सुन मेरे हमसफर 89

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    अंशु के रूम के दरवाजे पर दस्तक हुई तो उसने उठकर दरवाजा खोला। बाहर सुहानी खड़ी थी जो किसी तूफान की तरह अंशु को धक्का देकर कमरे के अंदर दाखिल हुई और बोली "गधे! माना तेरी शादी हो गई है, इसका मतलब यह तो नहीं कि तू दरवाजा बंद करके रखेगा। ऐसा भी क्या स्पेशल कर रहा था, वो भी अकेले-अकेले? निशी कहां है, नजर नहीं आ रही? गई कहां है वो? और तुझे इतना टाइम क्यों लगाता है दरवाजा खोलने में? मुझे लगा कहीं तू बेहोश नहीं हो गया! डॉक्टर को फोन करने वाली थी मैं, वो भी जानवरों के।"


     सुहानी के नॉनस्टॉप बकवास पर अंशु ने अपने कान बंद कर लिए। जब सुहानी चुप हुई तो अंशु ने कहा "कौन सी आफत आ गई जो तू यहां मरने चली आई?"


      सुहानी अपने कमर पर हाथ रख कर बोली "लगता है तू फिर मेरे जूते खाएगा।"


    अंशु मुंह बनाकर बिस्तर पर बैठ गया और बोला "जल्दी बता और निकल मेरे कमरे से। सुहानी भी उसके बगल में बैठ गई और बोली "तू घर पर नहीं था, मैं बहुत शांति से रही हूं यहां पर।"



      अंशु ने भी मुस्कुरा कर कहा "मैं भी। वो 6 महीने अकेले बड़ी शांति से गुजरे है मेरे। काश.........!"


     सुहानी ने सामने रखी चाय का कप उठाया और बोली "ज्यादा बकवास करी ना तो यह गर्म चाय तेरे ऊपर डाल दूंगी।"


     अंशु ने जल्दी से उसका हाथ पकड़ा और कप साइड में रख कर बोला "तू हमेशा मरने मारने पर क्यों उतारू हो जाती है? बिल्कुल काया के लक्षण आ गए हैं तुझ पर। उसके साथ थोड़ा कम रहा कर और यह बता, तू अभी यहां क्या कर रही है? मुझे तो लगा था तुम लोग फिर से कुछ प्लान बनाओगे और निकल लोगे यहां से।"


       सुहानी मुंह बना कर बोली "कहां यार! इस टाइम किसी को फुर्सत ही नहीं है। सब आराम करने में लगे हुए है। वैसे मैं जिस काम के लिए आई थी वह तो मैं भूल ही गई। तू भी ना, मेरा दिमाग हमेशा खराब करता है।"


     अंशु ने उठकर उसका सर पकड़ा और दबाते हुए बोला "खराब तो है। लेकिन एक बात ये भी है कि खराब चीजें कभी खराब नहीं होती है।"


      सुहानी ने अपना पैर अंशु के पैर पर दे मारा। अंशु इस वक्त खाली पैर था और सुहानी ने थोड़ी सी हील वाली सैंडल पहन रखी थी। अंशु अपना पैर पकड़कर दर्द में कराहते हुए बेड पर बैठ गया और चिल्लाया "तू एक बार में मेरी जान क्यों नहीं निकाल लेती? तू रुक जा, मैं अभी दादी से तेरी शिकायत करता हूं।"


    सुहानी अपने सर पर हाथ रख कर बोली, "देख! फिर भूल गई ना!! दादी से याद आया, दादी ने कहा है निशी को तैयार होकर रहने के लिए। उनकी कुछ फ्रेंड्स जो तेरे रिसेप्शन पर नहीं आ पाई थी, वो सब आज आने वाली है, थोड़ी देर में। निशी को भी तैयार करने के लिए बोल दे और तू भी तैयार होकर जल्दी से नीचे आजा। मुझे जो करना था मैंने कर दिया अब मैं निकलती हूं। चल बाय।" सुहानी तूफान की तरह वहां से निकल गए।


     अंशु अपना पैर पकड़े वहीं बैठा रहा और भुनभुनाया "जिस काम के लिए आई थी वह तो कर ही गई तू। पैर तोड़ दिया मेरा।"


   निशी बाथरूम से बाहर निकली और देखा, अंशु अजीब तरह से बिस्तर पर बैठा हुआ है तो उसने पूछा "तुम्हें क्या हुआ? और अभी सुहानी आई थी क्या?"


    अंशु ने नजर उठा कर निशी की तरफ देखा तो उसकी नजर उसके ऊपर ठहर गई। निशी के बाल भीगे हुए थे और चेहरे पर पानी की बूंदे किसी मोतियों की तरह चिपके हुए थे। अपने बालों को तौलिए से सुखाती हुई निशी अंशु की तरफ बढ़ी और एक बार फिर पूछा "क्या हुआ तुम्हें? ऐसे क्यों बैठे हो?"

   

     अंशु होश में आया और बोला "अगर मेरा पैर टूट जाए तो क्या तब भी तुम मेरी बीवी रहोगी या मुझे छोड़ कर चली जाओगी?"


     निशी को उसकी यह बात बहुत बचकानी सी लगी। उसने इस बात का जवाब देना जरूरी नहीं समझा और मुंह फेर कर आईने के पास चली गई। अपने बालों से टॉवल उतार कर उससे अपने बालों को झटकना शुरू किया जिससे पानी की बूंदे इधर-उधर बिखर रही थी। अंशु उसके पास गया और पीछे से जाकर पकड़ लिया। निशी घबरा गई। वह कुछ कहती उससे पहले ही अंशु ने उसे ले जाकर आईने के सामने बैठा दिया और कुछ ढूंढने लगा।


    साइड में रखा हेयर ड्रायर उसे मिल गया और उसे लेकर वह निशी के बाल धीरे-धीरे सुखाने लगा। निशी उसकी इस हरकत से ना जाने कहां किन खयालों में खो गई। अंशु आराम से उसके बाल सुखा रहा था और निशी की नजरें आईने में अंशु के चेहरे पर गड़ी हुई थी। क्या चल रहा था उसके दिमाग में, यह तो वही जाने लेकिन नजरे अंशु के चेहरे से हट ही नहीं रही थी। अंशु ने जब ड्रायर साइड में रखा और उसके बालों का जुड़ा बना कर बोला, "लगता है मुझे काला टीका लगाना पड़ेगा।" 


   निशी होश में आई और पूछा, "क्यों?"


   अंशु ने आईने में निशी को देखा और बोला "आजकल तुम मुझे यूं ही बेवजा घूरती रहती हो। क्या मुझे नजर लगाने का इरादा है?" 


   निशी ने अपनी नजरें कर ली कहा, "मैं क्यों तुम्हें नजर लगाने लगी? वैसे अपनी गर्लफ्रेंड के साथ भी ऐसे ही करते थे क्या?"


    अंशु मुस्कुरा कर बोला "अपनी गर्लफ्रेंड के साथ में कभी लिव-इन में नहीं रहा हूं। तो ऐसा कुछ करने की नौबत कभी आई ही नहीं। बताया तो था तुम्हें! पापा को देखा है मैंने मम्मी के बाल सुखाते हुए और यह उनका हमेशा का काम है। मैंने सोचा जब हमारा रिश्ता बिल्कुल उनकी तरह ही शुरू हुआ है तो क्या हम भी उन दोनों जैसा नहीं बन सकते?"


      निशी ने यह बात घर में कई बार सुनी थी। लेकिन सारांश और अवनी के बीच में जो रिश्ता था और जिस तरह की अंडरस्टैंडिंग थी उससे यह कहना बहुत मुश्किल था कि उन दोनों की शादी अचानक एक झटके में हुई थी। उसने पूछा "मॉम डैड की शादी वाकई अचानक से हुई थी या फिर वह दोनों पहले से एक दूसरे को जानते थे?"


    अंशु निशी के लिए अलमारी में से कपड़े निकालने लगा और बोला "मॉम डैड की शादी जिस तरह से हुई हम इमेजिन भी नहीं कर सकते। काव्या मासी की शादी थी। ऐसे में मम्मी ने चाचू से दरवाजे पर अपना नेग मांगा और उन्हें जो मिला

वो जिंदगी भर के लिए यादगार बन गया। यहां तक की वहां मौजूद हर एक इंसान के लिए शॉक से कम नहीं था।


     निशी पलटकर बोली "ऐसा क्या नेग मिल गया था जो इतना यूनीक था?"


      अंशु हंसते हुए बोला "मेरे पापा।"


    निशी की आंखें हैरानी से फैल गई। वह जल्दी से उठकर अंशु के पास आई और बोली "तुम मजाक कर रहे हो ना?"


      अंशु ने अलमारी बंद की और उसी अलमारी से पीठ टीका कर बोला "बिल्कुल नहीं। इस बारे में तुम किसी से भी पूछ सकती हो। मॉम को नेग में डैड का हाथ मिला था और उसी मंडप में उन दोनों की शादी हो गई थी। कहानी बस इतनी सी है। हां इससे पहले मॉम ने कुछ दिन पापा के साथ काम किया था, लेकिन सिर्फ मासी की शादी अरेंज करने में, इससे ज्यादा कुछ नहीं। डैड भले 3 साल से मॉम के पीछे पड़े थे और इस बारे में उन्हें पता ही नहीं था। जब उन्हें मौका मिला तो उंगली मिलते ही पूरा हाथ पकड़ लिया। सबके सामने अपने प्यार का इजहार कर दिया और हो गई उनकी शादी। चलो, जल्दी से नाश्ता कर लो। फिर यह ड्रेस पहन कर तैयार हो जाओ।"


     निशी ने उन कपड़ों को देखा और बोली "क्यों? फिर से कोई फंक्शन है क्या?"


      अंशु अपने-अपने अलमारी में से कपड़े ढूंढने शुरू किया और बोला "नहीं। दादी की कुछ फ्रेंडस आ रही है तुम्हें देखने। वह लोग पार्टी में नहीं आ पाई थी, इसलिए आज तुम्हारी मुंह दिखाई करना चाहती है। पहले नाश्ता कर लो, ठंडा हो गया है सारा। बहुत मुश्किल से गर्म करके लेकर आया था मैं। चाय तो पहले ही ठंडी हो गई।"


    निशी एक घूंट लेकर बोली "कोई बात नहीं। वैसे भी मुझसे ज्यादा गर्म चाय पी नहीं जाती है। अभी ठीक है मेरे लिए।" निशी ने आराम से चाय पिया और अपना नाश्ता करने लगी। अंशु खड़े होकर चुपचाप उसे देख रहा था। निशि का ध्यान जब अंशु पर गया तो उसने पूछा "तुम यहां खड़े होकर क्या कर रहे हो? अब क्या मुझे नजर लगाने का इरादा है?"


     अंशु धीरे से मुस्कुरा दिया और बोला, "मेरी बिल्ली मुझ ही से म्याऊं!"


     निशा ने जूस का गिलास उठाया और बोली "जा कर तैयार हो जाओ। तुम्हें अपने बाल सेट करने में टाइम लगता है।"


   निशी की बात सही थी। अंशु ने सोचते हुए अपने कपड़े निकाले और लेकर चेंजिंग रूम में चला गया। निशी भी फटाफट अपना नाश्ता खत्म करके आपने कपड़े लेकर चेंजिंग रूम की तरफ बढ़ी। ठीक उसी वक्त अंशु भी तैयार होकर बाहर निकल गया। निशी ने पहले तो उसे सर से पांव तक देखा, फिर साइड से रूम के अंदर चली गई। अंशु आईने के सामने खड़ा होकर बाल सेट करने में लग गया।


     निशी जब तक तैयार होकर बाहर निकली, उस वक्त तक अंशु अपने बाल बनाने में लगा हुआ था। उसने आगे बढ़कर अंशु का हाथ पकड़ लिया। अंशु के दिल के तार झनझना उठे। 




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