सुन मेरे हमसफर 59

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     कुणाल ने वैसे ही पहले से कोई कॉकटेल पी रखी थी। ऊपर से वाइन ने उसपर और भी ज्यादा असर किया। कार्तिक सिंघानिया ने देखा, कुणाल इमोशनल होकर आपे से बाहर जा रहा है। ऐसे में उसे यहां छोड़ना सही नहीं लगा। उसने कुणाल को होश में लाने की कोशिश की। "कुणाल! कुणाल!! उठ और ध्यान से देख, तू इस वक्त कहां है!"


     लेकिन कुणाल तो जैसे अपना होश खो चुका था। उसकी नजर सामने किसी लड़की पर टिकी थी और वो उस पर से नजरें नहीं हटा पा रहा था। कुणाल ने एक बार फिर उसे होश में लाने की कोशिश की तो कुणाल ने उसका हाथ झटक दिया और बोला "रहने दे ना यार! अगर मैंने पलक भी झपकाई तो वह गायब हो जाएगी। देखने दे मुझे उसे आज जी भर के। देखने दे, वरना पता नहीं जिंदगी में दोबारा यह मौका मुझे मिलेगा भी या नहीं। अगर कुहू से मेरी शादी हो गई तो फिर मैं यह हक भी खो दूंगा। कुछ वक्त के लिए ही सही, मुझे मेरे प्यार के साथ जी लेने दे।"


     कार्तिक सिंघानिया ने अपना सर पकड़ लिया। अब तो वह कुणाल को ऐसी हालत में किसी के सामने नहीं जाने दे सकता था। अगर घर वालों ने उसकी ऐसी हालत देखी और जो कुछ भी कुणाल बोल रहा था, इसके बारे में किसी को पता चल गया तो पता नहीं बात कहां से कहां जाए। ना सिर्फ दो परिवारों के पर्सनल रिलेशन में खटास आएगी बल्कि बिजनेस रिलेशन में भी दरार आ जाएगी। इसे बेहतर था कि वह कुणाल को लेकर यहां से निकल जाए। कार्तिक सिंघानिया ने एक वेटर को हेल्प के लिए बुलाया और कुणाल को लेकर पीछे के रास्ते से निकल गया।


     इस सबसे बेखबर कुहू अपने भाई बहनों के साथ नाचने में लगी हुई थी। सारांश का भी बहुत दिल कर रहा था कि वह अवनी का हाथ छुड़ाकर जाए, लेकिन इतनी उसमें हिम्मत नहीं थी और अवनी भी उसे छोड़ नहीं रही थी। क्योंकि पूरी मीडिया वहां मौजूद थी। ऐसे में सारांश की इमेज का बंटाधार हो जाना था।


     अवनी ने देखा, समर्थ वहीं खड़ा सबको नाचते देख मुस्कुरा रहा है तो उसने समर्थ को इशारा किया। लेकिन समर्थ ने उस पर जरा भी ध्यान नहीं दिया। अवनी ने हाथ हिलाकर इशारे से अव्यांश को बुलाया लेकिन अव्यांश के बदले काया ने पलट कर अवनी को देखा। अवनी ने उसे समर्थ की तरफ इशारा किया तो काया भागते हुए आई और समर्थ को अपने साथ खींच कर ले गई।


    अवनी धीरे से बोली "अब हुआ ना परिवार पूरा। सारे बच्चे एक साथ खुल कर नाचते हुए कितने अच्छे लग रहे हैं!"


    सारांश ने अवनी की कमर में हाथ डाला उसकी कमर सहलाते हुए बोला "तुम्हें नहीं लगता, हमारे यहां लड़कियों की संख्या थोड़ी ज्यादा है? मेरा मतलब है, चार बेटियां और दो बेटे। बेचारे कितना अनबैलेंस है!" अवनी ने सारांश को घूर कर देखा तो सारांश शरारत से मुस्कुरा दिया।


   नाच नाच कर सब की हालत खराब हो गई थी। निशी और समर्थ तो सबसे पहले थक गए। उसके बाद सुहानी फिर काया और आखिर में कुहू। लेकिन अव्यांश और शिवि, इन दोनों ने पता नहीं कौन सी विटामिन की गोली खाई थी जो इन दोनों में का एनर्जी लेवल कम होने का नाम ही नहीं ले रहा था। ढोल वाले को अच्छे खासे पैसे मिले थे इसलिए वह भी अपने पूरे जोश में बजाए जा रहे थे।


     सबको थकते देख समर्थ ने ढोल वाले को रुकने का इशारा किया तो एकदम से पूरे माहौल में सन्नाटा पसर गया। लगा जैसे कोई बड़ा भूकंप आकर गुजरा हो। शिवि और अव्यांश दोनों ने नाराजगी से समर्थ की तरफ देखा और एक साथ बोले "हमें और नाचना था, बंद क्यों करवाया?"


    समर्थ ने दोनों को कंधे से पकड़ा और वहां से हटाते हुए बोला "जाकर देखो, सड़क में दरार आ गई है जहां तुम लोग नाच रहे थे। थोड़ा तो रहम करो दूसरे लोगों पर। वरना आते जाते एक्सीडेंट होंगे और तुम दोनों पर अच्छा खासा केस बनेगा। इसलिए बेहतर है अंदर चलो और सब से मिल लो।"


     अव्यांश ने बच्चों की तरह नाराज होकर कहा "लेकिन भाई! थोड़ी देर और डांस कर लेते तो क्या हो जाता?"


   समर्थ ने अपना गुस्सा दबाते हुए जबरदस्ती मुस्कुरा कर कहा "तू इसीलिए शिविका का इंतजार कर रहा था? तू चाहता है कि सबके सामने और खासकर तेरी बीवी के सामने मैं तुझे उल्टे हाथ का लगाऊं?"


     अव्यांश सहम गया। समर्थ ने मुस्कुरा कर कहा "अभी के लिए यहां से चल।" समर्थ उन दोनों को लगभग धकेलते हुए सबके पास लेकर आया। शिविका ने जैसे ही अपनी दादी को देखा, जल्दी से जाकर उनके गले लग गई।


     सिया अपनी पोती को प्यार से गले लगा कर बोली "कब से इंतजार कर रही थी तुम्हारा! इतना टाइम कोई लगाता है क्या!"


    शिविका उनके सामने घुटने के बल बैठ गई और उनका हाथ अपने हाथ में लेकर बोली "कोई बात नहीं दादी! अब आ गई हूं ना, अब देखना मैं कैसे आपको पकाती हूं।"


    सिया ने प्यार से अपनी पोती के सर पर हाथ फेरा और बोली "जा पहले अपने मां पापा से मिल ले। सबसे ज्यादा तो अंशु तेरे लिए परेशान था। तू मिली निशी से?"


    शिविका चौक गई। उसने तो एक बार भी यह नहीं पूछा कि यह पार्टी किस खुशी में और किसके लिए रखी गई थी। उसने पूछा "ये निशी यह कौन है?"


     सिया ने मुस्कुरा कर कहा "जाकर पूछ अपने भाई से कि कौन है वह!"


     शिविका ने हैरानी से पलट कर अव्यांश की तरफ देखा। अव्यांश जल्दी से निशी के पीछे छुप गया। पहले तो शिवि को लगा था कि निशी उसकी कोई ऐसे ही रैंडम गर्लफ्रेंड होगी। लेकिन यह निशी इतनी खास क्यों है, यह उसे किसीने बताया ही नहीं था।


   शिविका उठी और पैर पटक ते हुए निशी के सामने जाकर खड़ी हो गई। "बाहर निकल और मेरे सामने आकर खड़ा हो वरना यहीं के यहीं तेरी टांगों का ऑपरेशन का डालूंगी।"


     अव्यांश ने निशी के पीछे से झांक कर देखा और बोला "लेकिन दी! आप तो दिल की डॉक्टर हो ना?"


     शिवी मुस्कुरा कर बोली "अच्छा याद दिलाया तुमने। मेरा पहला ऑपरेशन, मैं तेरे ऊपर ही करूंगी। चुपचाप मेरे सामने आकर खड़ा हो जा!"


     निशी ने शिविका को बड़े ध्यान से देखा। सांवला रंग लेकिन बड़ी प्यारी सूरत। इतनी प्यारी कि कोई भी उसे देखकर पिघल जाए। अव्यांश डरते हुए निशी के पीछे से निकलकर शिवि के सामने खड़ा हो गया और बोला "मैंने तो बोला था सबको, आपको इस बारे में बताने के लिए लेकिन सब ने मना कर दिया।"


     समर्थ जाकर सिया के बगल में सोफे के हत्थे पर बैठा और बोला "साफ साफ झूठ बोल रहा है ये। इसी का प्लान था ये सब। हमें बलि का बकरा बनाना चाहता है।"


     अव्यांश ने नाराजगी से समर्थ की तरफ देखा और शिविका से बोला नहीं दी! वह मैं.......! वो मैं निशी.........!! एक्चुअली सब कुछ अचानक से हुआ ना, इतनी जल्दी में कि किसी को ज्यादा कुछ कहने का मौका ही नहीं मिला।"


     शिविका ने अपने दोनों हाथ आपस में फोल्ड किया और बोली "ऐसा क्या अचानक हो गया जो किसी को बताने का मौका नहीं मिला? मैं भी तो जानू।"


      अव्यांश ने डरते हुए कहा "मैं तो आपको सबसे पहले बताना चाहता था कि हमारी फैमिली में एक नया मेंबर जुड़ रहा है।"


     शिवि की आंखें शरारत से चमक उठी। उसने अपनी मां और अपनी छोटी मां की तरफ देखा और कहा "सच्ची!!! तो आप दोनों में से गुड् न्यूज कौन दे रहा है?"


     श्यामा और अवनी दोनों ने एक साथ अपना सर पीट लिया। वह दोनों कुछ कहती उससे पहले ही सिद्धार्थ ने आगे आकर श्यामा से कहा "मेरी बेटी कितनी समझदार है! बस एक इशारा दे दो और वो समझ जाती है। लेकिन तुम हो कि कुछ समझती नहीं।"


     श्यामा का मुंह खुला का खुला रह गया। इतने सारे लोगों के बीच में उसकी बेटी ऐसी बात कर रही थी और उसका साथ देने वाला और कोई नहीं उनका अपना हस्बैंड था। दोनो बाप बेटी एक थाली के चट्टे बट्टे थे। सारांश भी कहां पीछे रहता। उसने तो जैसे चैलेंज एक्सेप्ट कर लिया और कहा, "भाई! जहां प्यार होता है ना, वहां इशारों इशारों में बात हो जाती है। मेरा और अवनी का ही देख लो!"


     सिद्धार्थ तैश में आकर बोला "तो तेरे कहने का मतलब क्या है? मेरे और श्यामा के बीच प्यार नहीं है?"


    सारांश ने भी पलटवार करते हुए कहा "मैंने ऐसा थोड़े ही कहा। लेकिन उम्र भी तो मायने रखती है ना भाई! जैसे-जैसे उम्र ढलती है वैसे वैसे..........."


      सिद्धार्थ सारांश को उंगली दिखाते हुए बोला "चुप हो जाओ वरना बहुत मारूंगा तुझे।" श्यामा और अवनी दोनों भाइयों को लड़ते हुए देख रही थी। निशी पहली बार ऐसे इंसान से मिल रही थी जो इस उम्र में भी बच्चो की तरह लड़ रहे थे। अवनी और श्यामा ने उन दोनों को शांत करने की कोशिश की और कहा "आप लोग चुप हो जाइए। पूरा ऑफिस यहां मौजूद है और आप लोग हैं कि........! अगर यहां हम लोगों के सामने यह हाल है तो हमारे पीठ पीछे ना जाने क्या गुल खिलाते होंगे आप लोग!"


     श्यामा ने भी अवनी की हां में हां मिलाकर कहा "बिल्कुल! हम यहां अंशु और निशी के लिए आए हैं। शिविका को इस बारे में नहीं पता तो उसे बताने की बजाए आप लोग अलग ही धुन में बांसुरी बजा रहे हो।"


     सिद्धार्थ ने कुछ कहने के लिए अपना मुंह खोला लेकिन श्यामा नाराज होते हुए डपट कर बोली "चुप! बिलकुल चुप!! कुछ नहीं बोलेंगे आप।"


     सारांश ने अपने भाई पर हंसने की कोशिश की तो अवनी ने भी उसे बिल्कुल उसी तरह डांटा। दोनों भाई चुपचाप मुंह पर उंगली रखकर शांत बैठ जाए। श्यामा ने शिवि को निशी से मिलवाते हुए कहा "निशी! यह शिविका है। अंशु की बड़ी बहन। और शिवि! यह निशी है, हमारे अंशु की दुल्हनियां।"



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