सुन मेरे हमसफर 251

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    किचन के दरवाजे पर और कोई नहीं बल्कि प्रेरणा खड़ी थी। निशी मन ही मन अपना सर पकड़ कर बोली 'यह यहां क्या कर रही है? और यह क्या इतनी चिपकु है जो यहां भी चली आई? घर छोड़ो यह तो किचन में ऐसे घुस गई है जैसे उसी का हो। घर वाले कोई कुछ क्यों नहीं कहते?' 


     अव्यांश ने अजीब सी शक्ल बनाकर कहा "अब ये मत कहना कि तू नाश्ता बना रही है।"


     प्रेरणा उसकी लाइन सही करते हुए बोली "तूने ठीक से सुना नहीं, बना नहीं रही हूं बना चुकी हूं।"


     अव्यांश ने अपना सर पकड़ लिया और नौटंकी करते हुए कहा "अभी यह मत कहना कि तूने बम गोले बनाए हैं।"


     प्रेरणा भी सरप्राइज होने का नाटक करते हुए बोली "तुझे कैसे पता है? एक-दो तेरे सर पर फोड़ भी दूंगी बचके रहना।"


     पूरा माहौल हंसी की ठहाकों से गूंज उठा। लेकिन निशि को अव्यांश और प्रेरणा के बीच की यह जुगलबंदी पसंद नहीं आई। प्रेरणा किचन के अंदर गई और वहां से नाश्ता एक-एक कर टेबल पर लगाने लगी जिसमे अवनी ने भी उसका साथ दिया। तब अव्यांश ने जानकी से पूछा "दादी! हमारी रज्जो ब्रो नजर नहीं आ रही। वो नहीं आई है क्या?"


     जानकी मासी समेत सब ने अपने होठों पर उंगली रखकर उसे चुप रहने का इशारा किया तो अव्यांश ने अपने आसपास देखा। किचन के दरवाजे पर से आवाज आई "हूं यू टॉकिंग नॉटी फेलो?"


     अव्यांश ने सरप्राइज होकर पलट कर देखा, रज्जो उसके सामने खड़ी थी। उससे भी बड़ी सरप्राइज वाली बात यह थी की रज्जो इंग्लिश में बात कर रही थी। अव्यांश ने जाकर सीधे रज्जो को गोद में उठा लिया और उसे दो बार गोल गोल घुमा कर बोला "हाय मेरी ब्रो! वेयर आर यू?"


     रज्जो जल्दी से अव्यांश के गोद से उतर गई और उसके कंधे पर मरते हुए बोली "इसीलिए आई टेल यू, नॉटी फेलो! आई तो हेयर ही है, लॉन्ग टाइम से। यू मिसिंग मिसिंग। आई योर वेटिंग एयरपोर्ट, बट यू नो कमिंग।"


   न अव्यांश अपने कान पड़कर बोला "सॉरी ब्रो! आई स्लीपिंग हॉस्पिटल, नो वेक अप एट नाईट ई, गोट नो कॉल आई को डॉन'ट नो था ब्रो कि यू आर कमिंग। नहीं तो हाउ कैन आई मिस थिस चांस!"


     उन दोनों की बातचीत सुनकर सभी मुस्कुरा रहे थे लेकिन शुभ को हंसी आ गई। जानकी मासी ने उसे चाय का कप पकड़ाया तब शुभ ने चाय का एक सिप लेकर कहा "बाकी का तो पता नहीं लेकिन हमारी रज्जो की अंग्रेजी बहुत अच्छी हो गई है। इसने तो वहां क्लासेस देना भी शुरू कर दिया है।"


      सारांश के मुंह से निकाल "लेता कौन है?"


     रज्जो और अव्यांश ने नाराजगी से सारांश की तरफ देखा और कहा "यू जेलस फेलो!" रज्जो अव्यांश की तरफ मुड़ी और कहा "यू नो वरी। भाभी इन लॉ हैंडल कैन दिस।"


    जानकी मासी ने रज्जो को डांटते हुए कहा "रज्जो जल्दी कर सबका नाश्ता लगा। भूख लगी है, सभी को निकलना भी है अभी। मैं इन सब को समझा रही थी, अब क्या तुझे भी समझाना पड़ेगा?" रज्जो बिना कुछ बोले वहां से चली गई। तब सिया ने कहा, "अरे उनको छोड़ो, तुम आकर मेरे पास बैठो।" जानकी मासी जाकर सिया पास बैठ गई। दोनों को बहुत सारी बातें करनी थी।


    इतनी देर में प्रेरणा और अवनी ने लगभग पूरा नाश्ता लगा दिया था। ढोकले पोहे और उपमा, जिसका जो मन था वह बना दिया। अव्यांश ने खड़े-खड़े एक ढोकला उठाया और उसे खाते हुए बोला "मेरे से ज्यादा अच्छा नहीं बना सकती तू। तुझे सीखा सीखा के परेशान हो गया। देख, फिर मीठा कम कर दिया तूने।"


      प्रेरणा नाराज होकर बोली "मीठा बिल्कुल सही है। तेरा टेस्ट खराब हो गया है। अब ज्यादा बोल मत और चुपचाप जाकर नाश्ता कर ले वरना यह भी नसीब नहीं होगा तुझे। दादी समझाओ ना इसे, जब देखो मेरे खाने में नुक्स निकालते रहता है।"


     रज्जो ने अव्यांश को ताना मारा "बिल्कुल अपने पॉप पर गया है।"


     सारांश ने चिढ़कर पूछा "मेरा बेटा है मेरे पर नहीं जाएगा तो किस पर जाएगा?"


     रज्जो ने भी उसी तरह जवाब दिया "अपनी मां पर। मेरी भाभी इन लॉ इज वेरी स्वीट, यू करेला।" 


    अवनी ने हंसते हुए दोनों को शांत करवाया और कहा "आप चलिए, पहले नाश्ता उसके बाद कोई काम। हमें निकालना है। चित्रा का फोन आया था, पूछ रही थी कब तक आओगे। अब क्या बताऊं मैं उसे कि यहां पर सब लड़ने पर लगे हैं। निशी बेटा! इन सब को छोड़ो और चलो तुम आकर नाश्ता कर लो।" अवनी ने अव्यांश को इशारा किया कि वह निशी को बैठने में हेल्प करें और खुद किचन में चली गई।


     अपनी मां का कहा अव्यांश नहीं टाल सकता था। उसने मजबूरी में एक हाथ से निशि की कलाई पकड़ी और दूसरे से इसका कंधा, लेकिन कुछ ऐसे कि उसने थामकर भी निशी को छुआ नहीं था। निशि धीमी कदमों से आकर अपनी कुर्सी पर बैठ गई। यह सब कुछ किसी और ने नोटिस किया हो या ना किया लेकिन एक शख्स ने इस बात को नोटिस कर लिया था।


    अवनी को किचन में जाते देख सारांश भी चुपके से किचन में गए और अवनी से कुछ कहना चाहा लेकिन कह नहीं पाए। अवनी समझ गई और कहा, "शादी के इतने सालों के बाद भी अगर आप कुछ कहने से घबरा रहे है तो ये मेरी गलती है। आप चिंता मत करिए, बहुत सालों के बाद मां का परिवार एक छत के नीचे है। ये खुशी मैं कभी कम नहीं होने दे सकती। आप चलकर डाइनिंग टेबल पर बैठिए।"


     सारांश ने अवनी को गले से लगा लिया और कहा, "सॉरी! मैं जानता हूं तुम ऐसा कुछ नहीं करोगी फिर भी.........। शुभ कुछ दिनों में यहां से चला जाएगा और मैं जानता हूं तुम एडजस्ट कर लोगी।"


   रज्जो की नजर जब दोनो पर पड़ी तो ताना मारते हुए कहा, "यहां भी शुरू हो गए?"


    





    निशि को प्रेरणा का यू फ्रेंडली होना पसंद नहीं आ रहा था। उसे ऐसा लग रहा था जैसे प्रेरणा उसके घर नहीं बल्कि वह प्रेरणा के घर पर हो। इस वक्त वह सबके लिए नाश्ता सर्व कर रही थी। निशी के मुंह से अचानक ही निकला "प्रेरणा! कब तक हो तुम यहां पर?"


     सर्व करते हुए प्रेरणा के हाथ रुक गए। निशी ने अपनी बात समझाते हुए कहा, "मेरा मतलब, आज शादी है और तुम कल आई। जहां तक मैं समझ रही हूं, तुम्हारा और कुहू दी का काफी क्लोज रिलेशन है। आई मीन इस फैमिली से भी, मेरी फैमिली से भी! तो तुम्हें नहीं लगता कि तुम्हें थोड़ा पहले आना चाहिए था ताकि शादी की सारी रस्मों को इंजॉय कर सको। ऐसे लास्ट मोमेंट पर आकर....... कल आई हो आज शादी है फिर कल ही निकल जाओगी तो सबको अच्छा तो नहीं लगेगा।"


    प्रेरणा ने भी मुस्कुरा कर कहा "डॉन'ट वरी! आई हूं तो बहुत सोच समझ कर आई हूं और छुट्टी लेकर आई हूं।"


      शिवि जो अभी-अभी उठी थी, वह आंखें मलते हुए आई और जाकर जानकी के पैरों के पास बैठ गई और कहा "उसका और अंशु का ना, अलग ही चलता है। वह यहां शादी में शामिल होने नहीं आई है, उसे अंशु के साथ मस्ती करनी है।"


     यह सुनकर निशी की भौंहे तन गई। सिया समझ गई कि शिवि ने भले ही बात कुछ और कही थी लेकिन निशी को कुछ और ही समझ आएगा। उन्होंने इस बात को एक्सप्लेन करते हुए कहा "प्रेरणा भले ही शिवी की दोस्त है लेकिन सबसे ज्यादा क्लोज वो अंशु के है। दोनों जो बदमाशियां करते हैं ना तुम सोच भी नहीं सकती, और यह कोई नया नहीं है। बचपन से दोनों ऐसे ही हैं।"


      शिवि भी आंखें बंद किए हुए बोली "हां! दोनो को एडवेंचर बहुत पसंद है। इसी चक्कर में स्काई डाइविंग करते टाइम एक बार अंशु बिना पैराशूट के ही कूद गया था।"


    अव्यांश ने अपना सर पीट लिया। ये बात घर में किसी को पता नही थी।




(अगले कुछ दिनों बहुत व्यस्त रहने वाली हूं, अपने असाइनमेंट के चक्कर में। तो हो सकता है कहानी के आगे के भाग मिलने में थोड़ी देरी हो जाए। आशा है आप समझेंगे।)


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