सुन मेरे हमसफर 134

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    आलिया काफी देर से निशी के आने का इंतजार कर रही थी। देवेश भी उसी का इंतजार कर रहा था। उसने आलिया से पूछा "क्या हो गया? निशी अब तक क्यों नहीं आई? वो इतनी देर तो कभी नहीं लगाती।"


     आलिया ने अपने फोन में टाइम देखा और बोली "अब मुझे क्या पता उसे क्यों देर हो गई? तैयार हो रही होगी बिचारी! वैसे भी शादी के बाद लड़कियां थोड़ी स्लो हो ही जाती है। हो सकता है उसके पति का दिल मचल गया हो उसको देखकर और वो दोनों इस वक्त अपने बेडरूम में...........।"


     देवेश बेचैन होकर बोला "शट अप! अपनी बकवास बंद करो और एक बार उसे कॉल कर के पूछो कि कहां है वह!"


     आलिया ने अपना ड्रिंक खत्म किया और ग्लास काउंटर पर रखकर बोली "मैं कोई उसकी नौकरानी नहीं हूं और ना ही तुम्हारी नौकरानी हूं जो तुम्हारे कहने पर मैं उसे बार-बार फोन करूंगी। तुमने कहा मुझे उसे बुलाने को, मैंने उसे बुलाया। अब वह आए या ना आए, मुझे उससे कोई मतलब नहीं है। अगर तुम्हें इतनी ही बेचैनी हो रही है तो अपनी खुजली मिटाओ और उसे फोन लगाओ। उसका नंबर है तुम्हारे पास? अगर नहीं है तो मैं देती हूं।"


     देवेश से कुछ कहते नहीं बना। सुबह से वो बस एक बार निशी से मिलकर उससे बात करना चाहता था। जो कुछ भी हुआ, वह सारी मिसअंडरस्टैंडिंग क्लियर करना चाहता था। लेकिन उसका हसबैंड...…? उसके होते हुए कैसे करेगा? पब में वैसे ही म्यूजिक का शोर था। शायद यह सही जगह थी जहां वह किसी भी बहाने से निशी से मिलकर उसके सामने अपनी बात रख सकता था। लेकिन क्या इसके लिए निशी तैयार होगी?


     पिछली बार जब वह बेंगलूर आई थी तब उसने किस तरह देवेश से मुंह फेरा था, यह देवेश को आज भी याद था। उसने एक बार फिर आलिया से कहा "आलिया प्लीज! एक लास्ट टाइम एक बार उसे कॉल करके देख लो। कहीं ऐसा ना हो कि उसने अपना प्लान चेंज कर लिया हो।"


    आलिया अब परेशान हो चुकी थी। उसने देवेश को अवॉइड किया और वहां से उठ कर चली गई। अचानक से देवेश की नजर दरवाजे से अंदर आती हुई निशी पर गई। देवेश की आंखें खुशी से चमक उठी। उसने आगे बढ़कर निशी के पास जाना चाहा लेकिन एकदम एकदम से पूरे पब का म्यूजिक बंद हो गया। निशी के कदम अपनी जगह पर रुक गए।




*****





काया और सुहानी के जाने के बाद समर्थ ने चैन की सांस ली और वापस पीछे कुर्सी पर टेक लगाकर बैठ गया। काया उसके लिए उसका मनपसंद पनीर के पकोड़े लाई थी। अगर समर्थ उसे थोड़ा सा भी गुस्सा दिलाता तो वाकई काया वह प्लेट उठाकर वापस ले जाती। यह सोचते हुए उसे हंसी आ गई और उसने प्लेट से दो तीन टुकड़े उठाकर मुंह में डाल लिए।


     पीछे से तन्वी की खनकती आवाज उसकी कानों में पड़ी "क्या मैं यहां बैठ सकती हूं?"


     समर्थ ने चौक कर अपने पीछे देखा तो वाकई यह उसका कोई वहम नहीं था। तन्वी उसके ठीक पीछे खड़ी थी, वही अपने चिर परिचित अंदाज में। कुर्ती और जींस। समर्थ उठ खड़ा हुआ और उसके पास जाकर उसके दोनों हाथ पकड़ लिए फिर बोला "तुम यहां? तुम्हें यहां कुहू ने बुलाया है?"


    तन्वी इनकार करते हुए बोली "नहीं। सुहानी ने बुलाया मुझे, और काया ने स्पेशली रिक्वेस्ट की थी तो मां पापा ने मुझे यहां भेज दिया। मेरा तो मन नहीं था इस वक्त यहां आने का लेकिन.........."


     समर्थ उसके गले लग गया और बोला "मुझसे मिलने में तुम्हें परेशानी होती है क्या?"


     तन्वी चुप रह गई। समर्थ ने उसे कुर्सी पर बैठाया और खुद भी उसके पास बैठ कर बोला "क्या हुआ? तुम इतनी नाराज क्यों हो?"


     तन्वी थोड़ा हिचकते हुए बोली, "नाराज नही हूं आपसे, और ना कभी हो सकती हूं। मैं जानती हूं आप मुझसे बहुत प्यार करते हैं। लेकिन समर्थ सर! हम शादी कब कर रहे हैं?"


     समर्थ नाराज होकर बोला "अगर तुम मुझे सर कहोगी तो तुम्हें लगता है मैं तुमसे शादी कर पाऊंगा? जिस वजह से मैंने तुम्हें खुद से दूर रखा था, तुम अभी भी उस वजह को हमारे बीच लाकर खड़ी कर रही हो तो भूल जाओ मुझे।"


     तन्वी ने कस कर समर्थ की हथेली को थाम लिया और घबरा कर बोली "सॉरी! मैं पूरी कोशिश कर रही हूं। वो क्या है ना, थोड़ा सा डर लग रहा है मुझे। अगर किसी को पता चल गया तो मैं........! अगर मां पापा को पता चल गया तो.....?"


     समर्थ ने उसे कंधे से पकड़ा और अपने करीब खींचकर बोला "चिंता मत करो। उससे पहले हमारी शादी हो जाएगी। मां पापा वैसे ही हमारी शादी के लिए कुछ ज्यादा ही परेशान है, स्पेशली मेरी शादी के लिए। तुम चिंता मत करो। जो हुआ वो गलत नहीं था। फिर भी मुझे इतनी जल्दी नहीं करनी चाहिए थी। सॉरी! मैं खुद पर कंट्रोल नहीं कर पाया और तुम इस बात से परेशान हो रही हो। लेकिन मैं भी कुछ नही कर पाया। बरसों से जो दिल में तुम्हारे लिए फिलिंग्स दबी थी, वह इस तरह सामने आएगी मुझे खुद भी उम्मीद नहीं थी। मैं बस इतना कहना चाहता हूं मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं। मैं जानता हूं मैं उन रोमांटिक लोगों में से नहीं हूं और ना ही मुझे ऐसा कुछ करने आता है। यह सब जो मैं कह रहा हूं मुझे इसके लिए थोड़ी प्लानिंग करनी चाहिए थी। लेकिन मैं ऐसा ही हूं, क्या करूं?"


      तन्वी मुस्कुरा कर बोली "मैं जानती हूं। आप जैसे भी है मुझे हमेशा से अच्छे लगे। और मैंने आपको कभी बदलने के लिए नहीं कहा।"




*****




     कुहू अपने हाथों से कुणाल को स्नेक्स सर्व कर रही थी और कुणाल चुपचाप खा रहा था। इतने में कार्तिक सिंघानिया वहां पहुंचा और कुणाल के पास बैठ कर बोला "हम भी हैं मैडम! थोड़ी पेट पूजा हमारी भी करवा दो। बहुत भूख लग रही है।"


    सुहानी की नजर जैसे ही कार्तिक सिंघानिया पर गई, उसके होठों पर बड़ी सी स्माइल आ गई। उसने अपने हाथ में स्नेक्स का एक प्लेट उठाया और कार्तिक सिंघानिया के सामने रखते हुए बोली "आपको नहीं लगता कि आप थोड़ी जल्दी आ गए हैं? आई मीन, स्नेक्स का टाइम अभी खत्म ही होने वाला है और डिनर कभी भी लग सकता है। थोड़ी देर से आते तो........"


      कार्तिक सिंघानिया अपने दोनों कान पकड़कर बोला "सॉरी! लेकिन सब इसकी वजह से हुआ है।" कार्तिक सिंघानिया ने सीधे कुणाल की तरफ उंगली दिखाई।


     शिवि, जो सबको सर्व कर रही थी, उसकी नजर कार्तिक सिंघानिया पर गई। वो उसके पास गई और बोली "आप यहां क्या कर रहे हैं? आपकी फैमिली में इमरजेंसी हुई थी ना? इतनी जल्दी सॉल्व भी गई सारी प्रॉब्लम? और आप वापस आ गए? कुछ ज्यादा ही तेज नहीं है? आई मीन, इतनी जल्दी तो नूडल्स भी नहीं बन सकते जितनी जल्दी आप सारी प्रॉब्लम सॉल्व करके आए हो।"


    कार्तिक सिंघानिया ने हेल्प के लिए कुणाल की तरफ देखा। यह सारा आईडिया कुणाल का ही था, सिर्फ और सिर्फ शिवि के साथ जाने के लिए। कुणाल अपने दोस्त के लिए आगे आया और बोला "अरे वह क्या है ना, इसको गलतफहमी हो गई थी।"


     शिवि ने हाथ दिखाकर कुणाल को चुप करा दिया और बोली "इमरजेंसी इनके घर पर हुई थी ना? तो इनको ज्यादा बेहतर पता होगा कि क्या हुआ था क्या नहीं। आप से किसी ने नहीं कहा इनकी तरफदारी करने को। इनकी अपने मुंह में जबान है।"


     कार्तिक सिंघानिया ने थूक निगलने की कोशिश की लेकिन गला पूरा सुखा हुआ था। उसने सामने रखें कुणाल के ग्लास से पानी पिया और बोला "हां! आपने बिल्कुल सही कहा आपने। वह क्या है ना, चाचू का फोन आया था। अब मम्मी पापा तो यहां है नहीं, तो चाचू ही है हमारी देखभाल के लिए। उन्होंने ही बताया था कि मेरा भाई किसी प्रॉब्लम में है तो मुझे वहां जाना पड़ा। लेकिन वहां पहुंच कर देखा तो............! मेरा भाई कभी किसी प्रॉब्लम नहीं हो सकता. वह जहां भी जाता है प्रॉब्लम उसके साथ ही जाती है और उन प्रॉब्लम से कैसे निकलना है यह भी उसे अच्छे से पता है। तो मेरी कोई जरूरत ही नहीं थी वहां पर। आप समझो मेरी बात।"


     शिवि उसकी बातों से कन्वेंस नहीं थी। उसने अपने दोनों होंठ आपस में दबाकर सर हिलाया और वहां से चली गई। कुहू बोली "तुम खाओ, मैं डिनर की तैयारी देख कर आती हूं।" कुहू जाते-जाते सुहानी को भी अपने साथ ले गई। 


    उन सब के जाने के बाद कार्तिक सिंघानिया ने कुणाल की तरफ गुस्से से देखा और बोला "सारी तेरी गलती है। ऐसा प्लान ही क्यों बनाता है कि पकड़ा जाता है, वह भी किसी और के हाथों नहीं, बल्कि शिवि के हाथों।"


     कुणाल भी उससे नाराज होकर बोला, "तो तुझे किसने कहा था यहां आने के लिए ?कुहू ने तुझे यहां बुलाया था तो क्या तेरा आना जरूरी था?"


     कार्तिक सिंघानिया प्लेट में रखे स्नैक्स अपने मुंह में डालकर बोला "बिल्कुल! जहां बात पेट पूजा की हो, वहां मैं ना जाऊं ऐसा हो ही नहीं सकता। वह सब छोड़ और यह बता, तेरा क्या सीन है?"


     कुणाल भी खाते हुए बोला "मेरा कौन सा सीन? तू किसकी बात कर रहा है?"


    कार्तिक सिंघानिया ने कुणाल को तिरछी नजरों से देखा और बोला "ये तू जो तीन बहनों के बीच में फंसा हुआ है, यह सब से कैसे निकलना है तूने सोचा है कभी? देख कुणाल! मेरी मान तो कुहू को सारी सच्चाई बता दें। नेत्रा से तेरा कोई लेना देना नहीं है लेकिन शिविका से तो है। तूने पागलों की तरह उसे ढूढा है उसे। एक साल भटका है उसके लिए। अब वो तेरे सामने है तो तू ऐसे उसे खुद से दूर जाने देगा क्या? मेरी मान तो यही सही मौका है। कुहू को बता दे कि तू उससे प्यार नहीं करता। तू उसकी बहन से प्यार करता है, पिछले 1 साल से।"


     पीछे खड़ी नेत्रा ने पूरी बात तो नहीं सुनी लेकिन आखरी की कुछ लाइन सुनकर उसे य

कीन हो गया कि कुणाल उससे प्यार करता है। उसके होठों पर बड़ी सी मुस्कान आ गई।





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