सुन मेरे हमसफर 62

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     रात के 1:00 बज चुके थे और पार्टी लगभग खत्म होने के कगार पर थी। सारे मेहमान अपने-अपने घर जा चुके थे और जो बचे थे वह भी एक-एक कर जा रहे थे। रह गए थे तो बस घर वाले। समर्थ तो बहुत पहले ही घर के लिए निकल चुका था। सारांश कार्तिक और सिद्धार्थ अपने इन्वेस्टर्स के साथ बात करने में लगे हुए थे।


    अव्यांश निशी के साथ कुछ क्वालिटी टाइम स्पेंड करने हॉल से चुपचाप बिना किसी को कुछ बताए निकल गया था। लेडीज गैंग गॉसिप करने में व्यस्त थी। लड़कियां सारी तस्वीरें खिंचवाने में बिजी थी और निर्वाण को परेशान करने का कोई मौका नहीं छोड़ रही थी। बेचारा निर्वाण! उसकी हेल्प करने वाला कोई नहीं था। वह उन लड़कियों की तस्वीरें ले ले कर थक चुका था लेकिन लड़कियां थकने का नाम नहीं ले रही थी।


    सारांश अपने किसी क्लाइंट से बात करते हुए चला जा रहा था जितने में वह निर्वाण से टकराया। सारांश उसे संभालते हुए बोला "अरे बेटा आराम से!" जब उसकी नजर निर्वाण कर गई तो उसने चौक कर पूछा "नीरू! तुम कब आए बेटा? अकेले आए हो? नेत्रा नही तुम्हारे साथ?"


     निर्वाण ने झुककर सारांश के पैर छूए और परेशान होकर बोला "मैं तो काफी देर पहले ही पहुंचा था। नेत्रा आने वाली ही थी लेकिन पता नहीं! उसका प्लान मुझे कुछ समझ में नहीं आता। इस वक्त वो कहां है यह तो मुझे भी नहीं पता। शायद किसी फ्रेंड के साथ ट्रिप पर गई होगी। उसकी बातें तो डैड को ही पता होती है।"


    निर्वाण बात तो सारांश से कर रहा था लेकिन बार बार पलट कर पीछे की तरफ देख रहा था। सारांश समझ गया कि इस वक्त निर्वाण किस से बचकर भाग रहा था। उसने शिवि को इशारे से बुलाया और समझकर निर्वाण को उसके साथ भेज दिया। 


   निर्वाण जाकर लेडीस गैंग जो एक साइड बैठी हुई थी, उनके पीछे छुप गया। सिया ने थोड़ी नाराजगी जताई और कहा "तुम दोनों भाई बहन तो हमें भूल ही गए हो। बस एक चित्रा ही है जो हमें नहीं भूलती। एक तेरी मां थी जो पूरे दिन तितलियों की तरह हमारे घर में फुदकती रहती थी। और एक तुम लोग हो। हमें तो पता ही नहीं चलता कि हमारे परिवार के दो बच्चे और है जो घर से दूर रहते हैं। काम में इतना क्या खो जाना कि हम अपनों को ही भूल जाए!"


     निर्वाण ने सिया का हाथ पकड़ा और बड़े प्यार से कहा "सॉरी दादी! अब से ऐसा नहीं होगा। कुहू दि की शादी है ना! हम सभी उस शादी में मौजूद होंगे, पक्का प्रॉमिस! और रही बात नट्टू की तो उसे मैं कैसे भी ले आऊंगा।"


    काव्या ने निर्वाण के कान खींचे और कहा "तुम्हारी बड़ी बहन है वह। थोड़ा तो इस सबसे नाम लिया करो।" निर्वाण धीरे से सॉरी कहा तो काव्या ने उसका माथा चूम लिया। इस वक्त सभी चित्रा को बहुत याद कर रहे थे।


    सबके जाने के बाद सारांश और कार्तिक वहां आए और सब से बोले "तो घर चले?"


    सभी जाने के लिए खड़े हो गए। सिद्धार्थ ने लड़कियों की तरफ देखा और आवाज लगाई। वह सभी भागते हुए उनके पास आई और जाने के लिए तैयार हो गई। लेकिन सारांश को कुछ ध्यान आया और उसने पूछा "अंशु कहां है? नजर नहीं आ रहा!"


    काया ने सुहानी को कोहनी मारी और धीरे से कहा "नजर तो निशी भी नहीं आ रही।" चारो लड़कियां मुंह दबाकर हंसने लगी। उन चारों को इस तरह आपस में खुसर फुसर करते देख सिद्धार्थ समझ गया। "छोटे छोड़ ना उसको! हम लोग चलते हैं। उसको जब आना होगा तो आ जाएगा।"


    सारांश शायद समझ कर भी नहीं समझा। या वाकई वो नहीं समझा, पता नहीं! लेकिन सारांश को अव्यांश के लिए परेशान होते देख सिद्धार्थ ने अवनी की तरफ देखा और उसे कुछ इशारा कर श्यामा के साथ बाहर की तरफ चल पड़ा। अवनी ने सारांश का हाथ पकड़ा और उसे लगभग खींचते हुए अपने साथ ले गई। "अरे लेकिन उसे भी तो साथ चलना है ना?"


*****




   "देवेश! मेरी बस एक ही ख्वाहिश है। शहर की भीड़भाड़ से दूर किसी ऊंची पहाड़ी पर यूं खुले आसमान के नीचे तुम्हारा हाथ पकड़े मैं तारों को गिनती रहूं। बहुत खूबसूरत नजारा होगा वह। कभी तो मेरे लिए टाइम निकाल लिया करो!"


   "क्या सोच रही हो?" अव्यांश की आवाज जब निशी के कानों में पड़ी तब जाकर वो जीवन के यथार्थ में वापस लौटी। जो सपना उसने देवेश के साथ देखा था वो सब किसी और ने सच कर दिया, वह भी बिना उसके कहे। निशी ने हैरान होकर अव्यांश की तरफ देखा। अव्यांश ने प्यार से उसके सर पर हाथ फेरा और पूछा "क्या हुआ? क्या सोच रही हो?"


    निशी ने ना में सर हिला दिया और उन टिमटिमाते तारों को देखती रही। अव्यांश ने सीट को थोड़ा और एडजस्ट किया जिससे उन दोनों को ही आराम से लेटने में कोई दिक्कत ना हो। निशी भले ही कुछ ना कह रही हो लेकिन उसके चेहरे पर खुशी और उदासी दोनों झलक रही थी। अव्यांश को यह बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था। वह तो बस यह चाहता था कि वो दोनों अकेले में एक दूसरे से बहुत सारी बातें करें।


     अव्यांश ने निशि का हाथ पकड़ा और कहा, "यह मेरी फेवरेट जगह है। मैं अक्सर अपने फ्रेंड्स के साथ यहां पार्टी करने आता था। आई नो, तुम यही सोच रही होगी ना कि ऐसे इस पहाड़ी पर कौन सी पार्टी! हम बस दो-तीन फ्रेंड्स होते थे। ऐसे ही यहां गाड़ी लगा कर उसकी बोनट पर आराम से बैठ जाते थे और जो बियर के कैन खुलते थे कि पूछो मत! तुमने ट्राई किया कभी?"


     निशी अव्यांश को घूर कर देखा। अव्यांश को लगा कि शायद थोड़ा ज्यादा बोल गया लेकिन फिर उसने एक तुक्का का मारा और कहा, "अब यह मत कहना कि तुमने कभी ड्रिंक नहीं की। मैं मानता हूं तुम बहुत संस्कारी हो लेकिन फिर भी, ऐसा तो हो ही नहीं सकता कि तुमने कभी........... ओह कम ऑन! मैंने खुद तुम्हें देखा था, शादी से एक रात पहले।"


     निशी उस रात को याद करते ही सहम गई। वहां वो जिस इंसान से मिली थी उसने अगले ही दिन उसकी शादी में जो हंगामा किया था और जो कुछ भी हुआ था, वह एक बार फिर उसके जेहन में उभर आया। अव्यांश एकदम से उठ कर वहां से निकला और पीछे की तरफ चला गया। निशी घबरा गई। "कहां जा रहे हो तुम, मुझे छोड़ कर?"


      अव्यांश धीरे से मुस्कुराया और उसके पास आकर थोड़ा सा झुकते हुए उसके आंखों में आंखें डाल कर बोला "तुम्हें छोड़कर कहीं नहीं जाने वाला मैं। कभी सपने में भी मत सोचना कि तुम्हें मुझ से छुटकारा मिल जाएगा। इस जनम में तो क्या, अगले सात जन्मों में भी यह पॉसिबल नहीं है। सॉरी! बेटर लक नेक्स्ट टाइम। आई मीन, बेटर लक आफ्टर 7 बर्थ।"


   निशी के होठों पर जाने अनजाने मुस्कुराहट आ गई। लेकिन कुछ याद कर उसकी मुस्कान फीकी पड़ गई। उसने पूछा "इतनी बड़ी बड़ी फेंक रहे हो। जब तुम्हारी गर्लफ्रेंड वापस आ जाएगी, तब क्या करोगे?"


   अव्यांश चौक गया और एकाएक उसके मुंह से निकला "गर्लफ्रेंड? कौन सी गर्लफ्रेंड? तुम किसकी बात कर रही हो?"


      अब चौंकने की बारी निशी की थी। उसने कहा "तुम्हारी वही गर्लफ्रेंड, जिसे तुम शादी करना चाहते थे और जो तुम्हें छोड़कर पेरिस चली गई। तुम्ही कह रहे थे ना कि तुम उसका इंतजार कर रहे हो!"


    अव्यांश याद आया कि उसने क्या झूठ बोला था। वह बार-बार अपने झूठ को भूल जाता है। 'ऐसे तो निशी को झूठ पकड़ने में बिल्कुल भी टाइम नहीं लगेगा।' उसने झुंझलाकर कहा, "क्या तुम उसकी बात को लेकर बैठ जाती हो! यह दूसरी बार है जब तुम उसके बारे में पूछ रही हो। मुझसे ज्यादा तो तुम मुझे याद करती हो। इतना याद करने की जरूरत नहीं वरना उसे हिचकियां शुरू हो जाएगी।"


     लेकिन निशी को उसके सवालों के जवाब चाहिए थे। जब से अव्यांश ने उसे अपनी गर्लफ्रेंड के बारे में बताया था, वो तब से ही बेचैन थी। उसने अव्यांश का हाथ पकड़ा और पूछा "मैं सीरियसली जानना चाहती हूं अव्यांश! अगर वह वापस आ गई तो हमारे रिश्ते का क्या होगा? क्या तब भी तुम मुझे यही सब कहोगे?"


     अव्यांश ने निशी का हाथ अपने दोनों हाथों से थामा और बोला "तब की तब देखेंगे। इस बारे में अगर मैं तुमसे कुछ भी कहूंगा तो शायद तुम पूरी तरह भरोसा नहीं करोगी। हम अभी सिर्फ दोस्त हैं और जो सवाल तुम मुझसे पूछ रही हो उसके जवाब पर तुम्हें तब तक भरोसा नहीं होगा जब तक हम वाकई पति पत्नी नहीं बन जाते। इसीलिए बेहतर है कि अभी इस सवाल को अपने दिमाग से निकाल दो। एक बात मैं तुम्हें क्लीयरली बता देना चाहता हूं, शादी कोई मजाक नहीं है जो कागजों पर जुड़े और कागज पर ही खत्म हो जाए। अगर शादी तोड़नी होगी तो सब कुछ रिवर्स करना होगा जो कि पॉसिबल नहीं है। मैंने कहा ना, मुझसे ज्यादा मेरी गर्लफ्रेंड को तुम याद करती हो। कहीं ऐसा ना हो कि उसे तुमसे प्यार हो जाए और तुम दोनों मुझे छोड़कर कहीं और सेटल हो जाओ। मेरे पास तो कुछ नहीं बचेगा।"


     निशी को अव्यांश की बातें बड़े ध्यान से सुन रही थी। लास्ट लाइन सुनकर उसे हंसी आ गई। अव्यांश भी तो यही चाहता था। वो पीछे गया और डिक्की खोल कर वहां से कुछ लेकर आया। निशी ने जब देखा तो उसकी आंखें हैरानी से चौड़ी हो गई। "बियर के कैन! वो भी इतने सारे!!"


    अव्यांश ने बड़े स्टाइल में कहा "बिल्कुल! मैंने कहा था ना मैं अपने कुछ दोस्तों के साथ यहां आता था तो हमारी पार्टी चलती थी। अब जब तुम मेरे साथ हो तो ऐसे में पार्टी तो बनती है, वह भी डबल!" 


     निशी ने सवाल किया "डबल क्यों? मैं कोई स्पेशल हूं?"


    अव्यांश एक बार फिर उसके करीब आया और मदहोश आवाज में बोला, "बहुत खास.....!" निशी के दिल की धड़कन तेज हो गई।




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