सुन मेरे हमसफर 135

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    म्यूजिक बंद होने पर निशी अपने चारों तरफ देखने लगी। अपने 3 इंच के हाई हिल पर आलिया टकटक करती हुई निशी के पास आई और उसे ऊपर से नीचे तक देखते हुए हंस पड़ी। आलिया के पीछे उसकी दो चम्मचिया भी खड़ी थी। उनमें से एक बोली "यह क्या निशिता! तुम यहां साड़ी में आई हो? तुम्हारे हस्बैंड ने तुम्हे बताया नहीं की पार्टी यहां पब में है, किसी मंदिर में नहीं।"


     निशी ने उन्हें गुस्से से घूर कर देखा लेकिन इससे पहले कि वह कुछ जवाब दे पाती, पीछे से अव्यांश आया और बोला "पब में साड़ी अलाउड है या नहीं है, यह बात आप लोगों से बेहतर बाहर दरवाजे पर खड़े सिक्योरिटी गार्ड को ज्यादा पता है। तो फिर आप क्या भी सिक्योरिटी गार्ड का काम करती हैं या फिर यहां बार टेंडर का?" निशी की हँसी छूट गई।


   आलिया की चमची बोली "एक्सक्यूज मी! आप हैं कौन और हमारे साथ इस तरह से बदतमीजी करने का क्या मतलब है?"


   अव्यांश मासूम बनते हुए बोला "बदतमीजी?! नहीं बिल्कुल नहीं! मेरी पूरी लाइफ में किसी ने मुझसे नहीं कहा कि मैं बदतमीज हूं या फिर मैंने किसी से बदतमीजी की है। मैं तो बस नॉर्मली पूछ रहा हूं। वह क्या है ना, मैंने भी इनको रोका था साड़ी पहनने से, लेकिन इस मोहतरमा ने साफ-साफ कहा कि चाहे वह साड़ी पहनकर जाए या कुछ और, पब में किसी की हिम्मत नहीं है जो इन्हें रोक सके। और एक बात सच भी है। मैडम को अंदर आने के टाइम में सिक्योरिटी गार्ड ने एक बार भी नहीं रोका। जितने भी लोग थे सब इनकी तरफ देख जरूर रहे थे। यहां तक कि इस पब का मैनेजर भी सर झुका कर इनको हेलो कर रहा था। तो आप ने बताया नहीं, आप क्या यहां पर वेट्रेस का काम करती हैं जो आपको इनके बारे में पता नहीं है? आई मीन आप जितना इस जगह के रूल रेगुलेशन के बारे में बात कर रही हैं, उस हिसाब से तो आप वेट्रेस................ नहीं?! सॉरी, अगर मुझे कुछ गलतफहमी हो गई हो तो।"


     आलिया कि नजर जब से अव्यांश पर पड़ी थी वह बस उसे ही देखे जा रही थी। उसने अव्यांश की तरफ अपना हाथ बढ़ाया और बोली "हाय! आई एम आलिया! यहां मेरी बर्थडे पार्टी चल रही है। और आप?"


     अव्यांश ने उसकी हाथ की तरफ देखा और फिर निशी की तरफ। निशी गुस्से में उसे देख रही थी। अव्यांश ने आलिया का हाथ पकड़ने की हिम्मत नहीं की और मुस्कुरा कर बोला "मैं अव्यांश, आपकी फ्रेंड निशी का हस्बैंड।"


     आलिया एक नजर निशी की तरफ देखा और मन ही मन उससे जल गई। उसने जबर्दस्ती मुस्कुराकर कहा "वेलकम निशी! कितनी देर कर दि तुमने आने में! पार्टी तुम्हारी वजह से ही अब तक रुकी हुई थी। हम सब बस तुम्हारा ही इंतजार कर रहे थे। अब तुम आ गई हो तो पार्टी शुरू किया जाए?" आलिया बात तो निशी से कर रही थी लेकिन उसकी अव्यांश पर ही बनी हुई थी।


     निशी से बर्दाश्त नहीं हुआ। वह अव्यांश और आलिया के बीच में खड़ी होकर बोली "इंतजार कर रही थी? लेकिन तुम्हारा एक भी कॉल मुझे नजर नहीं आया, क्यों? शायद नेटवर्क प्रॉब्लम होगी। या फिर तुम्हें मेरा नंबर ही नहीं पता। लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है? अगर तुम्हें मेरा नंबर नहीं पता तो फिर तुमने मुझे कल कैसे किया था?"


    निशि को ऐसे अपने पति को प्रोटेक्ट करते देखा देवेश को बहुत बुरा लगा और उसे यकीन नहीं हुआ कि चंद दिनों में निशि अपने उसे अनजान पति के लिए इतनी ज्यादा प्रोटेक्टिव हो गई है कि कोई उसे देख भी तो वह बर्दाश्त नहीं कर सकती थी। अव्यांश ने आलिया से मुस्कुरा कर कुछ बोलने की कोशिश की लेकिन निशी ने उसे गुस्से में देखा और उसका हाथ पकड़कर दूसरी तरफ ले गई।



*****





     कुणाल, कुहू को ढूंढ रहा था लेकिन उसे वो कहीं नजर नहीं आ रही थी। नेत्रा की नजर कुणाल पर बनी हुई थी। वो कुणाल के पास गई और उसे कंधे पर हाथ रखकर पूछा "क्या हुआ, क्या ढूंढ रहे हो?"


      कुणाल ने उससे पूछा "तुमने कुहू को कहीं देखा है क्या? मुझे उससे कुछ जरूरी बात करनी थी।"


     नेत्रा समझ गई कि कुणाल को कुहू से क्या बातें करनी है। वह भी तो यही चाहती थी। इससे एक तो कुणाल उसका होता दूसरा कुहू की सारी अकड़ मिट्टी में मिल जाती। बहुत अकड़ कर कुहू ने नेत्रा के सामने कुणाल पर अपना हक जताया था। नेत्रा बस यही चाहती थी कि जल्द से जल्द कुहू की सारी गलतफहमी दूर हो जाए। उसने मुस्कुराकर कहा "उनको तो मैंने अपने कमरे में जाते हुए देखा था। ऊपर जाकर सीढ़ियों से दूसरा कमरा। तुम कहो तो मैं तुम्हें ले चलूं?"


     कुणाल इंकार करते हुए बोला "नहीं मैं चला जाऊंगा। मुझे उससे कुछ जरूरी बात करनी थी। तुम रहो यहां पर आज सब को सर्व करो, मैं बस थोड़ी देर में आता हूं।" कुणाल ने नेत्रा के कंधे पर हाथ रखा और वहां से चला गया। नेत्रा खड़ी मुस्कुराते हुए उसे देखती रही और कुणाल उसकी नजरों से ओझल हो गया।


     निर्वाण उसके पास आया और उसे डांटते हुए बोला "ऐसे पागलों की तरह क्यों खड़ी है यहां पर? और किसको देख कर मुस्कुरा रही है? दिमाग तो सही है तेरा? जितना मना कर रहा हूं उतना ही उसके करीब जा रही है। मत कर ऐसा वरना बहुत पछताएगी तू।"


     नेत्रा ने निर्वाण की तरफ देखा फिर उसे इग्नोर कर दूसरी तरफ चली गई।




*****




   कुणाल कुहूको ढूंढते हुए उसके कमर तक पहुंचा और दरवाजे पर दस्तक दी। "कुहू.....! तुम हो यहां पर?"


    अंदर से कोई आवाज नहीं आई। कुणाल ने दोबारा दरवाजे पर दस्तक दी और आवाज लगाई "क्या तुम मेरी आवाज सुन रही हो? मुझे तुमसे कुछ बहुत जरूरी बात करनी है।" इस बार भी कोई आवाज नहीं आई तो कुणाल ने दरवाजे पर हाथ रखा और दरवाजा एकदम से खुल गया।


     कुणाल थोड़ा सा चौंक गया। कमरे में जाना उसे सही नही लग रहा था लेकिन कुछ सोच कर वह कमरे के अंदर दाखिल हुआ। कमरा पूरा खाली था और बाथरूम का दरवाजा भी खुला हुआ था। कुणाल समझ गया कि कुहू यहां कमरे में नहीं है। फिर भी उसने कुहू को आवाज़ लगाई "कुहू! तुम हो क्या यहां पर?"


    बालकनी से भी कोई आवाज नहीं आई तो कुणाल वहां से जाने के लिए मुडा। ऐन मौके पर पूरे घर की लाइट चली गई। कुणाल पहले कभी कुहू के कमरे में दाखिल नहीं हुआ था। ये पहली बार था इसीलिए अंधेरे में उसे समझ ही नहीं आया कि कौन सी चीज कहां रखी है। बाहर निकलने की कोशिश में उसका पैर बिस्तर से टकराया और घुटने में जोर से चोट लग गई। कुणाल चीख पड़ा।


      शिविका किचन में थी जब लाइट गई। उसने कैंडल निकाली और उसे जला कर पीछे गार्डन की तरफ जाने लगी तो उसे कुहू के कमरे से किसी की आवाज सुनाई दी। वह थोड़ी घबरा गई। 'कुहू दी तो अभी अभी गार्डन की तरफ गई है तो फिर ऊपर कौन है? कहीं कोई चोर तो नहीं है? नहीं! चोर इतनी हिम्मत नहीं करेगा, वह भी इतने सारे लोगों के रहते तो बिल्कुल नहीं। हो सकता है कोई घर का ही हो। एक बार देखना चाहिए वरना अंधेरे में किसी को भी चोट लग सकती है।' 


   शिवि एक हाथ में कैंडल पकड़े और दूसरे हाथ से लौ को संभाले ऊपर की तरफ बढ़ने लगी। कुणाल जैसे-तैसे लगड़ाते हुए फोन के टॉर्च की रोशनी में कमरे से बाहर निकला और सीढ़ियों की तरफ बढ़ा। ना शिवि को एहसास हुआ और ना कुणाल को, दोनों ही सीढ़ियों पर जा टकराए।


     शिविका नीचे की तरफ थी इसलिए वह घबराहट में और पीछे हो गई और गिरने को हुई। उसके मुंह से चीख निकल गई। कुणाल ने बिना कुछ सोचे उसका एक हाथ, जिसमें कैंडल था, पकड़ लिया और दूसरे हाथ से शिवि की कमर को थाम लिया। इस चक्कर में कुणाल का फोन सीढ़ियों के ऊपर से सीधे फर्श पर गिरा और उसके पुर्जे बिखर गए।




*****





    लाइट के जाते ही निर्वाण ने नेत्रा का हाथ पकड़ लिया था कि वह इधर उधर भाग कर बहाने से कुणाल के पीछे ना चली जाए। नेत्रा अपना हाथ छुड़ाते हुए बोली "क्या कर रहा है? ऐसे भूत के जैसे मेरे सर पर सवार मत हो। जा, खुद भी इंजॉय कर और मुझे भी इंजॉय करने दे। वरना जब तेरी गर्लफ्रेंड आएगी ना, तब मैं भी ऐसे ही तेरे से चिपकी रहूंगी। तुझे बिल्कुल भी अकेले नहीं छोडूंगी।"


     निर्वाण नाराज होकर बोला "अपना मुंह बंद रख। आजकल तू कंट्रोल से बाहर हो गई है। लगता है मम्मी को बताना पड़ेगा तेरी इस हरकत के बारे में। अगर ऐसा नहीं चाहती तो चुपचाप जैसा मैं कह रहा हूं वैसा कर।"


    नेत्रा गुस्से में बोली "मम्मी का चमचा!!"


      कार्तिक टॉर्च की रोशनी में सबको आवाज लगा रहा था और सबको शांत बैठने को बोल रहा था। अव्यांश यहां था नहीं लेकिन निर्वाण था। उसने निर्वाण को आवाज लगाई और बोला "बेटा जाकर एक बार चेक कर लो, क्या हुआ है। लाइट इस तरह जाती तो नहीं है।"


    निर्वाण बोला "आप चिंता मत कीजिए, मैं और नेत्रा जाकर देखते हैं।"


    कोई कुछ करता उससे पहले सबको शिविका की चीख सुनाई दी। समर्थ और सिद्धार्थ घबरा गए और अंदर जाने को हुए। बाकी सब भी शिविका की चीख सुनकर परेशान हो गए। काया और कुहू ने सबको रोका और बोली "आप सब लोग अगर इस तरह जाएंगे तो अंधेरे में किसी को भी चोट लग सकती है। आप सब शांति से बैठे, हम लोग जाकर देख कर आते हैं।"


    काया की बात सही भी थी। डिनर के चक्कर में तीनों बहनों ने मिलकर सारा सामान इधर से उधर किया था। अंधेरे में किसी तरह का पैनिक क्रिएट ना हो, इसलिए सब शांत बैठ गए। कुकू ने अपने फोन का टॉर्च ऑन किया और अंदर की तरफ बढ़ी।


     कार्तिक ने निर्वाण से कहा "तुम लोग जाकर देखो। अगर कुछ प्रॉब्लम हुई तो हमें आवाज दे देना।" निर्वाण भी नेत्रा को लेकर निकला।

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