सुन मेरे हमसफर 262
262 नेत्रा अपने हाथ में मटकियों को लिए उस कमरे में गई जहां उसे रखने को कहा गया था। एक-एक कर सारी मटकिया आती जा रही थी और नेत्रा उन सबको करीने से लगवाती जा रही थी। चित्रा ने यह सब देखा तो राहत की सांस ली और मन ही मन कहा 'चलो! कम से कम कुहू के लिए वह इतना तो कर रही है। पता नहीं इन दोनों के बीच की टेंशन कब खत्म होगी! भगवान करे सब जल्दी से ठीक हो जाए।' अपनी बेटी को काम करते देखा चित्रा ने किसी तरह से उसे डिस्टर्ब नहीं किया और वहां से चली आई। लेकिन निर्वाण कहां था? चित्रा ने चारों तरफ नजर दौड़ाई लेकिन उसे वह कहीं नजर नहीं आया। इतने में काव्या ने उसे आवाज लगाकर बुला लिया तो वह वापस से व्यस्त हो गई। लड़कियां जब अपने काम में लगी थी तो कुछ देर तो नेत्रा ने वहां रहकर काम देखा लेकिन जब उसे एहसास हुआ कि उसकी मां तसल्ली करके चली गई है तब वह वहां से चुपचाप निकल गई क्योंकि उसे अच्छे से पता था कि यह लड़कियां अपना कमबखूबी कर लेंगी। वहां से निकलकर नेत्रा सीधे बगल वाले कमरे में गई जहां कुहू को होना चाहिए था लेकिन वहां पहुंचकर नेत्रा हैरान...