बोली "जी बड़ी मां! मां पापा हरिद्वार से निकलने वाले हैं। दो दिन में उनकी ट्रेन है, और यहां 3 दिन के बाद ही पहुंचेंगे। मैने उन्हे कहा भी था लेकिन पापा की ही जिद्द थी कुहू की सगाई शुभ मुहूर्त में हो जाए। कुणाल के बारे में उन्हें बताया तो वह बहुत खुश थे और अंशु के बारे में भी। अवनी को तो टाइम ही नहीं मिला उनसे बात सके। मैं समझ रही हूं, वो कल और आज में काफी व्यस्त थी, इसलिए मैंने उन्हें बता दिया।"


     कुहू उदास होकर बोली "नानू नानी यहां होते तो और ज्यादा अच्छा लगता। खैर कोई बात नहीं, लेकिन उनसे कह दीजिए शादी में अगर वो नहीं आए तो मैं उनसे कभी बात नहीं करूंगी।"


    सिया हंसती हुई बोली "तब तो तुम्हारे नानू नानी को आना ही पड़ेगा।"


     चित्रा भी उनके पास ही चली गायी। सिया ने देखा तो उससे बोली "गायब तो दो लोग और है। अगर वो कुहू की शादी में नहीं आए तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा, मैं पहले ही कह दे रही हूं।"


    चित्रा समझ गई कि सिया उसके दोनों बच्चों की बात कर रही है। वो सिया को साइट से गले लगाकर बोली "आंटी आप भी ना! अगर वह दोनों बदमाश नहीं आए तो मैं खुद उन्हें कान पकड़ कर लेकर आऊंगी और आप उन दोनों को अच्छे से ताना मार देना। क्यों कुहू?"


     चित्रा ने कुहू की तरफ देखा लेकिन कुहू की नजरे तो बस कुणाल को भी ढूंढने में लगी थी। चित्रा ने मुस्कुराकर सिया को देखा। वह नहीं चाहती थी कि जो उसके और अवनी के मन में है, वो किसी और तक भी पहुंचे। चित्रा तिरछी नजरों से अवनी की तरफ देखा जो सारांश से बात करने गई थी।






अवनी सारांश को ढूंढती हुई आगे बढ़ी। कुछ खास वक्त नहीं लगा जब उसकी नजर सारांश पर पड़ी जो सिद्धार्थ और मिस्टर रायचंद के साथ बातें करने में लगा हुआ था ।अवनी को सारांश से बात करनी थी लेकिन सबके बीच से वह सारांश को कैसे अलग करें?


    उसने पहले तो इशारे से सारांश को बुलाने की कोशिश की लेकिन जब सारांश ने उसकी तरफ देखा भी नहीं तो अवनी ने अपना फोन निकाला और सारांश को कॉल किया।


     इस वक्त इस जगह पर अवनी का कॉल देखकर सारांश पहले तो हैरान हो गया। फिर उसने चारों तरफ नजर दौड़ा कर अवनी को ढूंढा। अवनी उससे कुछ ही दूरी पर खड़ी थी। सारांश ने इशारे से उसे पूछा तो अवनी ने भी इशारे से उसे कॉल रिसीव करने को कहा। सारांश ने कॉल रिसीव किया तो अवनी बोली "अभी कुछ मत बोलना, बस मेरी बात सुनिए। हम लोग जब से आए हैं, हमें कुणाल कहीं नजर नहीं आया है। कुहू काफी देर से उसे फोन ट्राई कर रही है लेकिन कुणाल कॉल रिसीव नहीं कर रहा। चित्रा को कुछ तो गड़बड़ लग रही है। सच कहूं तो मुझे भी ऐसा ही लग रहा है।"


      सारांश ने मिस्टर रायचंद को एक्सक्यूज मी बोला और अवनी के पास चला आया। अवनी बोली, "सारांश! बात हमारी बच्ची की है। हम सब जानना चाहते हैं, कुणाल कहां है? अगर वह इस पार्टी में नहीं है तो फिर कहां है और कब तक आएगा?"


     सारांश अवनी को लेकर थोड़ा सा साइड हुआ और बोला "अवनी! तुम्हें वाकई लगता है कि कुणाल इस पार्टी में नहीं है? हालांकि उसे देखा तो मैंने भी नहीं, लेकिन अगर ऐसी कोई बात होती तो कुहू और कुणाल आपस में बैठकर इस बारे में जरूर कुछ ना कुछ डिस्कशन करते। दोस्त है वो दोनो। हो सकता है कुणाल कहीं बाहर फंस गया हो!"


     अवनी परेशान होकर बोली "नहीं सारांश! आप बात नहीं समझ रहे हैं। अगर वह इस पार्टी में होता तो हम में से किसी को नजर आता। अगर वह कहीं फंसा हुआ है तो कॉल रिसीव नहीं कर रहा, क्यों? आप बस एक बार मिस्टर रायचंद से कुणाल के बारे में पूछकर देखो। कुहू काफी परेशान है उसे लेकर।"


    सारांश ने अवनी के कंधे पर हाथ रखा और कहा, "तुम चिंता मत करो, मैं देखता हूं। मैं किसी को भी हमारे बच्चों के साथ कुछ गलत करने नहीं दूंगा।" सारांश वहां से जाने को हुआ लेकिन अचानक ही पूरे वैल्यू की लाइट ऑफ हो गई। सभी घबरा गए। सारांश ने जल्दी से अवनी का हाथ पकड़ा और एक हाथ से अपना फोन निकालकर फ्लैशलाइट ऑन किया। 


    अवनी को आराम से एक जगह बैठा कर सारांश ने कहा "तुम कहीं इधर उधर मत जाना, मैं देखता हूं।"  लेकिन वेन्यू के एक साइड की फ्लडलाइट ऑन हुई और सबका ध्यान उसी तरफ गया। कुछ लोग वहां पर एक ही पोजीशन में खड़े थे। किसी को कुछ समझ आता उससे पहले ही म्यूजिक बजना स्टार्ट हुआ और एक पंजाबी गाने पर डांस करता हुआ कुणाल सबके सामने हाजिर हो गया।


     कुहू की जान में जान आई। फाइनली इतनी देर से वो जिसका इंतजार कर रही थी, वो उसके सामने था। लेकिन एक नाराजगी थी कि आखिर इतने वक्त से कुणाल कहां था? डांस करते हुए कुणाल कुहू के पास आया और अपना हाथ आगे बढ़ा दिया। कुणाल के इतने रोमांटिक अंदाज से कुहू को यकीन नहीं हुआ कि यही इंसान उसे पिछले 2 दिनों से अवॉइड कर रहा था। 


    कुहू ने अपने चारों तरफ देखा तो चित्रा ने उसे पीछे से धक्का मारा। कुहू होश में आई और कुणाल के हाथ में अपना हाथ दे दिया। कुणाल उसे खींचकर अपने साथ स्टेज पर ले गया। उन दोनों की जो जुगलबंदी चली, देखने वाले सभी तालियां बजाते रह गए।


  परफॉर्मेंस खा हुई लेकिन कुहू अभी भी कुणाल से नाराज थी। उसने पूछा "कहां थे अब तक तुम? कब से मैं तुम्हारा इंतजार कर रही थी! इतने कॉल्स किए लेकिन तुमने एक बार भी जवाब नहीं दिया।"


     कुणाल स्टेज पर ही कान पकड़ कर बोला "सॉरी! मैं तुम्हारे लिए सरप्राइज प्लान करने में बिजी था। अगर तुम्हारा कॉल उठा लेता तो तुम्हें सारे सरप्राइज पता चल जाते। वैसे तुमने बताया नहीं, कैसा लगा मेरा सरप्राइज?"


     कुहू कुणाल को हग करके बोली "बहुत अच्छा। तुम यह सब नहीं भी करते, तब भी मैं बहुत खुश थी।"


     नीचे खड़ी काया और सुहानी चिल्ला कर बोली "अब सारा रोमांस वहीं पर कर लेना है क्या? नीचे आ जाओ, बाकी लोगों को भी तो मौका मिले!" कुहू शरमा गई और कुणाल का हाथ पकड़कर नीचे चली आई।


    मिस्टर रायचंद ने मौका मिलते ही कुणाल का हाथ पकड़ा और उसे लेकर सबसे दूर चले गए। कुणाल की मां भी आखिर जानना चाहती थी कि उनका बेटा कल से कहां गायब था। वह भी धीमी कदमों से सब से नजरें बचाते हुए दोनों बाप बेटे के पीछे लग गई। वहां पहुंचकर उन्होंने देखा, मिस्टर रायचंद कुणाल पर बहुत बुरी तरह भड़के हुए थे।


      "तुम्हारा दिमाग खराब है? तुम मुंबई चले गए थे, वो भी हमें बिना बताए? तुम्हें पता है, यहां सब कुछ मैनेज करना मेरे लिए कितना मुश्किल हो गया था? कुहू तुम्हें फोन पर फोन किए जा रही थी और मैं रिसीव नहीं कर पा रहा था। समझ नहीं आ रहा था, किस को क्या बताऊं, क्या जवाब दूं? जब मुझे खुद पता नहीं था कि मेरा बेटा कहां है! मेरी इज्जत को मिट्टी में मिलाने का पूरा बंदोबस्त कर दिया था तुमने।"


      मिसेज रायचंद आई और कुणाल को अपनी तरफ करके उसके दोनों दोनों बाजुओं को पकड़ कर बोली "तू वापस क्यों आया?"


    मिस्टर रायचंद बौखला गए और बोले "तुम्हारा भी दिमाग खराब है क्या? तुम्हारा बेटा कितना बड़ा कांड कर गया और तुम कह रही हो कि यह वापस क्यों आया? तुम चाहती थी कि यह यहां से चला जाए? तुमने इसकी हेल्प की ना यहां से भागने में?"


    कुणाल गुस्से में बोला "मैं यहां से भाग कर नहीं गया था! अगर भागना ही होता तो कभी लौटकर नहीं आता, और इस वक्त तो बिल्कुल भी नहीं, समझ गए आप?"


     मिस्टर रायचंद का गुस्सा सातवें आसमान पर था। लेकिन इस वक्त किसी ने भी उन्हें इस रूप में देख लिया तो बात का बतंगड़ बन जाना था, इसीलिए खुद को शांत करने के लिए वह दोनों मां-बेटे को वही छोड़कर वापस पार्टी में चले गए। मिसेज रायचंद ने अपने बेटे से फिर सवाल किया "तू कहां चला गया था? तुझे पता है हम सब कितने परेशान थे! अगर तू चला भी गया था तो लौटकर क्यों आया? कहां गया था तू?"


     कुणाल की आंखों में गहरी उदासी भर आई। उसने आसमान की तरफ देखा और तारों को गिनते हुए बोला "खुद को ढूंढने गया था मां! बहुत पहले खुद को खो चुका हूं, बस उसी को ढूंढने गया था। लेकिन शायद मेरी किस्मत में उसका मिलना ही नहीं लिखा, इसलिए तो मेरी हर कोशिश कभी एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पाती है। क्या वह सिर्फ एक भ्रम है? क्या वाकई उसका कोई वजूद नहीं है? सच क्या है और झूठ क्या है, मैं कुछ समझ नहीं पा रहा हूं। मेरा दिमाग कह रहा है कि डैड ठीक कह रहे हैं, लेकिन मेरा दिल कह रहा है कि नहीं, वह है, वह है मां! वो कोई मेरा वहम नहीं है।

     मेरा दिल किया मैं वहीं से कहीं दूर भाग जाऊ, कोई ऐसी जगह जहां मुझे उसका पता मिल जाए। लेकिन मां! तब जाकर मुझे कुहू का ख्याल आया. जिसे मैं ढूंढ रहा हूं, मुझे तो उसका नाम तक नहीं पता! ना ही उसने मुझसे कभी कोई वादा किया, तब मुझे इतनी तकलीफ हुई तो जिस कुहू से मैंने जाने अनजाने एक वादा किया है, अगर मैंने ऐन मौके पर उस बातें को तोड़ दिया तो वह कितनी ज्यादा हर्ट होगी! मुझे मेरा प्यार ना मिला तो क्या, मैं कुहू से उसकी खुशी नहीं छीन सकता। जब मैंने उससे बात की थी ना, उसकी आवाज में जो मुझे खुशी महसूस हुई थी, वह एहसास ही मुझे गिल्ट से भर गया, इसलिए मैं वापस चला आया।"


      मिसेज रायचंद ने कुणाल के कंधे पर हाथ रखा और बोली "अब तुमने क्या सोचा है? क्या करोगे?"


      कुणाल ने आंखें बंद की और गहरी सांस लेकर बोला "आज मैं कुहू से सगाई कर रहा हूं, तो वह मेरी जिम्मेदारी होगी। पूरी कोशिश करूंगा इस जिम्मेदारी को निभाने की। इससे ज्यादा मैं और कुछ नहीं कर सकता।"


    कुणाल एकदम से पलटा और वहां से चला गया। उसकी मां भी उसके पीछे पीछे चल पड़ी। अंधेरे से एक साया निकल कर बाहर आया। शायद उसने सब कुछ सुन लिया था। लेकिन कौन था यह शख्स? और इसका किस तरह इस्तेमाल करेगा??





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