सुन मेरे हमसफर 270

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 कुहू के कमरे में न होने की बात सुनकर सभी घबरा गए। काव्या तो और भी ज्यादा घबरा गई। एक मां होने के नाते उनका घबराना बनता था, लेकिन फिर भी अपने आप को शांत करके काव्या ने पूछा "क्या बोल रही है तू सोनू? दिमाग खराब है तेरा?,कहां जाएगी वह, अपने कमरे में सो रही थी ना? तो ऐसे सोते में कहां जा सकती है? तूने देखा ठीक से?"


      सुहानी ने उन्हें समझाते हुए कहा "मासी, मैने और काया ने मिलकर देखा है, कुहू दी अपने कमरे में नहीं है। मैंने बाथरूम में भी चेक किया था और बालकनी में भी, वह है ही नहीं वहां पर।"


     श्याम जल्दी से आगे आई और कहा, "हो सकता है दूसरे कमरे में हो। तुम लोगों ने अगल-बगल के कमरे में चेक किया है?"


   सुहानी ने ना में अपनी गर्दन हिलाई और कहा "नहीं। हमने दूसरे कमरे में तो नहीं ढूंढा लेकिन काया उनको ढूंढने गई है। लेकिन सोचने वाली बात तो यह भी है ना बड़ी मां की कुहू दी अपने कमरे से निकाल कर कहां जाएंगी?"


    श्यामा ने समर्थ को आवाज़ लगाई "समर्थ.....! समर्थ.....!!!"


    समर्थ जो कि इस वक्त फोन पर किसी से बात करने में लगा हुआ था, अपनी मां की आवाज सुनकर उसने फोन कान से हटाया और तेज कदमों से लगभग दौड़ता हुआ आकर पूछा "क्या हुआ मॉम, कुछ काम था?"


     श्यामा ने घबराकर कहा "कुहू कमरे में नहीं है। जाकर तुम लोग एक बार चेक करो, कहीं किसी और कमरे में या छत पर तो नहीं चली गई है। ऐसे उसे कहीं जाना तो नहीं चाहिए था, लेकिन पता नहीं यह लड़की कहां चली गई है।"


     काया भागते हुए आई और उसने कहा "मैंने हर जगह देख लिया लेकिन मुझे कुहू दी कहीं नजर नहीं आई।"


     सबके माथे पर बल पड़ गए। जहां बारात दरवाजे पर खड़ी थी ऐसे में दुल्हन का यूं गायब होना किसी के भी जान हलक में ला सकता था। अवनी ने को एकदम से नेत्रा का ख्याल आया और उसने कहा "कुहू के साथ नेत्रा भी थी ना? उसी ने कहा था कि वह सो रही है, और हम लोगों उसे डिस्टर्ब ना करें।"


     काव्या को भी याद आया। उसने भी यही बात कही "हां! हमने कहा भी था कि कुहू को अकेले नहीं छोड़ना है। उसने भरोसा दिलाया था कि वह उसे अकेले नहीं छोड़ेगी। नेत्रा कहां है? उसे भी ढूंढो। हो सकता है दोनो साथ में हो।"


     बात अपनी बेटी की थी तो चित्रा भी कहां पीछे रहती न सिर्फ कुहू बल्कि नेत्रा भी वहां से गायब थी। चित्रा के लिए तो डबल टेंशन वाली बात थी। उसने निर्वाण को आवाज़ लगाई "नीरू......! नीरू.....!!"


      समर्थ ने जवाब दिया "बुआ! नीरू इस वक्त अंशु के साथ है। वह दोनों इस वक्त बाहर बारातियों के साथ है। आप लोग चिंता मत करिए हम सब लोग मिलकर उसे ढूंढते हैं। कुहू कहां जाएगी, यही कहीं तो होगी!"


    निशी तब तक अपना काम निपटा कर चुकी थी। कुहू के गायब होने की बात सुनकर वह भी बेचैन हो गई। जहां सभी अपनी तरीके से उनको ढूंढने में लगे थे ऐसे में निशि के दिमाग में यह ख्याल आया और उसने जाते हुए समर्थ को आवाज लगाकर रोका "समर्थ भैया रुकिए!"


     समर्थ के कदम वहीं रुक गए। निशी उसे क्यों रोक रही थी यह बात किसी को समझ में नहीं आई। निशि जल्दी से आगे आई और कहा, "इस तरह अगर हम लोग चारो तरफ ढूंढेंगे तो काफी समय बर्बाद हो जाएगा। बरात दरवाजे पर खड़ी है और हमारे लिए हर एक पल कीमती है। ऐसे में सबसे आसान रास्ता है, आप सिक्योरिटी रूम में जाओ और उससे पता करो। कुहू दी अगर कमरे से निकली है तो किस तरफ गई है और हमें कहां ढूंढना है यह बात हमें फुटेज देखकर आसानी से पता चल जाएगी।"


     निशी की बातों में पॉइंट था इसलिए कहीं भी और देखने जाने से पहले श्यामा ने समर्थ से कहा, "निशी बिल्कुल ठीक कह रही है। एक बार जाकर तुम लोग सीसीटीवी फुटेज देख लो तब तक हम लोग दूसरे कमरे में देखते हैं।"


     सुहानी ने भी कहा "मैं और काया छत पर देख कर आते है, चल काया!" सुहानी ने काया का हाथ पकड़ा और उसे लेकर छत की तरफ दौड़ पड़ी।


     दूसरी तरफ अव्यांश और निर्वाण दोनों ही बारातियों को दरवाजे से अंदर लाने के लिए रास्ता बनाया लेकिन दरवाजे पर ही बारात को रोक कर ऋषभ और कार्तिक ने अव्यांश और निर्वाण को भीड़ के बीच में खींच लिया और उन्हें डांस करने के लिए मजबूर कर दिया। कुछ देर तो वह दोनों डांस करते रहे फिर अव्यांश ने निर्वाण से कान में कहा "कुहू दी अब तक जाग गई होगी ना?"


     निर्वाण ने भी बड़े आराम से जवाब दिया "हां भाई! इतना शोर गुल सुनकर तो कोई भी कुहू दी के कमरे में चला गया होगा और अब तक तो सबको पता भी चल गया होगा।" ये आखिरी लाइन निर्वाण में थोड़ी धीरे से कही थी। वैसे ही वहां पर म्यूजिक की आवाज कुछ ज्यादा ही तेज थी। ऐसे में किसी का भी कुछ भी सुन पाना मुश्किल था।


     बड़ी मुश्किल से अव्यांश सबका नाच गाना बंद कर पाया और सारे बारातियों को लॉन में ले जाकर सेटल करवा दिया। दूल्हे के आने में अभी पीछे से थोड़ा टाइम था। लोगों के हटते ही अव्यांश ने कुणाल की तरफ हाथ बढ़ाया और उसे गाड़ी से नीचे उतरने को कहा लेकिन ऋषभ ने रोक दिया और कहा "अरे ऐसे कैसे? पहले नेग निकालो, उसके बाद।"


      अव्यांश को यह बात बहुत अजीब लगी। उसने कहा "नेग? नेग तो लड़कियां मांगती है, सालियां! ये हक तो मेरा भी नहीं है फिर तुम किस हक से मांग रहे हो?"


     ऋषभ कहां यह सब समझने वाला था। उसने जिद करते हुए कहा "अरे ऐसे कैसे? सारे रिवाज क्या सिर्फ लड़कियों के लिए होते हैं? दूल्हे के दोस्त हैं हम, हमारा भी तो कुछ हक बनता है।"


     निर्वाण ने दबंगई से कहा "अरे यार छोड़ ना! वैसे भी तुम्हें तो हम अपनी बहन दे ही रहे हैं, अब क्या चाहिए? एक ऐसा गिफ्ट जो जिंदगी भर के लिए तुम्हारे सर से सारे बाल नोच खाएगा। इसके अलावा भी कोई गिफ्ट चाहिए तो बोलो, हम अभी दे देते हैं।"


    निर्वाण के जो अंदाज थे, उससे ऋषभ समझ गया कि उसके इरादे कुछ सही नहीं है। वैसे तो ऋषभ निर्वाण की इस हरकत का जवाब दे सकता था लेकिन निर्वाण सिर्फ उसके दोस्त का होने वाला साला ही नहीं बल्कि उसका खुद का होने वाला साला भी था। ऐसे में अगर ऋषभ ने निर्वाण के साथ कोई भी बदतमीजी की तो वाकई काया उसके सर के सारे बाल निकाल देगी। यह बात उसे अच्छे से पता थी इसलिए वो चुपचाप साइड हो गया और कुणाल को उतरने दिया।


    कुणाल को गाड़ी से उतरकर अव्यांश और निर्वाण ने उसे उसके लिए अरेंज की गई जगह पर बैठाया और कुछ लोगों को कुणाल की खातिरदारी में लगाकर दोनों भाई वापस चले आए। अंदर जाकर देखा तो वहां भागा दौड़ी मची हुई थी। सारे लोग अजीब सी हरकत कर रहे थे। कुछ ढूंढने में लगे हुए थे शायद। 


   उन्हें ऐसे बेचैन देख अव्यांश ने किसी एक को रोका और पूछा "क्या हो गया, यह अचानक से सब लोग क्या ढूंढने में लगे हुए हैं?"


     वो वेडिंग प्लानर का एक एंप्लॉय था। उसने बताया "दुल्हन मिल नहीं रही है, गायब है वह। सब उसी को ढूंढने में लगे हैं।"


     इतना सुनकर अव्यांश हैरान रह गया और निर्वाण धीरे से मुस्कुरा दिया। फिर जल्दी ही उसने अपनी मुस्कुराहट छुपा ली। 


क्या होगा आगे? कहां गई कुहू? और नेत्रा कहां है? फुटेज में कुछ नजर आयेगा क्या?




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