सुन मेरे हमसफर 83

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    कुहू के किए सवाल पर शिवि को समझ नहीं आया कि वह क्या जवाब दें। वह साफ-साफ महसूस कर रही थी की कुहू को उसके और कुणाल को लेकर कुछ गलतफहमी हो रही थी। लेकिन वाकई उसे खुद समझ नहीं आया कि वह कुणाल को लेकर हॉस्पिटल से बाहर क्यों आई थी। शायद उसे प्राइवेसी चाहिए थी ताकि वो आराम से बात कर सके और कोई सुने भी ना।


    उसे सोचते देख कुणाल ने कहा "मैंने ही कहा था बाहर चलने को। यू नो! पिछले साल जब मेरा एक्सीडेंट हुआ था तो 2 हफ्ते जो मैंने हॉस्पिटल का खाना खाया है, उसके बाद से तो मुझे हॉस्पिटल के चाय से भी नफरत हो गई है। वह तो बस कार्तिक के लिए मैं यहां चला आया वरना मैं तो हॉस्पिटल आता भी नहीं। यहां के स्मेल से भी मुझे अजीब सी घुटन होने लगती है। भगवान! लाइफ में कभी मुझे बीमार मत होने देना।"


     कुणाल ने जिस नौटंकी से बोला था, कुहू को उसकी बात सुनकर हंसी आ गई। बाकी सब भी हंस पड़े लेकिन शिवि तीखी नजरों से कुणाल को देखने लगी और मन ही मन बोली 'यह बंदा झूठ बोलने में कितना माहिर है! क्या इस पर भरोसा करके मैं गलती कर रही हूं?'


    कुछ देर बाद ही अंशु भी वहां चला आया। उसे देख निशी नजरें चुराने लगी और कुहू ने हैरानी से पूछा "अंशु! तू यहां क्या कर रहा है?"


    अंशु ने बड़े आराम से साइड में पड़ी एक और कुर्सी खींची और उस पर बैठते हुए बोला "शिवि दी ने बुलाया था मुझे। आप लोगों ने डिनर का प्लान बनाया था तो शिवि दी ने भी अपना अलग ही प्लान बना कर आप सब को सरप्राइज करने का प्लान बनाया, और मुझे यहां पर बुलाया।"


    कुहू ने शिवि को अजीब तरह से देखते हुए कहा, "डिनर का प्लान तो हमारा था लेकिन यह कौन सा सरप्राइज हुआ? तू कोई सरप्राइज नहीं है।"


     शिवि मुस्कुरा कर बोली "सरप्राइज ये नहीं, बल्कि आगे जो होगा, वो सरप्राइज होगा।"


     अंशु उसकी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला "बिल्कुल! बस एक बार समर्थ भाई आ जाए, उसके बाद चलते हैं।"


    सुहानी बहुत ज्यादा एक्साइटेड हो गई और बोली, "भाई आ रहे हैं? इसका मतलब आज वाकई हम सबका नाइट आउट होने वाला है?"


      अंशु ने सुहानी के सर पर मारा और बोला "नाइट आउट नहीं होने वाला है। तुम लोग डे आउट करके आ चुकी हो। हम लोग डिनर करेंगे, उसके बाद घर वापस जाना है।"


     सुहानी ने धीरे से शिवि के कान में बोला "यह सच में घर जाने वाला है या फिर से निशी के साथ लॉन्ग ड्राइव पर? वैसे भी, कल छुट्टी है, ऑफिस का झंझट नहीं। पापा से बात कर ली होगी, किसी और से पूछने की जरूरत नहीं।"


      शिवि ने भी अपने भाई की साइड ली और कहा "तेरी शादी करवा देते हैं, उसके बाद तू भी लॉन्ग ड्राइव पर जाते रहना, ठीक है?"


    सुहानी शरमा गई और उसने तिरछी नजर से कार्तिक की तरफ देखा जो अपने फोन में बिजी था। सब ने टाइम पास करने के लिए एक एक कप कॉफी मंगवा ली। समर्थ के आने के बाद सभी वहां से निकले और अपनी अपनी गाड़ी में चल पड़े।


     अंशु की गाड़ी में सिर्फ निशी थी और वह सब को अपने साथ लेकर जा रहा था। आज की डिनर पार्टी उसकी तरफ से सबके लिए था। सो सभी उसके पीछे पीछे चल पड़े थे। अंशु ने अपना फोन निकाला और निशी के हाथ में देकर बोला "नीरू को फोन कर दो और बोलो कि वह भी हमारे साथ आए।"


     निशी के हाथ में अंशु का फोन था जिसे वह बहुत अजीब तरह से देख रही थी। उसने कहा "तुम खुद क्यों नहीं फोन कर लेते? मैं फोन करूंगी तो पता नहीं क्या बात करूंगी। वह आएगा भी या नहीं। हो सकता है, सुबह की बात को लेकर मुझसे नाराज हो!"


      अंशु हंसते हुए बोला "तुम्हारी किसी बात से नाराज नहीं हो सकता। तुम उसकी भाभी हो और तुम्हारा कहा वो कभी नहीं टाल सकता। इसलिए तो कह रहा हूं, उसे फोन करो और बोलो कि मेरा लोकेशन ट्रैक करके वहां पहुंचे जहां हम जा रहे हैं।"


     निशी ने फोन का स्क्रीन ऑन किया और पूछा "पासवर्ड?"


    अंशु ने सामने देखते हुए कहा "तुम्हारा बर्थ डेट।"


    निशी को थोड़ी हैरानी हुई। उसने वाकई अपना बर्थ डेट डालकर देखा तो सच में वह फोन खुल गया। 'इसने मेरा बर्थडे अपने पासवर्ड में लगा रखा है! चल क्या रहा है इसके दिमाग में? ऐसा तो तब होता है जब दो लोग एक दूसरे से..........! लेकिन ये हमारी शादी को लेकर सीरियस नहीं है, तो फिर क्या है? अगर इसकी गर्लफ्रेंड को पता चल गया तो?'


     निशी ने पूछा "तुम्हारी गर्लफ्रेंड का बर्थ डेट क्या है?"


    अंशु के दिमाग से एक बार फिर यह बात निकल गई थी। जवाब के बजाय उसने उल्टा सवाल किया "कौन सी गर्लफ्रेंड?"


     निशी ने दोबारा सवाल नहीं किया, यह सोच कर कि 'इसकी तो ना जाने कितनी गर्लफ्रेंडस थी! जब भी पूछो तो यही जवाब मिलता है।' निशी ने फोन वापस से ऑन किया और निर्वाण का नंबर ढूंढ कर उसे डायल कर दिया।


    निर्वाण कुणाल के खिलाफ सबूत ढूंढने में लगा हुआ था। इस तरह प्लान का सुनकर उसने खुद को थोड़ा ब्रेक देने का सोचा और बोला "कोई बात नहीं भाभी, मैं आ जाऊंगा। बस निकल रहा हूं।"


     निशी ने भी उससे बात करके फोन रख दिया और अंशु का फोन सामने डैशबोर्ड पर डाल दिया। गाड़ी चलाते हुए अंशु ने अपने पीछे आ रही गाड़ियों को देखा जिसमें बाकी सभी थे। उन्हें देखकर अंशु के होठों पर बड़ी सी स्माइल आ गई। लेकिन उसकी नजरों में कुछ खटका। ना जाने उसने ऐसा क्या देखा कि उसे थोड़ा अजीब लगा।


     'शायद मैं कुछ ज्यादा ही सोच रहा हूं। इस रास्ते पर ऐसी न जाने कितनी गाड़ियां आती जाती रहती है।' अंशु ने अपने दिमाग से इस खयाल को झटका और अपनी ड्राइविंग पर फोकस किया।


     गाड़ी ड्राइव करते हुए सुहानी परेशान हो गई थी। "यार! यह अंशु हमें कहां लेकर जा रहा है? हम शहर से बाहर निकलने वाले हैं। क्या ये पार्टी दूसरे शहर में देने वाला है? हम लोग यहां से कहां जा रहे हैं? कोई कुछ बताएगा?"


     उस गाड़ी में सिर्फ काया थी। उसे खुद कुछ नहीं पता था तो वह क्या जवाब देती। लगभग यही सवाल सबके मन में था। उन्हें तो लगा था की पार्टी किसी फाइव स्टार होटल में होगी लेकिन वो लोग जहां भी लोग जा रहे थे, शहर बस खत्म होने वाला था और हाईवे लगभग शुरू हो ही चुका था। सिर्फ डिनर के लिए किसी दूसरे शहर जाना.......... वापस लौटते काफी देर हो जाती। फिर संडे का ख्याल आते ही सब ने इस ट्रिप को एंजॉय करना शुरू कर दिया।


    काफी देर के बाद अव्यांश ने गाड़ी हाईवे से नीचे उतारी और थोड़ा सा अंदर ले जाकर गाड़ी साइड में लगा दिया। पीछे पीछे सारी गाड़ियां आ कर रुकी और सभी बाहर निकले। सामने एक ढाबे को देखकर सुहानी और काया अंशु पर नाराज होते हुए बोली "क्या है यह सब? तू हमें यहां खाना खिलाने लाया है? यह तेरी शादी की ऐसी पार्टी हमें नहीं चाहिए। पार्टी हमें किसी ग्रैंड होटल में पार्टी चाहिए।"

  

    सब ने देखा, उस ढाबे की हालत इतनी सही भी नहीं थी। वह लोग अभी भी नहीं समझ पाए कि आखिर अंशु ने इस ढाबे को ही क्यों चुना? अंशु ने अपनी शिकायती के कंधे पर हाथ रख और बोला "तुम लोगों को उस होटल में जो भी खाना था, वह सब कुछ तुम्हें यहां मिल जाएगा। इनफैक्ट, उस होटल से भी ज्यादा टेस्टी खाना तुम्हें यहां मिलेगा। एक बार खाओगी तो फिर फाइव स्टार होटल के खाने का टेस्ट भूल जाओगी।"


    ढाबे पर काम करने वाला एक सोलह साल का लड़का भागते हुए आया और बोला "भैया जी, आप वो ही हो न, जो पिछले साल आए थे?"


     अव्यांश ने उस लड़के के बाल खराब करते हुए बोला "हां! और हम सब यहां खाना खाने आए है। सबके लिए सीट अरेंज करो और बताओ कि खाने में खाने में क्या-क्या है।"


     इतनी बड़ी-बड़ी गाड़ियां आ कर रुकते देख सबको तो यही लगा था कि शायद यह लोग रास्ता भूल गए हैं। लेकिन अव्यांश ने कहा तो वह लड़का खुश होकर दुकान की तरफ भागा और वहां जाकर सब को इस बारे में बताया। दो-तीन लोग वहां पर बेंच कुर्सियां साफ करने में लग गए। कुछ खाट खड़ी कर के रखे थे, उन सबको बैठने के लिए लगा दिया गया।


    अंशु ने निशि का हाथ पकड़ा और उसे लेकर एक खाट पर बैठ गया। अंशु को इससे कोई परेशानी नहीं थी और ना ही निशी को। कुहू को भी ऐसी जगह काफी पसंद थी। उसने भी एक खाट को अपने और कुणाल के लिए रिजर्व कर लिया। सुहानी को कार्तिक के साथ बैठना था लेकिन काया ने उसे आंखे दिखाकर अपने साथ बैठा लिया। शिवि भी उसके साथ ही थी। कार्तिक और समर्थ साथ हो लिए। 


   वही लड़का पास आया और खाने में जो कुछ भी था वह सब बताने लगा। अंशु ने पहले ही उसे बता दिया था कि यहां कुछ भी नॉनवेज नहीं चलेगा और सारे डिशेज के नाम सुनने के बाद अव्यांश ने सब में से सबको सर्व करने के लिए कह दिया। एक एक कर सबकी प्लेट लगनी शुरू हो गई। जो लड़कियां अभी तक अजीब सी शक्ल बना रही थी, खाने खुशबू से उनके होठों पर भी स्माइल आ गई।


    निर्वाण भी अपनी बाइक से वहां आ पहुंचा लेकिन कुणाल को देखते ही उसका सारा मूड ऑफ हो गया। समर्थ और कार्तिक एक साथ बैठे हुए थे। निर्वाण भी जाकर उन्हीं के साथ बैठ गया। खाना लगते ही लड़कियों ने आज अपने दिन भर की खरीदारी के बारे में बातें करना शुरू कर दिया तो काया ने गुस्से में कार्तिक की तरफ देखा। कुणाल का फोन लगातार बजे जा रहा था। उसके डैड उसे फोन कर रहे थे और वह जानबूझकर उन्हें अवॉइड कर रहा था। वो अच्छे से जानता था कि उसके पापा, मिस्टर रायचंद किस बारे में उससे बात करना चाह रहे हैं। फोन साइलेंट था इसलिए किसी को कुछ पता नहीं चला।




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