सुन मेरे हमसफर 256
256 निशि का आज का पूरा दिन अपने कमरे में ही गुजर गया। पैर में पट्टी बांधने का जितना फायदा ना हुआ उससे ज्यादा नुकसान हो गया। कहां तो आज उसको सबके बीच रहकर सबका हाथ बटाना था। शादी के रस्मों में शामिल होना था, डांस करना था और एंजॉय करना था। लेकिन सब धरा का धरा रह गया। निशी के पैर में कोई चोट नहीं थी, और यह बात अव्यांश जानता था लेकिन इसके लिए उसने कोई सवाल नही किया। क्योंकि उसे ये अपना हक लगा ही नहीं। वह तो नाश्ता करने के तुरंत बाद प्रेरणा को लेकर वहां से निकल गया। डाइनिंग हॉल से कमरे तक शिवि ही उसे छोड़ने आई थी। अव्यांश ने तो एक बार भी उसके बारे में नहीं सोचा। ना एक भी कॉल किया। बाकी सब लोग वेन्यू के लिए निकल चुके थे। घर में निशी के साथ उसकी मम्मी थी और शुभ अभी भी अपने कमरे में था। कुछ जरूरी काम निपटाने थे जिसमें वह लगा हुआ था। उसके बाद तैयार होकर वह निकलने को हुआ तो अचानक ही उसका ध्यान अपने कमरे की बालकनी से बाहर गया। घर के बाहर वाले रोड के दूसरे साइड पर एक काले रंग की गाड़ी काफी देर से खड़ी थी। कुछ देर पहले भी शुभ ने वो गाड़ी देखी थी लेकिन किसी राह चलते का होगा, सोचकर