सुन मेरे हमसफर 79

 79



    शिवि ने कुणाल तक अपनी बात पहुंचा दी थी और लेकिन उससे मिलकर कहना क्या है, वह डिसाइड नहीं कर पा रही थी। "इस तरह घर में रहकर मैं कुछ सोच नहीं पाऊंगी। इसलिए बेहतर होगा मुझे हॉस्पिटल के लिए निकल जाना चाहिए। लेकिन उससे पहले मुझे निर्वाण से बात करनी होगी। है कहां वो?"


     शिवि निर्वाण को ढूंढने उसके कमरे की तरफ बढ़ी। पूरे घर में सन्नाटा पसरा हुआ था। इस वक्त अगर कोई पिन भी गिरता तो उसकी आवाज पूरे घर में गूंज उठती। शिवि सधे कदमों से निर्वाण के कमरे में गई और धीरे से दरवाजे पर दस्तक दिया। दरवाजा लॉक नहीं था इसलिए उसके छूने भर से दरवाजा एकदम से खुल गया। शिवि अंदर दाखिल हुई तो देखा, अंदर निर्वाण नहीं था और 1 हेल्पर उसके कमरे की सफाई कर रहा था।


     शिवि ने उससे निर्वाण के बारे में पूछा तो उसने कहा कि निर्वाण दोपहर से पहले ही घर से निकला है और अभी तक वापस नहीं आया। शिवि के पास घर पर रुकने का कोई कारण नहीं था। वह वापस अपने कमरे में आई और अपना बैग उठाकर हॉस्पिटल के लिए निकल पड़ी।


     सिया की नजर बाहर जाती शिवि पर गई तो उन्होंने शिवि को आवाज लगाकर अपने पास बुलाया "शिवि बेटा! इधर आओ।"


     अपनी दादी की आवाज शिवि इग्नोर नहीं कर सकती थी। वह तो अच्छा था कि इस वक्त उसकी मां घर पर नहीं थी वरना.........! शिवि अपनी दादी के पास आई और उनके पास बैठ कर बोली "जी दादी! बुलाया आपने?"


    सिया ने प्यार से शिवि के सर पर हाथ फेरा और पूछा "हॉस्पिटल निकल रही हो?"


     शिवि ने हां में सर हिलाया तो सिया ने उसे याद दिलाते हुए कहा, "तुम्हारी मां बहुत नाराज होगी। तुम्हें पता है ना, उसने तुम्हें आराम करने को कहा था! पूरी रात तुम हॉस्पिटल में रही और अभी फिर निकल रही हो।"


    शिवि ने उनका हाथ अपने दोनों हाथ में थामा और बोली, "दादी! जरूरी है। आप जानते हो हमारा काम कैसा होता है। मैं अपनी ड्यूटी छोड़ नहीं सकती हूं। मैं समझ रही हूं आप क्या कह रही हैं। मेरी मेरे पेशेंट की तरफ ड्यूटी है, तो मेरे अपनों की तरफ भी मेरी कुछ ड्यूटी है, और मुझे इन दोनों को ही बैलेंस करके चलना है आप फिकर मत कीजिए, मैं दो-तीन घंटे में लौट आऊंगी।"


     शिवि उठकर जाने के हुई तो सिया ने एक बार फिर उसका हाथ पकड़ लिया और बोली "तुम्हारी मां पूछेगी तो मैं क्या जवाब दूंगी?"


     शिवि ने बिना कुछ सोचे जवाब दिया "उनसे कह देना कि मैं सबके साथ घूमने गई हूं। या फिर कोई और बहाना बना देना।" शिवि जल्दी से वहां से निकल गई। सिया नहीं चाहती थी कि शिवि अपनी मां से डांट खाए, इसलिए उन्होंने सुहानी को मैसेज कर दिया।"


    सुहानी इस वक्त बाकी सब के साथ मूवी देखने में व्यस्त थी और फिल्म अब खत्म होने वाली थी। क्लाइमेक्स होने के बावजूद काया का फिल्म में मन ही नहीं लग रहा था। बार-बार ऋषभ का खयाल उसे परेशान कर रहा था। आज जो कुछ भी उसने किया उसके बाद तो वो चाह कर भी उसे नहीं भूल पा रही थी, ना ही अपने दिमाग से 1 मिनट के लिए निकाल पा रही थी। ऊपर से ये इंग्लिश फिल्म उसे और परेशान कर रहा था।


    उन चारों में काया अकेली रही थी जिसने हिंदी फिल्म देखने का प्लान किया था। बाकी सभी इंग्लिश मूवी के लिए तैयार थे। काया बस यही नहीं चाहती थी। फिल्म देखकर अपना ध्यान भटकाने की बजाय यह इंग्लिश फिल्म उसे और ज्यादा परेशान कर देता, और वही हुआ भी। काया ने अपना फोन निकाला और उसने गेम खेलने लगी। पूरे फिल्म के दौरान जब वो खेलते हुए थक गई तो उसने सुहानी का फोन ले लिया और उसमे गेम खेलने लगी, जब उसे सिया का मैसेज मिला।


     फाइनली फिल्म खत्म हुई और सभी बाहर निकले। काया ने राहत की सांस ली। थिएटर से बाहर निकलते हुए सभी फिल्म के बारे में बात कर रहे हैं। खास कर जहां हीरो ने हीरोइन को किस किया था। निशी चुप थी लेकिन कुहू और सुहानी बोले जा रही थी। काया बहुत ही ज्यादा अनकंफरटेबल हो रही थी। उसने बीच में है सब को डांटते हुए कहा "क्या कर रहे हो आप लोग? जरा सा भी ध्यान नहीं है कि मैं भी हूं यह पर। घर में सबसे छोटी हूं मैं, मेरे सामने ऐसी बात करोगे आप लोग तो मैं...... तो मैं.....…. तो मैं मम्मी को बता दूंगी।"


    निशी खुद भी इस बारे में बात नहीं करना चाहती थी। जाने क्यों, लेकिन फिल्म देखते हुए उसे अव्यांश की नजदीकी याद आ रही थी। लेकिन सुहानी और कुहू, दोनों अपनी अलग ही दुनिया में मस्त थे। काया की बात सुनकर दोनों ने प्यार से काया की दोनो बांह को पकड़ा और बोली "घबरा मत। तेरी लाइफ में जब कोई आएगा तो तू इस तरह घबराएगी नहीं, बल्कि शरमाएगी।"


    क्या अपनी बहनों की ऐसी बातों से और ज्यादा घबरा गई। जितना ही वह इस बारे में सुन रही थी, उतना ही बार-बार उसे ऋषभ का ख्याल आ रहा था। मन ही मन उसे याद कर काया गुस्से में जल उठी। 'ऐसे कैसे कोई इंसान ऐसे ही मेरा फर्स्ट किस चुरा ले गया? वाकई मैं उसे जान से मार डालूंगी।' काया मन ही मन चिल्लाई।


   निशी ने बात बदलते हुए कहा, "हम लोग डिनर बाहर करने वाले है या घर चले?"


    सुहानी और कुहू ने एक साथ कहा, "हम बाहर ही खायेंगे। अगर तुम्हे अंशु के साथ खाना है तो उसे भी अपने साथ ले सकते है। या फिर कहो तो तुम्हे उसके पास भेज दे?" निशी चुप हो गई। इनके सामने कुछ कहने का मतलब अपनी टांग खिंचाई करवाना था।


   कुहू को एकदम से याद आया और वो बोली, "काश इस वक्त शिवि भी हमारे साथ होती! काफी टाइम हो गया हमे एक साथ बाहर गए हुए। आज निकले भी तो उसको फुर्सत नही है।"


    काया ने कहा, "कोई बात नही। हम उनके हॉस्पिटल चलते है। दादी का मैसेज आया था कि शिवि दी को बड़ी मां से बचने के लिए हमारी जरूरत पड़ेगी। उनके सामने झूठ बोलने से बेहतर है हम चलते है और उनको भी साथ ले लेते है। अगर वो फ्री नही हुई तो हॉस्पिटल के बाहर ही हम खाना खा लेंगे और एक सेल्फी लेकर बड़ी मां को भेज भी देंगे। फिर शिवि दी को डांट भी नही पड़ेगी।" सबको काया का ये आईडिया पसंद आया और वो सभी शिवि के हॉस्पिटल के लिए निकल पड़े।




*****



   इधर शिवि परेशान थी और बार बार अपनी घड़ी देख रही थी। एक घंटा कबका गुजर चुका था लेकिन कुणाल का कही कोई अता पता नहीं था। शिवि ने कुणाल को कॉल भी किया लेकिन कुणाल ने फोन नहीं उठाया। "ये डफर आज आएगा भी या नहीं? या फिर सोया पड़ा होगा कहीं अपने दोस्त के साथ? एक बार मिल जाए मुझे फिर.........!" अपने आप में भुनभुनाती हुई शिवि बाहर निकली।


   बाहर आकर शिवि ने देखा, उसकी एक नर्स रिसेप्शन पर साइड में बैठी रोए जा रही थी। शिवि ने देखा तो पूछा, "क्या हुआ उर्वशी? तुम इस तरह रो क्यों रही हो? क्या हुआ है?"


    उर्वशी का रोना सिसकियोए बदल चुका था। वो रोते हुए बोली, "मैम! जब किस्मत में ही रोना लिखा हो तो क्या ही किया जा सकता है!"


     शिवि को कुछ साझ नही आया तो साथ बैठी दूसरी नर्स ने कहा, "मैम! उर्वशी जिस लड़के को पसंद करती थी, इसके घरवालों ने उसका रिश्ता अनजाने में उस लड़के के ताऊ जी के बेटे के साथ तय कर दिया है। उसपर से भी, उस लड़के ने इस रिश्ते के लिए हां कर दिया है। अब बेचारी रोएगी नहीं तो और क्या ही करेगी।"


    शिवि को बहुत बुरा लगा। उसने कहा, "एक बार अपने दिल की बात उसे बताओ। कुछ तो कहो उसे ताकि उसे पता चले कि तुम्हारे दिल में क्या है।"

 

    उर्वशी ने रोते हुए कहा, "लेकिन मैम! उसने भी तो कुछ नहीं कहा। अगर याके दिल में मेरे लिए कोई फीलिंग्स होती तो एक बार तो इस रिश्ते को होने से रोकता। ऐसे शादी के लड्डू नही बांट रहा होता।"


    शिवि ने उसे समझाते हुए कहा, "वो लड़का उसके ताऊ जी का बेटा है यानी उसका भाई है। घर परिवार में हमे बहुत से ऐसे समझौते करने पड़ते है, जो नही करने चाहिए। हो सकता है वो तुम्हारे कुछ कहने का इंतजार कर रहा हो। शादी तुम्हारी तय हुई है, ऐसे में अगर तुम चुप रही तो फिर वो कैसे कुछ कह पाएगा? आखिर क्या सोच कर वो तुम्हारे पास आए? एक बार उसे अपने दिल की बात कहकर देखो, हो सकता है वो भी तुम्हारे कुछ कहने का इंतजार कर रहा हो।"


    शिवि को पता ही नही चल कब कुणाल वहां खड़ा उसकी बातें सुन रहा था।




Read more

Link:

सुन मेरे हमसफर 80



सुन मेरे हमसफर 78




टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सुन मेरे हमसफर 272

सुन मेरे हमसफर 309

सुन मेरे हमसफर 274