सुन मेरे हमसफर 90

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     निशी के ऐसे हाथ पकड़ने से अव्यांश शॉक्ड हो गया। लेकिन उसका यू हाथ पकड़ना अव्यांश को अच्छा भी लगा। एक खूबसूरत एहसास से उसका मन गुदगुदा गया क्योंकि यह पहली बार था। वरना तो अव्यांश ने पहली मुलाकात में ही उसका हाथ पकड़ा था और फिर सीधे शादी के मंडप में।


     निशी ने उसकी आंखों के सामने चुटकी बजाई और कहा, "क्या हुआ? कहां खो गए?"


     अव्यांश होश में आया और बोला "नहीं, कुछ नही। मैं बस यह सोच रहा हूं कि कहीं इस वक्त तुम्हारा रोमांस करने का मूड तो नहीं बन रहा? देखो अगर तुम्हारे दिमाग में कुछ चल रहा है तो मैं तुम्हें पहले बता दे रहा हूं, अभी हमें नीचे जाना है। दादी ने हमें नीचे आने को कहा है। उनकी फ्रेंड्स अभी किसी भी वक्त आती ही होंगी। सो इसलिए ये प्रोग्राम हम बाद में कॉन्टिन्यू कर सकते हैं।"


    निशी झटके में उसका हाथ छोड़ दिया और बोली "कुछ ज्यादा ही दिमाग नहीं चल रहा तुम्हारा! मेरे एक बार हाथ पकड़ने से तुम इतना कुछ कैसे इमेजिन कर सकते हो? मानना पड़ेगा तुम्हारे इस इमैजिनेशन पावर को। बहुत दूर चले जाते हो तुम।"


       अव्यांश शरमाते हुए बोला "वह क्या है ना, तुमने कभी मेरा हाथ पकड़ा नहीं है। इस तरह से पकड़ोगी तो किसी को भी गलतफहमी हो ही जाएगी। और अगर तुम्हारा ऐसा कोई इरादा नहीं है तो फिर मेरा हाथ क्यों पकड़ा?"


      निशी ने उसके हाथ से कंघी लिया और बोली "पता नहीं तुम्हें अपने बाल बनाने में इतना टाइम क्यों लगता है! इतना टाइम तो हम लड़कियां भी नहीं लेती। मैंने तुम्हारा हाथ नहीं पकड़ा, मैं बस तुमसे कंघी लेना चाहती थी।"


     अव्यांश ने उसके हाथ से कंघी छीना और बोला "मैं पहले आया हूं, मैं पहले अपने बाल सेट करूंगा। उसके बाद तुम करती रहना।"


   अव्यांश ने कंघी अपने बालों में घुमाई तो निशी ने एक बार फिर उसके हाथ से कंघी छीन ली। अव्यांश चिल्लाया "यह गलत है।"


     निशी ने अपना एक हाथ उसके मुंह पर रखकर उसका मुंह बंद किया और दूसरे हाथ से उसके बालों में कंघी चलाने लगी। अव्यांश हैरानी से उसे देख रहा था। आज वाकई कुछ तो खास बात थी इस सुबह में, जो निशी उसके इतने करीब आई थी। निशी ने थोड़ी देर में अव्यांश के बाल सेट किए और बोली "हो गया। तुम्हें पता नहीं क्यों इतना टाइम लगता है!"


     अव्यांश ने एक नजर खुद को आईने में देखा और बोला "तुम्हें कैसे पता मुझ पर यह स्टाइल सूट करता है?"


    निशी बड़े आराम से बोली "मैंने देखा है तुम्हें। वैसे तो कई तरह से तुम अपने बाल सेट करते हो, लेकिन यह वाला ज्यादा अच्छा लगता है।"




*****





     कुणाल कल रात घर वापस नहीं गया था। वह अपने दोस्त कार्तिक सिंघानिया के घर पर ही रुक गया था। उसके पापा उसे कई बार कॉल कर चुके थे लेकिन उसने एक बार भी किसी भी कॉल का जवाब नहीं दिया। यहां तक कि उसकी मम्मी भी उसे कॉल करके परेशान हो चुकी थी लेकिन उसने तय कर लिया था कि इस वक्त किसी को भी जवाब नहीं देगा।


      पूरा एक साल वह परेशान हुआ था। थोड़ा उनका भी परेशान होना बनता था। दोपहर के 12:00 बजे कार्तिक सिंघानिया ने कुणाल को उसके घर पर छोड़ा और कहा "देख! आराम से। तेरे मॉम डैड है वह, तेरे लिए अच्छा ही सोचेंगे। हो सकता है उन्होंने जो कुछ भी किया अपने हिसाब से सही समझकर किया होगा। लेकिन तुझे भी उनके सामने सारी बातें क्लियर करनी होगी। शिवि के बारे में तू उन्हें सब कुछ सच-सच बता देना।"


    कुणाल आंखें बंद करके बैठा हुआ था। उसने कार्तिक सिंघानिया के किसी भी बात पर रिएक्ट नहीं किया और बोला "मेरा जो मन करेगा मैं वही करूंगा। उन लोगों ने अपनी मनमर्जी कर ली, अब मेरी बारी है।"


     कार्तिक ने उसे समझाना चाहा लेकिन कुणाल दरवाजा खोलकर बाहर निकल गया और घर के अंदर चला गया। कार्तिक ने गाड़ी घुमाई और अपने अपार्टमेंट की तरफ जाने को हुआ। लेकिन रास्ते में उसे ऋषभ का कॉल आ गया। अपने भाई का कॉल देखकर उसने खुश होते हुए कॉल रिसीव किया और बोला "कहां है तू? तेरी काफी शिकायतें मिल रही है मुझे। पापा को बताऊं तेरे बारे में?"


     ऋषभ हंसते हुए बोला "लगता है मार पड़ी है तुझे, तभी तो ऐसे बोल रहा है।"


      कार्तिक सामने देखते हुए बोला "तेरी हरकतों का खामियाजा हमेशा मुझे भुगतना पड़ता है, इस बार भी कुछ अलग तो नहीं हुआ। सच-सच बता, ऐसी क्या हरकत कर दी तूने जो वह लड़की, काया तुझसे इतना नाराज है?"


      ऋषभ जो अभी तक हंस रहा था, काया का नाम कार्तिक के मुंह से सुनकर उसके चेहरे के भाव बदल गए और आवाज भी सख्त हो गई। "कार्तिक! दूर रह उससे।"


      कार्तिक यह बात थोड़ी अटपटी सी लगी। उसने पूछा "मतलब? तू काया को परेशान क्यों कर रहा है? बहुत अच्छी लड़की है वो। सीधी-सादी भी है और तेजतर्रार भी। इसलिए मैं कह रहा हूं........"


    ऋषभ उसकी बात बीच में काटते हुए बोला, "इसीलिए मैं कह रहा हूं, दूर रह उससे वरना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।"


      कार्तिक ने उसे समझाने की कोशिश की और बोला "देख रिशु! ऐसा कुछ नहीं है। तू बस उसे परेशान करना बंद कर।"


     लेकिन ऋषभ पर इस बात का कोई असर नहीं पड़ा। उसने वैसे ही सख्त लहजे में कहा "मैंने कहा ना तुझे, तू उससे दूर रह। इस बार मैं तुझे अपने रास्ते के बीच नहीं आने दूंगा। जो हुआ सो हुआ, लेकिन इस बार नहीं।"


     "लेकिन ऋषभ! तू ऐसे........"


    "मैंने कहा ना! इस बार नहीं!!" ऋषभ की आवाज में तल्खी थी, उसे महसूस करके कार्तिक ने धीरे से कहा "तू घबरा मत, ऐसा कुछ नहीं होगा।"


     ऋषभ शायद उसके इसी बात का इंतजार कर रहा था। उसने तुरंत फोन रख दिया। कार्तिक के चेहरे पर हल्की उदासी उतर गई।




*****





     कुणाल जैसे ही अपने घर पहुंचा, उसे सामने अपने पापा नजर आए। मिस्टर रायचंद की नजर जब कुणाल पर पड़ी तो उन्होंने उसे डांट लगाना शुरू कर दिया "यह क्या तरीका है कुणाल? तुम हमारे इकलौते बेटे हो, हमारे इकलौते वारिस। तुम्हारी सुरक्षा हमारे लिए सबसे ज्यादा अहम है और तुम हो कि एक बार भी बताना जरूरी नहीं समझते! कल पूरा दिन पूरी रात तुम घर से गायब थे। तुम्हारी कोई खबर नहीं। जब भी कॉल करो तुमने एक भी कॉल का आंसर नहीं दिया, ना ही हमारे किसी मैसेज का जवाब। क्या मैं पूछ सकता हूं तुम कहां थे?"


       कुणाल ने अपनी दो उंगलियों से अपना सर रगड़ते हुए कहा "मैं अपने दोस्त के साथ था। और सॉरी, आपके कॉल का मुझे पता नहीं चला। मेरा फोन साइलेंट था शायद।"


     कुणाल उन्हें अवॉइड करके वहां से जाने लगा तो मिस्टर रायचंद ने उन्होंने पीछे से आवाज दी "कहां जा रहे हो? अभी मेरी बात पूरी नहीं हुई।"


    कुणाल उनके सामने आकर खड़ा हो गया और बोला "क्या हो गया अगर कल पूरा दिन में घर से गायब था तो? ऐसा पहली बार तो है नहीं! मेरा मन किया, अपने फ्रेंड के साथ पार्टी करने का तो मैंने किया। इसमें भी प्रॉब्लम है क्या?"


    मिस्टर रायचंद गुस्से में बौखला गए "तुम्हारा दिमाग तो सही है? कल सुबह-सुबह अपनी मां के सामने अजीबो गरीब बाते करके तुम पूरा दिन पूरी रात घर से गायब थे। आखिर में जाना चाहता हूं आखिर कुहू में ऐसी क्या खराबी है जो तुम उससे रिश्ता तोड़ने के बहाने ढूंढ रहे हो?"


     कुणाल मुस्कुरा कर बोला "कुहू में कोई खराबी नहीं है डैड। लेकिन मैं उसे पसंद नहीं करता। और यह बात आप बहुत अच्छे से जानते हैं। उससे रिश्ता तोड़ने के लिए मुझे कोई बहाना ढूंढने की जरूरत नहीं है। मेरे पास एक वजह है जिसके कारण मैं बहुत आराम से ये रिश्ता तोड़ सकता हूं और कुहू भी मुझे नहीं रोक सकती।"


      मिस्टर रायचंद गुस्से में बोले "तुम अपनी हद पार कर रहे हो कुणाल! ऐसे किसी लड़की की फिलिंग्स के साथ तुम कैसे खिलवाड़ कर सकते हो? वह भी तब जबकि वह तुम्हारी सबसे अच्छी दोस्त है!"


      कुणाल छूटते ही बोला "बिल्कुल! यह बात आपने बिल्कुल सही कही। कुहू मेरी दोस्त है, मेरा प्यार नहीं। और मुझे मेरा प्यार मिल गया है। मैं उसी लड़की से शादी करूंगा जिससे मैं प्यार करता हूं।"


     मिस्टर रायचंद ने गुस्से में कुणाल के ऊपर हाथ उठा दिया लेकिन कुणाल को इससे कोई फर्क नहीं पड़ा। मिसेज रायचंद ने अपने पति को रोका और बोली "ये आप क्या कर रहे हैं? जवान बेटे पर कोई हाथ उठाता है क्या!"


     मिस्टर रायचंद अपने बेटे को घूरते हुए बोले "तो इस उम्र में कौन सा बेटा इस तरह की हरकत करता है? एक तो गलती भी करो ऊपर से जुबान भी लड़ाओ। क्या कमी है कुहू में? मैं पूछता हूं आखिर पहचान क्या है उस लड़की की, जिसके पीछे से अपना भविष्य बर्बाद करने पर लगा है? पहले यह तो बता दे जिस लड़की के पीछे पड़ा है क्या वह इसकी जिंदगी में आना चाहती है? अगर वो लड़की वाकई इतनी शरीफ होगी तो कभी किसी और के मंगेतर पर अपनी नजर भी नहीं डालेगी।"


    कुणाल एक फीकी मुस्कान के साथ बोला "आपने प्रॉमिस किया था डैड! अगर मुझे वह लड़की मिल गई तो आप मेरी शादी कुहू से नहीं होने देंगे। क्योंकि आपके लिए आपके बेटे की खुशी से बढ़कर और कुछ नहीं है। तो फिर अब क्या हुआ? उस लड़की के बारे में कुछ भी सोचने से पहले मैं आपको साफ-साफ बता दे रहा हूं, जिस लड़की की बात आप कर रहे हैं ना, आप उस लड़की के बराबर भी नहीं पहुंच सकते, उसका स्टेटस इतना हाई है। और यह बात आपने बिल्कुल सही कही, जिससे मैं प्यार करता हूं वह कभी मेरी लाइफ में नहीं आना चाहेगी। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि मैं किसी और की लाइफ खराब कर दूं। मेरी शादी कुहू हो गई तो वह जिंदगी भर रोएगी, क्योंकि मैं उसे कभी वो प्यार नहीं दे पाऊंगा जो प्यार मैं किसी और से करता हूं। हमेशा यह रिश्ता एक बंधन की तरह पैरों को बांधे रहेगा। ना मैं खुश रह पाऊंगा और ना ही कुहू खुश रह पाएगी। सब की खुशी के लिए बेहतर यही होगा कि यह रिश्ता जुड़ने से पहले ही टूट जाए।"


     मिस्टर रायचंद ने फिर से अपने बेटे को धमकाने की कोशिश की लेकिन उनकी पत्नी ने उन्हें रोक दिया और वो अपने बेटे से बोली "क्यों जिद कर रहा है तू? ये रिश्ता जब यहां तक पहुंचा है तो इस रिश्ते को आगे बढ़ाने में क्या परेशानी है? तू खुद सोच, कुहू को कितनी तकलीफ होगी!"


     कुणाल ने अपनी मां का हाथ पकड़ लिया और बोला "पूरी जिंदगी के तकलीफ से बेहतर है कि मैं उसे अभी थोड़ी सी तकलीफ दे दूं। ताकि कुछ दिन रोने के बाद वो अपनी जिंदगी में आगे बढ़ सके। उसे उसका सच्चा जीवन साथी मिल जाएगा और वो हमेशा खुश रहेगी। और यह सब मुझसे शादी करके पूरी जिंदगी रोने से तो बेहतर है।"


    कुणाल रुका नहीं और तुरंत अपने कमरे में चला गया। मिस्टर रायचंद अपना सर पकड़ कर वहीं बैठ गए।




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