सुन मेरे हमसफर 56

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       वह लड़का कार्तिक, उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह हंसे या फिर सामने खड़ी लड़की को समझाएं जो, कुछ भी समझने के लिए तैयार ही नहीं थी। फिर भी उसने कोशिश की "देखिए मिस कायरा...........!"


   काया की तो जैसे लॉटरी लग गई। "देखा.....! देखा तूने सोना! इसको मेरा नाम याद है फिर भी देखो कैसे अनजान बनने का ढोंग कर रहा है।"


   कार्तिक बेचारगी से बोला "अभी आपने ही तो अपना नाम बताया!"


सुहानी ने काया का हाथ पकड़कर खींचा और उसके कान में धीरे से बोली, "क्या कर रही है तू? ये सही बोल रहे है। अभी तूने ही अपना बताया था। मैं कह रही हूं, छोड़ इसको जाने दे।"


    कार्तिक बोला "देखिए! आप दोनों जो भी है, मैं आज से पहले आप लोगों से कभी नहीं मिला। जो आपसे मिला था वो मेरा भाई है। आपको कोई बहुत बड़ी गलतफहमी हुई है। इसमें आपकी कोई गलती नहीं है। हर किसी को ये कंफ्यूजन हो जाता है।"


     काया गुस्से में उसकी तरफ बढ़ी और अपने बाजुओं पर ऐसे हाथ फिराया जैसे वह लड़ने के लिए अपने स्लीव्स ऊपर कर रही हो। "बिल्कुल! वो तुम नहीं थे। तुम तो बहुत शरीफ सच्चे और अच्छे घर के लड़के हो, है ना? और मैं जिससे मिली थी, वो तुम नहीं तुम्हारा जुड़वा भाई था। हमशक्ल, यू नो ट्विंस, डुप्लीकेट। आंखें हैं मेरी, अंधी नहीं हूं मैं। सब दिखता मुझे और समझ में भी आता है मुझे। दिमाग से पैदल नहीं हूं मैं।" फिर वो सुहानी से बोली, "और तुझे इस लफंगे को इतनी इज्जत देने की जरूरत नहीं है।"


     इससे पहले की काया वाकई उसे उठाकर यहां से बाहर फिकवा दे, उसका ध्यान सुहानी की तरफ देख कार्तिक ने अपना फोन लिया और जल्दी से एक नंबर डायल कर दिया।


    इस तरह उस इंसान को किसी को कॉल करते थे काया थोड़ा घबरा गई कि कहीं वो अपने किसी गुंडे दोस्त को कॉल करके उसे यहां ना बुला ले। मौका मिलते ही काया ने झपट्टा मारकर कार्तिक के हाथ से फोन छीना और उसे उंगली दिखा कर बोली "सब पता है मुझे, तुम किसे कॉल कर रहे हो। अपने गुंडे मवाली दोस्तों को कॉल कर रहे हो ना? आने दो उन्हें, यहां पर इतनी सिक्योरिटी गार्ड खड़े हैं कि वह तुम्हें भी देख लेंगे और तुम्हारे उसी लफंगे लफंडर दोस्तों को भी।"


     कार्तिक काया के हाथ से फोन नहीं छीन पा रहा था। सुहानी ने उसके झिझक को महसूस किया और काया के हाथ से फोन छीन कर बोली "ये तू क्या कर रही है? पहले एक बार देख तो ले कि ये है कौन! इसके पास इनविटेशन कार्ड है या नहीं। और यह भी तो सोच अगर इसके पास इनविटेशन कार्ड नहीं होता तो फिर ये अंदर कैसे आता।"


     कार्तिक ने भी सुहानी के बातों से सहमति जताई और कहा "बिल्कुल! यही तो मैं भी इनको समझाने की कोशिश कर रहा हूं। अगर मेरे पास इनविटेशन कार्ड नहीं होता तो फिर मैं अंदर कैसे आता! मैं कह रहा हूं ना, मेरा दोस्त अंदर है और मैंने उसी को कॉल लगाया है। 1 मिनट मुझे उससे बात करने दीजिए।"


    काया ने सुहानी को अपने पीछे किया और फोन अपने हाथ में लेकर बोली "नकली है। अपना यह शराफत का चोला उतार कर फेंको वरना वाकई में मैं तुम्हारे साथ क्या करूंगी मुझे खुद नहीं पता।"


      "क्या हो गया? किस बात की बहस हो रही है?" कुणाल की आवाज सुनकर काया और सुहानी ने चौक कर देखा। कार्तिक ने राहत की सांस ली और इससे पहले कि वह दोनों लड़कियां कुछ और कहती, वो जाकर कुणाल के गले लग गया और बोला "यार मैं तभी से इनको यही समझाने की कोशिश कर रहा हूं कि मैं यहां पर इनवाइटेड हूं, कोई आउटसाइडर नहीं जो..........."


      कुणाल समझ गया। उसने काया और सुहानी को समझाते हुए कहा "यह मेरा दोस्त है, कार्तिक!"


     काया को अभी भी यकीन नहीं हुआ। वह कार्तिक की तरफ उंगली दिखाते हुए बोली "जीजू! आप इस लफंगे की तरफदारी क्यों कर रहे हो? इसका नाम कार्तिक नहीं है, मैं जानती हूं इस लफंगे को। ऐसा इंसान आपका दोस्त हो ही नहीं सकता। आप क्यों अपनी इमेज खराब करने पर तुले हो?"


    सुहानी ने देखा काया किसी भी तरह से मान नहीं रही तो उसने पीछे से आकर काया का मुंह बंद किया और कुणाल से बोली "जीजू! आप अपने दोस्त को लेकर अदर जाइए, हम लोग किसी और काम से जा रहे थे। चल कायु!"


   काया ने सुहानी का विरोध करना चाहा तो सुहानी ने एकदम से उंगली दिखा कर उसे चुप करवा दिया। कुणाल भी अपने दोस्त कार्तिक को लेकर वहां से चला गया। "अब चल मेरे साथ और देख तनु कहां है।"


    काया मन मसोसकर सुहानी के साथ चल पड़ी। लेकिन गुस्से में उसने पलट कर कार्तिक की तरफ देखा जो कुणाल के साथ चला जा रहा था। ठीक उसी वक्त कार्तिक ने अपनी पॉकेट से काले फ्रेम का चश्मा निकाला और उसे पहनकर पीछे पलट कर देखा। काया कुछ रिएक्ट कर पाती, उससे पहले ही कार्तिक ने उसे आंख मारी और मुस्कुराते हुए वापस कुणाल के साथ चल पड़ा।


    काया हक्की बक्की रह गई। उसने सुहानी का हाथ पकड़कर अपनी तरफ खींचा और बोली "देखा.....! देखा तूने!! मेरा मतलब, मैं बिल्कुल सही थी। यह वो नहीं है जो वह खुद को बता रहा है। ये वही लफंगा है जिसने मुझे परेशान किया था।"


     सुहानी अब तक परेशान हो चुकी थी। उसने काया को डांट लगाई और पूछा "कौन सा लफंगा? किसने परेशान किया था तुझे? कुछ बताएगी भी!"


     काया कुछ कहती उससे पहले ही तन्वी उन दोनों से ही टकराई जो तेज कदमों से लगभग भागती हुई अंदर आ रही थी। इससे पहले कि तन्वी गिरती, सुहानी ने उसे पकड़ा और संभालते हुए बोली "क्या हो गया है तुम्हें? इस तरह क्यों भाग रही हो? ये ऑफिस नहीं है जो टाइम पर तुम्हें मशीन में पंच करना है। आराम से.......!"


     तन्वी कुछ कह नहीं पाई। सुहानी ही आगे बोली "कहां रह गई थी तुम? कब से इंतजार कर रही थी मैं तुम्हारा। और ये तुम्हारे बाल इतने क्यों बिखरे हुए है? मैने कहा था बालों को समेट लेना वरना ऑटो में खराब हो जायेंगे। गाड़ी भेजने से तुमने मना कर दिया था। अब चलो अंदर, तुम्हारे बाल ठीक करती हूं।"


   तन्वी ने घबराकर अपने बाल ऐसे पकड़ा जैसे कोई खींचकर ले जायेगा और बोली, "नही मैं खुद से कर लूंगी।" सुहानी ने तन्वी का हाथ पकड़ा और उसे लेकर अंदर की तरफ जाने लगी।


     तन्वी के चेहरे पर हल्की घबराहट थी। उसने पीछे पलट कर एक बार देखा। उसी वक्त समर्थ ने अंदर एंट्री ली। उसके होठों पर हल्की सी शातिर मुस्कान थी जो सिर्फ तन्वी के लिए थी। तन्वी ने घबराकर सुहानी का हाथ कस कर पकड़ लिया और उसके साथ चली गई।


*****



     कुणाल ने कार्तिक के कंधे पर हाथ रखा पूछा "यहां पहुंचने में कोई दिक्कत तो नहीं हुई? और यह चल क्या रहा था?"


    कार्तिक हंस पड़ा और बोला "कुछ नही यार! तेरी सालियां बड़ी खट्टी मीठी है। एक खट्टी और एक मीठी।"


    कुणाल के होठों पर हल्की सी मुस्कान आ गई। उसने कार्तिक के कंधे पर अपनी कोहनी टिकाई और उसके करीब आकर बोला "कौन सी खट्टी और कौन सी मीठी? वैसे एक बात बता दूं, मेरी दोनों सालियां बड़ी कमाल है। लेकिन अभी तक समझ नहीं आया कि काया तुझ पर इतना क्यों भड़की हुई थी? वह तो काफी शांत किस्म की है।" कार्तिक ने दरवाजे की तरफ देखा जहां से काया, सुहानी और तन्वी के साथ अंदर की तरफ आ रही थी।


     कार्तिक के होठों पर मुस्कान आ गई उसने कुणाल की तरफ देखा और पूछा "कुछ नहीं। उस लगा मैं ऋषभ हूं, इसीलिए मुझ पर टूट पड़ी। एक बात बताओ क्या मेरी पर्सनालिटी किसी आवारा लफंगे टाइप है?"


     कुणाल ने सर से पैर तक कार्तिक को देखा और उसके मजे लेते हुए बोला "ये तो मुझे नहीं पता। लेकिन मैं इतना जानता हूं कि मेरी दोनों सालियां किसी लफंगे को अपना दोस्त भी नहीं बनाएगी। वैसे तू किसको प्रेस आई मीन इंप्रेस करना चाह रहा है?"


      कार्तिक कुछ सोचने की एक्टिंग करता हुआ बोला "अभी तो देखना पड़ेगा। दोनों में से जो भी खुर्राट होगी, मेरा दिल तो उसी के लिए रिजर्व हो जाएगा।"


      कुणाल ने हंसते हुए उसके पेट में मारा और बोला "तेरा दिल आज तक किसी के लिए रिजर्व हुआ है जो अब होगा! वैसे बता दे रहा हूं, अगर तु उन्हें लेकर सीरियस नहीं है तो कोशिश भी मत करना। बात यहां सिर्फ लड़कियों की नहीं है, बात हमारी फैमिली की भी है। काया और सुहानी टाइमपास करने वाली लड़कियों में से नहीं है और ना ही उनकी फैमिली किसी को छोड़ने वालों में से हैं। सो मिस्टर कार्तिक सिंघानिया! इस रास्ते पर सोच समझ कर चलना वरना सबसे पहले तुझे उठा कर मैं फेंक दूंगा।"


     कार्तिक नॉर्मल होकर बोला "रिलैक्स यार! मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं है। तेरी साली तूफान है और इस तूफान से मैं फंसना नहीं चाहता। वह सब छोड़, आज काफी टाइम बाद मिलना हो रहा है और वह भी तब जब तू सिंगल नहीं रहा।"


    कुणाल हल्का सा मुस्कुरा दिया। कार्तिक चारों तरफ देखते हुए बोलो "तेरी साली से तो मिल लिया लेकिन होने वाली घरवाली से तो मिला। कहां है वह? नजर नहीं आ रही।"


     कुणाल ने भी अपनी चारों तरफ देखा। कुहू उसे कहीं नजर नहीं आ रही थी। उसने कहा "यही कही होगी। तू रुक मैं मिलवाता हूं तुझसे।"


      अव्यांश ने एकदम से कार्तिक के कंधे पर हाथ रखा और बोला "उनसे तो बाद में मिलते रहना, पहले चल तुझे किसी और से मिलवाता हूं।"


     कार्तिक कुछ कहता उससे पहले ही अव्यांश ने कार्तिक की कॉलर पकड़ी और उसे खींच कर अपने साथ ले गया। कुणाल को अव्यांश से ऐसे किसी हरकत की उम्मीद नहीं थी। वह भी उन दोनों के पीछे गया।


     "अव्यांश....! अव्यांश रुको....!! इस तरह कहां ले जा रहे हो उसे?" लेकिन अव्यांश कहां कुछ सुनने वाला था। वह कार्तिक को कलर से पकड़ कर लेकर गया और सीधे ले जाकर सारांश के सामने पटक दिया।




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