सुन मेरे हमसफर 269

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     सभी अपनी अपनी धुन में लगे हुए थे और कुहू की तरफ से सभी निश्चिंत थे। तभी अचानक से सुहानी और काया के कानों में बैंड बाजे की आवाज पड़ी। काया ने भाग कर जाकर बालकनी से देखा तो थोड़ा सा झुकने पर उसे बारात आई हुई नजर आई। सुहानी भी उसके पीछे-पीछे वही आकर खड़ी हुई।


     कुछ देर तक तो वह दोनों ही वहां खड़े होकर बारातियों को डांस करते हुए देखते रहे फिर सुहानी ने काया के कंधे से अपना कंधा टकराया और कहा "वह देख! तेरा वाला कितनी अजीब तरह से डांस कर रहा है। ऐसा लगता है जैसे लाइफ में पहली बार डांस कर रहा हो।"


    काया ने उस तरफ ध्यान दिया जहां सुहानी ने इशारा किया था। लेकिन यह तो काया देख ही रही थी। कुछ देर तक उसे मूव्स को देखकर काया ने सुहानी की तरफ तिरछी नजरों से देखा और कहा "मेरा नहीं है, तेरा ही आइटम है।"


      सुहानी को यह बात थोड़ी अजीब लगी। उसे इस बात पर यकीन नहीं था। उसने शरारती लहजे में पूछा "अच्छा! तुझे कैसे पता कि वह कार्तिक है ऋषभ नहीं? तू तो कल तक कंफ्यूज थी। अचानक से ऐसा क्या हुआ जो इतनी दूर से पहचान लिया उसे?"


     काया क्या जवाब देती! वो कार्तिक की तरफ देख रही थी लेकिन नजर ऋषभ को ढूंढ रही थी। सुहानी ने एक बार फिर उसे कोहनी मारी और कहा "काया बता तो! तू इतनी स्योर कैसे हैं कि वह कार्तिक ही है ऋषभ नहीं?"


     काया ने अपने हाथ आपस में बांधे और कहा, "कुछ टाइम के बाद ना तू भी समझ जाएगी। माना कि कल तक मैं कंफ्यूजन में थी क्योंकि मैंने कभी उन दोनों को एक साथ नहीं देखा था। अब जबकि सारी कन्फ्यूजन दूर हो गई है और मैंने दोनों को एक साथ देख लिया है तो मैं दोनों के बीच का फर्क साफ समझ सकती हूं और यह फर्क तुझे भी करना सीखना होगा।"


    सुहानी थोड़ी सोच में पड़ गई। अब तो उसे भी जानना था कि कैसे। कल उसने दोनों भाइयों को एक साथ देखा था लेकिन इतना ध्यान से नहीं देख पाई थी। दोनों की शक्ल तो एक जैसी थी। कपड़े पहनने का स्टाइल, डील डौल, चलने का तरीका सब कुछ तो लगभग एक जैसा ही था तो फिर काया ने एकदम से कैसे पहचान लिया?"


     सुहानी की आंखों में सवाल देख काया ने उसे समझाया "तूने उन दोनों को ठीक से देखा नहीं? ऋषभ के बाल थोड़े घुंघराले हैं और कार्तिक के सीधे है। एक के बाद उसकी मां पर गए हैं तो दूसरे के पापा पर। बस इतनी सी बात है।" सुहानी को अपनी बेवकूफी पर हंसी आ गई।


     लेकिन बात सिर्फ इतनी सी नहीं थी। निशि कब उन दोनों के पीछे आकर खड़ी हो गई और उनकी बातें सुनाने लगी यह न सुहानी को पता चला और ना ही काया को। निशी ने पीछे से दोनों के कंधे पर हाथ रखा और पूछा "वह सब तो ठीक है काया लेकिन एक बात मेरी समझ में नहीं आ रही, इतनी दूर से तुमने उन दोनों के बाल कैसे नोटिस कर लिए? मेरा मतलब, ना तो तुम्हारे पास कोई दूरबीन है और ना ही कोई सुपर पावर। रही बात बालों की तो घुंघराले बाल जेल लगाकर सीधे किए जा सकते हैं। अब बताओ।"


     सुहानी को निशी की बात में पॉइंट दिखा। उसने भी काया से से सवाल किया "अब बता! इस बार झूठ मत बोलना। अच्छे से जानती हूं तू मुझे बेवकूफ बना रही है।"


     काया ने मुस्कुराकर कहा "तुझे बेवकूफ बनाने की जरूरत भी नहीं है क्योंकि तू ऑलरेडी बेवकूफ है। अगर नहीं होती तो तु मुझसे ये सवाल करती ही नहीं। तेरे सामने जो इंसान डांस कर रहा है, तूने खुद कहा ना जैसे पहली बार डांस कर रहा हो। कल तूने ऋषभ का डांस देखा था। अपने डैड के साथ मिलकर उसने जो स्टेज पर आज लगाई थी तू भूल गई?"


    सुहानी को अब जाकर याद आया। निशी भी सोच में पड़ गई। यह बात तो काया ने बिल्कुल सही कही थी। सुहानी और निशि को सोचते देख काया ने अपने सर पर हाथ मारा और कहा, "अब क्या ऐसे ही खड़े होकर देखना है या जाकर सबको आवाज भी देनी है?"


   सुहानी को अब जाकर होश आया और बोली, "अरे यार! मैं तो भूल ही गई थी। जाकर कुहू दी को भी बताना होगा। पता नही उनको आवाज आई भी है या नही। निशी! तुम भी चलो हमारे साथ।" निशी ने इनकार किया और कहा, "फिलहाल तो दादी मां ने कुछ काम दिया है, उसे पूरा करना होगा। तुम लोग जाओ, मैं ये थोड़ी सी जल्दी कूट कर आती हूं।"


     सुहानी काया से पहले ही भागते हुए आई और चिल्लाई, "बारात आ गई, बारात आ गई! चलो चलो बारात आ गई!!"


      यह सुनकर घर के बड़े बुजुर्ग थोड़े से हड़बड़ा गई। कंचन जी ने आवाज़ लगाई "क्या कर रहे हो तुम लोग! सारी तैयारी हुई या नहीं? देखो बारात दरवाजे पर आने को है।"


     अवनी अपनी मां को समझाया "मां आप परेशान क्यों हो रहे हो? सब हो चुका है। अब आगे का सारा काम काव्या दी का है, उन्हें ही करना है। अपने दामाद का नाक उन्हीं को पकड़ना है।" इतना कह कर अवनी हंस पड़ी।


     सुहानी ने पीछे से अपने मां को प्यार से कंधे से पकड़ा और कहा "आज दामाद का नाक पकड़ेंगी, और इसके बाद दामाद हमेशा अपना सूजा हुआ नाक लेकर चलेगा।" अवनी ने धीरे से सुहानी के गाल पर मारा तो सुहानी न कहा "ठीक है मॉम! मैं जाकर कुहू दी को बताती हूं। आखिर वह भी तो देखें अपनी बारात आते हुए।"


     काव्या को भी ध्यान आया। उसने कहा "हां जाकर जगा दे उसे। अभी उठ जाएगी तो थोड़ी फ्रेश लगेगी वरना उनिंदि आँखें कोई देखेगा तो क्या कहेगा। एक काम कर काया को भी लेते जा।"


     काया भी पीछे से भागती हुई आई और बोली "अरे मम्मी ये भी कोई कहने वाली बात है! मैं तो पहले ही पहुंच जाऊंगी।"


     काया और सुहानी ने एक दूसरे का हाथ पकड़ा और भागते हुए कुहू के कमरे की तरफ जाने लगी। अव्यांश रास्ते के बीच में खड़ा था। एकदम से दोनों बहनों का हाथ एक दूसरे से छूट गया और दोनों ही दीवार से टकराई। दोनों की ही चीख निकल गई। काया तो बर्दाश्त कर जाती लेकिन सुहानी कहां बर्दाश्त करने वाली थी! उसने अपनी सैंडल निकाली और अव्यांश की तरफ फेंक कर मारने को हुई तो अव्यांश ने जल्दी से उसका हाथ पकड़ा और सैंडल नीचे रखकर बोला "क्या कर रही है तू? लड़कियों वाले कपड़े पहने हैं थोड़ा तो लड़कियों वाला एटीट्यूड रख! तेरा तो समझ में नहीं आता, जब देखो तब घोड़े पर क्यों सवार रहती है?"


    सुहानी ने डायरेक्ट सवाल किया "तू क्या चाहता है, वह बता। इस तरह बीच में खड़े होकर रास्ता क्यों रोक रहा है? हम लोग कुहू दी के कमरे में जा रहे थे, उन्हें जगाने और तू यहां.........! काम क्या है बोल। देख मैं पहले ही बता दे रही हूं, दरवाजे पर जो नेग मिलेगा, हम उसे तेरे साथ नहीं बांटने वाले। इसमें सिर्फ हम चार लोगों का हक है, मैं, काया, नेत्रा और शिवि दी। अब हट यहां से।"


सुहानी ने अव्यांश को परे धकेल और काया को लेकर आगे बढ़ गई। अव्यांश ने भी कुछ कहा नहीं, बस मुस्कुरा कर चला गया। अभी 2 मिनट भी नहीं गुजरे होंगे कि सुहानी घबराई हुई वापस आई और कहां "कुहू दी अपने कमरे में नहीं है।"




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टिप्पणियाँ

  1. कुहू को गायब कर ही दिया नेत्रा और निर्वाण ने।अब देखे क्या होता है

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