सुन मेरे हमसफर 82

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    समर्थ अपने केबिन में बैठा अपनी ख्यालों में गुम था। तन्वी आज हाफ डे की छुट्टी लेकर घर चली गई थी और समर्थ उसे चाह कर भी नहीं रोक पाया था। लड़के वाले उसे देखने आए थे, कैसे रोक सकता था उसे! अपनी आंखों के सामने अपने प्यार को किसी और का होता देखना कितना तकलीफ भरा होता है, यह बात वह भी समझ रहा था और तन्वी का दर्द भी। लेकिन वह चाह कर भी इतनी हिम्मत नहीं बटोर पा रहा था कि वह सबको अपने दिल की बात बता सके, या फिर खुद तन्वी को ही बता सके।


     सबसे पहले तो उसे खुद ही इस बात को एक्सेप्ट करने में टाइम लगए था कि उसे प्यार हो गया है। जिस प्यार से वह हमेशा भागता रहा, आखिर उस प्यार ने उसे अपनी पनाहों में ले ही लिया और वह दर्द समर्थ के हिस्से आ ही गया।


    अंशु ऑफिस से निकलने को हुआ तो उसने देखा, समर्थ के केबिन की लाइट अभी भी जल रही थी। वह बिना नॉक किए समर्थ की केबिन में घुसा और बोला "भाई चलें! सब ने आज बाहर डिनर का प्रोग्राम बनाया है।"


     समर्थ जो अभी अपने फोन में तनु की तस्वीर देख रहा था, उसने जल्दी से अपना फोन नीचे रखा और बोला "नहीं, मेरा मन नहीं है। तू जा उनके साथ और इंजॉय कर।"


    अंशु समर्थ के इस बेरुखे व्यवहार से काफी परेशान हो चुका था। उसने जिद करते हुए कहा "भाई प्लीज, चलो ना! सबने कितने प्यार से डिनर का प्लान बनाया है। कुहू दी कुछ टाइम बाद शादी करके चली जाएगी तो फिर हमें ये मौका नहीं मिलेगा। उसका भी तो दिल करता है, सबके साथ बाहर घूमने जाने का। चलो ना भाई! और किसी के लिए ना सही, कम से कम कुहू दी के लिए। शादी के बाद अगर वो कुणाल के साथ बाहर सेटल हो गई तो हम उनसे मिलने के लिए भी तरस जाएंगे।"


     समर्थ को एहसास हुआ कि वह अपने तकलीफ में अपनों को भूल रहा है। वाकई यह मौका बार-बार नहीं मिलने वाला था। लेकिन इस वक्त उसका कहीं जाने का बिल्कुल भी मन नहीं था। उसने कहा "तू चल। मैं थोड़ी देर में तुम लोगों को ज्वाइन करता हूं।"


    अंशु ने फिर पूछा "आप पक्का आओगे ना?"


    समर्थ ने मुस्कुराकर कहा, "पक्का प्रॉमिस! मैं थोड़ी देर बाद तुम सबको डिनर पर ज्वाइन करता हूं। तूने बिल्कुल सही कहा, कुहू की शादी हो जाएगी तो फिर हमे ये कौका शायद ही मिले और मैं यह मौका मिस नहीं करूंगा। तू चल, मैं थोड़ी देर के बाद आता हूं।"


     अंशु खुश होकर वहां से चला गया। समर्थ ने एक बार फिर अपना फोन ऑन किया और कुछ देर तन्वी की तस्वीर देखने के बाद फोन ऑफ कर के साइड में रख दिया।



*****




     कुहू और सुहानी शिवि और कुणाल को ढूंढ रहे थे। हॉस्पिटल के कंपाउंड में तो वो दोनों कहीं नजर नहीं आए तो सुहानी ने कहा "दी! शायद वह लोग पास के कॉफी हाउस में गए होंगे। वैसे भी वह दोनों डिनर करने तो जाएंगे नहीं।"


    कुहू बोले "तू ठीक कह रही है। आई थिंक हमें बाहर चल कर देखना चाहिए।"


     सुहानी कुहू के साथ बाहर की तरफ चल पड़ी लेकिन कुहू के कदम जहां तेज थे, वही सुहानी के कदम थोड़े धीरे पद रहे थे। कुहू उससे आगे हॉस्पिटल से बाहर निकल गई और सुहानी वही पीछे रह गई। उसने पलट कर हॉस्पिटल के अंदर देखने की कोशिश की तो पाया कार्तिक सिंघानिया बाहर की तरफ निकल रहा था। उसे कार्तिक के लिए बहुत बुरा लग रहा था।


     कुहू के पीछे जाने की बजाए वह वापस कार्तिक के पास आई और बोली "काया की तरफ से मैं आपको फिर से सॉरी कहती हूं। वह पागल है झल्ली है।"


    कार्तिक सिंघानिया ने मुस्कुरा कर कहा "कोई बात नहीं। मैंने कहा ना, मुझे उनकी इस हरकत का बुरा नहीं लगा। क्योंकि मैं जानता हूं इसमें उनकी कोई गलती नहीं है। मेरा भाई है ही ऐसा। मेरे साथ तो ये सब अक्सर होता है। सारे कारनामे उसके होते हैं और उसका फल मुझे मिलता है।" कहते हुए कार्तिक की हंसी छूट गई। सुहानी भी मुस्कुरा दी।


     कार्तिक को इस तरह नॉर्मल बिहेव कर देते उसे बहुत हैरानी भी हुई और खुशी भी। उसने हिचकते हुए कहा "हम लोग शिवि दी को ढूंढ रहे हैं। शायद वो हॉस्पिटल से बाहर निकल गई है। हम लोग बाहर डिनर का प्लान करके आए थे और उसी के लिए उन्हें ढूंढ रहे हैं। मैं सोच रही थी जब कुणाल जीजू भी यहीं पर है तो क्या आप भी हमें डिनर पर ज्वाइन करेंगे?"


     कार्तिक के लिए हां कहना भी मुश्किल था और ना कहना भी। उसने मन ही मन खुद से कहा 'बेचारा कुणाल! कहां तो वो यह सोच कर आया था कि शिविका के साथ उसे थोड़ा टाइम स्पेंड करने का मौका मिलेगा और यहां तो पूरी फौज उन दोनों के बीच आकर खड़ी हो गई है। अब इन लोगों को यहां से कैसे भगाएं? एक दो होती तो कोई बात नहीं थी, यहां तो पूरी फैमिली ही मुझे नजर आ रही है ।लगता है आज कुणाल का प्लान पूरी तरह फेल होने वाला है, या शायद हो चुका है।'




*****





      शिवि और कुणाल दोनों ही कुहू की आवाज सुनकर चौक गया और सर घुमा कर देखा। कुहू उन दोनों को एक साथ देख कर थोड़ा अच्छा महसूस नहीं कर रही थी। पता नहीं क्यों लेकिन कुणाल का शिवि के साथ बैठना उसे अच्छा नहीं लग रहा था। 'क्या कर रही है तू कुहू? बहन है वह तेरी और तू उसके बारे में ऐसा कैसे सोच सकती है? कार्तिक ने बताया ना, दोनों बस ऐसे ही चले आए हैं। तू भी खामखा दोनो पर शक कर रही हैं। आज ही तो मिलेभाय दोनों।'


     शिवि ने मुस्कुराकर कुहू को अपने पास आने का इशारा किया तो अपने सारे ख्यालों को परे झटककर कुहू उन दोनों के पास आई और कुणाल के पास वाले सीट पर बैठ गई। कुहू के पीछे पीछे निशी और काया भी चले आए। शिवि ने दरवाजे की तरफ देखते हुए कहा "सोनू घर चली गई क्या? वह नहीं नजर आ रही।"


     सबका ध्यान इस तरफ गया। निशी बोली "पता नहीं। अभी कुछ टाइम पहले तक तो हमारे साथ ही थी। काया के पीछे पीछे मैं निकल आई थी और वह कुहू दी के साथ थी।"


     कुहू ने भी कंधे उचका कर कहा "हां! वह तो मेरे साथ ही थी। इनफेक्ट वो ही मुझे हॉस्पिटल से बाहर हाथ पकड़ कर लेकर आई थी। पता नहीं कहां गुम हो गई। हम तो तुम दोनों को ही ढूंढ रहे थे।"


    कुणाल उन सब से थोड़ा सा दूर जाना चाहता था ताकि अपने दिल के जज्बातों को अपने अंदर दबा सके। वो नहीं जाता था कि किसी के भी सामने उसकी चाहत बाहर आए, कमसे कम फिलहाल तो नहीं। उसने उठते हुए कहा "आप लोग बैठो, सुहानी को मैं देखता हूं"


    कुहू ने कुणाल का हाथ पकड़ लिया और बोली "तुम मेरे पास बैठो ना! काया जाकर देख लेगी उसे।"


     कुणाल ने एक नजर शिवि की तरफ देखा और उसे अपना हाथ छुड़ाते हुए बोला "नहीं मैं जा कर देखता हूं। कार्तिक भी तो यही पास में ही होगा। मैं उसे भी देख लूंगा। तुम लोगों का आज का प्लान है तो तुम लोग इंजॉय करो, मैं आता हूं।"


    कुणाल बहुत तेजी से वहां से जाने लगा तो उसे मेन गेट से अंदर आते हुए सुहानी और कार्तिक नजर आ गए। कहां तो वो यहां से भागने की फिराक में था, लेकिन अब उसे यहां सब के बीच रुकना होगा, यह सोच कर कि कुणाल परेशान हो गया। फिर भी उसने एक कोशिश की और जल्दी से कार्तिक के पास जाकर बोला "अब घर चले?"


    कार्तिक के कुछ कहने से पहले ही सुहानी बोली "ऐसे कैसे जीजू? आपको हमारे साथ आज डिनर करना होगा। बहुत दिन के बाद हम सब लोग एक साथ हैं। आप भी हमें ज्वाइन करेंगे तो अच्छा लगेगा। वो क्या है ना, शिवि दी को कभी हमारे लिए टाइम ही नहीं मिलता और आज हम लोग उन्हें बिल्कुल भी नहीं छोड़ने वाले। वैसे भी, आज का डिनर शिवि दी की तरफ से होगा, इसलिए हमें तो ज्यादा से ज्यादा लोग चाहिए ताकि हम सारी कसर एक ही बार में निकाल ले।"


     कुणाल ने इनकार करने के लिए अपना मुंह खोला लेकिन उसके कुछ कहने से पहले ही सुहानी बोली "जीजू प्लीज ना! मना मत करना। वैसे भी आज सैटरडे है और आपका जो भी प्लान है वह कल के लिए पोस्टपोन कर लो आप। और आपका दोस्त भी तो यही है हमारे साथ।"


     कार्तिक सिंघानिया ने आंखों के इशारे से कुणाल को रुकने के लिए कहा और उसकी नजर ना चाहते हुए भी काया की तरफ घूम गई जो मुझसे नजरें फेर कर बैठी हुई थी। सुहानी उन दोनों को भी जबरदस्ती अपने साथ लेकर आई और वहां के वेटर को सबके लिए कुर्सियां लगाने को कहा।


   वेटर ने दो कुर्सियां लगाई। उससे पहले ही कुहू ने कुणाल को अपने पास खींच लिया था। किसी ने भी कुणाल की खाली सीट पर बैठने की कोशिश नही की थी। और जो कुर्सियां लगी थी उसमे सुहानी बैठी और कार्तिक सिंघानिया का भी हाथ पकड़ कर उसे अपने साथ में बैठा लिया लेकिन उसने इतना ध्यान नहीं दिया कि करती इस वक्त काया और सुहानी के बीच बैठा था। काया ने कार्तिक से दूरी बना ली और थोड़ा सा दूसरी तरफ सरक गई। कार्तिक को उसकी इस हरकत से बुरा लग।


    कुहू से रहा नहीं गया और वह शिवि से बोल पड़ी "हमारे लिए तो टाइम ही नहीं मिलता है तुझे। लेकिन देख, कितनी अजीब बात है। आज ही तुम और कुणाल मिले और आज ही तुम दोनों की दूसरी मुलाकात भी हो गई। वरना तो हमें तुझसे मिलने के लिए इंतजार करना पड़ता है। वैसे तुम दोनों यहां क्या कर रहे थे? आई मीन, हॉस्पिटल में भी तो कैफिटेरिया है। तो फिर यहां आने क्या जरूरत पड़ गई?"


    शिवि इस सवाल से परेशान हो गई। उसने सोचा नहीं था कि कुहू कुणाल को लेकर इतना पजेसिव होगी कि उससे यह सवाल करेगी। 



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