सुन मेरे हमसफर 81

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     कार्तिक सिंघानिया, काया के अचानक हरकत पर शॉक्ड रह गया। उसने दर्द में अपनी आंखें बंद कर ली और धीरे से बोला "नॉट अगेन!"


    सुहानी ने यह सब कुछ होते हुए देखा तो वो जल्दी से भागते हुए आई और कार्तिक से पूछा "आप.........! आप ठीक हो?" फिर काया पर गुस्सा करते हुए बोली "क्या यह सब कायू? लोग, इंसान, जगह, माहौल, तुझे कहीं कुछ नजर नहीं आता क्या? तेरा दिमाग तो खराब नहीं हो गया है? और ऐसा क्या किया इन्होंने जो तु.........! इस तरह सबके सामने किसी पर भी हाथ उठा देगी क्या?"


     काया ने गुस्से में कार्तिक को घूर कर देखा और बोली "इसने जो किया है ना, इसके लिए मुझे इसे उसी वक्त थप्पड़ मार देना चाहिए था।"


     काया की इस हरकत पर कुहू शॉक्ड खड़ी उसे देखती रही थी। वह भी जल्दी से उसके पास आई और बोली "ये सब क्या है काया? बेचारा कार्तिक हमें देख कर हमसे मिलने आया। तू सब के सामने उसे थप्पड़ कैसे मार सकती है?" फिर वह कार्तिक से बोली "सॉरी कार्तिक! पता नहीं इसे आजकल क्या हो गया है। काफी देर से देख रही हूं, बहुत डिस्टर्ब है। ऐसे ही रिएक्ट कर रही है।"


    कार्तिक बेचारा जो एक हाथ अपना गाल सहला रहा था, वह मुस्कुरा कर बोला "कोई बात नहीं। मैं समझ सकता हूं तुम्हारी बहन ने ऐसा क्यों किया। लेकिन अपना गुस्सा निकालने का सही समय भी होता है। मिस काया! आपने सही कहा, आपने उसी वक्त ये थप्पड़ उसे मार दी होती तो इस वक्त यह थप्पड़ मुझे ना पड़ता।"


      कुहू और सुहानी की समझ में कुछ नहीं आया। उसने पूछा "मतलब?"


    कार्तिक मुस्कुरा कर बोला "मतलब यह कि तुम्हारी बहन के साथ बदतमीजी करने वाला ऋषभ था, मैं नहीं।"


    लेकिन काया उसे उंगली दिखा कर बोली "मुझसे ज्यादा होशियती करने की जरूरत नहीं है। बहुत अच्छे से जानती हूं मैं तुम लोगों के ये पैंतरे। भोला और मासूम दिखने की कोशिश मेरे सामने मत करना। और जो हरकत तुमने की है दोबारा करने की कोशिश भी मत करना। वरना छोडूंगी नही मैं तुम्हें।" काया गुस्से में पैर पटकती हुए वहां से निकल गई।


    ऐसे ओकवर्ड सिचुएशन में क्या करें, किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था। काया तो निकल गई इसीलिए निशी उसके पीछे पीछे भागी। कुहू अपनी बहन की ऐसी हरकत पर काफी शर्मिंदा थी। उसने कार्तिक से माफी मांगते हुए कहा "सॉरी यार! मुझे नहीं पता मेरी बहन ऐसा क्यों कर रही है।"


     सुहानी ने भी उसका साथ देते हुए कहा "हां! यह बात तो मैंने भी नोटिस किया। जब वह कपड़े लेने गई थी, लेकिन कुछ लिया नहीं और गुस्से में जो उसके हाथ में था, उससे भी फेंक कर चली आई। कुछ तो हुआ है उसके साथ।"


     कार्तिक ने एक बार फिर उन दोनों को समझाया "तुम दोनो को सॉरी फील करने की जरूरत नहीं है। मुझे उसके किसी भी बात का बुरा नहीं लगा। क्योंकि यह सब कुछ मेरे साथ पहली बार नहीं हुआ है। मैं और ऋषभ ट्विंस है तो ऐसे में उसके किए का हर्जाना कई बार मुझे चुकाना पड़ता है। और आज भी वही हुआ है। तुम लोग ज्यादा सोचो मत और देखो अपनी बहन को। वैसे बताया नहीं तुम लोग यहां क्या कर रही हो?"


    कुहू ने बताया "वो हम लोग तो यहां शिवि से मिलने आए थे। उसके साथ डिनर का प्लान था हमारा लेकिन पता नहीं कहां है वह! सुहानी उसे देखने गई थी।"


     सुहानी ने शिवि के केबिन की तरफ देखा और बोली शिवि दी अपने केबिन में नहीं है। यहां रिसेप्शन पर पूछना होगा। हो सकता है उन्हें कुछ पता हो।"


     पार्थ चलता हुआ उनके पास आया बोला "हाय सुहानी! हाय कुहू! तुम लोग शिवि को ढूंढ रहे हो?"


     कुहू और सुहानी दोनों ने एक साथ अपना सर हिलाया। कार्तिक यही तो नहीं चाहता था। अभी कुछ देर पहले ही कुणाल और शिवि यहां से निकले थे। उन दोनों को एक साथ थोड़ा तो टाइम मिलना चाहिए था। उसने पार्थ के कुछ कहने से पहले ही कहा "शिवि? अच्छा वो तुम्हारी बहन! हां मैंने देखा था उसे। इसी हॉस्पिटल में ही थी। देखो यही कहीं होगी। मैंने उसे बाहर जाते नही देखा।"


   पार्थ को कार्तिक की बातें बहुत अजीब लगी। उसे समझ नहीं आया कि आखिर कार्तिक झूठ क्यों बोल रहा है। उसने कुहू से सीधे और साफ शब्दों में कहा "तुम्हारा मंगेतर आया था यहां पर। शिवि उसी के साथ गई है। देख लो, वो दोनों बाहर ही होंगे।"


     कार्तिक ने अपना सर पकड़ लिया और मन ही मन बोला 'हे भगवान! इस गधे का मुंह थोड़ी देर के लिए बंद नहीं करवा सकते थे आप?'


     कुहू को बहुत ज्यादा हैरानी हुई। उसने पूछ लिया "कुणाल शिवि के साथ क्या कर रहा है? वो तो जानता भी नहीं उसे।"


     कार्तिक ने जल्दी से बात को संभालते हुए कहा "वह मेरी तबीयत ठीक नहीं थी ना, तो इसीलिए कुणाल मुझे यहां लेकर आया था। और यहां तुम्हारी बहन मिल गई। मैं डॉक्टर के पास चला गया तो दोनों खाली बैठे थे, तो ऐसे ही घूमने निकले होंगे। अब साली तो आधी घरवाली होती है ना। इसलिए अपनी आधी घरवाली को पटा रहा है। अभी थोड़ी देर पहले ही निकले हैं दोनों।"


      इस बार सुहानी ने सवाल किया "लेकिन आपने तो कहा था कि आपने उन्हें जाते हुए देखा नहीं, तो फिर इतने कॉन्फिडेंस से कैसे कह रहे हैं कि अभी भी निकले हैं?"


     कार्तिक को समझ नहीं आया कि वह जवाब क्या दें। 'इसको तो कोर्ट में होना चाहिए था।' उसने जवाब के बदले सवाल दागा "आपके लिए ज्यादा इंपोर्टेंट कौन है, मैं या फिर आपकी बहन?"


     सुहानी ने भी बिना सोचे कहा "ओवियस्ली, मेरी बहन।"


     कार्तिक ने उन्हें बाहर की तरफ इशारा कर कहा "तो फिर जाइए, आपकी बहन आपको बाहर मिल जाएगी।"


     कुहू कार्तिक से कुछ और पूछती उससे पहले ही सुहानी ने उसका हाथ पकड़ा और लेकर बाहर की तरफ निकल गई। उन दोनों के जाने के बाद कार्तिक ने पार्थ को घूर कर देखा। पार्थ बेचारा कंफ्यूज हो गया कि आखिर सच बोल कर उसने क्या गुनाह कर दिया।



*****




 कुणाल और शिवि एक कॉफी हाउस में बैठे हुए थे। यह एक ओपन कॉफी हाउस था जिसे सिद्धार्थ ने अपनी लाडली के लिए हॉस्पिटल के पास ही बनवाया था, बिना उसकी जानकारी के। वहां बैठकर शिवि ने दोनों के लिए कॉफी ऑर्डर किया और सीधे मुद्दे पर आते हुए बोली "तुम और नेत्रा कभी एक साथ थे। इसके बावजूद तुमने उसे पहचानने से इनकार किया, क्यों?"


    कुणाल शिवि से झूठ नहीं बोलना चाहता था। अगर वो झूठ बोलता और नेत्रा उसे सच बताती तो साफ-साफ उसका झूठ पकड़ा जाता और शिवि के नजरों में वो गिर जाता। इसलिए उसने सच बोलना ही सही समझा। "मैंने कोई झूठ नहीं बोला। मैं वाकई किसी नेत्रा को नहीं जानता। हां लेकिन, तुमने जिसकी तस्वीर दिखाई थी, मैं उसे जानता हूं। साउथ अफ्रीका में हम मिले थे। प्रॉब्लम कुछ ऐसी हुई कि हम दोनों को एक साथ रहना पड़ा था। हम कोई रिलेशनशिप में नहीं थे। छुपाने वाली कोई बात नही थी लेकिन यह सब उसकी लाइफ पर ज्यादा इफेक्ट करता। इसलिए मैंने, इंफैक्ट हम दोनों ने ही डिसाइड किया था कि हम एक दूसरे को अपनी रियल आइडेंटिटी नहीं बताएंगे, ताकि यहां से जाने के बाद, एक दूसरे से अलग होने बाद हम एक-दूसरे के बारे में भूल जाए और कभी किसी को इस बारे में पता न चले। इससे ज्यादा और कुछ नहीं था। इससे पहले कि तुम निर्वाण के बारे में पूछो, मैं पहले ही बता दे रहा हूं। मुंबई में उसने मुझे देखा था और उसको गलतफहमी हो गई थी इसीलिए उसने मुझपर अटैक किया था।"


     शिवि ने एक और सवाल किया "लेकिन नेत्रा को तुम्हारा असली नाम कैसे पता? जब तुम्हारा एक्सीडेंट हुआ था, तब नेत्रा ने खुद मुझे कॉल किया था। उस टाइम मैं उस हॉस्पिटल में मौजूद थी और यह बात उसे पता थी। तुम्हारा नाम लेकर उसने मुझे तुम्हारी देखभाल के लिए कहा था।"


     कुणाल ने इनकार करते हुए कहा "मुझे नहीं पता उसे मेरा नाम कैसे पता। हो सकता है, साथ रहते हुए कही उसने मेरा आई कार्ड देख लिया हो। लेकिन ना वो कभी मेरे रूम में आई, ना मैं कभी उसके रूम में गया। ना ही कभी हम दोनों ने एक दूसरे के समान को टटोला। तो फिर उसे कैसे पता ये तो वो ही बता सकती है। अगर तुम नहीं बताती तो मुझे उसका नाम कभी पता ही नही चलता।"


    नेत्रा की कही हर बात कुणाल सही साबित कर रहा था। फिर भी शिवि ने एक और सवाल दागा, "अब तक कितनी लड़कियों के साथ रिलेशनशिप में रह चुके हो?"


     कुणाल को समझ नहीं आया कि वह इसका जवाब क्या दें। सच बोलेगा तो कहीं शिवि उससे और दूर ना हो जाए। उसने बीच का रास्ता निकाला और कहा "यह बात तुम अपनी बहन से पूछ लो। कुहू मेरे बारे में सब कुछ जानती है। शिवि! मैं कोई दिलफेंक इंसान नहीं हूं। बस इतना कहना चाहूंगा कि जिस भी रिश्ते में मैं रहा हूं, उन सब में मैंने पूरी इमानदारी निभाई है। मेरे प्यार पर कभी शक मत करना।"


     शिवि ने सर उठा कर कुणाल की आंखों में देखा। उसकी आंखों में ईमानदारी तो थी लेकिन कुछ और भी था, जैसे ये बात कुणाल उसी को बोल रहा हो। इससे शिवि थोड़ा असहज हो गई। नेत्रा ने भी उसे यही सारी बात कही थी। 'उसके प्यार पर शक मत करना।'


     शिवि ने उन सारे ख्यालों को दिमाग से झटक कर कहा "शक करना या ना करना मेरा काम नहीं है। मैं जो भी कर रही हूं वह सिर्फ और सिर्फ अपनी बहन के लिए कर रही हूं।अपनी बहन के लिए मेरी जो जिम्मेदारी है, मैं बस उसे ही निभा रही हूं। ज्यादा कुछ सोचने की जरूरत नहीं है।"


    "तुम लोग यहां क्या कर रहे हो?" कुहू की आवाज सुनकर कुणाल और शिवि दोनो ही चौक पड़े।




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