सुन मेरे हमसफर 255

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      अव्यांश के चेहरे को देखकर ऐसा लग रहा था जैसे वो किसी बहुत बड़े मुसीबत में फंसा हो। हर तरफ से परेशान होने के बाद उसने अपने हाथ में पड़ा अपना कॉफी का मग सामने टेबल पर रखा और शुभ से कहा "चाचू! बहुत अच्छे से समझ रहा हूं आप लोग क्या करने की कोशिश कर रहे हो। लेकिन आप जो चाहते हो ना, वह होगा नहीं।"


     अपने बालों में तेल लगाती हुई शिवि आंखें मूंद कर वापस जानकी की गोद में सो गई थी। अव्यांश की आवाज सुनकर उसने कहा "हम क्या चाहते हैं? कुछ भी तो नहीं! लेकिन हां! आज तेरा और निशि का तलाक जरूर करवा देंगे।"


     तलाक का नाम सुनकर निशि के होश उड़ गए। उसने नजर उठाकर अव्यांश की तरफ देखा। अव्यांश के होठों पर एक बड़ी ही प्यारी सी स्माइल थी। उस मुस्कुराहट के पीछे क्या था यह निशि समझ नहीं पाई। अव्यांश ने भी पूरे कॉन्फिडेंस से जवाब दिया "आज तो नहीं होगा, कल हो सकता है।"


    सारांश ने गुस्से में अव्यांश को घूर कर देखा और कहा "अंशु! कैसी बात कर रहे हो तुम?" सारांश जानते थे अव्यांश और निशि के बीच मामला अभी सुलझा नहीं है लेकिन कितना उलझा है ये बात भी नहीं जानते थे।


    अव्यांश को भी एहसास हुआ कि यहां सभी लोग हैं, निशी के मां पापा भी। उसने बात को पलटते हुए कहा "डैड! मैं कह रहा था कि चाचू और शिवि दी मिलकर जो कर रहे हैं ना, जिसमें यह हूर की परी भी शामिल है, बहुत अच्छे से समझ रहा हूं और मैं पूरे कॉन्फिडेंस से आप लोगों को कह सकता हूं कि निशि को इस सबसे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। है ना निशी?"


     अव्यांश ने पूरे कॉन्फिडेंस के साथ, सारकास्टिक तरीके से निशी की तरफ देखा। निशि को समझ ही नहीं आया कि वह रिएक्ट कैसे करें। अव्यांश ने आगे कहा "आप लोगों को मेरी जितनी भी पोल खोलनी है खोल सकते हो लेकिन अकेले में।"


     शुभ ने उसे समझाया "हम तेरी कोई पोल नही खोल रहे। हम बस ये समझा रहे है कि शादी के बाद तू बहुत बोरिंग हो गया है। तू अगर ये समझ रहा है कि हम लोग यह सब क्यों कर रहे हैं तो बता, शादी के बाद निशि को लेकर तू कहां गया था घूमने?"


     अव्यांश ने कुछ बोलने के लिए अपना मुंह खोला तो शुभ ने उसे बीच में ही रोका और कहा "अब बेंगलुरु जाने को तू ट्रिप नहीं कह सकता। नई नई शादी है तुम लोगों की, उसे लेकर हनीमून पर गया है तू? अरे उस लड़की का भी तो मन होगा कि तेरे साथ थोड़ा सा टाइम मिले!"


    अव्यांश ने अपनी मन की बात को छुपाते हुए कहा "डॉन'ट वरी चाचू! एक बार कुहू दी की शादी हो जाए उसके बाद कुछ प्लान करना है।"


     सिया के मन में तो कब से यह बात खटक रही थी। उन्होंने कहा "जब से शादी करके आया है तब से कुहू की सगाई और अब शादी में ही फस कर रह गया है। इस सबके बीच तुझे निशि के लिए टाइम कब मिला? थोड़ा भी टाइम मिलता तो तू ऑफिस के लिए निकल जाता है।"


     अब अव्यांश अपनी सिचुएशन कैसे एक्सप्लेन करें। शुभ ने आगे पूछा "ठीक है माना तेरे पास टाइम नहीं रहा। बहन की शादी की तैयारी में भाई को फुर्सत नहीं होती है ये मैं मानता हूं। लेकिन तूने निशि को गिफ्ट क्या दिया?"


     अव्यांश को इस सारे सिचुएशन से बचाने के लिए निशी बीच में आई और कहा "चाचा जी वह.........!"


      लेकिन शुभ ने हाथ दिखाकर निशि को चुप रहने का इशारा किया और कहा "इसे बोलने दो। मैं भी तो जानू क्या दिया है इसने तुम्हें? अपने पापा को देख! शुरू से उन्होंने तुम्हारी मॉम को कितना स्पेशल फील करवाया है। तुमने करवाया कभी?"


     अव्यांश फीकी हंसी के साथ बोला "चाचू! जब हम स्पेशल फील करते हैं ना, तो हम पूरी कोशिश करते हैं सामने वाले को स्पेशल फील करवाने का। ऐसा नहीं है कि मैंने कभी कोई कोशिश नहीं की। रही बात गिफ्ट की तो हां ठीक है, मैं कोई नहीं दे पाया। लेकिन कुहू दी की शादी हो जाए उसके बाद मैंने निशी के लिए एक बहुत ही शानदार गिफ्ट सोच रखा है। और मैं जानता हूं वो निशी को बहुत पसंद आएगा।



*****




   कार्तिक सिंघानिया अपने कमरे में अपने बिस्तर पर बड़े ही आराम से सिया हुआ था। पूरा दिन ऑफिस और रात को दोस्त का संगीत। इस सब में वह इतना ज्यादा थक चुका था कि इस वक्त उठने में उसकी मौत आ रही थी। सुबह सुबह उसकी दादी उसे जगा कर गई थी लेकिन थोड़ी देर का कह कर वह पिछले 1 घंटे से सो रहा था।


       जब फोन की घंटी बजी तो उसने अलार्म समझ कर फोन बंद कर दिया और दूसरी तरफ़ करवट करके सो गया। फोन की घंटी एक बार फिर बजी। इस बार कार्तिक सिंघानिया को नींद में ही एहसास हुआ कि यह अलार्म नहीं बल्कि फोन की घंटी है। उसने आंखें बंद किए ही कॉल रिसीव किया और कान से लगाकर कहा "कौन बोल रहा है? मैं भी सो रहा हूं। डॉन'ट डिस्टर्ब मी। बाय, गुड नाइट।"


    दूसरी तरफ से सुहानी की आवाज आई "फोन मत रखना! फोन मत रखना!!" लेकिन कार्तिक सिंघानिया ने फोन काट कर साइड में रख दिया।


     फोन की घंटी एक बार फिर से बजी। इस बार भी कॉल रिसीव कर कार्तिक सिंघानिया ने कहा "समझ नहीं आता एक बार में? बस थोड़ी देर सोने दो यार!"


     दूसरी तरफ से सुहानी की आवाज आई "ख़बरदार जो इस बार फोन काटा तो! यही फोन में घुसकर मारूंगी तुम्हें।"


     सुहानी का यह लहजा कार्तिक को बहुत अजीब लगा। क्योंकि अब तक तो सुहानी एक बहुत ही सीधी सादी सिंपल और मासूम नजर आती थी। लेकिन इस वक्त वह काया की बहन लग रही थी। कार्तिक सिंघानिया ने कहा, "वह काम तुम नहीं कर सकती। ये सब छोड़ो और यह बताओ, इस टाइम फोन क्यों किया?"


     सुहानी ने बड़े प्यार से जवाब दिया "मेरे प्यारे मोहन! भोर से सुबह हो गई और सुबह के 9:00 बज चुके हैं, वह भी आधे पौन घंटे पहले। आपकी सुबह होने का कोई प्लान है या नहीं?"


     कार्तिक सिंघानिया ने सीधे से जवाब दिया "नहीं। अभी मेरा और सोने का मन है।"


    "लेकिन आज तुम्हारे दोस्त की शादी है!" सुहानी ने बच्चों की तरह जिद्द करते हुए कहा तो कार्तिक ने कहा "शादी रात को है, अभी नहीं। और अभी अगर तुम मुझे सोने दोगी तो शादी में मैं काफी फ्रेश नजर आऊंगा और एनर्जेटिक भी। एक काम करो, तुम भी जाकर सो जाओ। कल रात को मैंने तुम्हारी आंखों के नीचे काले घेरे देखे थे। वह कहते हैं ना, डार्क सर्कल! अगर किसी ने तुम्हे ऐसे देख लिया तो वो बेचारा ऐसे ही डर जायेगा। इस वक्त तुम्हें ब्यूटी स्लिप की बहुत ज्यादा जरूरत है।"


     यह सुनते ही सुहानी की आंखें हैरानी से फैल गई। उसने जल्दी से जाकर खुद को आईने में देखा और आंखों को बड़ा बड़ा करके भी देखा। "क्या सच में मुझे ब्यूटी स्लिप की जरूरत है? लेकिन मेरी आंखें तो बिल्कुल ठीक है।"


     कार्तिक की उनिंदी आवाज आई, "गुड नाइट।"


    सुहानी समझ गई ये कार्तिक की चाल थी। उसने डांटते हुए कहा, "मिस्टर कार्तिक सिंघानिया! जल्दी से उठ जाओ और उठकर जाकर कुणाल जीजू के घर पहुंचो। उनको तैयार होने में टाइम लगेगा। वहां भी कुछ रसमें होगी जहां तुम्हारा होना जरूरी है। एक बार अपने दोस्त की शादी देख लो उसके बाद आराम से सो जाना। मैं तुम्हें डिस्टर्ब नहीं करूंगी।" 


   कार्तिक का उठने का बिल्कुल मन नहीं था। उसने बड़ी ढिंठाई से जवाब दिया "अगर मैं ना ऊंठू तो?"


     सुहानी ने बड़े प्यार से कहा "अगर तुम नहीं उठे तो तुम्हें उठाने का इंतजाम है मेरे पास।"


     कार्तिक अभी भी आंख बंद किए हुए था। उसने हैरानी से पूछा "तुम क्या यहां आओगी? तुम्हें मेरे घर का पता मालूम है?"


    सुहानी ने भी बड़े प्यार से जवाब दिया "नहीं। लेकिन कोई है जिसे तुम्हारे घर का पता मालूम है।"


    कार्तिक ने सवाल किया "कौन है वो?"


    तो सुहानी ने कहा "अपने सामने देखो।"


    कार्तिक ने अपनी आंखें खोलकर सामने देखा तो उसकी आंखों से नींद भाग गई। सामने ऋषभ अपने हाथ में पानी की बाल्टी लिए खड़ा था और उसे देखकर मुस्कुराए जा रहा था। "मम्मी बचाओ....!!!" ऋषभ और सुहानी की यह मिली भगत देखकर कार्तिक ने जल्दी से फोन साइड में फेंका और कूद कर बाथरूम की तरफ भागा। 


    ऋषभ ने कार्तिक का फोन उठाकर बाल्टी को उल्टा किया और अपने सिर पर टिका कर सुहानी बोला, "इससे ज्यादा फट्टू नही देखा मैने। खाली बाल्टी से डर गया बेचारा।"




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