सुन मेरे हमसफर 54

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   "डैड! क्या हुआ? क्या सोच रहे हो आप?" अव्यांश के सवाल पर सारांश होश में आया और उसने अव्यांश के कंधे पर हाथ रख कर कहा "कुछ नहीं, बस ऐसे ही। तू जाकर अपनी पार्टी एंजॉय कर। सब तुझे ढूंढ रहे होंगे। लेकिन जरा बच के रहना।"


     अव्यांश थोड़ा घबरा गया। वो समझ गया कि सारांश के कहने का मतलब क्या था। फिलहाल वो इस तरह एक साइड खड़ा नहीं हो सकता था। इस वक्त उसे सबके बीच जाना ही था। बस डर उसे इस बात का था कि अकेले मौका पाकर कोई उस पर हमला ना कर दे। अव्यांश अपने चारों तरफ देखते हुए सबके बीच चला तो आया लेकिन एकदम से उसकी नजर उन लड़कियों पर गई जो उसे किसी भूखे भेड़िए की तरह देख रही थी। ये लडकिया और कोई नहीं बल्कि समर्थ की स्टूडेंट्स और सुहानी की सहेलियां थी।


     एक लड़की, जो बेहद बोल्ड और छोटे कपड़ों में थी, ने अव्यांश को सामने से आकर रोका और उसके सीने को अपनी उंगली से छूते हुए बोली "कब से ढूंढ रही थी तुम्हें, और तुम हो कि......... एक तो देर से आए, ऊपर से इतना ज्यादा बिजी हो गए कि एक बार हमारी तरफ देखा तक नहीं। और किसी का ना सही, कम से कम मेरे बारे में तो सोच लिया होता। पता है, तुम्हें देखने के लिए मैंने तो जैसे सदियों का इंतजार किया है।"


     अव्यांश धीरे-धीरे पीछे की तरफ सरक रहा था। लेकिन वो ज्यादा पीछे जा नहीं सकता था क्योंकि उसके पीछे दो तीन लड़कियां, जो उस लड़की की चमचिया भी थी, आकर खड़ी हो गई थी। शॉर्टकट में कहे तो हमारे कन्हैया वाकई आज गोपियों के बीच फंस गए थे।



*****



    निशी और काया आपस में बातें करने में लगे थे लेकिन वहीं बैठी सुहानी बार-बार अपनी घड़ी देख रही थी और उसकी नजर दरवाजे पर थी। काया ने पूछा "क्या हुआ? किसका इंतजार कर रही है?"


    सुहानी बाहर की तरफ देखते हुए बोली "कुछ नहीं यार! मैं उस पागल लड़की का इंतजार कर रही थी। तनु ने कहा था कि वह बस पहुंच रही है, बाहर ही है। लेकिन आधा घंटा हो गया। इतना टाइम तो उसे घर से आने में भी नहीं लगता।"


     काया बड़े नॉर्मल तरीके से बोली "इतना क्यों परेशान हो रही है? कॉल कर ले उसे।"


     सुहानी झुंझला कर बोली "किया था, लेकिन वो फोन नहीं उठा रही। शायद साइलेंट पर हो। मैं एक काम करती हूं, बाहर जाकर देखती हूं। कहीं बीच रास्ते में फंस गई हो या अगर रास्ते में होगी तो मैं उसे पिक कर लूंगी।" सुहानी बिना काया की तरफ ध्यान दिए दरवाजे की तरफ निकली। लेकिन से उसे जो कुछ भी नजर आया उसे देख निशी से बोली, "फिलहाल तो तुम भी जाओ। तुम्हारा वो पति नाम का जंतु खुल्ला घूम रहा है।" इतना बोल वो वहां से निकल गई। काया भी उसके पीछे भागी।


      दूर खड़ी निशी की नजरों ने जब अव्यांश को देखा तो उसे कुछ ज्यादा ही मॉडर्न लड़कियों से घिरा हुआ पाया। "जितने छोटे कपड़े, उतनी हाई सोसाइटी और उसने ही गिरे हुए लोग।" निशी की मुट्ठियां कस गई। उसका दिल किया, अभी जाकर इन लड़कियों का चेहरा सूजा दें। लेकिन जब उसकी नजर अव्यांश पर गई तो उसके एक्सप्रेशन देखकर ही निशि को हंसी आ गई।


     एकाएक उसे कल रात की याद आ गई। अव्यांश ने जिस तरह उस सवाल किया था, उस अहसास को महसूस करते ही निशी का दिल जोर से धड़का। एक सवाल जो खुद उसने अपने आप से किया 'क्या वाकई मुझे फर्क पड़ता है? क्या वाकई...........! नहीं, ऐसा कुछ नहीं है। अव्यांश सिर्फ मेरा दोस्त है और कुछ नहीं। भले ही हमारी शादी हुई है और दुनिया की नज़रों में हम पति पत्नी है लेकिन हम बंद कमरे में एक छत के नीचे दोस्त तो है ही। कम से कम इस नाते ही सही मुझे उसकी हेल्प करनी चाहिए। लेकिन क्या वाकई उसे मेरी हेल्प की जरूरत है?' निशी ने बड़ी मुश्किल से खुद कंट्रोल किया।



*****



    अव्यांश को थोड़ी घबराहट होने लगी थी। शादी से पहले यह सब उसके लिए आसान था लेकिन अब उसे उतना ही मुश्किल लग रहा था। 'यार! शादी के बाद लाइफ कितनी चेंज हो जाती है! आज जिस तरह मैं घबरा रहा हूं, कभी इस मोमेंट को मैं इंजॉय करता था। निशी! बचाओ मुझे यार!! हेल्प, प्लीज! अपनी सारी दुश्मनी बाद में निकाल लेना।'


    उस लड़की ने अव्यांश की आंखों के सामने चुटकी बजाई और कहा, "कहां खो गए जूनियर मित्तल? मैं तुम्हारे सामने खड़ी हूं। मेरे अलावा किसके ख्यालों में खोने की हिम्मत है तुम्हारी?" 


     उस लड़की ने एकदम से अव्यांश के गले में अपनी बांहे डाल दी। अव्यांश और ज्यादा घबरा गया। गया बेटा तू आज। अगर निशी ने तुझे ऐसे देख लिया तो पता नहीं क्या करेगी।' भले ही उन दोनों के बीच ऐसा कोई रिश्ता नहीं था लेकिन कोई एहसास भी नहीं था, यह कहना भी गलत होता।


    अव्यांश धीरे से नीचे झुका और उस लड़की के बाहों के घेरे से आजाद होकर बोला "ऐसा कुछ नहीं है। और यह क्या, तुम आते ही शिकायत लेकर बैठ गई। अभी थोड़ी देर पहले ही तो आया हूं मैं। इतना भी क्या इंतजार करना जो तुम सूखकर कांटा ही हुई जा रही थी!"


     वो लड़की बड़े अदाओं से अव्यांश के चेहरे गर्दन से अपनी उंगली अव्यांश के सीने तक ले जाती हुई बोली "6 महीने! 6 महीने से ऊपर हो गए तुम्हें देखे हुए और तुम्हें इतना लंबा वक्त नजर नहीं आता? तुम्हारे बिना बिताए यह महीने कितने मुश्किल से कटे हैं, और तुम मिले हो इस तरह भाग रहे हो जैसे मुझमें कांटे लगे हो।"


     पीछे से आवाज आई "कांटे ही तो लगे हैं तुम में।"


     उस लड़की ने पलट कर देखा, निशी उसके सामने खड़ी थी। उसने गुस्से में निशी से पूछा "व्हाट डू यू मीन? क्या बकवास की तुमने! मैं तुम्हें कांटा नजर आ रही हूं?"


     अव्यांश को मौका मिल गया और वह जल्दी से जाकर निशी के पीछे खड़ा हो गया। वह लड़कियां चाह कर भी अव्यांश को पकड़ नहीं पाई। निशी ने अव्यांश की तरफ मुस्कुराकर देखा और कहा, "बिल्कुल! जाहिर सी बात है, तुम में कांटे लगे हैं।"


    वो लड़की गुस्से में निशी को कुछ उल्टा सीधा कहती उससे पहले निशी ने आगे कहा "तुम बिल्कुल गुलाब की तरह हो। पता है, तुम कितनी सुंदर हो! अब जब तुम गुलाब की तरह सुंदर हो तो जाहिर सी बात है तुममें कांटे तो होंगे ही। एक काम करो, पहले अपनों कांटो को निकालो, फिर आना।"


   वह लड़की गुस्से में निशी की तरफ बढ़ने को हुई तो अव्यांश ने निशी कंधे पर हाथ रखा और सब से मिलवाते हुए कहा "गर्ल्स! यह मीट माय वाइफ, निशिका! निशीका अव्यांश मित्तल।"


    सारी लड़कियां निशी को ही घुटकर देखे जा रही थी। निशी ने अपने दोनों बाजुओं को आपस में फोल्ड कर घमंड से उन लड़कियों की तरफ देखा और कहा, "अगर आप सबका घूरना हो गया हो तो क्या मैं अपने हस्बैंड को लेकर जा सकती हूं?" निशी ने उन लड़कियों के जवाब का इंतजार भी नहीं किया और अव्यांश को लेकर वहां से निकल गई। वह लड़कियां गुस्से में पैर पटक कर रह गई।



*****


     इससे पहले कि सुहानी दरवाजे तक पहुंच पाती, एकदम से वो किसी से टकरा गई। सुहानी के कंधे पर जोर की चोट लगी और वो दर्द से चिल्ला उठी। "अंधा है क्या? दिखता नहीं है?"


      वह आदमी एकदम से सुहानी के पास आया और माफी मांगते हुए बोला "सॉरी! वेरी सॉरी!! मैंने आपको देखा नहीं।"


     सुहानी ने नजर उठाकर देखा, एक खूबसूरत पर्सनालिटी, लंबा चेहरा, नैन नक्श जैसे बड़े करीने से तराशे गए हो, हाइट 6 फुट, रंग गेहूंआ। सफेद रंग का बंद गले का सूट जिसपर बाएं कंधे पर सुनहरी पत्तियां नजर आ रही थी। सिर से पैर तक वो किसी राजकुमार से कम नहीं लग रहा था। सुहानी ने उसे देखा और वह बस उसे देखती रह गई। अपना दर्द तक उसे याद नहीं रहा। उस लड़के ने आगे कहा "एक्चुअली मैं अपने किसी दोस्त से बात कर रहा था और उसे ढूंढ रहा था। सॉरी! मेरी वजह से आपको........... ज्यादा चोट तो नहीं लगी? आप ठीक तो है? आप अगर कहे तो मैं आपको डॉक्टर के पास ले चलूं?"


     वो लड़का सुहानी को ऐसे चुपचाप खड़ा देख थोड़ा घबरा रहा था। कि कहीं वाकई उसकी वजह से सुहानी को ज्यादा चोट ना आई हो। सुहानी एकदम से जैसे होश में आई और उसने कहा "नहीं! मैं ठीक हूं, लेकिन आप किसे ढूंढ रहे थे? और आपको किसने इनवाइट किया है?"


   वो लड़का कुछ कहता, उससे पहले ही काया सुहानी के पीछे-पीछे आ पहुंची और उस लड़के को देखते ही उसकी शक्ल ऐसी बिगड़ी मानो उसने कोई गंदी चीज देख ली हो। उसने उस लड़के पर बिगड़ते हुए कहा, "चोर! मक्कार!! आवारा!!!"


    वह लड़का घबरा गया। काया के इस सम्मान सूचक शब्द सुनकर स्तब्ध रह गया और हरबड़ाता हुआ बोला "एक्सक्यूज मी मैम! ये आप क्या कह रही है? देखिए, माना मेरी गलती है, मैं देख कर नहीं चल रहा था और इनको चोट लग गई। इसका मतलब यह नहीं कि आप मेरी इज्जत का भजिया तलेंगी!"


     सुहानी ने उसे समझने की कोशिश की लेकिन काया तो जैसे उस पर भड़क चुकी थी। "बड़े सीधे बन रहे हो तुम! इस दुनिया में तुमसे ज्यादा सीधा इंसान कोई और हो ही नहीं सकता। कितने शरीफ हो, है ना? अगर तुम जैसा इंसान शरीफ हो गया तो पूरी दुनिया में शराफत खत्म हो जाएगी। यह जो मुखौटा लगाकर रखा है ना, अभी के अभी नोच दूंगी मैं। क्या रहे हो तुम यहां पर? निकलो यहां से। निकलो यहां से वरना मैं पुलिस को बुलाउंगी और उनसे तुम्हारी खातिरदारी करवाऊंगी। मुफ्त का खाना खाने आए हो ना यहां तुम?"



*****



    निशि अव्यांश का हाथ पकड़े उसे लेकर उन लड़कियों से दूर जा रही थी। जिस तरह से अव्यांश के हाथ पर उसकी पकड़ थी और जिस तरह से वह चल रही थी, उससे साफ समझ आ रहा था कि निशी इस वक्त से बेहद नाराज है। फिर भी अव्यांश ने उसे पीछे से हग किया और बोला "थैंक यू! थैंक यू सो मच!!"


    लेकिन निशी ने उसके पेट में कोहनी मारी और गुस्से में एकदम से अव्यांश को खुद से दूर धकेल दिया। 




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