सुन मेरे हमसफर 58

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     अव्यांश समर्थ के पीछे पीछे तो निकला, लेकिन समर्थ आगे जाकर कहां गुम हुआ उसे पता ही नहीं चला। उसे भी शिवि को लेने जाना था। लेकिन अभी तक शिवि कहां है, उसकी फ्लाइट लैंड हुई या नहीं, इस बात की जानकारी उसे नही थी। उसने समर्थ को ढूंढने के लिए बाहर जाने का सोचा और दरवाजे की तरफ बढ़ चल।


     इधर समर्थ कॉरिडोर में होते हुए वॉशरूम के पास पहुंचा। संयोग से वहां दूसरा और कोई नहीं था और तन्वी भी उसी वक्त बाथरूम से बाहर निकली। समर्थ को देखकर तन्वी थोड़ा ठिठक गई और अपने एक हाथ से गर्दन के उस हिस्से को छुआ जहां समर्थ ने निशान छोड़े थे। वो गुस्से में समर्थ की तरफ बढ़ी और कहा "ये आपने ठीक नहीं किया। किसी ने देख लिया तो मैं क्या जवाब दूंगी?"


    समर्थ ने कुछ कहा नहीं, बस अपने एक हाथ से तन्वी के कंधे पर के बाल को एक तरफ किया तो वो लाल निशान साफ नजर आने लगा। समर्थ ने बड़े प्यार से उस निशान को छुआ तो तन्वी ने एक झटके में समर्थ का हाथ अपने से दूर किया और दो कदम पीछे होकर बोली "आपकी शादी तय हो चुकी है सर! यह सब करके आप मुझे बदनाम कर देंगे। दूर रहिए मुझसे।"


    तन्वी वहां से जाने लगी लेकिन समर्थ ने उसका हाथ पकड़ लिया और बोल "कल तुमने आधे दिन की छुट्टी ली है, क्यों? वजह नहीं बताई।"


     तन्वी कुछ कहने को हुई लेकिन समर्थ ने उसे बोलने का मौका नहीं दिया। "कल तुम्हें देखने लड़के वाले आने वाले हैं। है ना?"


     तन्वी यह बात समर्थ को नहीं बताना चाहती थी। क्योंकि अब शायद उन दोनों के बीच ऐसा कुछ बाकी नहीं रह गया था। "जब मुझे आपसे उम्मीद थी, तब तो आपने कभी ऐसी कोई बात नहीं की और अब जब आपका रिश्ता किसी और के साथ तय हो चुका है तो फिर मेरे रिश्ते में क्या खराबी है? आने दीजिए, लड़के वाले हैं। आएंगे, देखेंगे, पसंद आ गई तो शादी तय हो जाएगी, मुझे शगुन देकर चले जाएंगे। अगर नहीं पसंद आई तो चुपचाप खाना खाकर चले जाएंगे। ये हम लड़कियों की नॉरमल लाइफ है। ऐसा लगभग हर लड़की के साथ होता है। इसमें कोई बड़ी बात नहीं है। हां! आप जैसे बड़े लोगों के घर में ऐसा कुछ नहीं होता होगा, क्योंकि वहां तो बिजनेस डील की तरह रिश्ता जोड़ता है। अपने बराबर वाले में रिश्ता जोड़ा जाता है ताकि बिजनेस को फायदा हो और कभी बिजनेस को फायदा पहुंचाने के लिए रिश्ते जोड़े जाते हैं। हम मामूली लोग हैं सर! हमें यह सब डील करना नहीं आता। इसलिए बेहतर होगा आप अपनी दुनिया में रहे और मैं अपनी दुनिया में। अच्छा हुआ ना, जो आपने अपने कदम आगे नहीं बढ़ाए। वरना शायद मेरे पास खोने के लिए कुछ बाकी ही नहीं रहता। सब खत्म हो जाता। थैंक यू, मुझे सही राह दिखाने के लिए। आप वाकई में बहुत अच्छे प्रोफेसर है।"


    समर्थ नाराज होकर बोला "तुम्हें लगता है इस निशान को देखने के बाद कोई भी इंसान तुम्हें अपने लिए पसंद करेगा?"

 

     तन्वी ने समर्थ की आंखों में आंखें डाल कर देखा और दृढ़ता से बोली "मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। इस वक्त आप नशे में है। ऐसी कोई हरकत मत कीजिए जिसको लेकर कल होश में आने के बाद आपको शर्मिंदा होना पड़े।" तन्वी ने एक झटके में अपना हाथ समर्थ की पकड़ से छुड़ाया और वहां से निकल गई।


     पीछे खड़े समर्थ ने धीरे से उसका नाम पुकारा "तन्वी! बहुत मुश्किल से हिम्मत आई है मुझमें। कह लेने दो जो भी कहना है। तुम्हें ऐसे खुद से दूर नहीं जाने दूंगा। यू आर माय लाइफ। बहुत प्यार करता हूं मैं तुमसे। नहीं खो सकता तुम्हें। लेकिन ना जाने किस बंधन में मेरे पैरों को जकड़ रखा है।"



*****




     अव्यांश बाहर निकल पाता, उससे पहले ही उसे ढोल बजने की आवाज सुनाई दी। पहले तो वो चौंक गया क्योंकि इस तरह के किसी अरेंजमेंट कि उसे कोई भनक नहीं थी। ढोल की आवाज सुनकर घर के सभी सदस्य और कुछ मेहमान दरवाजे की तरफ बढ़े। अवनी ने हैरानी से सारांश की तरफ देखा और पूछा "यह सब क्या है सारांश?"


    सारांश ने भी बाहर की तरफ देखते हुए कहा, "पता नहीं। लेकिन जो भी है बहुत अच्छा है। मेरा तो नाचने का दिल कर रहा है।"


     सिर्फ सारांश कि नहीं बल्कि अव्यांश के पैर भी थिरकने मचल रहे थे। इससे पहले कि सारांश का खुद पर से कंट्रोल छूटता, अवनी ने उसका हाथ पकड़ लिया और उसे रोक दिया। लेकिन अव्यांश को रोकने वाला कोई नहीं था। सुहानी और काया भी भागते हुए आई और दोनों लड़कियां भी थिरकते हुए ढोल वाले के पास जाने लगी। इन सबके बीच घिरी थी एक लड़की, जिसके चेहरे पर नजर पड़ते ही अव्यांश की खुशी का ठिकाना ना रहा।


    अव्यांश भागते हुए गया और जाकर उस लड़की को अपनी गोद में उठा लिया। "शिवि दी! कब से इंतजार कर रहा था मैं आपका, और आप कब आ रहे हो!!"


     ढोल की आवाज इतनी ज्यादा थी कि शिवि को अव्यांश की कोई बात सुनाई नहीं दी। शिवि ने अव्यांश को उसे उतारने का इशारा किया। अव्यांश ने जल्दी से उसे नीचे उतारा और चारों भाई बहन आपस में मिलकर नाचने लगे।




    दूसरी तरफ कार्तिक सिंघानिया, कुणाल और कुहू अभी भी एक जगह खड़े बात कर रहे थे। कुहू का ध्यान अभी तक ढोल की तरफ नहीं गया था। कार्तिक सिंघानिया अपने कान पर हाथ रख कर बोला, "यह सब क्या है यार! इतना तेज म्यूजिक!! यह आज के जमाने में ढोल कौन बजाता है? मुझे लगा था यहां डीजे होगा।"


      कार्तिक की बात सुनकर फाइनली कुहू का ध्यान इस ओर गया और वह बोली "कम ऑन यार! डीजे के डांस पर डांस करने में भी कोई मजा है! असली मजा तो यहां है। कुणाल चलो ना!"


    कुहू कुणाल का हाथ पकड़ कर उसे अपने साथ ले जाने की कोशिश की तो कुणाल ने उसे रोका और कहा "नहीं तुम जाओ, मुझे यह सब अच्छा नहीं लगता। डांस वगैरह रहने दो। और वह भी ढोल पर तो रहने ही दो। मैं यही ठीक हूं।"


    कुहू से भी अब और नहीं रुका जा रहा था, उसने कुणाल का हाथ छोड़ा और भागते हुए बाहर की तरफ गई। अव्यांश काया सुहानी और शिविका यह चारों ही मस्ती में नाच रहे थे। अव्यांश की नजर एक तरफ खड़ी निशी पर गया तो उसने जल्दी से निशि का हाथ पकड़ा और उसे भी अपने साथ खींच लिया। कुहू को किसी इनविटेशन की जरूरत नहीं थी। वह बस थिरकते हुए उन लोगों के बीच जा पहुंची। दूर खड़े कुणाल और कार्तिक सिंघानिया उन सब को डांस करते हुए देख रहे थे।


   फाइनली अकेले मौका पाते कार्तिक सिंघानिया ने कुणाल से पूछा "तूने कुहू से वाकई सगाई की है? तुझे पूरा यकीन है? देख! मैं यह नहीं कह रहा कि कोई कुहू में कोई कमी है। लेकिन जिस तरह की लड़की तुझे पसंद थी, बोल्ड एंड ब्यूटीफुल, कुहू वैसी बिल्कुल नहीं है। हां वो ब्यूटीफुल है, लेकिन ट्रेडिशनल है। और अगर वाकई कुहू तेरी पसंद है तो तेरे चेहरे पर मुझे वो खुशी नजर क्यों नहीं आ रही? तू पहले की तरह बिल्कुल नहीं लग रहा।"


     कुणाल खुद पर ही हंस पड़ा। पास से जाते हुए वेटर के ट्रे से उसने एक वाइन का ग्लास उठाया और एक कोने में जाकर बोला "इंसान जो चाहता है, उसे मिल जाए यह जरूरी तो नहीं। बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जिनको यह खुशी नसीब होती है। मैं उन लोगों में से नहीं।"


     कार्तिक सिंघानिया को यह बात समझते देर नहीं लगी। उसने कुणाल के कंधे पर हाथ रखा और कहा,"ऐसी कौन सी मजबूरी है जिसकी वजह से तू ये शादी करने को तैयार हुआ है? तेरी लाइफ में कभी लड़कियों की कमी नहीं रही लेकिन तू कभी किसी के साथ सीरियस नहीं रहा।"


    शायद अब सीरियस होने का टाइम आ गया है।" कुणाल ने बिना उसकी तरफ देखा कहा। कार्तिक सिंघानिया को ये जवाब नही चाहिए था। उसने कहा "कुहू तेरे बारे में सब कुछ जानती है, फिर भी इस रिश्ते के लिए तैयार है। क्योंकि वो तुझे प्यार करती है और ये उसके चेहरे पर साफ नजर आती है। लेकिन तेरा क्या? तू कहां खोया है? वो तेरी बेस्ट फ्रेंड है।"


    कुणाल अपने हालात से तंग आ चुका था। उसने झुंझलाकर कहा "ठीक है! कुहू दोस्त है मेरी। शादी के बाद हो जाएगा उससे प्यार। मैं अकेला नहीं हूं जो अपनी दोस्त से शादी कर रहा हूं।"


     कार्तिक सिंघानिया ने फिर से सवाल किया, "अगर वाकई ऐसा है तो तेरा चेहरा इतना बुझा हुआ क्यों हैं? जरा सी भी खुशी नजर क्यों नहीं आ रही। तुझे देखकर कोई भी कह देगा कि तू इस रिश्ते से खुश नहीं है।"


   "काश! जो तू देख रहा है, कोई और भी देख पाता!" कहते हुए कुणाल ने पूरा ग्लास एक ही बार में खत्म कर दिया। उसकी आंखों में दर्द साफ नजर आ रहा था।


    कार्तिक सिंघानिया ने सीधा सा सवाल किया, "कौन है वो?"


    कुणाल ने कुछ कहने के लिए उसने अपने होंठ तो खोले लेकिन कुछ कह नहीं पाया। कार्तिक सिंघानिया ने कुणाल को दोनों कंधे से पकड़ा और बोला "क्या कोई है तेरी लाइफ में? बता मुझे। हम तेरे दोस्त किस दिन काम आयेंगे? तेरे घरवाले नही मान रहे? या फिर उस लड़की के घरवाले? साले! तू बस एक बार उसका नाम बता, हम उसे उसके घर से उठवा लेंगे और तुम दोनो की शादी करवा देंगे। तू बस एक इशारा कर।"


    कुणाल उठाकर आसमान में चमकते हुए तारों को देखा और बोला "काश........! इस आसमान में बहुत सितारे हैं ऐसा लगता है जैसे हम हाथ बढ़ाकर ही पकड़ लेंगे जितना हम इनके करीब जाते हैं, हमें एहसास होता है कि ये हम से कितना दूर है। कुछ चाहते भी ऐसी होती है। कुहू को उसका प्यार मिल जायेगा लेकिन हर किसी को उसका प्यार नहीं मिलता।"


    "मतलब वाकई कोई लड़की है, है ना?"


    कुणाल वहीं जमीन पर बैठ गया और बोला "तुझसे क्या छुपाना! तुझे याद है 1 साल पहले जब मेरा एक्सीडेंट हुआ था, और मैं लगभग 1 महीने तक उस हॉस्पिटल के बिस्तर पर पड़ा रहा था! यह कहानी उसी वक्त शुरू हुई थी। मुझे नहीं पता उसका नाम। कुछ नही जानता उसके बारे में। तू जानता है ना मेरी पसंद! बोल्ड एंड ब्यूटीफुल। लेकिन कुहू ट्रेडिशनल है। तुझे हंसी आएगी यह सुनकर कि जिस लड़की के आगे मैं खुद को हार गया, वो उससे भी ज्यादा सिंपल है, बहुत ज्यादा सिंपल और ट्रेडिशनल। कब कैसे वो मेरे दिल में जगह बना गई, मुझे पता ही नहीं चला।


    हॉस्पिटल में कुछ टाइम तक उसने मेरी केयर की थी और मैं चाह कर भी उससे उसका नाम नहीं पूछ पाया। बहुत कोशिश की मैंने उसे ढूंढने की लेकिन मेरे हाथ कुछ ना लगा, उसकी परछाई भी नहीं। सब का यही कहना है कि मैं दवाइयों के असर में था इसीलिए मुझे वह सब नजर आ रहा था जो एक्चुअल में था ही नहीं। लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है? कभी कभी लगता है, लोग सच बोल कहते है।"


   कुणाल ने उस तरफ देखा जहां सभी नाचने में व्यस्त थे। वो धीरे से मुस्कुरा दिया और बोला "मुझे तो वो हर जगह नजर आती है। उधर देख! मुझे लग रहा है जैसे जो चेहरा मेरे दिल में है, वो इस वक्त आंखों के सामने खड़ा है।"


   कार्तिक ने उस तरफ देखा जहां सारे भाई बहन डांस करने में व्यस्त थे।




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