सुन मेरे हमसफर 80

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    उर्वशी को समझाने के बाद शिवि उठी और बाहर की तरफ जाने को हुई तो उसे अपने सामने कुणाल खड़ा नजर आया। शिवि की बातें सुनकर कुणाल सोच में पड़ गया था। कि वो शिवि से अपने दिल की बात कहे या ना कहे। क्योंकि बात यहां सिर्फ कुहू की नहीं थी बल्कि नेत्रा भी उसके साथ जुड़ी थी। अपनी दो बहनों को सामने देखते हुए क्या शिवि उसके बाद उसकी बातों पर भरोसा भी करेगी? यह सोचकर कुणाल परेशान हो रहा था।


    शिवि उसके सामने आई और अपना हाथ बांधकर बोली "इंसान को हमेशा वक़्त का पाबंद होना चाहिए। जो लोग वक्त को बर्बाद करते हैं, वक्त 1 दिन उन्हे बर्बाद कर देता है।"


     कुणाल ने नजरें नीची कर ली। वो जानता था, शिवि के बुलाने से वह पूरा एक घंटा लेट है। लेकिन वो करता भी क्या? शिवि ने खुद सामने से उसे मिलने बुलाया था, ऐसे में उसे अच्छे से तैयार होना था और अच्छा भी दिखना था, जिसके लिए उसने अपने दोस्त कार्तिक को बहुत बुरी तरह परेशान किया था।


     कार्तिक सिंघानिया ने भी परेशान होकर बोल ही दिया "अपनी किसी भी डेट पर तूने इतनी मेहनत नहीं की होगी जितनी तू आज कर रहा है। उसने तुझे बात करने के लिए बुलाया है, तूझे डेट पर नहीं पूछा।"


     लेकिन कुणाल भी कहा यह सब सोचने वाला था। उसने सीधे से जवाब दिया "अब तक जितनी भी डेट पर गया हूं, वो लड़कियां मेरे लिए कभी कोई मायने नहीं रखती थी। आज भले ही हमारी डेट ना हो, लेकिन मुझे उस लड़की ने मिलने बुलाया है जिसे मैं प्यार करता हूं। भले ही उसके लिए मैं एक अनजान हूं, और उसके लिए कोई मायने नहीं रखता लेकिन वो रखती है मेरे लिए।"


   कार्तिक ने उसके कंधे पर हाथ रखा और समझाते हुए बोला "अभी भी वक्त है। अपने कदम वापस ले ले। मुझे नहीं लगता वो कभी तेरे करीब आएगी।"


     कुणाल ने भी उसी कॉन्फिडेंस से जवाब दिया था, "एक बार कोशिश करने में हर्ज ही क्या है! पूरा 1 साल मैंने उसे ढूंढने में गुजार दिया। अब जब वह मिली है तो ऐसे ही हार नहीं मान सकता।"


     शिवि ने उसकी आंखों के सामने चुटकी बजाई तो कुणाल होश में आया और बोला "सॉरी! मैं वो थोड़ा लेट हो गया। सॉरी!"


    शिवि की नजर दरवाजे से आते हुए कार्तिक पर गई जो उन दोनों के करीब ही आ रहा था। उसे देखते हुए शिवि ने कहा "कोई बात नहीं। वैसे आप दोनों एक साथ हैं? आई मीन आप कार्तिक हो ना, जिनसे मेरी बात हुई थी?"


      कार्तिक सिंघानिया को तो बस उस लड़की को देख ए था जिसने कुणाल को पागल बना दिया था। उसने मुस्कुरा कर अपना हाथ आगे किया और बोला "हां! मेरी बात हुई थी आपसे। मैं कार्तिक सिंघानिया।"


    शिवि ने भी उस से हाथ मिलाते हुए कहा "शिविका मित्तल!"


    कार्तिक एक पल को तो उसकी सांवली सी सूरत पर फिदा हो गया था। लेकिन उसे कुणाल का ख्याल आया तो नजरें दूसरी तरफ करते हुए बोला "आप इस हॉस्पिटल में काम करती हैं?"


     शिवि कुछ कहती उससे पहले ही किसी और ने कहा "हां बिल्कुल! फिलहाल तो यह मिस, यहां पर काम ही करती हैं।" 


    शिवि ने पलट कर देखा तो उसका एक दोस्त डॉक्टर पार्थ मुस्कुराता हुआ उसके पास ही चला रहा था। पार्थ ने खुद को इंट्रोड्यूस किया और बोला "यह मिस यहां हार्ट पेशेंट को देखती है और इनकी मम्मी यहां के मैनेजमेंट की हार्टबीट बढ़ा देती हैं।"


    पार्थ की इस बात पर कार्तिक हंसने लगा लेकिन कुणाल का चेहरा थोड़ा अजीब हो गया। पार्थ जितने अच्छे से शिवि के बारे में बात कर रहा था, वह कुणाल के लिए एक अच्छा खासा कंपीटीटर नजर आ रहा था। शिवि ने पार्थ के पेट पर एक मक्का मारा और बोली "खबरदार जो मेरी मम्मी के बारे में कुछ भी कहा तो!"


     पार्थ भी दर्द में होने की एक्टिंग करता हुआ बोला "मुझे क्यों मार रही हो यार! मैंने कौन सा झूठ बोला? कल पूरी रात तुम हॉस्पिटल में थी, और सुबह भी तुम्हे बुला लिया गया। इसके लिए तुम्हारी मम्मी ने पूरे मैनेजमेंट को खड़े खड़े पानी पिला दिया। तुम तो थी नहीं यहां पर, तुम्हारी मम्मी आई थी और उनके आने की खबर सुनकर पूरे हॉस्पिटल में अफरा-तफरी का माहौल था।"


     शिवि ने हैरान होकर पूछा "मॉम आई थी यहां?"


    पार्थ ने भी वैसे ही मुस्कुरा कर जवाब दिया "आई थी। आई मीन उनका फोन आया था। वो आने वाली थी, लेकिन जरा सोचो, जब उनके फोन आने से हॉस्पिटल में सब के पसीने छूट गए। तो जब वह वाकई यहां आ जाती तो तुम्हें लगता है कि हॉस्पिटल ऐसा ही होता? वैसे तुम्हारे भी ठाठ है। कोई तुम पर हुक्म नहीं चला सकता। यही फायदा होता है बड़े लोग होने का।"


    शिवि ने नाराजगी से कहा "शट अप यार! तुझे पता है मुझे ऐसी बातें पसंद नहीं है। वह तो मैं इस हॉस्पिटल को छोड़ नहीं सकती हूं, वरना मैं यहां कभी काम नहीं करती। मुझे नहीं अच्छा लगता। ये स्पेशल ट्रीटमेंट।"


      उन दोनों के बीच की जो बॉन्डिंग थी, उसे देख कुणाल अंदर ही अंदर जल रहा था। कार्तिक सिंघानिया ने भी जब यह बात नोटिस की तो उसने धीरे से कुणाल के कान में कहा "तुझे क्या लगता है, ये दोनों सिर्फ दोस्त है या उससे ज्यादा?"


     कुणाल को बहुत गुस्सा आया। उसने अपनी मुट्ठी कस ली ताकि कार्तिक का मुंह तोड़ सकें। कार्तिक उसे समझाते हुए बोला "रिलैक्स यार! मुझ पर गुस्सा करके तुझे क्या मिल जाएगा? तू खुद सोच, दोनो डॉक्टर है। अगर उन दोनों के बीच कुछ चल रहा हो तो इसमें हैरानी वाली कोई बात नहीं होगी। सोच ले! यहां तो तेरा कंपीटिटर पहले से मौजूद है।"


     कुणाल ने नाराजगी से शिवि की तरफ देखा और इस बात को पार्थ ने नोटिस किया। उसने शिवि से पूछा "यह दोनों कौन है? पहले कभी नहीं देखा नहीं इन्हें।"


     शिवि को ध्यान आया कि पार्थ से बात करने के चक्कर मे वो कुणाल को भूल ही गई। उसने पार्थ को कुणाल से मिलवाते हुए कहा "पार्थ ये है मिस्टर कुणाल रायचंद, हमारी कुहू दी के मंगेतर। और ये है मिस्टर कार्तिक, इनके दोस्त।"


     पार्थ ने हाथ मिलाने के लिए कुणाल की तरफ अपना हाथ बढ़ाया लेकिन कुणाल ने उसे इग्नोर कर दिया। पार्थ को बुरा लगा लेकिन कार्तिक ने जल्दी से उसका हाथ पकड़ा और उस से हाथ मिलाते हुए बोला "हेलो डॉक्टर पार्थ! मेरी तबीयत थोड़ी ठीक नहीं है लग रही। क्या आप एक बार मेरा चेकअप कर सकते हैं? मेरे पेट में बहुत ज्यादा दर्द है।"


    पार्थ मुस्कुरा कर बोला "सॉरी सर! लेकिन मैं दिमाग का डॉक्टर हूं, पेट का नही। इसके लिए आपको मैं यहां के बेस्ट डॉक्टर से मिलवा सकता हूं।"


     कार्तिक भी उसे छोड़ने के मूड में नहीं था। वो भी जल्दी से बोला "नहीं। उनसे तो मैं खुद मिल लूंगा। फिलहाल मेरे सर में दर्द है, बहुत ज्यादा दर्द है। प्लीज, मुझे देख लो एक बार।"


     पार्थ को कार्तिक की यह हरकत बहुत अजीब लग रही थी। शिवि भी उसे ऐसे देख रही थी जैसे कोई जोकर को देख रही हो। लेकिन कुणाल समझ गया कि कार्तिक के दिमाग में क्या चल रहा है। उसे मन ही मन बहुत खुशी हुई। जो कुणाल अभी तक कार्तिक के साथ आने पर नाराज था, उसे अब कार्तिक को थैंक्यू बोलने का मन कर रहा था।


     कार्तिक पार्थ का हाथ पकड़े ही वहां से जबरदस्ती लगभग उसे धकेलते हुए वहां से लेकर चला गया। शिवि बेचारी हैरान परेशान उन दोनों को जाते हुए देखती रही। कुणाल ने पीछे से उसे आवाज दिया "तुम्हें मुझसे कुछ बात करनी थी? तो क्या हम कहीं चले?"


     शिवि ने पलटकर कुणाल की तरफ देखा और बोली "हां! हां वह मुझे तुमसे कुछ जरूरी बात करनी थी। एक काम करते हैं, बाहर चलते हैं। यहां पास में ही एक कॉफ़ी शॉप है।"


     कुणाल ने हाथ आगे बढ़ाकर शिवि को आगे चलने का इशारा किया। शिवि भी वहां से आगे निकल गई और पीछे पीछे कुणाल चल पड़ा।


    ठंडी हवाएं, गुलाबी सर्दी और साथ में वो इंसान जिसे आपका दिल चाहता हो। इसे ज्यादा खुशनुमा माहौल और क्या हो सकता था कुणाल के लिए! वह बस शिवि के पीछे पीछे चल रहा था। शिवि उसे कहां ले कर जा रही थी और क्यों लेकर जा रही थी, उसे इस सब से कोई मतलब नहीं था।


    उन दोनों के ही जाने के कुछ देर बाद सुहानी काया कुहू और निशी, शिवि के हॉस्पिटल आ धमके। सुहानी ने सबको वहीं रुकने का इशारा किया और खुद शिवि के केबिन की तरफ भागी। लेकिन वहां जाकर उसे पता चला कि शिवि वहां है ही नहीं।


    कहां तो उन लोगों ने शिवि को सरप्राइज देने का प्लान किया था लेकिन अब वह उसे कहां ढूंढे? कॉल वह कर नहीं सकती थी और घर उसके बिना जा नहीं सकते थे, वरना बड़ी मां शिवि की क्लास लगा देती।


    निशी पूरे हॉस्पिटल को देख रही थी। वह शहर के सबसे बड़े और जाने-माने हॉस्पिटल में से एक था। वहां की खूबसूरती देखते बन रही थी। कुहू ने जब निशी को इस तरह चारों तरफ देखते हुए पाया तो उसने निशी को हॉस्पिटल के बारे में बताना शुरू किया। काया भी वहां चारों तरफ देख रही थी और शिवि के आने का इंतजार कर रही थी। लेकिन इतने में उसके कानों में एक आवाज पड़ी।


     "हेलो गर्ल्स! आप लोग यहां?" काया ने पलट कर देखा तो सामने कार्तिक खड़ा था। काया उसके चेहरे को देखकर गुस्से में उबल पड़ी और मन ही मन बोली 'मिस्टर ऋषभ या कार्तिक! जो भी हो तुम लेकिन आज मैं तुम्हें छोड़ने नहीं वाली।' काया ने अपनी मुट्ठी कस ली।


     कार्तिक को वहां आया देख कुहू खुश हो गई और उसने आगे बढ़कर कार्तिक को ग्रीट करना चाहा लेकिन उससे पहले ही काया ने कार्तिक को एक झन्नाटेदार थप्पड़ जड़ दिया। 


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