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सुन मेरे हमसफर 136

  136     डर के मारे शिवि ने अपनी आंखें बंद कर रखी थी। कुछ देर बाद उसे महसूस हुआ कि वह सीढ़ियों से नीचे नहीं गिरी बल्कि किसी ने उसे थाम रखा है। शिवि ने नजर उठाकर देखा तो अपने सामने कुणाल को पाकर वह थोड़ा चौक गई। यानी वह कुणाल से टकराई थी?       शिवि ने राहत की सांस ली और उठने को हुई लेकिन कुणाल ने उससे छोड़ा नहीं। अपनी कमर पर कुणाल की मजबूत पकड़ महसूस कर शिविका अंदर तक कांप गई। उसने खुद को कुणाल की पकड़ से छुड़ाने की कोशिश की लेकिन कुणाल तो सुधबुध खो कर शिवि को ही देखे जा रहा था।      कैंडल की पीली रोशनी में शिविका का चेहरा सोने की तरह दमक रहा था और उसकी आंखें......... उफ्फ! उन आंखों में कुणाल ऐसा डूबा कि फिर उसे होश ही नहीं रहा। कैंडल तिरछा होकर सारा मोम कुणाल की कलाई पर गिर रहा था लेकिन कुणाल को होश ही कहा था जो वो दर्द महसूस कर पाता।       कुहू और काया भागते हुए घर में दाखिल हुई और इधर-उधर देखने लगी। काया की नजर कैंडल की रोशनी की तरफ गई, जो ऊपर सीढ़ियों पर जल रही थी। उसने कुहू को आवाज लगाई और बोली "दी! ऊपर में देखो।"     कुहू ने जब ऊपर की तरफ देखा तो एक पल को उसका दिल धड़क

सुन मेरे हमसफर 135

  135     म्यूजिक बंद होने पर निशी अपने चारों तरफ देखने लगी। अपने 3 इंच के हाई हिल पर आलिया टकटक करती हुई निशी के पास आई और उसे ऊपर से नीचे तक देखते हुए हंस पड़ी। आलिया के पीछे उसकी दो चम्मचिया भी खड़ी थी। उनमें से एक बोली "यह क्या निशिता! तुम यहां साड़ी में आई हो? तुम्हारे हस्बैंड ने तुम्हे बताया नहीं की पार्टी यहां पब में है, किसी मंदिर में नहीं।"      निशी ने उन्हें गुस्से से घूर कर देखा लेकिन इससे पहले कि वह कुछ जवाब दे पाती, पीछे से अव्यांश आया और बोला "पब में साड़ी अलाउड है या नहीं है, यह बात आप लोगों से बेहतर बाहर दरवाजे पर खड़े सिक्योरिटी गार्ड को ज्यादा पता है। तो फिर आप क्या भी सिक्योरिटी गार्ड का काम करती हैं या फिर यहां बार टेंडर का?" निशी की हँसी छूट गई।    आलिया की चमची बोली "एक्सक्यूज मी! आप हैं कौन और हमारे साथ इस तरह से बदतमीजी करने का क्या मतलब है?"    अव्यांश मासूम बनते हुए बोला "बदतमीजी?! नहीं बिल्कुल नहीं! मेरी पूरी लाइफ में किसी ने मुझसे नहीं कहा कि मैं बदतमीज हूं या फिर मैंने किसी से बदतमीजी की है। मैं तो बस नॉर्मली पूछ रहा हूं

सुन मेरे हमसफर 134

  134     आलिया काफी देर से निशी के आने का इंतजार कर रही थी। देवेश भी उसी का इंतजार कर रहा था। उसने आलिया से पूछा "क्या हो गया? निशी अब तक क्यों नहीं आई? वो इतनी देर तो कभी नहीं लगाती।"      आलिया ने अपने फोन में टाइम देखा और बोली "अब मुझे क्या पता उसे क्यों देर हो गई? तैयार हो रही होगी बिचारी! वैसे भी शादी के बाद लड़कियां थोड़ी स्लो हो ही जाती है। हो सकता है उसके पति का दिल मचल गया हो उसको देखकर और वो दोनों इस वक्त अपने बेडरूम में...........।"      देवेश बेचैन होकर बोला "शट अप! अपनी बकवास बंद करो और एक बार उसे कॉल कर के पूछो कि कहां है वह!"      आलिया ने अपना ड्रिंक खत्म किया और ग्लास काउंटर पर रखकर बोली "मैं कोई उसकी नौकरानी नहीं हूं और ना ही तुम्हारी नौकरानी हूं जो तुम्हारे कहने पर मैं उसे बार-बार फोन करूंगी। तुमने कहा मुझे उसे बुलाने को, मैंने उसे बुलाया। अब वह आए या ना आए, मुझे उससे कोई मतलब नहीं है। अगर तुम्हें इतनी ही बेचैनी हो रही है तो अपनी खुजली मिटाओ और उसे फोन लगाओ। उसका नंबर है तुम्हारे पास? अगर नहीं है तो मैं देती हूं।"      देवेश स

सुन मेरे हमसफर 133

  133    काया सबसे नजर बचाते हुए एक कोने में गई जहां थोड़ा अंधेरा सा था और किसी की नजर भी उस पर नहीं पड़ रही थी। उसने कॉल रिसीव किया और गुस्से में बोली "हिम्मत कैसे हुई तुम्हारी मुझे कॉल करने की?"    दूसरी तरफ से ऋषभ हंसते हुए बोला "मुझे तो लगा था कल के बाद तुम मेरे बिना रह नहीं पाओगी।" कल की बात याद कर काया का गला सुख गया।    ऋषभ कुछ सोचता हुआ आगे बोला अच्छा! तो तुम चाहती हो कि मैं इस वक्त तुम्हारे सामने आ जाऊ? लगता है कुछ ज्यादा ही मिस कर रही हो मुझे।"      काया नाराजगी जताते हुए बोली "तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है। मैं तुम्हें कोई मिस नहीं कर रही।"     ऋषभ हंसते हुए बोला "अच्छा! ऐसा लग तो नहीं रहा। मतलब, तुम मुझे उकसा रही हो कि मैं तुम्हारे सामने आ जाऊं, है ना? वैसे आज तुम और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही हो।"      काया घबराकर इधर-उधर देखते हुए बोली "तुम देख रहे हो मुझे?"      ऋषभ अब शांत होकर बोला "बिल्कुल! मेरी नजर तुम पर से एक पल को भी नहीं हट रही क्या करूं, तुम ही बताओ।"     अब काया थोड़ा सा घबरा गई। उसने इधर-उधर देखते

सुन मेरे हमसफर 132

 132      आज की पार्टी में सुहानी अव्यांश को बहुत मिस कर रही थी। काया ने उसे ऐसे उदास देखा तो बोली "सामने होते हो तुम दोनों तो एक दूसरे की जान लेने पर तुले रहते हो। 1 दिन के लिए गया है वह, कल लौट आएगा।"    सुहानी धीरे से मुस्कुरा कर बोली "उस से लड़ती हूं, झगड़ती हूं, तभी तो मेरा खाना पचता है। अभी अगर वह यहां होता तो अब तक कितनी बातों के लिए हमारी लड़ाई हो चुकी होती। मेरे सैंडल में खुजली हो रही है यार, उसे पीटने का मन कर रहा है।"      काया ठहाके मारकर हंस पड़ी और बोली "कोई बात नहीं, कल आएगा तो जितना मन है उतना कूट लेना। लेकिन प्लीज! निशी के सामने ऐसा कुछ मत करना। बेचारे की इंसल्ट हो जाएगी।"     सुहानी कुछ सोचकर शैतानी मुस्कान के साथ बोली "उसकी बीवी के सामने उसे पीटने में जो मजा है, वह किसी और चीज में नहीं है।" दोनों बहनों ने एक दूसरे की तरफ देखा और अपनी गर्दन हिला कर रह गई।     काया ने अपना फोन निकाला और अव्यांश का नंबर डायल करने को हुई लेकिन उससे पहले उसके फोन पर किसी का कॉल आने लगा। सुहानी स्क्रीन की तरफ देख कर बोली "यह कोई अनजान नंबर से मु

सुन मेरे हमसफर 131

  131    अव्यांश निशि को लेकर घर से निकला। आलिया ने निशी को पार्टी वेन्यू की लोकेशन भेज दी थी, लेकिन वहां जाने की बजाए अव्यांश ने गाड़ी कहीं और घुमाई तो निशी बोली "हम लोग इधर क्यों जा रहे हैं? यहां से यू-टर्न लेने में काफी टाइम लग जाएगा। तुम गलत रास्ते पर जा रहे हो।"      निशी ने उसे नेविगेशन दिखाया लेकिन अव्यांश ने उसका फोन एक तरफ किया और बोला "हम इस वक्त कहीं और जा रहे हैं। और कहां जा रहे हैं इस बारे मैं पूछना मत। तुम बस चलो मेरे साथ।" निशी कुछ पूछ ना पाई। कुछ बोलने से पहले ही अव्यांश ने उसका मुंह बंद करवा दिया था।     कुछ देर के बाद अव्यांश ने गाड़ी एक बड़ी सी बिल्डिंग के आगे रोकी। निशी ने उस बिल्डिंग की तरफ देखा तो हैरान होकर बोली "हम यहां क्यों आए हैं? पता है यहां अपॉइंटमेंट के लिए कितनी लंबी लाइन लगती है! और ये बहुत महंगा भी है।"      अव्यांश ने उसके किसी बात पर कोई रिएक्शन नहीं दिया और दरवाजा खोलकर बाहर निकल गया। निशी गाड़ी में ही बैठे रह गई। अव्यांश ने उसके साइड का दरवाजा खोला और कहा "बाहर निकलो तो! पार्टी में जाना है या नहीं?"     निशी

सुन मेरे हमसफर 130

 130     ना चाहते हुए भी निशी को तैयार होना पड़ा। गोल्डन रंग की ब्लाउज और सुर्ख लाल रंग की साड़ी, जो खासतौर पर अव्यांश आज की पार्टी के लिए लेकर आया था। निशी उसमें बहुत खूबसूरत लग रही थी। अपने कान में झुमके डालती निशी ने आईने में देखा तो पाया, अव्यांश उसे ही देख रहा था।     निशी अपनी नजरें इधर-उधर घुमाते हुए बोली "ऐसे क्या देख रहे हो?"      अव्यांश उसे छेड़ते हुए बोला "वो क्या है ना, तुम्हें जब भी देखता हूं, तुम हर बार ही नई सी लगती हो। सोचता हूं तुम्हें अलग अलग नामों से बुलाऊं। ताकि एक तुम्हारे आने से मेरी लाइफ में जो लड़कियों की कमी हो गई है, वह पूरी हो जाए।"    निशी ने उसे घूर कर देखा और कंगी उठाकर उसे मारने को हुई। अव्यांश उससे बचते हुए बोला "अरे यार, तुम इतना गुस्सा क्यों हो जाती हो? कौन सा मैं किसी और की बात कर रहा हूं!"     निशी ने कुछ नहीं कहा। वह वापस से अपने झुमके पहनने लगी। अव्यांश उसके करीब आकर सामने आईने के पास से दूसरा झुमका उठाया और निशी के दूसरे कान में लगाते हुए बोला "मैं अच्छे से जानता हूं, जिसने भी तुम्हें पार्टी में इनवाइट किया है,

सुन मेरे हमसफर 129

  129    निशि का दिल किया, वह उसी फोन से अव्यांश का सर फोड़ दे। अव्यांश उसे और चिढ़ाते हुए बोला "क्या हुआ, ऐसे क्यों देख रही हो? मेरा मर्डर करने का मन कर रहा है? लेकिन तुम्हें क्या फर्क पड़ता है! और मैंने ऐसा क्या कर दिया? मैं तो बस तुम्हारी फ्रेंड से बात कर रहा था। अब यह कोई गुनाह तो नहीं है। तुम मुझे भाव नहीं देती तो कम से कम कोई तो है जो मुझे.......….."      उसकी बात पूरी होती, उससे पहले ही निशी में गुस्से में दहाड़ कर कहा "तो जाकर मरो उसी के साथ, और निकल जाओ मेरे कमरे से!!!"      निशि का गुस्सा देखकर अव्यांश मन ही मन हंस पड़ा। उसने अपने दोनों हाथ खड़े किए और बोला "सॉरी! सॉरी!! सॉरी!!! तुम नाराज मत हो यार। वैसे भी, हम तो सिर्फ दोस्त है ना! और लाइफ में कभी न कभी तो गर्लफ्रेंड जरूर बनेगी। बिना गर्लफ्रेंड के लाइफ में मजा कहां यार! तो क्यों न मैं तुम्हारी इस दोस्त आलिया को ही अप्रोच करूं?" बोलते हुए अव्यांश जाकर बिस्तर पर लेट गया और एक तकिए को अपनी बाहों में भर लिया।      निशी ने गुस्से में दूसरा तकिया उठाया और उसी से अव्यांश की पिटाई चालू कर दी। दोनों की ल

सुन मेरे हमसफर 128

  128     अव्यांश निशी के कमरे में आया तो देखा, निशी आईने के सामने खड़ी खुद को निहार रही थी। किसी सोच में डूबी थी शायद, इसीलिए उसे अव्यांश के वहां आने का आभास तक नहीं हुआ। अव्यांश धीरे से आगे बढ़ा और निशी को पीछे से अपनी बाहों में भर कर बोला "कहां खोई हो? मेरे बारे में तो............"     अव्यांश के इस तरह छूने निशी बुरी तरह घबरा गई। उसने खुद को अव्यांश की पकड़ से छुड़ाने की कोशिश की और बोली "क्या कर रहे हो तुम? छोड़ो मुझे! तुमने कहा था ना कि तुम ऐसी वैसी कोई हरकत नहीं करोगे, बिना मेरी मर्जी के!"      अव्यांश ने उसे एक झटके में अपने सामने किया और उसपर अपनी पकड़ बनाते हुए नाराज होकर बोला "अच्छा! मतलब मैं अपनी मर्जी से कुछ नहीं कर सकता लेकिन तुम बिना मेरी मर्जी कि मेरे साथ कुछ भी कर सकती हो, है ना?"     निशी अपनी नजरें चुराते हुए बोली "तुम क्या कह रहे हो, मेरी कुछ समझ नहीं आ रहा। मैंने कब तुम्हारा फायदा उठाया है?"     अव्यांश ने झुककर निशी की आंखों में देखने की कोशिश की और बोला "सच में? सच सच बताना, गजनी हो क्या तुम? वही बीमारी तो नही लग शायद