सुन मेरे हमसफर 87

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     समर्थ के ऐसे हाथ पकड़ने से तन्वी बुरी तरह घबरा गई। उसके चेहरे का रंग उड़ गया। उसने अपना हाथ छुड़ाने की भरपूर कोशिश की लेकिन समर्थ के आगे उसकी एक न चली। शिवि, जो उसके ठीक सामने बैठी हुई थी, उसने तन्वी के चेहरे पर उड़ती हवाइयां देखी तो बोली "क्या हुआ तन्वी? तुम ठीक तो हो? तुम्हारे चेहरे का रंग क्यों उड़ा हुआ है?"


     तन्वी ने जल्दी से खुद को नार्मल किया और जबरदस्ती मुस्कुराते हुए बोली "मैं? नहीं तो। वह क्या है ना, पहली बार यहां आना हुआ है और यहां सब मेरे बॉस है। तो मुझे काफी अजीब सा लग रहा है।"


    अवनी बड़े प्यार से बोली "बेटा! तुम यहां भले ही अपने बॉस के साथ हो, लेकिन यह भी मत भूलो कि यह घर तुम्हारी सहेली का भी है। ये सब तुम्हारे बॉस होंगे ऑफिस में, यायह घर पर नहीं। अपनी फ्रेंड के यहां जिस तरह तुम कंफर्टेबल होती हो, यहां भी हो सकती हो। मैं तुम्हारे लिए प्लेट लगाती हूं।"


    अवनी एक प्लेट उठाकर तनु के लिए नाश्ता लगाने लगी लेकिन तन्वी खाती कैसे? उसका दाहिना हाथ तो समर्थ ने पकड़ रखा था और वह बड़े ही नॉर्मल होकर नाश्ता कर रहा था, जैसे उसे किसी बात का अंदाजा ही ना हो।


    तन्वी ने जल्दी से कहा "आंटी! मैं नाश्ता नहीं कर सकती।"


     सिया ने पूछा "क्यों बेटा? तुम नाश्ता क्यों नहीं कर सकती? अभी नाश्ते का टाइम है और तुम इतनी सुबह इतनी दूर से आई हो तो जाहिर सी बात है, घर से निकलने से पहले तुमने नाश्ता किया नहीं होगा। अगर तुम यहां कंफर्टेबल नही जो रही हो तो कोई बात नही। थोड़ा सा यहां खा लो, बाकी घर जाकर खा लेना।"


     तन्वी अपनी बात सामने रखते हुए बोली "नहीं दादी जी! वह क्या है ना, कल रात को थोड़ा ज्यादा हो गया था तो इसीलिए आज सोचा था कि पूरे दिन कुछ नहीं खाऊंगी।"


    श्यामा ने एक ग्लास में और जूस डाला और तन्वी के आगे रखकर बोली "अगर खाना नहीं है तो यह जूस ले लो। तुम्हारे पेट को आराम मिलेगा और कोई नुकसान भी नही होगा।"


     सब इतने प्यार से उसे पूछ रहे थे तो ऐसे में तन्वी इनकार नहीं कर सकती थी। उसने अपना बाया हाथ उठाया और गिलास पकड़ लिया। सारांश ने तुरंत उसे टोका "तन्वी! टी लेफ्टी तो नही हो! फिर इस हाथ से क्यों? तुम्हारा राइट हैंड को क्या हुआ?"


    सारांश के सवाल से समर्थ के हाथ रुक गए। लेकिन किसी को कोई शक ना हो, खासकर सारांश को, इसलिए समर्थ ने खुद को नार्मल रखा, जैसे उसने कुछ सुना ही नहीं और उसे कोई मतलब ही नहीं। तन्वी ने फिर से अपना हाथ समर्थ की पकड़ से छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन इस बार भी नाकामयाब रही तो उसने सारांश के सामने बहाना बनाते हुए कहा "वह सर! मुझे, एक्चुअली...... वह मुझे ज्यादातर लेफ्ट हैंड यूज करना अच्छा लगता है। पता नहीं क्यों लेकिन मैं घर पर राइट हैंड से ज्यादा लेफ्ट हैंड यूज करती हूं।"


     सिद्धार्थ को भी सारांश का यह सवाल ही बड़ा बेतूका सा लगा था। उन्होंने अपने भाई को डांटते हुए कहा "यह तू क्या कह रहा है छोटे? अब वो लेफ्ट हैंड से जूस पिए या राइट हैंड से, क्या फर्क पड़ता है? वह अपने हिसाब से करेगी ना! इसपर भी कोई रोकटोक है क्या? देख रहा हूं, तू आजकल कुछ ज्यादा ही अजीब तरह से रिएक्ट रहा है, हर बात पर।"


      सारांश अपनी बात को जस्टिफाई करने की कोशिश करते हुए बोले "भाई मैं तो बस ऐसे ही.........."


      लेकिन श्यामा ने सारांश की बात पूरी होने नही दी और बीच में ही उन दोनों को डांट कर चुप करा दिया। "बस! अब कोई कुछ नहीं बोलेगा। खाने के टाइम में कोई बात नहीं करते, भूल गए आप लोग अपना मैनर्स? देख रही हूं पिछले कुछ दिनों से, खाने के टाइम में कोई शांत ही नहीं रहता! कुछ ना कुछ चलता ही रहता है आप दोनों का।"


     सिद्धार्थ और सारांश तो चुप हो गए लेकिन इस बार सुहानी बोली "पता है पापा! हमारी तनु की शादी तय हो गई है।"


   सबके होंठो पर मुस्कान आ गई लेकिन यह खबर समर्थ के लिए किसी शॉक से कम नहीं था। 'वाकई यह रिश्ता तय हो गया? वह भी इतनी जल्दी?' यह बात पर समर्थ को यकीन नहीं हो रहा था। उसने तिरछी नजर से तन्वी की तरफ देखा तो सर झुकाए बैठी थी। सिया ने मुस्कुराकर कहा, "बढ़ाई हो बेटा! राधे श्याम आपकी शादीशुदा जिंदगी खुशियों से भर दे।"


     सबने ही तन्वी को एक एक कर बधाई देना शुरू कर दी। जिसे सुन समर्थ की पकड़ तन्वी के हाथ पर और कस गई जिससे तन्वी को अब दर्द होने लगा था। तन्वी ने जल्दी से अपने जूस का क्लास खत्म किया और बोली "सर! आई थिंक मुझे यहां से निकलना चाहिए। मम्मी पापा मेरा इंतजार कर रहे होंगे। उन्होंने मुझे जल्दी से आने को कहा था। आज का कुछ प्लान बनाया था पापा ने।"


     किसी और के कुछ भी जवाब देने से पहले सुहानी बोली "कम ऑन यार! थोड़ी देर के लिए तो रुक जा! एक तो तू कभी मिलती नहीं है। हमारे ही ऑफिस में काम करती है लेकिन तुझसे मिलना मुश्किल हो गया हुआ है। अंशु के रिसेप्शन पर आई थी और वहां से भी तू अचानक चली गई, वो भी बिना बताए। अब यहां आई है तो थोड़ी देर रुक जा, हम लोग चलते हैं कहीं पर। कोई प्लान बनाते हैं।"


     तन्वी हिचकिचाते हुए बोली "नहीं सुहानी! मेरे लिए आज पॉसिबल नहीं हो पाएगा।"


      सारांश ने एक बार फिर टोका "सोनू! अगर वह कह रही है कि वह नहीं रुक सकती तो जाने दे तन्वी को। उसे फिर कभी बुला लेना या फिर तू खुद उसके घर चली जाना। अच्छा तूने बताया ना कि तन्वी की शादी होने वाली है! तो क्यों ना हम सारा अरेंजमेंट खुद देख ले! आई मीन हमारी इंप्लोई है और तुम्हारी फ्रेंड भी। तो इस हिसाब से तन्वी हमारी भी बेटी जैसी ही हुई। उसकी शादी की जिम्मेदारी अगर हम लेते हैं तो इसमें कुछ गलत नहीं होगा। हमें अच्छा लगेगा अगर हम तन्वी को दुल्हन बनाकर विदा कर पाए तो।"


       समर्थ की मुट्ठी गुस्से में भींच गई। वो अपने चाचू के इस बर्ताव से काफी हैरान था। उसे बिल्कुल भी यकीन नहीं हो रहा था कि उसके चाचू कभी इस तरह का भी कुछ सोच सकते हैं, और जानबूझकर ऐसा कुछ कह सकते हैं जिससे उसे तकलीफ हो।


     सारांश इतने पर नहीं रुके। उन्होंने अंशु से कहा "अंशु! तुम्हें अपनी होने वाली भाभी से मिलना था ना? तो तुम्हें ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। होलिका दहन के दिन वह लोग आ रहे हैं यहां पर। उन्हें हमारे साथ में होली सेलिब्रेट करना है। इशानी और मिस्टर मुखर्जी, दोनों के रहने का अरेंजमेंट मैंने घर पर ही करने का फैसला लिया है। आई होप किसी को प्रॉब्लम नहीं हो। ईशानी अगर यहां रहेगी तो तुम दोनों थोड़ा वक्त साथ बिताओगे और एक दूसरे को जान भी पाओगे। फिर शादी के बाद तुम दोनों के लिए एक दूसरे के साथ एडजस्ट करना आसान हो जाएगा।"


     तन्वी उठ खड़ी हुई और अपना छोटा सा बैग हाथ में लिए वहां से जाने लगी। समर्थ को भी उसका हाथ आखिर छोड़ना ही पड़ा। इस तरह सबके सामने ऐसी कोई हरकत नहीं करना चाहता था जिससे तन्वी असहज हो लेकिन उसे तन्वी के सामने अपनी सच्चाई भी तो रखनी थी। उसने अपने चाचू से कहा, "चाचू! मैंने आपसे पहले ही कहा है, मुझे शादी नहीं करनी। आप क्यों मेरे पीछे पड़े हो?"


      सारांश ने तो ठान लिया था। उन्होंने फैसला सुना दिया "तुमसे पूछा नहीं गया है। तुम्हारी शादी तय हो चुकी है, मतलब हो चुकी है। तुम इससे इंकार नहीं कर सकते। अब तक सिर्फ तुमसे पूछा गया था, लेकिन इस बार मुझे तुम्हारी मर्जी से कोई लेना देना नहीं है। तुम्हारी शादी हो रही है और उसी लड़की से होगी जिससे मैं चाहता हूं। इशानी और उसकी फैमिली हमारे स्टेटस को मैच करती है। वह आएगी हमारे घर में तो हमारे हिसाब से आराम से ढल जाएगी और हमें भी उसके साथ एडजस्ट होने में कोई प्रॉब्लम नहीं होगी।" 


    वहां मौजूद सभी लोग सारांश के इस बात को सुनकर बुरी तरह शॉक में थे सिवाय तन्वी के। तन्वी ने सुहानी को इशारे से बाय किया और तुरंत वहां से निकल पड़ी।


     समर्थ ने बेबसी से जाती हुई तन्वी को देखा और अपने चाचू से बोला "आपको पता भी आप क्या कह रहे हैं? क्या आप मुझे एक ऐसा एग्जांपल देंगे जब हमारे घर में किसी अपने स्टेटस के बराबर वाली लड़की से शादी की हो? क्या आपने ऐसा किया? क्या डैड ने ऐसा किया? क्या अंशु ने ऐसा किया? तो फिर मेरे साथ ऐसा क्यों?"


     सिद्धार्थ भी अपने भाई से यही सवाल करना चाहते थे लेकिन समर्थ का जवाब सुनकर वह पूछे बिना ना रह पाए। "तो तेरी नजर में कोई है जो मिडिल क्लास से बिलॉन्ग करती है?"


     सब की नजरे समर्थ की तरह उठ गई। समर्थ से कोई जवाब देते नहीं बना। वो दोनों हाथ टेबल पर रख कर और खड़ा होकर बोला "आपके मिस्टर मुखर्जी और उनकी बेटी, जो भी नाम है उसका, यहां आ रहे हैं तो उनका स्वागत है। लेकिन अगर आपको लगता है कि बिना मेरी मर्जी के कोई लड़की मेरी जिंदगी में शामिल हो जाएगी तो ये आपकी बहुत बड़ी गलतफहमी है। आप उसको इस घर की बहू बनाना चाहते हैं कोई बात नहीं लेकिन मेरी बीवी मत बनाइए उसे। क्योंकि ऐसा होगा नहीं।"


    सारांश में एक सीधा सा सवाल पूछा "प्रॉब्लम क्या है? उस लड़की में प्रॉब्लम क्या है और तेरी प्रॉब्लम क्या है? क्यों तू शादी से भाग रहा है? इस सवाल का जवाब आज तुझे देना होगा। क्योंकि इस सवाल के जवाब के लिए यहां हर कोई इंतजार कर रहा है, आज से नहीं पिछले कई सालों से।"


    सिया उठकर समर्थ के पास आई और उसके चेहरे को प्यार से छू कर बोली "सोमू! तेरा चाचू बिल्कुल ठीक कह रहा है। हम सब जानते हैं तू कैसा है। लेकिन तू पहले ऐसा तो नहीं था। क्या वजह है कि तू शादी नहीं करना चाहता? तू बता तो हमें। बता अगर तेरी लाइफ में कोई ऐसी है तो हम बात करेंगे उससे। कैसे भी करके उसे तेरे पास लेकर आएंगे।"


     सिद्धार्थ आगे आए और उन्होंने भी अपने बेटे को दोनों कंधे से पकड़कर कहा, "देख सैम! मैं तुझे हमेशा चिढ़ाते रहता हूं सिर्फ इसलिए ताकि तू अपने दिल की बात शेयर करें। तुझे कभी यह नहीं लगे कि तेरा डैड सीरियस टाइप का बोरिंग इंसान है जिससे तू बात करने से कतराए। जानता हूं तेरे बचपन के कुछ साल बहुत अकेलेपन में गुजरा है और उसका जिम्मेदार मैं भी हूं। लेकिन सिचुएशन मेरे हाथ में नहीं थी। पर जब से तेरी मां ने तुझे संभाला है तू पहले से बदलने लगा था, पूरी तरह बदल गया था। तू खुश रहने लगा था। फिर ऐसा क्या हुआ जो तू ऐसा हो गया? अगर तेरी लाइफ में कोई थी और वह तुझे छोड़कर चली गई है तो उसके लिए अपनी लाइफ खराब करने की जरूरत नहीं है। ऐसी कई मिल जाएगी तुझे। तू बस एक बार हां कह दे, फिर देख तेरा बाप तेरे लिए क्या करता है।"


    समर्थ वैसे ही तन्वी की शादी को लेकर परेशान था। ऊपर से इतने सारे सवालों को सुनकर वह पूरी तरह फ्रस्ट्रेट हो चुका था। वो वहां रुका नहीं और फौरन वहां से अपने कमरे में चला गया। सभी हैरान परेशान से उसे जाते हुए देख रहे थे। लेकिन बस एक सारांश था जिसके होठों पर हल्की सी मुस्कान थी।



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