सुन मेरे हमसफर 55

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    कुणाल फोन पर किसी से बातें कर रहा था और उसे यहां का एड्रेस समझा रहा था। इतने में कुहू उसके पास आई और कहा "तुम्हारे पास मेरे लिए बिल्कुल टाइम नहीं है ना!"


     कुणाल ने पलट कर देखा। उसे वाकई कुहू के लिए बुरा लग रहा था। लेकिन वह चाह कर भी कुहू की तरफ अपने कदम नहीं बढ़ा पा रहा था। दोस्त होने के नाते उन दोनों ने एक साथ काफी अच्छा टाइम स्पेंड किया था, लेकिन जब से उन दोनों की शादी तय हुई थी, कुहू कुणाल के लिए थोड़ी अनजानी सी महसूस होने लगी थी। जिस दोस्त को वो जानता था, वह उसके सामने नहीं थी। उसके सामने उसकी मंगेतर थी जिससे वह प्यार नहीं करता था और जिस दोस्त से वह प्यार करता था उस दोस्त को ना जाने कहां खो दिया था।


    कुहू ने कुणाल के कंधे पर हाथ रखा और कहा "क्या हो गया है कुणाल? जब से हमारी शादी तय हुई है, तुम इतने खींचे खींचे से रहने लगे हो! कहां गया वह कुणाल जिसे मैं जानती थी! वो कुणाल जो हमेशा मुस्कुराते रहता था। बात-बात पर जोक्स क्रैक करता था। जिंदगी को खुलकर जीता था।"


     कुणाल चुपचाप खड़ा उसकी बातें सुन रहा था। उसकी किसी भी सवाल का जवाब उसके पास नहीं था, और जो जवाब था, वह दे नहीं सकता था। कुहू उसके थोड़ा और करीब आई और कहा, "हमारी शादी होने वाली है कुणाल! हम एक दूसरे के लाइफ पाटनर बनने वाले हैं। हम दोनों ही एक दूसरे से अगर बात छुपाएंगे तो फिर पूरी जिंदगी हम कैसे साथ रह पाएंगे?"


     कुणाल ने कुहू का हाथ अपने कंधे से हटाया और अपने हाथ में थाम कर बोला "तुम मेरी बेस्ट फ्रेंड हो और हमेशा रहोगी। लेकिन कुछ बातें ऐसी होती है जिसे हम किसी के साथ शेयर नहीं कर सकते। मैं समझ सकता हूं तुम क्या कहने की कोशिश कर रही हो। लेकिन ट्रस्ट मी! जब भी कभी मुझे ऐसा लगेगा कि मुझे अपनी फीलिंग्स किसी के साथ शेयर करने की जरूरत है तो मैं सबसे पहले तुम्हारे पास ही आऊंगा। फिलहाल तो मैं अपने बर्ताव के लिए तुमसे सॉरी कहना चाहता हूं। सगाई से पहले भी मैं यहां से गायब था और सगाई के तुरंत बाद में यहां से चला गया। अगर कोई ऐसी प्रॉब्लम नहीं होती तो मैं कभी ऐसे........."


     कुहू अपने दूसरे हाथ से उसका मुंह बंद कर दिया और कहा "मैंने तो तुमसे कुछ पूछा ही नहीं। तुम मेरे पास वापस आ गए ये मेरे लिए बहुत बड़ी बात है। मुझे और कुछ नहीं चाहिए। बस तुम मेरे पास रहो, मेरे साथ रहो।" अचानक से न जाने कहां से कुहू के दिमाग में ये बात आई और उसने सवाल कर दिया "कुणाल! तुम हमारे रिश्ते से खुश तो हो ना?"



*****


   निशी ने गुस्से में अव्यांश के जोर से कोहनी मारी थी। अव्यांश ने अपना पेट पकड़ लिया और दर्द में कराहते हुए बोला "जान ही ले लो ना मेरी! क्यों छोड़ रखा है उसे? किसके लिए? मैं तो बस तुम्हें थैंक्यू कह रहा था।"


    निशी अपने कमर पर हाथ रख कर बोली "थैंक यू बोल रहे थे? क्यों? क्योंकि मैंने तुम्हें इन रंगाई पुताई वाली लड़कियों से बचाया! लेकिन जहां तक मेरी नजर गई और जहां तक मैंने समझा, तुम तो इंजॉय कर रहे थे! मैंने आकर रंग में भंग डाल दिया तो फिर कैसा थैंक्यू! तुम्हें तो नाराज होना चाहिए मुझ पर।"


    अव्यांश के होठों पर मुस्कान आ गई। उसने निशी को छेड़ते हुए कहा "तुम्हें जलन हो रही थी?"


      निशी ने चेहरा दूसरी तरफ घुमा लिया और बोली "मुझे क्यों जलन होगी? जले मेरी जूती। ऐसी हेल्प मैंने अपने कई दोस्तों को किया है। तुम कोई पहले नहीं हो।"


    इस बात से अव्यांश को कोई फर्क नहीं पड़ा। उसने एक बार फिर निशि को चिढ़ाते हुए कहा, "अच्छा! अगर ऐसी बात है तो फिर मैं वापस चला जाता हूं, उन्हीं लड़कियों के बीच। एटलिस्ट वो लड़कियां मुझे भाव दे रही थी। तुम्हारी तरह भाव नहीं खा रही थी।"


    अव्यांश वहां से जाने को मुड़ा तो निशी गुर्राते हुए बोली "मां को बुलाऊं? वह भी तो देखें उनका लाडला शरीफ बेटा क्या कर रहा है।"


     मां का नाम सुनकर ही अव्यांश की सिट्टी पिट्टी गुम हो गई। उसने एकदम से पलट कर निशी हाथ पकड़ लिया और बोला "नहीं जाऊंगा यार, नहीं जाऊंगा! तुम्हारे पास ही रहूंगा, हमेशा तुम्हारे साथ। चलो ना, कितना रोमांटिक मौसम हो रखा है। कहीं बैठते हैं, पानी में पैर डालकर। पीछे में गार्डन फाउंटेन है और तालाब भी है। नहीं, तालाब नहीं है। तो क्या हुआ, फाउंटेन में ही पैर डाल कर बैठेंगे। बहुत मजा आएगा।"


     निशी ने अव्यांश की पकड़ से अपना हाथ छुड़ाया और "नॉट इंटरेस्टेड!" बोल कर वहां से चली गई। अव्यांश भी निशी के पीछे जाना चाहता था लेकिन उसकी नजर कुणाल और कुहू पर गई। अंशु के चेहरे का रंग एकदम से बदल गया।


     सारांश और अवनी जो बाकी गेस्ट के साथ बात करने में बिजी थे। उन दोनों की ही नजर अपने बेटे बहू पर गई। उन दोनों को इस तरह एक दूसरे के साथ कंफर्टेबल होते देख अवनी ने मुस्कुराकर सारांश की तरफ देखा तो सारांश भी मुस्कुरा दिया।



*****



     कुणाल, कुहू के इस सवाल से सन्न रह गया। उसे समझ ही नहीं आया कि वह इस सवाल का जवाब कैसे दें। झूठ वो बोल नहीं सकता था और सच कुहू सुन नहीं पाती। इस वक्त वह एक धर्मसंकट में फंसा था। उसने कुछ कहने के लिए अपना मुंह खोला लेकिन समझ नहीं आया कि वह क्या कहें, क्या जवाब दें।


     कुहू उसके ही जवाब का इंतजार कर रही थी। एकदम से अव्यांश ने कुणाल के कंधे पर हाथ रखा और बोला "और मेरे होने वाले जीजा जी! इतने दिन से कहां गायब थे आप? कब वापस आना हुआ? एक बार बता दिया होता तो मैं खुद आपको लेने चला आता।"


     कुणाल ने अव्यांश की तरफ देखा। उसके चेहरे पर जो मुस्कुराहट थी, उसे वह साफ समझ रहा था। भले ही वो किसी को बताना नहीं चाहता था, लेकिन कुणाल के मन की बात अव्यांश को अब कुछ कुछ समझ में आने लगा था। कुहू कुछ कहती, उससे पहले ही अव्यांश ने कहा "कुहू दी! अगर आपकी इजाजत हो तो क्या मैं आपके होने वाले ओहो ओहो को थोड़ी देर के लिए ले जा सकता हूं।"


     कुहू थोड़ा सा शर्मा गई। उसने वहां खड़ी अपनी सहेलियों की तरफ देखा और बोली "तुम लोग बात करो, मैं अपने फ्रेंड्स को देखती हूं।" और वहां से चली गई।


      कुहू के जाते ही अव्यांश के चेहरे पर जो मुस्कुराहट थी, वो एकदम से गायब हो गई। कुणाल जानता था, अव्यांश उससे क्या सवाल करने वाला है। उसने खुद आगे पहल की और कहा, "मैं कुहू से बहुत प्यार करता हूं, लेकिन वो सिर्फ मेरी एक अच्छी दोस्त है, उससे ज्यादा कुछ नहीं।"


      अव्यांश का दिल कर रहा था वो कुणाल को पटक पटक कर मारे। फिर भी उसने खुदको शांत रखा और अपने होठों पर मुस्कुराहट लाकर कहा, "अगर ऐसी बात है तो तुम्हें पहले ही बात क्लियर करनी चाहिए थी। शादी के बाद अगर तुम उनसे यह सारी बातें कहोगे, तब वह किस कदर टूट जाएगी ये तुम कभी नहीं समझ पाओगे। वो प्यार करती है तुमसे। तुम इस तरह उसे धोखा नहीं दे सकते।"


     कुणाल ने कुहू की तरफ देखा जो अपनी सहेलियों के साथ बातें कर रही थी और कहा "मैंने उससे कुछ नहीं छुपाया। वह मेरी बेस्ट फ्रेंड है। उसके साथ अपनी हर बात शेयर की है मैंने। लेकिन एक बात शेयर नहीं कर पाया। और वो एक बात ऐसे मुझे परेशान करेगा, मैंने कभी सोचा नहीं था। मैंने बहुत कोशिश की उसे सब कुछ बताने की। मैंने कोशिश की थी उसे समझाने की लेकिन वह हमारे रिश्ते को लेकर ही इतनी ज्यादा एक्साइटेड थी कि............."

 

     अव्यांश कुणाल पर ही नाराज होता हुआ बोला "देखो कुणाल! वजह क्या है, तुम्हारी मजबूरी क्या है, मैं कुछ नहीं जानता। मैं सिर्फ इतना जानता हूं कि मेरी बहन की खुशी मेरे लिए बहुत मायने रखती है। तुमने उससे सगाई की है तो इस रिश्ते को तुम्हें निभाना होगा। अगर तुम्हारी वजह से मेरी बहन को कोई तकलीफ हुई तो मैं तुम्हें जिंदा नहीं छोडूंगा और ये मैं मजाक नहीं कर रहा।" इतने में कुणाल का फोन बजा। उसने कॉलर के नाम को देखा और अव्यांश को "एक्सक्यूज मी" बोलकर कॉल रिसीव करते हुए बाहर दरवाजे की तरफ बढ़ा।




*****




    काया रास्ता रोक खड़ी थी। वो लड़का काया के पीछे अंदर की तरफ देखते हुए बोला "देखिए मिस! आप जो भी है........"


     काया और ज्यादा बिफर पड़ी। "ओहो! तो आप मिस्टर को यह भी नहीं पता कि मैं कौन हूं! बहुत अनजान बन रहे हो? बहुत खुद को स्मार्ट समझते हो? तुम्हारी सारी स्मार्टनेस, तुम्हारी सारी चालाकी, मैंने यूं चुटकियों में ना निकाल दी तो मेरा नाम भी कायरा नहीं।"


    काया के तेवर देख सुहानी कंफ्यूज हो गई। उसने पूछा "क्या हो गया है तुझे? तू इस तरह क्यों इसे इतना सुना रही है? यह बेचारा अपने दोस्त से मिलने आया है। हो सकता है डैड या चाचू में से किसी को जानता हो।"


     काया हाथ नचाते हुए बोली "कोई मेहमान नहीं है यहां का। किसी से मिलने नहीं आया है। इस जैसे लफंगे को कौन ही जानता होगा यहां पर। किराए का सूट पहनकर आया है। बहुत अच्छे से जानती हूं मैं इसे। मिस्टर ऋषभ! यही नाम है ना तुम्हारा?"


     वह लड़का जो अब तक हैरानी से काया को देखे जा रहा था, एकदम से जैसे उसे कुछ समझ में आया और वह हंसते हुए बोला "देखिए मिस! आपको कोई बहुत बड़ी गलतफहमी हुई है। मेरा नाम ऋषभ नहीं कार्तिक है।"


     काया हंसते हुए बोली "हां! अब अपना नाम भी बदल लो। तुम ऋषभ नहीं कार्तिक हो। तुम बाहर वाले नहीं बल्कि हमारे रिश्तेदार हो और पार्टी तुम्हारी है। हम तो गेस्ट बनकर आए हैं यहां पर, है ना? बेवकूफ समझा है मुझे! तुम्हारी शक्ल मैं कभी नहीं भूल सकती, और ना तुम्हारा नाम। लुच्चा लफंगा आवारा सड़क छाप रोमियो कहीं के! निकलो अभी के अभी, वरना यहां से अपने पैरों पर नहीं जा पाओगे।"


     सुहानी ने अपना सर पकड़ लिया।




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